किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए केन्द्र सरकार ने किसानों से अब तक 6 बार बातचीत करने का प्रयास किया लेकिन इससे कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। केन्द्र सरकार द्वारा किसानों से बातचीत करने के लिए 7वें दौर की वार्ता के लिए बुलाया है लेकिन इस वार्ता से पहले किसानों ने अपना रूख साफ कर दिया है िकवह आंदोलन तभी खत्म करेंगे जब तीनों बिलों को खत्म करने के साथ एमसीपी को कानूनी अधिकार बनाया जाएगा। इस वार्ता से पहले ही लगने लगा है कि सरकार किसी भी हद तक अपने रूख में नरमी नहीं बरतेगी वह इस बिल को लेकर साफ कह चुकी है कि यह बिल किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है जो आने वाले भविष्य में उनको कर्ज जैसी परेशानी से छूटकारा दिलाएगा।
7वें दौर की वार्ता के लिए किसान आज 2 बजे विज्ञान भवन दिल्ली जाएंगे और वहां सरकार के मंत्रियों के साथ वार्ता करेंगे। किसानों के इस आंदोलन में कई सामाजीक संगठनों के साथ पूरा विपक्ष उनका समर्थन कर रहा है लेकिन केन्द्र सरकार को यह लगता है कि यह आंदोलन एक राजनीतिक और विदेशी ताकतों के इशारों पर चल रहा है। इस आंदोलन में जियो कंपनी को लेकर कई प्रकार के भ्रामक प्रचार भी किया जा रहा है जिसके चलते जियो कंपनी के टॉवरों पर बिजली की सप्लाई बंद कर दी गयी है।
किसान आंदोलन को लेकर दुनिया भर में चर्चा हो रही है कि भारत किसानों पर निर्भर है और वहां पर किसानों की हालात इतनी खराब है कि किसान को आत्महत्या तक करनी पड़ती है। अब यह देखना होगा कि आज की वार्ता के बाद क्या परिणाम निकलता है अगर इस वार्ता के बाद किसान आंदोलन खत्म नहीं करते हैं तो वे इस आंदोलन को और तेज करने का प्रयास करेंगे जिसके चलते केन्द्र सरका की परेशानी बड़ सकती है।