Chief Minister approved the proposal: the name of the Department of Industries will
now be the Department of Industries and Commerce


Chief Minister approved the proposal: the name of the Department of Industries will
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किसाना आंदोलन मजबूत बनाने के लिए राजस्थान में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टीसे सांसद और दिग्गज जाट नेता हनुमान बेनीवाल राज्य के प्रत्येक जिले में किसान आंदोलन के समर्थन में ट्रैक्टर रैली निकालेंगे। बेनीवाल ने किसानों के समर्थन के लिए एनडीए से अलग होकर बता दिया था कि वह किसानों के हक की बात पर किसानों के साथ खड़े होकर उनका साथ देंगे। बेनीवाल ने कहा कि रैली का आयोजन शुक्रवार को सभी जिला मुख्यालयों शांतिपूर्ण तरीके से किया जायेगा।
बेनीवाल ने कहा इस रैली के माध्यम से केन्द्र सरकार को संदेश दिया जाएगा कि किसानों के मुद्दे को दबाया नहीं जा सकता और राजस्थान के किसान एक है। राजधानी जयपुर में रैली मानसरोवर मेट्रो स्टेशन से शुरू होगी और 14 नंबर बाईपास पर जाकर समाप्त होगी।
बेनीवाल ने कहा कि आंदोलन के समर्थन में उनकी पार्टी शाहजहांपुर बॉर्डर पर पड़ाव डालकर बैठी है और किसानों के पक्ष में आवाज को मजबूत कर रहे है। बेनीवाल ने संसद सत्र के दौरान भी सांसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण और वित्त मंत्री के बजट भाषण पर भी अपना विरोध् दर्ज करवाते हुए कृषि बिलों को वापिस लेने की अपील की थी। इसके बाद वह अब ट्रैक्टर रैली के माध्यम से किसानों का हौसला बढ़ा रहे हैं। इस रैली जबरदस्त भीड़ देखने को मिल रही है और इस बात से पता चलता है कि हनुमान बेनीवाल की किसानों के बीच अच्छी पकड़ है।
वही दूसरी तरफ भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसानों को कहा कि हर गांव से एक ट्रैक्टर पर 15 आदमी 10 दिन का समय लेकर आएं और इस आंदोलन में शामिल हो और इसके बाद वह लौटकर अपनी खेती करे इससे गांव में बैठे किसानों तक हमारी बात पहुचंगी और ज्यादा से ज्यादा किसान इसमें भाग लेंगे।
राजस्थान में निकाय चुनाव के नतीजों पर कांग्रेस पार्टी ने मतदाताओं और कार्यकर्ताओं का आभार जताया है। हालांकि कांग्रेस को बड़ी जीत नहीं मिली है लेकिन निर्दलियों के कारण वह बीजेपी से ज्यादा बोर्ड बनाने में सफल हो सकती है। लेकिन कई ऐसे निकायों में निराशा का भी सामना करना पड़ा है जहां मौजुदा सरकार के बड़े मंत्री आते हैं या फिर उन क्षेत्रों में कांग्रेस के विधायक हैं। लेकिन इसके बाद भी आलाकमान के नेताओं के साथ राजस्थान के प्रभारी अजय माकन ने खुशी जाहिर की है।
राजस्थान के 90 शहरों में निकाय चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और लगभग 50 से ज्यादा बोर्ड कांग्रेस के पाले में जाते हुए दिख रहे है। इस बार भाजपा के गढ़ माने जाने वाले कई बोर्डो पर कांग्रेस ने बाजी मारी है। लेकिन कांग्रेस के लिए बहुत बड़ी चुनौती वहां है जहां आने वाले दिनों में चार विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने हैं। क्योंकि यहां 4 में 3 सीटों पर बीजेपी का दबदबा रहा है। मुख्यमंत्री गहलोत के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा किए गए कार्यों को जनता ने सराहा है।
प्रदेश के 20 जिलों के 90 निकाय के चुनाव परिणाम के बाद 3034 वार्डों के चुनाव परिणाम जारी कर दिये गये है और जिसमें सबसे ज्यादा वार्डों 1197 के साथ कांग्रेस पहले स्थान पर है तो भाजपा 1140 वार्ड जीतने में सफल रही है। इस बार 634 वार्डों में निर्दलीयों ने कब्जा किया है।
चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी ने आरोप लगाया कि सत्ता में होने के बाद भी कांग्रेस को ज्यादा बड़ी जीत नहीं मिली है और नतीजों के परिणाम के बाद भी वह अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। जबकि उनके बड़े नेता इस जीत को कांग्रेस के लिए बड़ी जीत बता रहे है जबकि बीजेपी अपने दम पर कांग्रेस से ज्यादा वार्डो पर कब्जा किया है और कांग्रेस अब निर्देलियों के भरोसे अपनी जीत के सपने देख रही है।
2 महिने से ज्यादा का समय बीत चुका है और किसान संगठन नये कृषि कानूनों को खत्म करने के लिए लगातार सरकार पर दबाव बनाने के लिए शांति पूर्वक धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन 26 जनवरी को टै्रक्टर परैड के दौरान जो लाल किले पर हिंसा की घटना हुई उसको लेकर राकेश टिकैत ने साफ शब्दों में कह दिया है कि वे लोग हमारे साथ नहीं थे और उनका हमारे साथ कोई लेना देना नहीं है। हिंसा के बाद पुलिस ने सभी किसान नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी है और इस कारण किसान नेताओं ने आंशका जाहिर की है पुलिस उन्हें जबरदस्ती गिरफ्तार कर सकती है लेकिन फिर भी आंदोलन चलता रहेगा।
जयंत चौधरी ने किसान आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान कर चुके है। गुरुवार शाम 4 बजे तक गाजीपुर बॉर्डर पर भारी पुलिस बल की तैनाती के बाद माहौल ऐसा बन गया था कि किसानों को घर भेज दिया जाएगा। लेकिन हरियाणा से हजारों किसान रात में ही गाजीपुर बॉर्डर के लिए रवाना हो गए और वे सभ आज मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत करेंगे। खबरों के अनुसार बताया जा रहा है गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत धरनास्थल से हटने को तैयार हो गए थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है ।टिकैत के गांव में ऐलान किया गया कि हर किसान गाजीपुर पहुंचेगा।
रात 11 बजे से मेरठ, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद और शामली से भारी संख्या में लोगों ने गाजीपुर के लिए कूच शुरू कर दिया। हरियाणा में भी कई खापों ने ऐलान कर दिया वे भी दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचेंगी।पुलिस ने धरनास्थल को चारों तरफ से सील कर दिया इसके बाद टिकैत ने रोते हुए कहा कि मुझे मारने की साजिश रची जा रही है और मैं खुदकुशी कर लूंगा लेकिन देश के किसानों को बर्बाद नहीं होने दूंगा।
दिल्ली हिंसा के मामले में पुलिस ने 37 किसान नेताओं को आरोपी बनाया गया है। इनमें राकेश टिकैतए मेधा पाटकर, योगेंद्र यादव, दर्शन पाल, राजिंदर सिंह, बूटा सिंह बुर्जगिल और जोगिंदर सिंह के साथ अन्य लोगों के नाम है। हिंसा के बाद राष्ट्रीय मजदूर किसान संगठन और भारतीय किसान यूनियन ने खुद को आंदोलन से अलग करने का ऐलान भी कर दिया है।
26 जनवरी को गंणतत्र दिवस के मौके पर जिस तहर की हिंसा देखने को मिली उसके बाद किसान आंदोलनकारी दो भागों में बटते हुए नजर आ रहे है। हिंसा के बाद दो बड़े किसान संगठनों में आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर दिया तो दूसरे धड़े ने हिंसा पर खेद प्रकट करते हुए शर्मिदंगी जताते हुए 30 जनवरी को उपवास रखने का फैसला किया है।
इस आंदोलन को लेकर अब किसान संगठन एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर रहे हैं और हिसां फैलाने वालों को बाहरी बता रहे हैं। हिंसा के बाद से किसान आंदोलन से जुड़े बड़े नेताओं के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गयी है और उनको कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। बताया जा रहा है कि हिंसा के बाद किसान संगठनों को लगने लगा है कि उनको कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। हिंसा के बाद केन्द्र सरकार ने कहा कि वह अभी भी किसानों से वार्ता करने के लिए तैयार है।
दिल्ली पुलिस ने किसान नेताओं पर भी एफआईआर दर्ज की है इनमें राकेश टिकैत,जोगिंदर सिंह, बूटा सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल और राजेंद्र सिंह का नाम भी शामिल है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि ट्रैक्टर मार्च के दौरान इन नेताओं की ओर से नियमों का उल्लंघन किया गया था। सभी किसान संगठनों से जुड़े हैं और सरकार संग बातचीत हो या ट्रैक्टर परेड का रुट तय करना सभी में इनकी अहम भूमिका रही थी।
किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि गणतंत्र दिवस के दिन जो हुआ वो शर्मनाक है। मैं उस समय गाजीपुर बॉर्डर के पास था फिर भी मैं शर्मिंदा हूं और 30 जनवरी को उपवास रखकर हम प्रायश्चित करेंगे।
राष्ट्रीय मजदूर किसान संगठन और भारतीय किसान यूनियन भानु ने हिंसा के बाद ऐलान कर दिया कि वे आंदोलन से अलग हो रहे हैं। हिंसा के बाद यूपी पुलिस भी एक्शन में दिखी और दिल्ली सहारनपुर हाइवे पर के बागपत जिले के बड़ौत में धरने पर बैठे किसानों को आधी रात को हटा दिया।
26 जनवरी को लाल किले पर झंडा फहराने की घटना को लेकर सभी पार्टियों के साथ किसान संगठनों ने भी नाराजगी जताई है लेकिन झंडा फहराने के स्थान को लेकर जो बाते सामने आ रही है उसको लेकर जबरदस्त जंग छीड़ गयी है। किसान संगठनों ने कहा कि हमने पुलिस द्वारा बताये गये मार्ग से रैली निकाल रहे थे लेकिन हमारे बीच कुछ ऐसी हिसां फैलाने वाले लोग शामिल हो गये है जो किसानों को भड़काने के साथ हिंसा फैलाने का काम किया है। किसान संगठनों ने उन लोगों को अपने आप अलग करते हुए कहा कि ऐसे उपद्रवी लोगों के साथ उनका कोई संबंध नहीं है और हम शांति से अपने धरना स्थल पर लौट रहे है और अपना आंदोलन शांति से चलाने का आग्रह कर रहे है। दूसरी तरफ राजपथ पर अचानक भिड़ का उग्र होना और लाल किले पर झंडा फहराना सही नहीं है लेकिन ऐसी घटनाओं से किसान समुदाय पर हिंसा फैलाने के आरोप मंडने शुरू हो गये है।
अगर लाल किले पर झंडा फहराने को लेकर कोई विवाद हुआ है तो वह सही नहीं है क्योंकि झंडा उस जगह पर नहीं फहराया गया जहां पर तिरंगा फहराया जाता है। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि एक समुदाय विशेष का झंडा फहराना शर्मनाक है और इससे लोगों में गलत संदेश जाता है। जिस व्यक्ति पर किसानों को भड़काने का आरोप लगा है वह पंजाब से बीजेपी सांसद सनी देओल के साथ नजर आने वाला दिप सिद्धू है जो कई मौकों पर सनी के साथ नजर आ चुका है।
किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान अचानक उग्र प्रदर्शनकारी बैरियर तोड़ते हुए लाल किले तक पहुंच गए और उस स्तंभ पर एक धार्मिक झंडा लगा दिया जहां 15 अगस्त को प्रधानमंत्री भारत का तिरंगा फहराते हैं। लाल किले में घुसे प्रदर्शनकारियों ने जमकर उत्पात मचाया और टिकट काउंटर में भी तोड़फोड़ की पुलिस ने रात करीब 11 बजे तक प्रदर्शनकारियों से लाल किला को खाली कराया और धार्मिक झंडे को भी हटाया।
हिंसा पर किसान संगठन करेंगे चर्चा
दिल्ली हिंसा के बाद किसान संगठनों की आज दोपहर 2 बजे बैठक होगी और बैठक में 26 जनवरी को हुई हिंसा पर की चर्चा की जाएगी और 1 फरवरी के संसद घेराव कार्यक्रम पर भी फैसला लिया जा सकता है।
हिंसा पर सख्त ग्रह मंत्रालय
दिल्ली हिंसा को लेकर ग्रह मंत्रालय बहुत ज्यादा सख्त है और अमित शाह ने इसको लेकर एक बैठक बुलाई है। इसके साथ दिल्ली क्राइम ब्रांच और स्पेशल सेल से जांच कराई जा सकती है और उपद्रवियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए गृह मंत्रालय अब कानून मंत्रालय की मदद भी ले रहा है। मंगलवार को हुई हिंसा में 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, दिल्ली पुलिस दोपहर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी और हिंसा को लेकर जानकारी देगी।
दुनिया भर में कोरोना का टीकाकरण शुरू हो गया है लेकिन भारत में अभी तक टीका लगने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पायी है। खबरों के अनुसार बताया जा रहा है कि 14 या 16 जनवरी से कुछ राज्यों में टीकाकरण का अभियान शुरू हो सकता है और इसकी सभी तैयारिया पूरी कर ली गयी है। सरकार ने सभी राज्य सरकारों को आदेश जारी कर दिया है कि वह सभी तैयारियां पूरी करके रखे और एक अभियान की तरह प्रत्येक देशवासी तक आसानी से टीका पहुंच सके।
टीकाकरण का अभियान सिलसिलेवार तरीके कई चरणों में शुरू होगा जिसमें पहले चरण में डॉक्टर्स, नर्स, मेडिकल स्टाफ व दूसरे हेल्थ वर्कर्स शामिल है इसके बाद फ्रंटलाइन वर्कर्स का नंबर आएगा। इन्हें खुद रजिस्ट्रेशन करवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके बाद 50 साल से ज़्यादा की उम्र के लोगों और गंभीर रूप से बीमार लोगों को टीका लगवाने के लिए रजिस्ट्रेशन होगा। रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए एक ऐप तैयार किया गया है इसके माध्यम से आप घर बैठे बिना किसी दलाल के माध्यम से रजिस्ट्रेशन करवा सकेंगे। इस ऐप का नाम Co-WIN होगा हालांकि अभी ये ऐप लॉन्च नहीं किया गया है लेकिन जल्द ही इसे लॉन्च कर दिया जाएगा।
पूरे देश में टीकाकरण के पहले चरण में तीन करोड़ भारतीयों को वैक्सीन उपलब्ध करवाने का प्लान तैयार किया गया है। कोरोना की वैक्सीन पहले किसे और कैसे मिलेगी इसकी तैयारी के साथ-साथ वैक्सीन की डिलीवरी और स्टोरेज जैसी सभी प्रकार की जरूरी चीजों को बड़े अच्छे से बनाया है।भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है जिसके पास अभी दो वैक्सीन हैं। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड और दूसरी कोवैक्सीन, जिसे हैदराबाद में भारत बायोटेक लैब में तैयार किया है।अभी सरकारी अधिकारी ही जानते हैं कि लोगों को कौन सी वैक्सीन लगाई जाएगी।
कैसे करे रजिस्ट्रेशन
आप इस ऐप के लॉन्च होने के बाद आपको इसे प्ले स्टोर से डाउनलोड करना होगा या फिर Co-Win पोर्टल पर जाकर सेल्फ रजिस्टर करा सकते हैं। इसके बाद आपको अपनी फोटो या फोटो वाला पहचान पत्र अपलोड करना होगा। इसके बाद आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर मैसेज आएगा, जो आपके रजिस्ट्रेशन को स्वीकार करेगा। इसके बाद वैक्सीन की पहली खुराक के लिए टीकाकरण केंद्र का नाम, दिन और समय की जानकारी आपको एसएमएस से मिलेगी।
किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि कोरोना महामारी के खतर को देखते हुए केंद्र से पूछा कि किसान आंदोलन में कोविड नियमों का ध्यान रखने की जरूरत है। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा कि ‘हमें नहीं पता कि किसान कोरोना से सुरक्षित हैं या नहीं? अगर नियमों का पालन नहीं किया गया तो तबलीगी जमात की तरह कोरोना का बड़ा विस्फोट होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। अगर समय रहते किसाना आंदोलन में कोविड—19 के नियमों पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह देश के लिए नई मुशिबत खडी हो सकती है।
केंद्र की ओर से पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वहां नियमों का पालन नहीं हो रहा है और कोरेाना का खतरा होने का डर बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी निजामुद्दीन मरकज में जमातियों के जुटने की CBI जांच की याचिका पर सुनवाई के दौरान कही याचिकाकर्ता का कहना था कि मोहम्मद साद कोअभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।
यह याचिका जम्मू की रहने वाली वकील सुप्रिया पंडिता ने दायर कहा कि कोरोना के समय बड़े पैमाने पर लोगों के एकत्र होने कि अनुमति कैसे दी गई, जबकि उस समय कोरोना महामारी का खतरा मंडरा रहा था।
किसानों का आंदोलन अभी खत्म होता हुआ नजर नहीं आ रहा है और आने वाले दिनों में अगर किसानों और सरकार के मध्य समझौता नहीं हुआ तो आंदोलन लंबा चल सकता है। कोरोना की खतरे को देखते हुए सरकार ने भी किसानों से अपील की वह अपने बच्चों को घर भेजे व ज्यादा उम्र के लोग बॉर्डर पर नहीं रहे। कल किसानों और सरकार के बीच वार्ता होगी अगर उसमें कोई नतीजा नहीं निकलता है तो किसान इस आंदोलन देशव्यापी करने का काम करेंगे।
जब से संसद में तीनों कृषि कानून को पास किया गया है तब से इन बिलों का विरोध किया जा रहा है। पिछले एक महीने से तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डर पर देशभर के किसानों का जमावड़ा जमा हुआ है। इस आंदोलन के दौरान सरकार और किसानों की बीच कई बार वार्ता हुई है लेकिन इसके अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है।
खबरों के अनुसार बताया जा रहा है कि सरकार ने किसान संगठनों को 30 दिसंबर को दोपहर दो बजे दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में बातचीत करने के लिए बुलाया है। सरकार द्वारा किसान 40 किसान संगठनों के नेताओं को पत्र लिखकर कहा है कि है, ”अनुरोध है कि 30 दिसंबर को दोपहर 2 बजे विज्ञान भवन, नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री स्तरीय समिति के साथ समाधान हेतु इस बैठक में भाग लेने का कष्ट करें।”
किसान संगठनों का कहना था कि उनकी चार मांगे है जिनमें इसमें सबसे पहला मुद्दा कृषि कानूनों को रद्द करने का रखा गया तो दूसरा एमएसपी को कानून बनाना है। पिछले एक महीने से किसानों ने अपने आंदोलन को तेज करने की रूपरेखा तैयार कर रखी है जिसके कारण हर दिन यह आंदोलन व्यापक होता जा रहा है।
सरकार बार—बार किसानों को समझाने का प्रयास कर रही है कि इस बिल से किसानों का भला होगा लेकिन फिर भी किसान विपक्ष के बहकावे में आकर आंदोलन कर रहे हैं। जबकि किसानों की मांग है कि सरकार इन बिलों को खत्म करके एमएसपी को कानूनी अधिकार बनाये। किसानों के इस आंदोलन को देश भर के राजनीतिक दलों के साथ कई संगठनों का सहयोग मिल रहा है जिसके चलते किसानों का हौसला मजबूत है। किसानों को बार्डर पर सभी प्रकार की परेशानियों के साथ उन्हें कुछ उम्मीद भी उन लोगों से बनी है जो इस आंदोलन को समर्थन करने के लिए उनका हौसला बड़ा रहे है।
भारत में अभी तक कोरोना वायरस का टीका लगना भी शुरू नहीं हुआ और इससे पहले कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन ब्रिटेन से भारत आ पहुंचा है। खबरों के अनुसार बताया जा रहा है कि हाल ही में ब्रिटेन से लौटे कुछ लोगों में इसके लक्षण पाये गये है और अन्य लोगों की जानकारी लेकर उनका पता लगाया जा रहा है। भारत सरकार ने इस नये लक्षण वाली खबर के बाद से ही ब्रिटेन से आनी वाली फ्लाइट्स पर रोक लगा दी है।
ब्रिटेन में अब तक कोरोना वायरस के ज्यादा खतरनाक मरीज मिलने के बाद से ही भारत सरकार ने 21 दिसंबर को ब्रिटेन से आने वाली फ्लाइट्स पर रोक लगा दी जो 31 दिसंबर तक रहेगी। जो लोग इससे पहले फ्लाइट्स से भारत पहुंचे उनकी एयरपोर्ट पर जांच की जा रही है। ब्रिटेन में इस नये वायरस को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने ज्यादा डरने की बात कही है और इसकी वैक्सीन बनाने पर काम शुरू कर दिया है।
वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोनावायरस का जो नया रूप ब्रिटेन में मिला है वह पहले से लगभग 60 प्रतिया ज्यादा तेजी से फैल सकता है। फ्रांस और दक्षिण अफ्रीका में भी वायरस में यह बदलाव देखने को मिल रहा है। हालाकि भारत में कोरोना मरीजों का आंकड़ दिनों दिन कम होता जा रहा है जो अच्छी खबर है। कोरोना का नया रूप बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक साबित होने की बात भी कही जा रही है।
देश में सोमवार केवल 16 हजार 72 नये मरीज मिले है जो जून के आकड़ों के मुताबिक बहुत कम है। अगर बात करें 24 घंटे की तो लगभग 25 हजार मरीज ठीक होने के साथ 250 मरीजों की मौत हुई। अब तक कुल 1 करोड़ कोरोना संक्रमित है इनमें से 98.06 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं और 1.48 लाख मरीजों की मौत हो गयी है।
भारत में नये साल की शुरूआत से ही कोरोना का टीका लगाने की प्रकिया शुरू करने की तैयारी की जा रही है जो अच्छी खबर है। भारत में तैयार की गयी स्वदेशी वैक्सीन सस्ती होने के साथ असरदार भी साबित हो सकती है क्योंकि इसके परिक्षण में अभी तक किसी प्रकार के साईड इफेक्ट देखने को नहीं मिले है।