राजस्थान विधानसभा उप चुनाव – कांग्रेस प्रत्याशियों ने भरें नामांकन , 4 बड़े नेता रहें मोजूद , सचिन पायलट की मुख्य भूमिका

 

 

 

राजस्थान विधानसभा उप चुनाव में कांग्रेस का सन्देश हम एक लेकिन जाजम में अभी भी भेद –

 

राजस्थान विधानसभा उप चुनाव – कांग्रेस प्रत्याशियों ने भरें नामांकन , 4 बड़े नेता रहें मोजूद 

 

राजस्थान में होने जा रहें विधानसभा उप चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक रही हैं इस के लियें  राजस्थान प्रभारी अजय माकन , मुख्यमंत्री अशोक गहलोत , पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोडासरा , एक जाजम का सन्देश देने की कोशिश कर रहें हैं आज नामांकन का आखरी दिन था तो कांग्रेस पार्टी ने अपने तीनों प्रत्याशियों के पक्ष में नामांकन रेली को संबोधित किया लेकिन घटनाक्रम पर आपसी रार दिख रही हैं

सुजानगढ़ से कांग्रेस उम्मीदवार मनोज मेघवाल ने अपना  नामांकन भरा हैं तो सहाड़ा से गायत्री त्रिवेदी ने अपना नामांकन भरा हैं राजसमंद में कांग्रेस उम्मीदवार तनसुख बोहरा की नामांकन भरा हैं 

सूत्रों की माने तो सुजानगढ़ सीट पर पायलट ग्रुप की पकड़ अच्छी हैं तो कांग्रेस पार्टी यहाँ सचिन पायलट को मुख्य चेहरा बनाना चा रही हैं 

 

राजस्थान विधानसभा

 

क्यों ख़ास हैं कांग्रस के लियें यह उप चुनाव – 

 

राजस्थान में कांग्रेस पार्टी अंत कलह जग जाहिर हैं अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व् प्रभारी अजय माकन यह सन्देश देने की कोशिश कर रहें हैं की कांग्रेस पार्टी में सब सही हैं लेकिन आज भी दोनों गुटों में मन मुटाव साफ़ देखने का मिल जाता हैं अब कांग्रेस सत्ता में रहते हुयें तीनो सीट जीत जाती हैं तो 2022  में आने वाले चुनावों में कांग्रेस का मनोबल बद जायेगा वही अगर भाजपा ने 2 सीटो पर जीत दर्ज कर ली तो भाजपा और प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया मजबूत हो कर कांग्रेस को घेरेगे सूत्रों की मानें तो 3 सीट में से 2 कांग्रेस और एक भाजपा के खाते में जाती नज़र आ रही हैं लेकिन इन सीटों पर हनुमान बेनीवाल की रालोपा भी वोटों का समीकरण बिगाड़ने का दम रखती हैं हनुमान बेनीवाल जाट वोटों के दलित वोटों को साधने में लग रहें हैं बाकी राजनीति में समीकरण पल पल बदलते रहते हैं |

 

 

 

फोन टैपिंग को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने झूठ बोला, नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दें, सीबीआई जाँच हो: डाॅ. सतीश पूनियां 

मुख्यमंत्री बतायें कि यह परम्परा किसने तोड़ी थी और इसकी वजह क्या रही: डाॅ. पूनियां

प्रदेश में बहन-बेटियां असुरक्षित, राजा सो रहा है,  जनता खौफ में जी रही है: डाॅ. पूनियां

 

जयपुर, 15 मार्च। भाजपा प्रदेश कार्यालय में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए राजस्थान की राजनीति में अनेक अवसरों पर अनेक किस्म की सियासी चर्चाएं होती हैं, लेकिन राजस्थान में जबसे कांग्रेस की सरकार बनी है तभी से तमाम मुद्दों पर यह सरकार घिरी हुई है।

डाॅ. पूनियां ने कहा कि यह सरकार जब भी अपने पाप छुपाने की कोशिश करती है तो कोई ना कोई नई बात सरकार के खिलाफ उजागर होती है। सरकार की स्टेबिलिटी, कांग्रेस पार्टी की अंतकलह  जैसी कुछ बातों से आप अच्छी तरह से वाकिफ हैं। उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले एक सियासी एपिसोड के दौरान राजस्थान में सियासी पारा बहुत ऊँचा था और सरकार अपना अस्तित्व बचाने के लिए मशक्कत कर रही थी और वो परिस्थितियां भी इनके अपने लोगांे के कारण ही थी। उस दौरान भाजपा पर अनेकों बार झूठी तोहमत लगाने की कोशिश हुई, लेकिन उस पूरे नाटक के नायक, खलनायक मुख्यमंत्री गहलोत थे।

डाॅ. पूनियां ने कहा कि 15वीं विधानसभा के 5वें सत्र के दौरान भाजपा विधायक द्वारा एक प्रश्न पूछा गया, जो गोपनीयता से सम्बन्धित है। आमतौर पर जो प्रश्न पूछे जाते हैं उनका एक माह के भीतर जवाब आ जाता है। यह प्रश्न अगस्त, 2020 में पूछा गया और अब उसका जवाब आया है। भाजपा विधायक ने यह प्रश्न पूछा था कि, क्या यह सही है कि विगत दिवसों में फोन टेप किए जाने के प्रकरण सामने आए हैं? यदि हाँ तो किस कानून के अन्तर्गत एवं किसके आदेश पर? पूर्ण विवरण सदन की मेज पर रखें।

 

सरकार ने इसका जवाब दिया कि, लोक सुरक्षा या लोक व्यवस्था के हित में या किसी ऐसे अपराध को प्रोत्साहित होने से रोकने के लिए जिससे लोक सुरक्षा या लोक व्यवस्था को खतरा हो टेलीफोन अन्तावरोध भारतीय तार अधिनियम 1885 की धारा 5(2) भारतीय तार अधिनियम (संशोधित) नियम 2007 के नियम 419ए व सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69 में वर्णित प्रावधान के अनुसार सक्षम अधिकारी की स्वीकृति उपरान्त किया जाता है। राजस्थान पुलिस द्वारा उपरोक्त प्रावधानों के अन्तर्गत टेलीफोन अन्तावरोध सक्षम अधिकारी से अनुमति प्राप्त करने के उपरान्त ही किए गए हंै।

डाॅ. पूनियां ने कहा कि सियासी घटनाक्रम के समय भी प्रश्न यह था कि क्या कोई फोन टैपिंग हुई है? और उस समय इस बात की चर्चा हुई तो सक्षम अधिकारियों ने, मुख्य सचिव एवं उनके निचले स्तर तक के अधिकारियों ने इस बारे में मना कर दिया। तब मुख्यमंत्री ने सदन में इस बात के लिए साफ-साफ इंकार किया कि राजस्थान में कभी ऐसी परम्परा रही नहीं। सदन में कही गई बात, अधिकारियों द्वारा कही गई बात और अनेक बार चर्चा हुई और अनेक प्रसंगों में यह साबित हुआ कि कहीं ना कहीं फोन की टैपिंग जरूर हुई है। उस दौरान भी इस तरह की टैपिंग के मसले आये तो हमने कई बार पूछा कि इसका साॅर्स क्या है?

डाॅ. पूनियां ने कहा कि अब सरकार ने फोन टैपिंग की बात को स्वीकार कर लिया है। यह स्वीकारोक्ति है राजस्थान पुलिस की, जो विधानसभा के प्रश्न का जवाब आया है। इस तरह की खबरें मीडिया के माध्यम से पहले भी आई हैं। जनवरी, 2020 से अगस्त, 2020 तक कितने फोन टेप किये गये? इस बारे में सरकार इंकार करती रही, लेकिन इस बारे में जानकारी मिलेगी तो मुझे लगता है कि सारी चीजें स्पष्ट हो जायेगी।

डाॅ. पूनियां ने कहा कि फोन टैपिंग का यह सामान्य मसला नहीं है, राजस्थान के मुख्यमंत्री स्वीकार कर चुके हैं कि प्रदेश में इस प्रकार की परम्परा नहीं है, तो मुख्यमंत्री बतायें कि यह परम्परा किसने तोड़ी और इस परम्परा को तोड़ने की वजह क्या है? मुख्यमंत्री खुद इसके दोषी हैं और उस समय जब मीडिया में आॅडियो टेप सामने आने की खबरें आई थी तो कांग्रेस के कई विधायकों ने इस मामले की एनआईए से जाँच कराने की मांग की थी।

 

डाॅ. पूनियां ने कहा कि सदन में भी इस बारे में भी झूठ बोला गया, तथ्यों के बारे में भी भ्रांतियां फैलायी गई, तो स्पष्ट तौर पर मुख्यमंत्री इसके दोषी हैं, उनको नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए, जो खुद गृहमंत्री भी हैं, इस मामले की सीबीआई से जाँच करवानी चाहिए। आमतौर पर सरकारों में पूर्णकालिक गृहमंत्री कार्य करते रहे हैं, लेकिन इस सरकार मंे पूर्णकालिक गृहमंत्री नहीं है।

डाॅ. पूनियां ने कहा कि प्रदेश में बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं है, अब तक 6 लाख 14 हजार से अधिक मुकदमे दर्ज हुए हैं, जिनमें 80 हजार से अधिक महिला अपराधों से सम्बन्धित हैं और 12 हजार से अधिक रेप एवं गैंगरेप के मामले हैं। आमतौर पर जनता बेखौफ होकर सोती है और राजा उसकी सुरक्षा के लिए जागता है, लेकिन प्रदेश में अराजक हालात बने हुए हैं, ऐसे में राजा सो रहा है और जनता खौफ में जी रही है, सो नहीं पा रही है। कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए मुख्यमंत्री लीपापोती करने के अलावा कुछ नहीं कर रहे, जनघोषणा पत्र में बहन-बेटियों को सुरक्षा देने का वादा किया था, जिसे वो पूरा नहीं कर पा रहे हैं, ऐसे में नैतिक आधार पर उनको पद पर बने रहना का कोई अधिकार नहीं है |

प्रताप सिंह खाचरियावास जो हैं वो सचिन पायलट की वजह से हैं – ACB के डर से गहलोत के इशारे पर कर रहें हैं ओछी बयान बाज़ी – मुकेश भाकर 

प्रताप सिंह खाचरियावास की ओछी बयान बाज़ी को लेकर पहले चाकसू विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने पहले ही विडिओ जारी कर खंडन किया था और अब सचिन पायलट के गुट के मुकेश भाकर ने कड़े शब्दों में चेताया हैं – 
राजस्थान की सियासत थमने का नाम ही नहीं ले रही हैं इस सियासत उठापटक में सबसे अधिक सचिन पायलट गुट पर जो बयान बाज़ी कर रहें हैं वह प्रताप सिंह खाचरियावास हैं जिन्होंने दलित विधायक वेद प्रकाश सोलंकी पर तो ” बांध कर ले आता ” का बयान तक दे डाला जिसकी निंदा विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने वीडियो जारी कर खंडन करा हैं |
पायलट की वजह से प्रताप इस मुकाम पर उनके खिलाफ नहीं बोलें तो बेहतर भाकर
पायलट गुट में शामिल विधायक मुकेश भाकर ने मंगलवार को वीडियो जारी करके परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास को जमकर खरी-खोटी सुनाई। भाकर ने कहा कि प्रताप सिंह खाचरियावास ने जिस तरह से पायलट गुट के खिलाफ बयान दे रहे है, वो पूरी तरह से गलत है। प्रताप सिंह को सचिन पायलट की वजह से ही ये मुकाम हासिल हुआ है। ऐसे में इस तरह की बयानबाजी पूरी तरह गलत है। प्रताप सिंह की झटपटाहट समझ में आ रही है क्योंकि एसीबी की कार्रवाई में उनके खिलाफ वीडियो की बात सामने आ चुकी है। ऐसे में गहलोत की गुलामी समझ में आ रही है। ऐसे में हमारा कहना है कि पायलट के खिलाफ ज्यादा नहीं बोले तो बेहतर रहेगा। ओछी भाषा का उपयोग नहीं करें क्योंकि जनता सब जानती है।
pratap singh khachriyawaas
राजभवन से मंजूरी मिले तो 2 दिन में  सत्र बुलाने के लिए तैयार हैं विधानसभा अध्यक्ष 
राज्य सरकार ने मंगलवार को राज्यपाल कलराज मिश्र को फिर अर्जी भेजकर 31 जुलाई को विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की है। राज्यपाल दो बार सरकार को फाइल वापस लौटा चुके हैं, लेकिन कांग्रेस का कहना है कि इस बार उसे उम्मीद है कि राज्यपाल सत्र बुलाने की मंजूरी जरूर देंगे। ऐसे में सरकार की अर्जी पर राज्यपाल बुधवार को मंजूरी दे देते हैं तो सरकार के पास सत्र की तैयारियों के लिए दो दिन का समय होगा। राज्य सरकार ने कैबिनेट के अनुमोदन से राज्यपाल को जो जवाब तैयार कर भेजा है, उसमें स्पीकर के हवाले से कहा गया है कि यदि राज्यपाल सत्र चलाने की मंजूरी देते हैं तो वे 2 दिन में भी सत्र चलाने की कार्रवाई पूरी कर लेंगे। इसमें विधायकों को सूचना करना और उनके बैठने व कार्यवाही का प्रसारण करने की व्यवस्था शामिल है। प्रदेश में विधानसभा सत्र बुलाने की मांग को लेकर बीते 5 दिनों से सरकार व राजभवन के बीच घमसान मचा हुआ है। सत्र बुलाने के सरकार के प्रस्ताव को राज्यपाल 2 बार वापस लौटा चुके। मंगलवार को सरकार ने फिर से नया प्रस्ताव कैबिनेट से मंजूर करवाकर राज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेज दिया है। अब सरकार राज्यपाल के फैसले का इंतजार कर रही है।
कम अवधि में सत्र बुलाने पर पायलट गुट संकट में आएगा
कम अवधि में सत्र बुलाने की स्थिति में सबसे अधिक संकट पायलट गुट के लिए होगा। क्योंकि यदि सत्र में शामिल नहीं होंगे तो उनकी सदस्यता को लेकर खतरा रहेगा। यदि आ गए तो एसओजी, एसीबी कई विधायकों को गिरफ्तार कर सकती है। इससे पायलट गुट की स्थिति खराब हो जाएगी, जिसका सीधे तौर पर लाभ सरकार को मिलेगा।
@MukeshBhakar_ वीडियो देखे –

राजस्थान की राजनीति में अब सिर्फ अब बयानबाज़ी –  ” रगड़ाई पॉलिटिक्स “

राजस्थान की राजनीति में सिर्फ अब बयानबाज़ी – गहलोत ने कहा सचिन पायलट की ” रगड़ाई ” नहीं हुई
राहुल गांधी ने कहा – जिसे जाना है वो जाएगा, युवाओं के लिए खाली हो रहे रास्ते 

नई दिल्ली. राजस्थान में चल रहे सत्ता संघर्ष के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि जिसे जाना है, वो जाएगा। इससे घबराने की जरूरत नहीं है। हालांकि बाद में कांग्रेस और एनएसयूआइ की राष्ट्रीय प्रभारी ने ऐसे बयान से इनकार किया है। सूत्रों ने बताया कि एनएसयूआइ के राष्ट्रीय पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में राहुल ने सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम लिए बिना कहा कि पार्टी छोड़कर जाने वालों से घबराने की जरूरत नहीं है। उल्टे यह लोग युवा पीढ़ी के लिए रास्ते खाली कर रहे हैं। इस बैठक में राहुल गांधी के साथ कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन, प्रभारी रुचि गुप्ता मौजूद रहीं। बयान पर हंगामा मचने के बाद रुचि ने कहा कि राहुल ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है। बैठक को लेकर मीडिया में चल रही  रिपोर्ट्स आधारहीन हैं।

सचिन पायलेट व् अशोक गहलोत
अच्छी इंग्लिश, हैंडसम होना सब कुछ नहीं – सीएम
 मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पायलट की ओर इशारा करते हुए कहा, अच्छी इंग्लिश-हिंदी बोलना, अच्छी बाइट देना और हैंडसम दिखना ही सबकुछ नहीं होता। वे सरकार के खिलाफ साजिश में शामिल थे। पायलट भाजपा से बात कर रहे थे, मेरे पास इसके सबूत हैं। बीस से 35 करोड़ तक में सौदा हो रहा था, पैसों की एक किस्त पहुंच गई थी। अब जो मानेसर व गुरुग्राम में हो रहा है, वह राज्यसभा चुनाव से पहले रात 2 बजे होने वाला था। पैसे लेने वालों के नाम पूछे गए। नंबर मांगे गए। दलालों के नाम पूछे गए। हमारे कुछ साथी अति महत्त्वाकांक्षी बन गए। हॉर्स ट्रेडिंग में शामिल हो गए।
सोने की छौरी पेट में खाने के लियें नहीं होती – समझ जाओं 
गहलोत ने कहा देश के लिए आपके दिल में क्या है, कमिटमेंट क्या है? पार्टी की विचारधारा देखी जाती है। सोने की छुरी पेट में खाने के लिए नहीं होती, अब समझ जाओ। चालीस साल हो गए राजनीति करते, नई पीढ़ी को सीखना चाहिए। इनकी रगड़ाई होती तो अच्छा काम करते। नई पीढ़ी को हम पसंद नहीं करते, यह कहना गलत है।
राहुल गांधी, सोनिया और प्रियंका सहित सब पसंद करते हैं। मैं सरकार पर खतरा नहीं आने दूंगा। मेरे पास बहुमत है। लोकतंत्र खत्म करने वाले दिल्ली में बैठे हैं।
सियासी संग्राम कहा-पूर्व सीएम का बंगला बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट गई गहलोत सरकार
वसुंधरा की मदद करने में व्यस्त हैं सीएम – पायलट
 राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ खुलकर सियासी तलवार निकाल ली है। यहां तक आरोप लगाया है कि गहलोत जनता से किए वादे पूरे करने की बजाय भाजपा की पिछली सीएम वसुंधरा राजे की मदद में व्यस्त हैं। पायलट ने कहा, राजे ने 2017 में जयपुर का  सरकारी बंगला जीवनभर के लिए खुद को आवंटित कर लिया था।
पिछले साल राजस्थान हाईकोर्ट ने आदेश निरस्त कर दिया। हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने की बजाय राज्य सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। हमने राजे सरकार के दौरान दी गई खनन की अवैध लीज के बारे में अभियान चलाया। उन सभी आवंटन को रद्द करने के लिए मजबूर किया। सत्ता में आने के बाद गहलोत ने कुछ नहीं किया बल्कि उसी रास्ते पर चल पड़े। पायलट ने कहा, में भाजपा के किसी भी नेता से नहीं मिला हूं। छह महीने से ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी नहीं मिला। अब अपने साथियों के साथ चर्चा करूंगा कि आगे क्या करना |

राजस्थान सरकार – जादूगर की कलाओं में फंस चुके है पायलेट , हो सकती है छुट्टी – सूत्र 

30 विधायक मेरे साथ है और गहलोत सरकार अल्पमत सचिन का बयान – बचकाना हो सकता हैं 

जादूगर की कलाओं में फंस चुके है पायलेट , हो सकती है छुट्टी  – सूत्र 

सचिन पायलेट को पार्टी से निष्कासित किया जा सकता हैं – फिर वह ना रहेगे उप मुख्यमंत्री ना ही कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष  –

राजस्थान में मुख्यमंत्री गहलोत ही हो सकते हैं सिरमौर – सूत्र 

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राजस्थान सियासत पार्ट 1 

पवन देव 

जयपुर | राजस्थान में सत्ता परिवर्तन और पावर का गेम किसी से छिपा नहीं हैं . राजस्थान सरकार या कहें कांग्रेस पार्टी में बड़ी उथल -पुथल चल रही हैं . मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व् उप मुख्यमंत्री सचिन पायलेट में  खीचतान में इतनी अधिक बड चुकी है की अब कांग्रेस के आलकमान को बड़े और कड़े निर्णय करने पड़ सकते हैं |

आज सचिन पायलेट की प्रदेश अध्यक्ष पद  से हो सकती हैं – छुट्टी 

सचिन पायलेट के भाजपा से सम्पर्क व् जब से राजस्थान में सरकार बनी हैं मुख्यमंत्री पद की लड़ाई अब जग जाहिर व् अंतिम छौर पर आ गई है राजस्थान में लम्बे समय से भाजपा पर सरकार गिराने के आरोप भी लगते  रहें हैं राज्यसभा चुनाव के समय में भी बाडेबंदी और सत्ता की सियासत तेज थी और विधायक खरीदने की पहल व् सरकार गिराने की कोशिश की गई थी जिसकी शिकायत राजस्थान के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने एसओजी में की थी  जिस के तहत 3 विधायक व् 2 व्यपारियो पर केस दर्ज हो चुके हैं व् अशोक गहलोत व् सचिन पायलेट को भी एसओजी की और से पूछताछ के लियें नोटिस दिया गया था जिसके बाद से सभी सचिन पायलेट ने अपना आपा खो चुके हैं व् दिल्ली आलाकमान के पास शिकायत की है लेकिन लगता हैं अब वह भाजपा के खेमे में जा सकते हैं वैसे भी उनका प्रादेशाध्य पद का कार्यकाल पूरा हो चूका हैं अब पार्टी आज सर्व सहमती से नया प्रदेश अध्यक्ष चुन सकती हैं |

सिंधिया व्  जफर इस्लाम में सादा सम्पर्क – पायलेट से 

विधायक खरीद-फरोख्त के केस में सचिन के बयानों के लियें एसओजी ने उन्हें नोटिस जारी कर बयान लेने का समय माँगा हैं  गौरतलब हैं की  120v राजद्रोह में लगती हैं जिसको लेकर सचिन पायलेट ने अपना आपा खो दिया और बगावत कर दिल्ली जा पहुंचे कुछ विधायको के साथ , सचिन ने कहा भी है की उन्हें  गिरफ्तार करने की साजिश हो रहीं हैं

ज्योतिरादित्य सिंधिया के ट्विट से सियासत में हलचल 

दोहपर में भाजपा की एंट्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सबसे पहले अपने पुराने साथी सचिन पायलट से मिलते हैं सूत्र बताते हैं कि इसके बाद भाजपा प्रवक्ता जफर इस्लाम पायलेट से संपर्क साधते हैं सियासी गुणा भाग का आकलन होता है इस चर्चा के बाद जफर इस्लाम लगातार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को अपडेट देते रहते हैं और नाडा पल-पल की जानकारी अमित शाह तक पहुंचाते हैं गौर करने वाली बात है कि जफर इस्लाम ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा में शामिल करने में अहम भूमिका निभाई थी सूत्रों का कहना है कि पायलेट अलग पार्टी बनाने पर भी बात करते हैं

शाम करीब 5:27 बजे ज्योतिराज सिंधिया ट्वीट करते हैं मेरे पुराने साथी सचिन पायलट की स्थिति देखकर दुखी हूं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें दरकिनार किया यह दिखता है कि कांग्रेस में टैलेंट की कद्र नहीं है |

गहलोत सरकार के खिलाफ़ – मुस्लिम

मुख्यमंत्री गहलोत के रवैये से मुसलमानों में कङा रोष –

मुस्लिम थिंक टैंक का मानना है कि राजस्थान में कांग्रेस को सत्ता की चौखट तक पहुंचाने में प्रमुख योगदान मुस्लिम वोटर का रहा है। यहाँ तक कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी मुस्लिम वोटर की एकतरफा पोलिंग से विधायक बने हैं, इसके बावजूद गहलोत ने मुसलमानों को पूरी तरह से नजरअंदाज करने का रवैया बना रखा है। गहलोत के इस रवैये से मुसलमानों में कङा रोष है, जिसका का खामियाजा कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में भुगतान पङ सकता है !
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एक मुस्लिम थिंक टैंक विधानसभा चुनाव परिणाम का अध्ययन कर रहा है। इस अध्ययन और आंकड़ों के आकलन के आधार पर थिंक टैंक का मानना है कि राजस्थान में मुस्लिम वोट करीब 90 फीसदी पोल हुआ है और कुछ सीटों को छोड़कर यह वोट एकतरफा कांग्रेसी उम्मीदवारों को मिला है। जिसके नतीजे में कांग्रेस को 100 सीटें मिली हैं और वो 

हारती हारती बची है। अगर मुस्लिम वोट 20 फीसदी भी कम पोल हो जाता, तो कांग्रेस को 60 सीटें भी नहीं मिलती !


जयपुर। दो महीने पहले राजस्थान विधानसभा चुनाव हुए। जिनमें कांग्रेस को 99 सीटें मिली। हालांकि बाद में रामगढ सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस जीत गई और उसकी कुल 100 सीटें हो गई, बहुमत से एक कम। मतगणना के एक सप्ताह बाद मुख्यमंत्री कौन बने ? के सवाल की जंग खत्म हुई और अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री व सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके कई दिनों बाद मन्त्रीमण्डल का गठन हुआ। मन्त्रीमण्डल में एक मुस्लिम को मन्त्री बनाया गया, जबकि पिछले तीन दशक में जब भी राजस्थान में कांग्रेस की सरकार रही है, तब तीन से कम मुस्लिम मन्त्री कभी नहीं रहे। मन्त्रीमण्डल का

गठन होते ही मुसलमानों में कङा रोष व्याप्त हो गया। जिसकी चर्चा चाय चौपालों से लेकर सोशल मीडिया पर शुरू हो गई। लोगों ने गहलोत के इस रवैये की कङी आलोचना करते हुए नाराज़गी का इजहार किया।

इसके कुछ दिनों बाद विभागों का बंटवारा हुआ और मुसलमानों के नाम पर बनाए गए एकमात्र मन्त्री पोकरण विधायक सालेह मोहम्मद को अल्पसंख्यक मामलात का मामूली मन्त्रालय देकर इतिश्री कर दी। तो मुस्लिम समुदाय में व्याप्त रोष और तीव्र हो गया। फिर एएजी की नियुक्तियां हुईं और उनमें एक भी मुस्लिम एडवोकेट को शामिल नहीं किया गया। जबकि एएजी के नाम पर करीब डेढ़ दर्जन वकीलों की नियुक्ति हुई है। इसके बाद मुस्लिम बुद्धिजीवियों ख़ासकर वकीलों ने कङी नाराज़गी का इजहार किया। कांग्रेस से जुड़े हुए मुस्लिम वकीलों ने एक बैठक आयोजित करने की भी योजना बनाई, हालांकि वो किसी कारणवश आयोजित नहीं हो

सकी। एएजी की नियुक्तियों के बाद अन्दरखाने कांग्रेसी मुस्लिम नेताओं ने भी मुख्यमंत्री गहलोत की आलोचना शुरू कर दी और गहलोत के इस रवैये को पार्टी नेतृत्व तक पहुंचा दिया। इसके बाद एक मुस्लिम एडवोकेट को सरकारी वकील के साथ एएजी बनाया।

सीएम गहलोत के इस रवैये से मुसलमानों में कङा रोष है और मुस्लिम समुदाय अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। सियासी तौर पर जागरूक मुसलमानों का मानना है कि राजस्थान में कांग्रेस को सत्ता की चौखट पर पहुंचाने वाला मुस्लिम समुदाय है। इसके बावजूद गहलोत मुसलमानों को नजरअंदाज कर रहे हैं और वो कांग्रेस को भाजपा की बी टीम बनाने पर तुले हुए हैं, जिसका खामियाजा कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में भुगतान पङ सकता है। इस बीच एक मुस्लिम थिंक टैंक ने विधानसभा चुनाव परिणाम का अध्ययन शुरू किया है और इस थिंक टैंक का मानना है कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार मुस्लिम वोटर की देन है। इस थिंक टैंक ने इकरा पत्रिका से भी सम्पर्क किया और इकरा पत्रिका की टीम ने थिंक टैंक के आंकड़ों और विश्लेषण का अध्ययन किया। यह एक विस्तृत रिपोर्ट है, जो एक लेख में प्रकाशित करना सम्भव नहीं है। इसलिए आगामी अंकों में विस्तार से इस रिपोर्ट पर आधारित लेख प्रकाशित किए जाएंगे। फिर भी कुछ आंकड़े इस लेख में भी प्रकाशित किए जा रहे हैं।

इस थिंक टैंक का मानना है कि राजस्थान में मुसलमानों का वोट करीब 90 फीसदी पोल हुआ है और कुछ मुस्लिम बाहुल्य बूथों पर तो इससे भी अधिक वोट पोल हुआ है। नगर, तिजारा, उदयपुरवाटी, सीकर जैसी कुछ विधानसभा सीटों को छोड़कर यह वोट एकतरफा पूरा का पूरा कांग्रेसी उम्मीदवारों को मिला है। जिसके नतीजे में कांग्रेस को 100 सीटें मिली हैं और वो हारती हारती बची है तथा राजस्थान की सत्ता कांग्रेस की झोली में आई है। इस थिंक टैंक का मानना है कि अगर राजस्थान में मुसलमानों का वोट 20 फीसदी भी कम पोल हो जाता, तो कांग्रेस की 60 सीट भी नहीं आती और वो आज विपक्ष में बैठी होती। इस थिंक टैंक का यह भी दावा है कि कांग्रेस को मुसलमानों के अलावा किसी भी जाति या समुदाय का 65 फीसदी से अधिक वोट नहीं मिला है। कुछ जातियों का तो कांग्रेस को 20 फीसदी से भी कम वोट मिला है, फिर भी कांग्रेस सरकार ने उन जातियों से सम्बंधित नेताओं को मन्त्रीमण्डल और एएजी जैसे पदों पर मुस्लिम से ज्यादा नियुक्तियां दी हैं। इनका आकलन यह भी बता रहा है कि किसी भी जाति का 65 फीसदी से अधिक वोट कांग्रेस को उसी सीट पर मिला है, जिस सीट पर कांग्रेस का उम्मीदवार उसी जाति का था तथा भाजपा या अन्य पार्टी का कोई मजबूत उम्मीदवार दूसरी जाति का था। जबकि मुसलमानों का वोट न सिर्फ मुस्लिम उम्मीदवार वाली सीटों पर बल्कि कमोबेश अन्य सभी सीटों पर भी 90 फीसदी के करीब पोल हुआ है तथा यह एकतरफा कांग्रेस को मिला है। इसके बावजूद सीएम गहलोत मुसलमानों को नजरअंदाज कर रहे हैं।

अगर कांग्रेस के कुछ विजयी उम्मीदवारों को मिले वोट और जीत के अन्तराल का अध्ययन करें, तो मालूम होता है कि वे मुस्लिम वोट की वजह से जीते हैं, यहाँ तक के खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी मुस्लिम वोटों की वजह से विधायक बने हैं। यहाँ कुछ ऐसी ही सीटों के आंकड़े पेश किए जा रहे हैं, जहाँ मुस्लिम वोट 50 हजार से अधिक हैं। इनमें एक सरदारपुरा विधानसभा सीट है, जहाँ से खुद मुख्यमंत्री गहलोत विधायक बने हैं। वे यहाँ से 45 हजार 597 वोटों के अन्तर से जीते हैं और उन्हें करीब 65 हजार मुस्लिम वोटर वाली इस सीट पर एकतरफा मुस्लिम वोट मिले हैं। दूसरी सीट टोंक जहाँ से उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट 54 हजार 179 वोटों के अन्तर से विजयी हुए हैं। तीसरी सीट कोटा उत्तर जहाँ से यूडीएच मन्त्री शान्ति धारीवाल 17 हजार 945 वोटों की लीड से जीतकर विधायक बने हैं। चौथी सीट बीकानेर पश्चिम जहाँ से कैबिनेट मन्त्री बी डी कल्ला 6 हजार 190 वोटों के अन्तर से विजयी हुए हैं। पांचवी सीट झुन्झुनूं जहाँ से बृजेन्द्र ओला 40 हजार 565 वोटों की लीड लेकर विधानसभा पहुंचे हैं। यह सब वो सीट हैं जहाँ मुसलमानों के 50 हजार से अधिक वोट हैं और वे एकतरफा कांग्रेस के खाते में डले हैं।

लेख़क -एम फारूक़ ख़ान सम्पादक इकरा पत्रिका।

प्रियंका गांधी का राजनीति में प्रवेश – मिली यह ज़िम्मेदारी – जानें ख़ास मायने

प्रियंका गांधी कांग्रेस पार्टी की महासचिव नियुक्त –

दिल्ली | कांग्रेस पार्टी ने आज लोकसभा चुनावों से पूर्व एक बड़ा दावं चल दिया है आख़िर राजनेतिक गलियारों में लम्बे समय से यह मांग भी उठ रही थी जिस पर आज अधिकारिक रूप से मुहर लग गई है अर्थार्त सोनिया गांधी की बेटी व् कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन “प्रियंका गांधी “को आज कांग्रेस पार्टी का महासचिव नियुक्त कर दिया गया है | प्रियंका का अधिकारिक रूप से राजनीति में प्रवेश कांग्रेस पार्टी को एक सकारात्मक उर्जा व् मजबूती प्रदान करेगा वही आगामी लोकसभा के लिए प्रियंका को पू

र्वी उत्तर प्रदेश की ज़िम्मेदारी मिली है सूत्रों के अनुसार प्रियंका फरवरी के पहले सप्ताह में अपनी ज़िम्मेदारी संभाल सकती है इससे पहले प्रियंका अपनी माँ सो

निया गांधी व् भाई राहुल के लिए प्रचार -प्रसार करती नज़र आती थी अब वह मुख्य रूप से कांग्रेस पार्टी के लिए काम करती नज़र आयेगी |

क्या मायने है ख़ास –

लोकसभा चुनावों से पूर्व प्रियंका का राजनीति में अधिकारिक रूप से आना कई मायने रखता है जिसमे सबसे बड़ा कारण कांग्रेस की मजबूती व् मोदी सरकार की चुनोती है इसके साथ ही यूपी में सपा बसपा गटबंधन भी मुख्य वजह है | हालिमे में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को हार मिली है तो कांग्रेस  राजस्थान ,मध्यप्रदेश व् छतीसगढ़ में सरकार बनाने में कामया

ब हुई है जिससे कांग्रेस में सकारात्मक उर्जा है वही भाजपा से जनता ने दुरी बना ली है वही नोट्बंदी व् gst ने मोदी सरकार को फ़ेल साबित कर दिया ,इसके साथ ही यूपी गटबंधन सपा बसपा द्वारा कांग्रेस को 2 सीटें देने के कारण भी कांग्रेस अपना खोया वजूद पाने के लिए अपना तुर्क का पत्ता ” प्रियंका गांधी  ” को यूपी में ज़िमेदारी देदी है क्योकि दिल्ली का रास्ता राजनीति में यूपी होकर ही जाता है |

कांग्रेस की लिस्ट आज आना लगभग तय -प्रत्याशी कर रहे है पल -पल इंतजार

कांग्रेस – लिस्ट के इंतजार में बीता दूसरा दिन, पल-पल घड़ी देखते रहे, देर शाम आई यह खबर –

जयपुर। कांग्रेस उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं को सूची का इंतजार मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। कार्यकर्ता और संभावित उम्मीदवार दिनभर घड़ी देखते हुए समय बिताते रहे। लेकिन अभी यह इंतजार और भी लंबा हो गया है।

देर शाम दिल्ली स्थित एआईसीसी से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस की पहली सूची बुधवार को आ सकती है। सुबह टिकिटार्थियों ने प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट और राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत सहित अन्य नेताओं से मुलाकात के प्रयास किए, लेकिन नेताओं के अलग-अलग स्थानों पर बैठकों में व्यस्त रहने के चलते मुलाकात नहीं हो सकी।

एआईसीसी में रहा जमावड़ा –

सभी टिकिटार्थी और उनके समर्थक एआईसीसी में पहुंच गए। इनका रात तक जमावड़ा लगा रहा। टिकिटार्थी कयास लगाने लगे थे कि मंगलवार को सीईसी की बैठक के बाद नेताओं ने कहा था कि मंगलवार को सूची जारी किए जाने के लिए कही थी। सभी सूची के इंतजार में समय बढ़ता गया। लोग टीवी और सोशल मीडिया पर भी सूची की खबर का इंतजार करते रहे।

आपको बता दें कि सोमवार अपराह्न 4 बजे केन्द्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक तय थी। पूरी टीम सोनिया गांधी के आवास पर पहुंची। यहां राहुल गांधी की अध्यक्षता में अब तक तय पैनल पर फिर चर्चा हुई। करीब 3 घंटे चली बैठक में बड़े नेताओं के बीच बहस के बाद टकराव के हालात पैदा हो गए। सूत्रों के अनुसार जयपुर और बीकानेर संभाग सहित अन्य जिलों की कुछ सीटों पर सहमति नहीं बन सकी।

बीकानेर संभाग की कुछ सीटों पर उम्मीदवारों के नामों पर राज्य नेताओं के बीच विवाद हुआ। नेताओं ने पसंदीदा को टिकट दिलाने की कोशिश की। उसे लेकर प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट और नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी में बहस हो गई थी।
विवादित नामों पर राहुल ने पुन: चर्चा कर सहमति बनाने के निर्देश दिए। समिति ने सर्वसम्मति वाली 50 सीटों पर मुहर लगा दी। समिति 95 नाम पहले ही फाइनल कर चुकी है। कांग्रेस 125 से 130 प्रत्याशियों की घोषणा की तैयारी में जुट गई। समिति 15 नवम्बर को शेष प्रत्याशी तय करके घोषित करेगी।

सत्ताधारी पार्टी के विधायक बलात्कारी – राहुल गाँधी

राहुल गांधी ने एक मंच से साधा , PM – CM पर निशाना – कांग्रेस को मिल रहा है जनता का साथ 

जयपुर /धोलपुर | कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने आज धौलपुर, बाड़ी, बयाना, वैर में आयोजित जनसभाओं को सम्बोधित किया राहुल ने भाजपा सरकार पर आरोप की झड़ी लगा दी ,वही दूसरी और कहा की जब  कांग्रेस की सरकार थी तब किसानों का 72 हजार करोड़ का कर्जा माफ किया गया था और उन्हें राहत प्रदान की गई थी वहीं मोदी सरकार ने पूंजीपतियों के लाखों करोड़ों रुपयों के लोन माफ किये है और उन्हें देश की जनता की गाढ़ी कमाई लूटकर भागने की सहूलियत भी दी है। उन्होंने कहा कि जब भी कांग्रेस  की सरकार बनी तब मूलभूत सुविधाओं का विस्तार कर सडक़ों , स्कूलों, अस्पतालों आदि का निर्माण कर पूरे देश में जनता को उसका हक दिया है। उन्होंने कहा कि हमने मनरेगा योजना शुरू कर रोजगार का अधिकार दिया, खाद्य सुरक्षा कानून लाकर आमजन के पोषण को सुनिश्चित किया जीएसटी को जिस जल्दबाजी व स्वरूप में लागू किया गया वह देश के व्यापार जगत के लिए आज तक दुविधा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि

प्रधानमंत्री ने देश को आश्वस्त किया था कि वे देश के चौकीदार है परन्तु सब जानते हैं कि देश के चौकीदार की निगरानी में भगौड़े देश की जनता का पैसा लेकर देश से भाग गए। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी पार्टी के विधायक बलात्कारी है परन्तु ना तो मोदी जी और ना ही योगी जी ने उनके खिलाफ कोई कार्यवाही की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कहते है कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ परन्तु इसके विपरीत अब देश कह रहा है कि बेटी पढ़ाओ और भाजपा नेता ओं से बेटी बचाओ उन्होंने कहा कि गुजरात में जो स्थितियाँ व्याप्त हुई है और अन्य राज्यों के लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है उसके लिए पूरी तरह से प्रदेश की भाजपा सरकार जिम्मेदार है। उन्होनें कहा कि

हिन्दुस्तान एयरोनोटिकल लिमिटेड गत् 70 वर्षों से देश की सेना के लिए विश्वसनीय रक्षा उपकरणों का निर्माण कर रहा है और जिसके माध्यम से हजारों लोगों को रोजगार भी मिलता है उन्होंने कहा कि धौलपुर मुख्यमंत्री का गृह जिला है परन्तु इस क्षेत्र का विकास नहीं हुआ

और यह प्रदेश के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में आता है। उन्होंने कहा कि इस इलाके में अपराध बेलगाम हैऔर आमजन सरकारी वादाखिलाफी से परेशान है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपने पूरे कार्यकाल में किसानों की अनदेखी की है और अब चुनावों में अपनी संभावित हार को देखते हुए किसानों को मुफ्त बिजली देने की बात की जा रही है जो बताता है कि भाजपा सरकार फिर एक बार भ्रम की

राजनीति का सहारा लेना चाहती है। उन्होंने कहा कि श्री राहुल गाँधी के आगमन से धौलपुर जिले में आमजन में जबरदस्त जोश देखने को मिला है और हम पूरी तरह से आश्वस्त है कि जिले की चारों सीटें हम जीतेंगे। उन्होंने कहा कि श्री राहुल गाँधी के नेतृत्व में जो कांग्रेस की सरकार बनेगी वह किसानों, दलितों, महिलाओं, बुजुर्गों, युवाओं व समाज के सभी वर्गों के साथ ही 36 कौमों की सरकार होगी।

 

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