राजस्थान निकाय चुनाव में कांग्रेस का दबदबा

राजस्थान में निकाय चुनाव के नतीजों पर कांग्रेस पार्टी ने मतदाताओं और कार्यकर्ताओं का आभार जताया है। हालांकि कांग्रेस को बड़ी जीत नहीं मिली है लेकिन निर्दलियों के कारण वह बीजेपी से ज्यादा बोर्ड बनाने में सफल हो सकती है। लेकिन कई ऐसे निकायों में निराशा का भी सामना करना पड़ा है जहां मौजुदा सरकार के बड़े मंत्री आते हैं या फिर उन क्षेत्रों में कांग्रेस के विधायक हैं। लेकिन इसके बाद भी आलाकमान के नेताओं के साथ राजस्‍थान के प्रभारी अजय माकन ने खुशी जाहिर की है।

राजस्‍थान के 90 शहरों में निकाय चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और लगभग 50 से ज्यादा बोर्ड कांग्रेस के पाले में जाते हुए दिख रहे है। इस बार भाजपा के गढ़ माने जाने वाले कई बोर्डो पर कांग्रेस ने बाजी मारी है। लेकिन कांग्रेस के लिए बहुत बड़ी चुनौती वहां है जहां आने वाले दिनों में चार विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने हैं। क्योंकि यहां 4 में 3 सीटों पर बीजेपी का दबदबा रहा है। मुख्यमंत्री गहलोत के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा किए गए कार्यों को जनता ने सराहा है।

प्रदेश के 20 जिलों के 90 निकाय के चुनाव परिणाम के बाद 3034 वार्डों के चुनाव परिणाम जारी कर दिये गये है और जिसमें सबसे ज्यादा वार्डों 1197 के साथ कांग्रेस पहले स्थान पर है तो भाजपा 1140 वार्ड जीतने में सफल रही है। इस बार 634 वार्डों में निर्दलीयों ने कब्जा किया है।
चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी ने आरोप लगाया कि सत्ता में होने के बाद भी कांग्रेस को ज्यादा बड़ी जीत नहीं मिली है और नतीजों के परिणाम के बाद भी वह अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। जबकि उनके बड़े नेता इस जीत को कांग्रेस के लिए बड़ी जीत बता रहे है जबकि बीजेपी अपने दम पर कांग्रेस से ज्यादा वार्डो पर कब्जा किया है और कांग्रेस अब निर्देलियों के भरोसे अपनी जीत के सपने देख रही है।

किसानों की मांगों पर जल्द लग सकती है मुहर, जानें पूरी खबर

3 नये कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के साथ लगातार वार्ता कर रही केन्द्र सरकार अब उनकी मांगों पर मुहर लगाती हुई नजर आ रही है। किसान संगठनों की 4 मांगों में से सरकार ने उनके एजेंडे की दो मांगें मान लीं। इसमें पराली जलाने को लेकर किसानों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने और विद्युत संशोधन अधिनियम की मांग मान ली है। हालांकि तीनों कानून वापस लेने और एमएसपी पर बात अभी तक कोई सहमती नहीं बन पायी है और चार जनवरी को होने वाली बैठक में इन मांगों पर भी सहमती बनने के आसार नजर आ रहे हैं।

पीछले एक महीन से ज्यादा समय से किसान दिल्ली की सड़कों पर आंदोलन कर रहे है और इसके कारण सत्तादल यानी बीजेपी के कई सहयोगी राजनीतिक दल भी उसका साथ छोड़कर किसान आंदोलन में शामिल है। देश के सभी राज्यों से किसान दिल्ली की सीमा पर पहुंच रहे है और इस आंदोलन को तेज करने का प्रयास कर रहे है।

विज्ञान भवन में हुई वार्ता में शामिल 41 किसान संगठनों को एमएसपी खरीद प्रक्रिया के बेहतर अनुपालन के लिए समिति बनाने का प्रस्ताव दिया। इस बातचीत के दौरान किसान तीनों कानून वापस लेने की मांग पर अड़े रहे। सरकार ने कड़कड़ाती ठंड के कारण किसान संगठनों से आग्रह किया कि वह बूढ़ों, महिलाओं और बच्चों को आंदोलन स्थल पर नहीं रखे उन्हें घर भेज दें।

किसानों संगठनों का आंदोलन अब रंग लाता हुआ नजर आ रहा है और हो सकता है आने वाले दिनों ​में किसान संगठनों की सभी मांगों पर मुहर लग जाये। किसान संगठनों ने कहा कि विपक्ष कमजोर होने के कारण किसनों को सड़क पर उतरना पड़ा है। अब यह देखना होगा की अगली वार्ता में क्या हल निकलता है।

वार्ता से पहले किसानों ने साफ कर दिया अपना रूख! जानें पूरी खबर

किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए केन्द्र सरकार ने किसानों से अब तक 6 बार बातचीत करने का प्रयास किया लेकिन इससे कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। केन्द्र सरकार द्वारा किसानों से बातचीत करने के लिए 7वें दौर की वार्ता के लिए बुलाया है लेकिन इस वार्ता से पहले किसानों ने अपना रूख साफ कर दिया है िकवह आंदोलन तभी खत्म करेंगे जब तीनों बिलों को खत्म करने के साथ एमसीपी को कानूनी अधिकार बनाया जाएगा। इस वार्ता से पहले ही लगने लगा है कि सरकार किसी भी हद तक अपने रूख में नरमी नहीं बरतेगी वह इस बिल को लेकर साफ कह चुकी है कि यह बिल किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है जो आने वाले भविष्य में उनको कर्ज जैसी परेशानी से छूटकारा दिलाएगा।

7वें दौर की वार्ता के लिए किसान आज 2 बजे विज्ञान भवन दिल्ली जाएंगे और वहां सरकार के मंत्रियों के साथ वार्ता करेंगे। किसानों के इस आंदोलन में कई सामाजीक संगठनों के साथ पूरा विपक्ष उनका समर्थन कर रहा है लेकिन केन्द्र सरकार को यह लगता है कि यह आंदोलन एक राजनीतिक और विदेशी ताकतों के इशारों पर चल रहा है। इस आंदोलन में जियो कंपनी को लेकर कई प्रकार के भ्रामक प्रचार भी किया जा रहा है जिसके चलते जियो कंपनी के टॉवरों पर बिजली की सप्लाई बंद कर दी गयी है।


किसान आंदोलन को लेकर दुनिया भर में चर्चा हो रही है कि भारत किसानों पर निर्भर है और वहां पर किसानों की हालात इतनी खराब है कि किसान को आत्महत्या तक करनी पड़ती है। अब यह देखना होगा कि आज की वार्ता के बाद क्या परिणाम निकलता है अगर इस वार्ता के बाद किसान आंदोलन खत्म नहीं करते हैं तो वे इस आंदोलन को और तेज करने का प्रयास करेंगे जिसके चलते केन्द्र सरका की परेशानी बड़ सकती है।

राजस्थान: नगरपालिका में ​कांग्रेस का दिखा जलवा तो बीजेपी को मिली करारी हार

राजस्थान की 50 नगर निकाय चुनाव के नतीजों के आने के बाद जहां बीजेपी को करारा झटका लगा है तो कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है। 12 जिलों की 50 निकाय में 36 पर कांग्रेस अध्यक्ष बनाने में सफल रही तो भाजपा के केवल 12 अध्यक्ष और वहीं दो निर्दलीय अध्यक्ष का चुनाव जीत पाए हैं।

जयपुर में बीजेपी का नहीं खुला खाता
जयपुर जिले की 10 नगर पालिकाओं में से 9 नगर पालिकाओं में कांग्रेस के चेयरमैन बना तो इसके अलावा एक नगर पालिका में कांग्रेस के बागी को जीत हासिल हुई।

भरतपुर में बीजेपी का नहीं खुला खाता
भरतपुर जिले की कुल आठ नगरपालिकाओं में से भाजपा के खाते में एक भी सीट नहीं गयी और भाजपा के प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा के गृह जिले में पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया है।

इन 12 जिलों में हुए चुनावों के परिणाम 13 दिसंबर को आए थे इसमें 1775 में से कांग्रेस को 620, निर्दलीय 595 और बीजेपी को 548, बसपा को सात सीटों पर जीत मिली थी। सबसे ज्यादा बगरू नगरपालिका में चौंकाने वाले परिणाम आए जहां पर निर्दलीय मालूराम को कांग्रेस के
6 वोट की क्रॉस वोटिंग ने मालूराम को चेयरमैन बना दिया।

शहरी निकाय चुनाव: बीजेपी का सूपड़ा साफ,कांग्रेस को मिली संजीवनी तो निर्दलीय ने मारी बाजी

राजस्थान के शहरी निकाय चुनाव में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा वार्डों में जीत दर्ज करके अपनी साख बचाने में कामयाब रही तो दूसरी तरफ बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। इन चुनावों में कांग्रेस नंबर एक पर रही तो दूसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी रहे हैं जबकि बीजेपी तीसरे नंबर पर पहुंच गई है। जानकरों की माने तो शहरी इलाका बीजेपी का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है इस चुनाव में
जनता ने सभी जानकारों को फेल कर दिया है।


राजस्थान के 12 जिलों की 50 नगर निकाय में 43 नगर पालिका और 7 नगर परिषद के 1775 वार्डों के परिणाम 2020:

1. कांग्रेस को 620 वार्डों में जीत हासिक करके नंबर की पार्टी बनी है।
2. निर्दलीयों को 595 वार्ड जीतकर दूसरे स्थान पर रहे।
3. बीजेपी को 548 वार्डों में जीत मिली, जिसके कारण वह तीसरे स्थान पर चली गयी।

इन चुनावों में कांग्रेस नबंर एक पार्टी तो लेकिन वह केवल अपने दम पर 16 निकायों में अपना अध्यक्ष बना सकती है जबकि उसके 5 विधायक के दम पर ही वह अकेली बोर्ड बनाने कामयाब रही है। हालाकि पार्टी के 18 विधायकों और 4 मंत्रियों के क्षेत्रों में निकाय चुनाव में कांग्रेस बहुमत से दूर रह गई जहां निर्दलीयों का बोलबाला ज्यादा रहा है। इसके बाद भी कांग्रेस 40 बोर्ड बनाने का दावा कर रही है।


अगर बात करें 2015 के 50 निकाय चुनाव की तो उस समय 34 शहरों में बीजेपी अपना कब्जा जमाया तो और कांग्रेस पिछले साल की तुलना में सिर्फ 4 सीटे अधिक जीतने में कामयाब हुई है। लेकिन इस बार प्रदेश के तीस ऐसे निकाय हैं, जहां निर्दलीय अहम भूमिका में दिखते हुए नजर आ रहे हैं।

सबसे युवा और पहली एमबीबीएस सरपंच बनी शहनाज

इंटरनेट डेस्क। राजस्थान के भरतपुर जिले के गरहाजन गांव की कमां पंचायत से शहनाज खान सबसे युवा और पहली एमबीबीएस सरपंच बनी। आपको बता दें शहनाज ने 24 वर्ष की उम्र में इस पद पर जीत दर्ज की। पंचायत चुनाव में शहनाज ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को 195 मतों से हराकर ये गौरव प्राप्त किया। आपको बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में गरहाजन गांव में होने वाले चुनाव रद्द कर दिए गए थे क्योंकि मौजूदा सरपंच शहनाज के दादा पर चुनाव के दौरान झूठे शैक्षणिक योग्यता प्रमाणपत्र देने का आरोप लगा था। गौरतलब है कि राजस्थान में सरपंच का चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार का कम से कम दसंवीं पास होना जरुरी होता है।

शाहनाज के परिवार का राजनीति से ताल्लुक काफी पुराना है उनके दादा 55 साल से गांव के सरपंच है वहीं उनके पिता गांव के मुखिया है। जीत के बाद शहनाज का कहना है कि मैं बहुत खुश हूं कि मुझे अपने लोगों की सेवा करने का मौका मिला है। शहनाज का कहना है कि उनकी प्राथमिकता लड़कियों की पढ़ाई और स्वच्छता होंगी। वह लड़कियों के लिए उदारहण पेश करना चाहती हैं। शहनाज कहती है कि यह उन पेरेंट्स के लिए उदारहण होगा जो अपनी बेटियों की पढ़ाई को नजरअंदाज कर देते हैं। आपको बता दें कि शहनाज मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश के तीर्थांकर महावीर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रहीं है। जहां वह अपने कॉलेज के अंतिम वर्ष में पढ़ाई कर रहीं है।

केजरीवाल का माफ़ी मांगने का सिलसिला लगातार जारी

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा मानहानि के मामलों में माफ़ी मांगने का सिलसिला लगातार ज़ारी है।इसके लिए वह अपनी पार्टी के नेताओं के निशाने पर आ गए हैं। सोशल मीडिया में उनकी सिलसिलेवार माफियों का मजाक भी बनाया जा रहा है। ताजा मामला भाजपा नेता और केन्दीय मंत्री नितिन गडकरी से माफ़ी मांगे का है। गडकरी को दिए अपने माफीनामे में केजरीवाल ने लिखा है, ‘मुझे अपने उस बयान के लिए बेहद दुःख है, मैं इस दुःख को प्रमाणित नहीं कर सकता पर जानता हूँ कि इससे आप को दुख पहुंचा है।

मैं अफसोस जाहिर करता हूं। हम इस घटना को पीछे छोड़ दें और अदालती कार्यवाही को बंद करें। हमें अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल परस्पर सम्मान की भावना के साथ देश के लोगों की सेवा के लिए करना चाहिए।बताते चलें कि गडकरी ने अपना नाम केजरीवाल द्वारा ‘भ्रष्ट राजनेताओं’ की सूची में डालने के बाद 2014 मे उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। केजरीवाल पर एक के बाद एक कई राजनेताओं ने मानहानि का मामला दर्ज किया है, जिसमें वित्त मंत्री अरुण जेटली व दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी शामिल हैं।

माफ़ी मुख्यमत्री बनते जा रहे केजरीवाल

गौर तलब है कि पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया से माफी मांगने के कुछ दिनों बाद ही अब अरविंद केजरीवाल ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के बेटे अमित सिब्बल और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से माफी मांगी है। अपने इस कदम को सही ठहराने के लिए उन्होंने ट्वीटर हैंडल पर ‘आप एक्सप्रेस’ का एक ट्वीट रीट्वीट किया है। पार्टी का मुखपत्र कहे जाने वाले आप एक्सप्रेस ने अखबार एक आर्टिकल अपलोड किया है जिसमें लिखा है “अदालत या जनता की अदालत, केजरीवाल ने चुना दूसरा विकल्प।” पार्टी का मुखपत्र कहे जाने वाले आप एक्सप्रेस ने एक अन्य ट्वीट में कहा है कि केजरीवाल का यह कदम, “दो कदम पीछे जाकर दिल्ली को चार कदम आगे ले जाने की चाहत है  गौरतलब है कि बीते सप्ताह केजरीवाल ने शिरोमणि अकाली दल नेता बिक्रम मजीठिया पर बिना साक्ष्यों के मादक पदार्थो के व्यापार में शामिल होने के आरोपों पर उनसे लिखित मांफी मांग ली थी। इस माफीनामे से नाराज आप की पंजाब इकाई के प्रमुख भगवंत मान ने त्यागपत्र दे दिया था ।

बजट सत्र आज भी चढ़ सकता है हंगामे की भेट

नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ कल लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव हंगामे के कारण पेश नहीं हो पाया है। आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर एनडीए से अलग हुई तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और वाईएसआर कांग्रेस ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया, हालांकि थोड़ी ही देर बाद दोनों दलों ने सदन में हंगामा करना शुरू कर दिया। दोनों दलों के सांसद हंगामा करते हुए लोकसभआ स्पीकर के पास पहुंच गए, जिसकी वजह से लोकसभा को स्थगित करना पड़ा। जिसके चलते विपक्षी दलों का लाया गये अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी नही मिल पाई।

दूसरी ओर अविश्वास प्रस्ताव से बेपरवाह दिख रही सरकार ने विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र प्रसाद ने कहा, एक तरफ तो वह अविश्वास प्रस्ताव ला रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ वह संसद में हंगामा कर रहे हैं ताकि प्रस्ताव को चर्चा के लिए स्वीकार नहीं किया जा सके। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा कि सरकार अविश्वास प्रस्ताव समेत सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। हालांकि विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर अविश्वास प्रस्ताव की राह में रोड़ा डालने का आरोप लगाया है।

केंद्र सरकार के खिलाफ पेश होने वाले पहले अविश्वास प्रस्ताव को कांग्रेस पार्टी ने समर्थन दिया है। वहीं एनडीए की सहयोगी शिव सेना ने बीजेपी को झटका देते हुए अविश्वास प्रस्ताव से दूरी बना ली है। शिव सेना ने कहा कि वह इस अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार और विपक्षी दल, दोनों में से किसी के साथ खड़़ी नहीं होगी।

उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने छात्राओं के लिए की ये घोषणा

जयपुर। उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने बालिकाओं के शैक्षिक उत्थान में भागीदारी के लिए एक अनूठी पहल शुरू की है। उच्च शिक्षा मंत्री ने घोषणा की है कि राजसमन्द विधानसभा क्षेत्र की स्कूलों में बोर्ड परीक्षाओं में स्कूल स्तर पर प्रथम रहने वाली छात्राओं को वे अपनी ओर से एक-एक हजार रुपए का नकद पुरस्कार देंगी। एसी 60 से अधिक स्कूलें हैं जिनमें अव्वल आने वाली छात्राओं को माहेश्वरी की ओर से प्रोत्साहन स्वरूप नकद पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया जाएगा। उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने यह घोषणा सोमवार को राजसमन्द जिला मुख्यालय पर राजनगर स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित लैपटॉप वितरण समारोह में की।

उच्च शिक्षा मंत्री ने इस अवसर पर 29 मेधावी विद्यार्थियों को लैपटॉप वितरित किए। इनमें 21 छात्राएं तथा 8 छात्र हैं। समारोह में नगर परिषद सभापति सुरेश पालीवाल, समाजसेवी महेन्द्र टेलर, महेश आचार्य, पार्षद उत्तम कावडिय़ा एवं हिम्मत मेहता सहित शिक्षक-शिक्षिकाएं एवं विद्यार्थी तथा उनके अभिभावक उपस्थित थे। उच्च शिक्षा मंत्री ने राजस्थान में शैक्षिक विकास की विभिन्न योजनाओं के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी दी और कहा कि अच्छे प्रतिशत हासिल कर इनका लाभ लें तथा भविष्य संवारें।

उन्होंने बारहवीं कक्षा में 75 फीसदी से अधिक अंक लाने व उच्चतम अंक प्रतिशत बरकरार रखने पर मुफ्त कॉलेज शिक्षा सुविधा, विभिन्न शैक्षिक उन्नयन एप्स का लाभ लेने, प्रतिस्पर्धाओं में अव्वल रहने और आशातीत सफलता पाने के लिए पूरे मनोयोग से शिक्षा-दीक्षा पाने का आह्वान किया। जिला शिक्षा अधिकारी भरत जोशी ने बताया कि जिले में 561 मेधावी विद्यार्थियों को लैपटॉप प्रदान कर लाभान्वित किया गया है।

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