राजस्थान की राजनीति – झलक उठा मायावती का दर्द , राष्टपति शासन की मांग या अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा का समर्थन

राजस्थान की राजनीति – झलक उठा मायावती का दर्द , राष्टपति शासन की मांग

जयपुर  |  राजस्थान की राजनीति में चल रहें उठापटक के बीच अब बसपा सुप्रीमो मायावती का भी दर्द झलक उठा हैं और उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुयें  दल बदल कानून व् बसपा के 2 बार विधायक तोड़ चुकी कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा हैं साथ ही कहा हैं की राजस्थान में अब राज्यपाल को संज्ञान लेते हुयें राष्टपति शासन लगा देना चाहियें |

कांग्रेस से दूर और भाजपा के करीब आ रही हैं बसपा सुप्रीमो मायावती -सूत्र 
मायावती के बयानों  से संकेत मिल रहें हैं की वह भाजपा से यूपी में गठबंधन की कोशिश कर रही हैं यूपी में बसपा उपचुनाव में प्रत्याशी ना उतारना साथ ही मजदूरों के पलायन के लिए मायावती कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा चुकी हैं वही अब राजस्थान की राजनीति चल रहें उठापटक के बीच सीधे राष्टपति शासन लगाने की मांग कर दी जिसको लेकर वह कई बुद्धिजीवियों ने नाराजगी दर्ज की हैं |
सूत्रों के अनुसार आगामी यूपी विधानसभा चुनावों में बसपा सुप्रीमो भाजपा के साथ गठबंधन कर सकती हैं इसके संकेत वह दे चुकी हैं कई मुद्दों पर –
 गौरतलब हैं की राजस्थान में भी उठापटक के लिए मायावती ने कांग्रेस पर फिर निशाना साध कर कई संकेत दे दियें हैं
राजस्थान में सियासी भुचाल के बीच गहलोत सरकार ने एक ऑडियो टेप जारी किया है। इसको लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए ट्वीट कियें  उन्होंने कांग्रेस को धोखेबाज बताया . साथ ही राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर डाली।
कांग्रेस के प्रति मायावती की गुस्सा बेवजह नहीं है . जब राजस्थान में गहलोत के सानिध्य वाली सरकार बनी थी, तब बसपा के छह विधायक कॉग्रेस को समर्थन दे रहे थे . कांग्रेस ने इन विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया  हैं  बसपा के इन विधायकों ने सोनिया गांधी से मिलकर कॉग्रेस की औपचारिक सदस्यता ली थी। उस वक्त  बसपा का कहना था  कि कांग्रेस ने लालच और धमकी देकर विधायकों को तोड़ा है। बसपा ने कांग्रेस के इस कदम की आलोचना की थी और पार्टी सुप्रीमो मायावती ने गहलोत का इस्तीफा तक मांग लिया था। बीएसपी यह मुद्दा लेकर चुनाव आयोग लेकर पहुंची थी लेकिन आयोग ने इस मामले में दखलअंदाजी से मना कर दिया था . इसके साथ ही बसपा ने इस साल सितंबर में गुजरात में होने वाले चुनाव में सभी 8 सीटों पर प्रत्यशी उतारने का फैसला किया है।
वर्ष 2017 के गुजरात चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बाद बीएसपी तीसरे नबर की पार्टी बनकर उभरी थी . दलित वोट बैंक पर बसपा की अच्छी पकड़ है और विशेषज्ञों के मुताबिक उपचुनाव में बीएसपी के उम्मीदवार कांग्रेस का नुकसान करेंगे, जिससे भाजपा को फायदा होगा। बात अगर उत्तर प्रदेश की करें तो यहां दलितों को बसपा का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है। 2019 के आम चुनाव में भाजपा को मिली प्रचंड सफलता के बीच भी बसपा के खाते में 10 सीट जीतने में कामयाब रही थी। हालांकि इस चुनाव में बसपा ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। चुनाव के बाद इन दोनों विरोधी पार्टियों में अनबन भी हो गई थी। इसके साथ ही गौर करने वाली बात यह भी है कि मायावती ने लॉकडाउन में मजदूरों की दुर्दशा के लिए कांग्रेस को पर हमलावर रुख अख्तियार किया था। उन्होंने कांग्रेस को मजदूरों के पलायन का जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि अगर अपने लंबे शासन काल के दौरान पार्टी ने उनकी रोजी-रोटी की सही व्यवस्था की होती तो लोगों को दूसरे राज्यों में पलायन ही क्यों करना पड़ता?
राजनीति सियासत के गटबंधन का सियासी ऊंट किस और बैठता हैं यह आगामी समय और परिस्थितियों पर निर्भर करेगा लेकिन वर्तमान समय में बसपा सुप्रीमो मायावती के संकेत भाजपा के सुर में सुर मिलाते नज़र आ रहें हैं |

दलितों को भावनात्मक रूप से लुट रही है बसपा सुप्रीमो मायावती – आखिर क्यों जानें ख़ास

BSP supremo Mayawati is emotionally looting Dalits – why know special

जयपुर | बसपा सुप्रीमो मायावती आज अपना भव्य जन्मदिवस 64 वां बना रही है और इस दिन दलित समाज के ग़रीब मेहनत – मजदूरी करने वाले या कहे वो सम्मानीय स्वाभिमानी लोग विशेष रूप से  { चमार , वाल्मीकि, धोबी ,खटिक ,बलाई , बैरवा , रैगर , } समस्त वंचित वर्ग 15 जनवरी के दिन अपनी  कठोर मेहनत कर मामूली से कुछ रूपए कमाने वाले यह मेहनतकश लोग मायावती को चंदा देते है और इस ले लियें यह विशेष रूप से वर्ष भर पैसे एकत्रित करते है |

आख़िर यह वंचित वर्ग – इस दिन बसपा को चंदा क्यों देते है – 

बसपा के इतिहास को देखे तो आप को भारत के इतिहास के पन्ने भी पलटने होगे – गौरतलब है भारत में  वर्ण व्यवस्था थी जिसके चलते दलितों -शुद्रो की स्थिति मानवीय द्रष्टिकोण से बहुत ही दयनीय थी  – इस सामाजिक कुरूतियो को ख़त्म करने का प्रयास सर्व प्रथम महात्मा बुद्ध ने सामाजिक द्रष्टिकोण से किया जिसके बाद ” भारत रत्न डॉ बाबा साहब अम्बेडकर ” ने  दलितों – शुद्रो को सामाजिक ,आर्थिक , राजनेतिक क्षेत्र  में मुख्यरूप से वंचित वर्ग – महिलाओं के लियें काम किया जो की मील का पत्थर साबित हुआ ,  गौरतलब है डॉ बाबा साहब विद्वान व्यक्ति थे उनकी ख्याति विश्वभर में थी उन्होंने कई महत्पूर्ण आंदोलन तो इन वंचित वर्ग { दलितों – शुद्रो – महिलाओं } के लियें कियें ,

गोलमेज सम्मलेन में ब्रिटिश सरकार के समक्ष दलितों की छुआछूत , भेदभाव आदी समस्या से रूबरु कराया और कहा की यह वर्ग हिन्दू नहीं है क्योकिं जो सम्मान अन्य हिन्दू लोगों को मिलता है वही इस वर्ग की परछाई से भी अन्य हिन्दू लोग  नफरत करते है जिसके बाद आरक्षण का प्रावधान हुआ , जिसे भारत के संविधान में भी शामिल किया गया और वहा दलितों -शुद्रो को ” मूलनिवासी शब्द से वर्णित किया गया है |

कांशीराम का संघर्ष –

डॉ बाबा साहब के प्रयासों से कानूनी रूप से तो दलितों को संवेधानिक अधिकार प्राप्त हो गयें लेकिन सामाजिक रूप से दलितों की स्थिति में कुछ सुधार ख़ास नहीं हुआ और डॉ अम्बेडकर के मिशन को कांशीराम ने साइकिल से घूम-घूम कर आगे बढाया और उनका सपना था की इन शोषितों को एक दिन हुक्मरान बना के रहूँगा – जिसके लियें उन्होंने ” बहुजन समाज पार्टी ” बसपा का गठन किया और दलित महिला – मायावती को भारत के एक बड़े राज्य उत्त्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया वो भी चार बार – यह ताकत थी कांशीराम की |

मायावती – 

बसपा की स्थापना में काशीराम ने जो मेहनत की और दलित महिला मायावती को सूबे का चार बार मुख्यमंत्री बनाया आज वह मायावती कांशीराम के सपने को मतियामेल कर रही है आज मायावती ने कांशीराम , डॉ अम्बेडकर के सपनो को भुला कर मात्र एक सधे हुयें राजनेता के रूप में काम कर रही इसके कई उदहारण देखने को मिलते है आज दलितों पर कहीं हिंसा या दलितों महिला – बच्चियों पर बलात्कार जैसी घटना पर भी मायावती उनसे मिलने तक नहीं जाती जिसके कारण आज दलित वर्ग के लोग बसपा – मायावती से दूर हो रहे है यह स्थिति हो गई है दलितों की आयरन लेडी मायावती की – आज उन के समक्ष भीम आर्मी के चंद्रशेखर रावन दलितों के बड़े नेता या यु कहे यूथ आइकोन के रूप में उभर रहे है |

राजस्थान में बसपा पर लगे है – दलाली के आरोप – 

राजस्थान में बसपा पार्टी को कांग्रेस की B पार्टी और बीजेपी के लियें वोट काटने वाली मशीन के रूप में देखा जाता है  आज राजस्थान में वह लोग जो कभी कांशीराम के साथ आंदोलन करते थे राजस्थान में विरोधी मोर्चा बना दिया है उनका कहना है की बसपा में आज दलितों को मात्र वोट बैंक के रूप में देखा जाता है राजस्थान में मायावती उत्तर प्रदेश से ही प्रभारी भेजती है तो विधानसभा चुनावों से पहले राजस्थान में आकर विधानसभा का टिकट मोटे पैसों में बाहरी प्रत्याशियों को कई करोड़ो में बेचते है आज राजस्थान में तो उत्तर प्रदेश से आकर लोग चुनाव लड़कर विधायक बन जाते है दलितों की वजह से और गरीब कार्यकर्ता बेचारे दरी उठाते रहे है हालिमें में राजस्थान में 6 बसपा विधायक या यो कहे बसपा के सभी विजेता 6 विधायक लगभग 7 लाख़ दलित वोटरों को धोखा देकर दलाली करते हुयें कांगेस में शामिल हो गयें – कहीं ना कहीं इन में मायावती की भी सहमती हो सकती है जिसके विरोध में बसपा के जमीनी कार्यकर्ता ओं ने बसपा प्रदेश अध्यक्ष सीताराम मेघवाल – रामजी गोतम नेशनल कोर्डिनेटर का काला मुहँ कर गधे पर बैठाकर विरोध प्रदर्शन किया था |

राजस्थान  में बसपा  के कार्यकर्ता लम्बे समय से उत्तर प्रदेश के लोगो का विरोध कर रहे है उनका कहना है की राजस्थान के जमीनी कार्यकर्ताओं को मौका देना चाहियें ताकि बसपा मजबूत हो सके |

story by – pawan  dev

jaipur { news team politico}

 

बसपा सुप्रीमों मायावती: CAA व NRC पर मुसलमानों की आशंकाओं को दूर करे केंद्र सरकार

नई दिल्ली। मायावती ने कहा कि नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान यूपी समेत देशभर में हुई हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण है। बसपा हमेशा हिंसक प्रदर्शन के खिलाफ रहती है, ऐसे में उत्तर प्रदेश समेत अन्य हिस्सों में जल रही हिंसा की आग दुखद है।

मायावती ने मंगलवार को ट्वीट किया कि “बी़एस़पी़ की मांग है कि केन्द्र सरकार सीएए और एनआरसी को लेकर खासकर मुसलमानों की सभी आशंकाओं को जल्दी दूर करे तथा उनको पूरे तौर से सन्तुष्ट भी करना चाहिये तो यह बेहतर होगा।”

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने केंद्र सरकार से मांग की है कि सीएए और एनआरसी को लेकर खासकर मुसलमानों की सभी आशंकाओं को जल्द दूर किया जाए। पार्टी गिरफ्तार लोगों के साथ खड़ी है। हम पूरे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच और बेकसूर लोगों की रिहाई चाहते हैं।

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा कि लेकिन इसके साथ ही मुस्लिम समाज के लोग सावधान भी रहें। कहीं इस मुद्दे की आड़ में उनका राजनैतिक शोषण तो नहीं हो रहा है और वे उसमें पिसने लगे हैं।”

एससी-एसटी आरक्षण बिल राज्यसभा में पारित, बसपा सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस को बताया दलित विरोधी

दिल्ली। बसपा सुप्रीमो मायावती ने उच्च सदन में बिल पारित करने के दौरान बाधा डालने के लिए कांग्रेस पार्टी को लताड़ लगाई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की ये हरकत दलित विरोधी मानसिकता को दर्शाती है।

आपको बता दें कि एससी-एसटी आरक्षण को 10 वर्ष बढ़ाने वाला 126वां संशोधन बिल गुरुवार को राज्यसभा से पास हो गया। साथ ही एंग्लो इंडियन कोटे से होने वाली सांसद की 2 सीटों को भी खत्म करने का प्रावधान है।

बता दें कि संविधान के 126वें संशोधन बिल में एससी-एसटी आरक्षण को 10 वर्ष बढ़ाने की व्यवस्था है, जिसके राज्यसभा में पारित होने में कांग्रेस ने बाधा डालने की कोशिश की। हालाँकि सभापति की आग्रह पर वे सदन में वापस आए और तब विलम्ब से यह बिल पास हो पाया।

मायावती ने ट्वीट किया, ‘संविधान के 126वें संशोधन बिल में एससी-एसटी आरक्षण को 10 वर्ष बढ़ाने की व्यवस्था है, जिसके राज्यसभा में पारित होने में बाधा डालकर कांग्रेस ने अपनी दलित विरोधी सोच का परिचय दिया है।

बता दें कि आरक्षण को आर्टिकल 334 में शामिल किया गया है। बिल में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को 10 साल तक बढ़ाने का प्रावधान है. एंग्लो-इंडियन समुदाय, एससी, एसटी को दिए जाने वाला आरक्षण 25 जनवरी, 2020 को समाप्त हो रहा है. आगे के दस वर्षों के लिए, यानी 25 जनवरी, 2030 तक सीटों के आरक्षण को बढ़ाने के लिए विधेयक है।

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