कोविड19 –  जन कला साहित्य मंच संस्था सामाजिक कार्यो में अग्रणी – सेनीटाइज मशीनें , सुखा राशन वितरण कार्यक्रम निरंतर जारी –

 

कोविड -19 राहत अभियान –

 

संस्था समन्वय – नरेंद्र महावर द्वारा जन सहयोग

 

जयपुर | कोविड 19 व् लॉक डाउन के चलते स्लम क्षेत्र में निवास करने वाले नकारात्मक रूप से प्रभावित पीड़ित परिवारों एवं उनके आश्रितों तथा कोरोना की वज़ह से बेरोजगार हुवे परिवारों को जन कला साहित्य मंच संस्था मानसरोवर जयपुर ,निरंतर उन्हें रहत पहुंचाने के कार्य में लगी हुई है |

इस दौरान बेघर हुवे बच्चों को आश्रय देना,भोजन-पानी की व्यवस्ता करना, उनको मानसिक पीड़ा से राहत हेतु मनोरंजन व् योगा जैसे कार्य क्रम  संचालित कर रही है |

इसके लिए संस्था समाज सेवकों, संस्थाओं के साथ मिलकर सहयोग कर रही है , संस्था ने सामाजिक कार्यकर्ता पवन देव  ,एवं संस्था समन्वयक नरेन्द्र महावर , अजय , शाहिस्ता , कीर्ती एवं रेखा के सहयोग से बाबा रामदेव नगर कच्ची बस्ती,एवं भिश्तियों का मोहल्ला रामगंज बाज़ार  में 80 पैकेट सुखा राशन वितरण किये ।

 

जन सहयोग – संस्था कार्यकर्ता शाहिस्ता जी द्वारा

 

 

कोविड-19 राहत अभियान 2021द्वारा 5 सेनीटाइज मशीनें नगर निगम को भेंट की गई

कोरोना महामारी से पीड़ित परिवारों एवं उनके आश्रितों तथा कोरोना की वजह से बेरोजगार हुए परिवारों को पिछले 15 दिनों से जन कला साहित्य मंच संस्था, लाइफ मेडिकेयर हेल्पलाइन सोसायटी, उत्कर्ष संस्था ,अपना घर मानसरोवर ,जयपुर चाइल्ड लाइन 1098 तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा गठित कोविड-19 राहत अभियान के माध्यम से अब तक 5000 से अधिक लोगों को भोजन एवं राशन सामग्री वितरित की जा चुकी है इसके अलावा बीमारी से ग्रसित व्यक्तियों को उनकी आवश्यकता अनुसार हॉस्पिटल, बेड ,ऑक्सीजन आदि मदद की जा रही है |

आज कोविड राहत अभियान 2021 के अंतर्गत कोरोना से पीड़ित परिवारों एवं उनके आसपास के घरों को सैनिटाइज करने हेतु 5 सैनिटाइजर मशीनें जयपुर ग्रेटर नगर निगम की फायर कमेटी के चेयरमैन व पार्षद पारस कुमार जैन को भेंट की गई |

इस अवसर पर जन कला साहित्य मंच संस्था के सचिव कमल किशोर लाइफ मेडिकेयर हेल्पलाइन सोसायटी के सचिव डॉ सतीश गुप्ता एवं जयपुर चाइल्ड लाइन 1098 की समन्वयक जया शशि सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र कुमार ,दिनेश चंद्र,  पूजा दायमा आदि मौजूद रहें |

 

संस्था द्वारा जन सहयोग – सामाजिक कार्यकर्ता कीर्ति द्वारा

इन सैनिटाइजर मशीनों का उपयोग मानसरोवर क्षेत्र में किया जाएगा प्रत्येक मशीन के माध्यम से प्रतिदिन करीब 50 घरों को सैनिटाइज किया जाएगा ।

जयपुर शहर की विभिन्न बस्तियों में भोजन सामग्री का वितरण किया जा रहा है और हॉस्पिटलों में तथा होम आइसोलेशन में रह रहे परिवारों को भी भोजन सामग्री पहुंचाई जा रही है |

पहली पीढ़ी गोली खाएगी……दूसरी पीढ़ी जेल जाएगी ………तीसरी पीढ़ी राज करेगी – बाबू जगदेव प्रसाद के जीवन दर्शन पर – संवैधानिक अधिकार संगठन का वेबीनार संपन्न 

संवैधानिक अधिकार संगठन राजस्थान की महामानव की कहानियां वेबीनार संपन्न –
संगठन के प्रदेशाध्यक्ष धर्मेंद्र तामडिया ने बताया कि वर्तमान कोरोना महामारी से पूरा देश जूझ रहा है इस समय सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए आम जनता को जागरूक करना और स्व अनुशासन की पालना कराने की जिम्मेदारी हम सब की है अभी घर पर बैठकर समय का सदुपयोग करने के लिए महात्मा ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले अंबेडकर, साहूजी महाराज तमाम महामानव जिन्होंने गैर बराबरी की व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ी उनके जीवन दर्शन को  समझने जरूरत है |
आज का वेबीनार बाबू जगदेव प्रसाद के जीवन दर्शन पर किया गया जिसमें मुख्य कहानीकार मोनिका शर्मा और गोपाल मीणा जी रहे मोनिका ने कहा कि बिहार में जन्मे बाबू जगदेव प्रसाद जी का जीवन बहुत संघर्ष भर रहा था वो  समाजवाद के लिए लड़ाई लड रहे थे | इस दौरान उनको जातीय उत्पीड़न का भी शिकार होना पड़ा था जब वह पढ़ लिखकर जिला कमिश्नर की नौकरी के लिए इंटरव्यू देने गए तो उन्हें पूछा गया कि आप किस जाति से हो जब उनकी जाति बताएं तो सामने वाले ने कहा कि आपका काम तो खेती करना है आप तो खेती करो और पशु चराओ यह बात बाबू जगदेव प्रसाद को बहुत बुरी तरह से चुभ गई और इस जातीय मानसिकता को बदलने के लिए उन्होंने इस व्यवस्था खिलाफ संघर्ष करना शुरू कर दिया था गरीब दलित वंचितों के लिए संघर्ष करते समय पुलिस प्रशासन की गोली से उनकी मौत हो गई थी उन्होंने कहा था की पहली पीढ़ी गोली खाएगी ,दूसरी पीढ़ी जेल जाएगी ,तीसरी पीढ़ी राज करेगी |
 गोपाल मीणा सरपंच ग्राम पंचायत हीरापुरा तहसील फागी ने कहा कि बाबू जगदेव प्रसाद के जीवन संघर्ष से हमें सीख लेनी चाहिए और उनकी नेतृत्व क्षमता को देखते हुए स्वयं की नेतृत्व क्षमता को भी विकसित करने की जरूरत है |
पवन देव के द्वारा संवैधानिक अधिकार संगठन की टीम का परिचय करवाया गया तथा सीमा कुमारी ने कहा कि इन कहानियों के माध्यम से महामानव के जीवन दर्शन को सुनने के बाद धरातल पर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता होंसला बढ़ता है और उनसे प्रेरणा लेकर अच्छा काम करते है ‌|
कार्यक्रम का मंच संचालन राम तरुण ने किया इस दौरान पूरे राजस्थान के विभिन्न जिलों से सामाजिक कार्यकर्ता जुड़े जयपुर से शाहिस्ता खान, शाबिर कुरेशी ,चंदा लाल बेरवा, चाकसू से जितेंद्र बैरवा,कमल सिंह,रतन लाल बेरवा,राष्ट्रीय सेवा योजना से हरीश बेरवा,राष्ट्रीय वंचित लोक मंच के प्रहलाद धामनिया,रेनवाल फागी से लक्ष्मण, दौसा से भाग चन्द निकटपुरी ,हेमन्त ,टोंक से रामकेश प्रजापत,कविता शर्मा, द्वारिका शर्मा, अलवर से संजना, कवि सुरेंद्र आजाद ,मनोहरपुर से अर्जुन लाल मोहनपुरिया पूर्व सरपंच,जोधपुर से ललिता पवार, जोगाराम कडेला अरूणा लीलावत,उदयपुर हरलाल बेरवा, अजमेर से नेहा सेन, भीलवाड़ा से अंशुल तंबोली, आदि उपस्थित रहे |

महात्मा ज्योतिराव फुले – सामाजिक क्रांति के अग्रदूत रहें हैं युवा शक्ति को उनका अनुसरण करना चाहियें – शुश्री शाहिस्ता  

संवैधानिक अधिकार संगठन का विशेष सत्र – आओं महामानवों को जानें 
#महात्मा ज्योतिराव फुले 
14  अप्रैल 2021 से  “ डॉ बाबा साहब की जयंती “  से 100 महामानवों के जीवन पर होगी चर्चा
जयपुर | डॉ बाबा साहब आंबेडकर जी के 130वीं जयंती के अवसर पर संवैधानिक अधिकार संगठन ने एक नई मुहीम शुरू की हैं जिसमें सामाजिक क्षेत्र में सुधार करने वालें महामानवों के बारें में विस्तृत से हम जानें क्योकिं आज की युवा शक्ति अपने महामानवों को सिर्फ जयंतीयों तक ही सीमित कर दिया हैं जबकि हमें उनके संघर्ष को जानना चाहियें और आत्मसात करना चाहियें और अपने जीवन में उनके संघर्ष से प्रेरणा लेकर सामाजिक क्षेत्र में समानता , बंधुता , स्वतंत्रता न्याय मुल्लों को व्यवहार में अमल लाना चाहियें जिससे समता मूलक समाज का निर्माण हो सके |
कार्यक्रम में मुख्यवक्ता सामाजिक कार्यकर्ता शाहिस्ता खान ने ज्योतिराव फुले के जीवन के विभिन्न घटनाओं पहलों पर  विस्तृत जानकारी अन्य साथियों से साझा की उन्होंने कहा की ज्योति राव फूले ने अपने जीवन में जातीय आधारित गैर बराबरी व्यवस्था के शिकार रहें और इस व्यवस्था को बदलने के लिये ताम्र संघर्ष करते रहें उनके संघर्ष में उनकी जीवनसाथी माता सावित्रीबाई फुले ने उनका साथ दिया और  सावत्री बाई फुले पहले खुद शिक्षित बने और – बालिकाओं महिला शिक्षा को प्राथमिकता देते हुयें 1 जनवरी 1848 को लड़कियों का पहला स्कूल शुरू किया था जब ज्योतिराव फुले को उनके जीवनसाथी सावित्रीबाई फुले के साथ पिता ने घर से बाहर निकाल दिया था  तब उनके मित्र उस्मान भाई और उनकी छोटी बहन फ़ातिमा शेख ने उनका साथ दिया तथा  माँ सावत्री बाई के साथ मिलकर उस्मान भाई के घर पर ही पहला बालिका स्कूल खोला यह विकसित समाज की सोच रही थी एक उनका संघर्ष था और आज भी हम 2021 में भी महिला सशक्तिकरण , सुरक्षा और बराबरी की बात कर रहें हैं |
प्रदेशाध्यक्ष धर्मेन्द्र तामडिया ने कहा कि सामाजिक क्रांति के अग्रदूत  संवैधानिक भारत के राष्ट्रपिता महात्मा ज्योतिबा फुले जब अपने सामान्य जाति के मित्र के विवाह समारोह में बरात में गए हुए थे तो वहां से सामान्य जाति के लोगों ने शूद्र कहकर अपमानित  किया और तुम चले जाओ यहां से तुम शूद्र हो हमारे सामान्य जाति के लोगों के साथ साथ में शामिल नहीं हो सकते और विवाह समारोह से बेदखल कर दिया था तब फुले जी को बहुत अपमानित होना पड़ा था और तभी से फुले जी ने क्रांति की शुरुआत कर दी थी उन्होंने ठान ली थी कि जब मेरे ओबीसी समुदाय के साथ इतना जातिवाद छुआछूत किया जा रहा है तो मेरे दलित अछूत भाइयों के साथ कितना अपमानजनक व्यवहार किया जाता होगा यह मैं सोच भी नहीं सकता तभी फुले जी ने वंचित और दलितों, शूद्रों के लिए पहला स्कूल 1948 में खोला था महात्मा फुले ने माता सावित्रीबाई फुले को पढ़ा लिखा कर महिला सशक्तिकरण की सोच के साथ आगे बढ़ाने के लिए महिला स्कूल खोलने के लिए प्रेरित कर 1857 में महिला स्कूल की स्थापना कर माता सावित्रीबाई फुले को स्कूल में पढ़ाने के लिए प्रेरित किया फुले दंपति ने अपने जीवन काल में अनाथ आश्रम, विधवा महिलाओं के लिए आश्रम और सभी को शिक्षा देने का काम किया और हमेशा समता की पक्षधर फुले जी ने जाति धर्म छुआछूत का विरोध अंतिम समय तक किया |
सीमा कुमारी – मुख्य सलाकार ने आपकी महात्मा फुले जी ने महिला सशक्तिकरण के लिए माता सावित्रीबाई फुले को पढ़ा लिखा कर देश की प्रथम महिला शिक्षिका बनाने का काम किया और जब माता सावित्रीबाई फुले महिलाओं को शिक्षा देने के लिए जाती तो उन पर सामान्य जाति की महिलाएं गोबर फेंक दी थी जिसके कारण उनको 2 साड़ियां बैग में साथ में लेकर चलती थी लेकिन इतनी विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने महिलाओं को शिक्षा देने का काम बंद नहीं किया अगर सावित्रीबाई फुले ने संघर्ष घर की महिलाओं को शिक्षा नहीं दी होती तो शायद आज आम महिलाओं को शिक्षा अधिकार मिल पाना मुश्किल होता सभी को धन्यवाद प्रस्तुत कर कार्यक्रम समापन किया गया |
इस अवसर पर विभिन्न राज्यों से सामाजिक कार्यकर्ता जुड़े गुजरात से जिग्नेश सोलंकी, विजय मकवाना, छत्तीसगढ़ से कृष्णा पाठक,  चंद्रमोहन मौर्य, राम तरुण जी , पवन देव , साबिर कुरैशी , रतन लाल बेरवा  ,  राज बाला जी , मीरा जी ,   उग्नता जी , आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे |

जयपुर : 2 अप्रैल 2021 युवा आक्रोश रैली – गुजरात विधायक जिग्नेश मेवानी करेगें संबोधित

    मोदी सरकार के निजीकरण का होगा विरोध युवा आक्रोश रैली
जयपुर | वर्तमान संघ भाजपा कि केंद्र सरकार “सबका साथ, सबका विकास” के वादे पर ही सत्ता मे आई थी, लेकिन संघ भाजपा जैसी जातिवादी, सांप्रदायिक व पूंजीवादी ताक़तें कभी भी सभी समुदायों व वर्गो को साथ लेकर नहीं चल सकती है। आज अनेकानेक तरीको से गरीब, मजदूरो, कृषको, दलित-आदिवासी जैसे वंचित तबको के हितों पर जमकर कुठराघात किया जा रहा है। जहाँ एक तरफ वर्तमान केंद्र सरकार का इन कमजोर तबको कि क्षमता निर्माण पर कोई ध्यान नहीं है।
वहीं दूसरी तरफ वो इन वर्गों के लिए पूर्व से चली आ रही छोटी मोटी सहूलियतों व सुरक्षा कवर को भी खत्म करने पर आतुर है। अंधाधुंध निजीकरण के माध्यम से देशवासियों कि संपत्ति को कुछ कॉर्पोरेट घरानों पर लुटाया जा रहा है। इससे देश को  संपत्ति का नुकसान तो है ही, साथ ही सामाजिक न्याय व आर्थिक वितरण के लक्ष्य को भी पीछे धकेला जा रहा है। ज्ञात हो प्रधानमंत्री मोदी जी ने प्रतिवर्ष 2 करोड़ रोजगार देने का वादा किया था। लेकिन हकीकत तो यह है कि वे पूर्व से चले आ रहे रोजगार के अवसरों को भी नहीं बचा सके।
“लॉक डाउन” के चलते तो बेरोजगारी की इस समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है। लेकिन अब भी सरकार के पास लफ़्फ़ाजियों के अलावा कोई ठोस विजन व कार्यक्रम नहीं दिखता। भयंकर बेरोजगारी के इस दौर मे जब आम जनता के सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है। पेट्रोल डीजल के दामों मे हुई बेतहाशा वृद्धि  के चलते खाने पीने से सामानों की कीमतों मे भारी वृद्धि हुई है। सरकार आम लोगों की जेब मे पैसा पहुंचाने की किसी भी योजना पर काम  ना करके, कृत्रिम रूप से महंगाई बढ़ा कर उल्टे जनता की जेब से पैसा निकालने का ही प्रपंच कर रही है।
संघ भाजपा सरकार के एक और बड़े षड्यंत्र का नाम है “लेटरल इंट्री”, जो कि हमारी संवैधानिक व लोकतान्त्रिक व्यवस्था को ध्वस्त करने वाली तो है ही साथ ही देश की विविधता के अनुकूल भी नहीं है। इससे कमजोर वर्गों के लिए नीति निर्माण व उनकी क्षमता पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। मजदूरो के सुरक्षा कवच कहे जाने वाले “लेबर एक्ट” को गत वर्ष निष्प्रभावी कर चुकी भाजपा सरकार के अगले निशाने पर अब कृषक समुदाय है। सरकार इन कृषि बिलों के माध्यम से किसानों के सुरक्षा कवच को तोड़ कर उन्हे धनपशुओं की मेहरबानी पर छोड़ देना चाहती है।
आदि गंभीर मुद्दो को लेकर 2 अप्रैल 2021 को धर्मेंद्र कुमार जाटव, दशहरा मैदान, जयपुर में एक विशाल जनसभा “युवा आक्रोश रैली” का आयोजन करने जा रहे है। जिसमे वक्ताओं के रूप में गुजरात विधायक श्री जिग्नेश मेवानी, प्रोफेसर रतल लाल, श्रीमति भावना दोहरे, श्रीमति मोनिका मीणा, श्री सुजीत सम्राट, श्री भगवाना राम, श्री जल्ला राम  आदि लोग वक्ता के रूम मे उपस्थित रहेंगे ।

 संवैधानिक अधिकार संगठन के प्रतिनिधि मंडल ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर मुख्यमंत्री को दिया ज्ञापन – 

Delegation of Constitutional Rights Organization gave memorandum to Chief Minister on International Human Rights Day –
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर विशेष कार्यक्रम  –
जयपुर |  संवैधानिक अधिकार संगठन के कार्यकर्ताओं ने 26 नवंबर से 10 दिसम्बर तक संविधान पखवाड़े का आयोजन किया था जिसका आज अंतिम दिन था | 26 नवंबर 2020 से राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में जमीनी स्तर पर आम जनता , युवा वर्ग , महिलाओं को संविधान की प्रस्तावना में वर्णित मूल्यों की जानकारी और संविधान के प्रति समझ बढ़ाने का काम जागरूकता कैम्प के माध्यम से किया गया हैं जिसमे हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से स्लम एरिया बगराना बस्ती , प्रेम नगर , लाल कुंडा बस्ती मालवीय नगर , इंद्रा बाजार, मंडी खटीकान , पुरानी बस्ती आदी जगहों पर कोरोना की गाइड लाइन की पालना करते हुयें जन जागृति का काम किया हैं |
मुख्यमंत्री को विश्व मानवाधिकार दिवस पर आज संगठन से जुड़े वरिष्ट लोगों ने प्रमुख मांगो के साथ मुख्यमंत्री जी को ज्ञापन देकर  निम्न मांगों की मांग की – 
एडवोकेट चंदा लाल बैरवा ( सहायक निर्देशक दलित अधिकार केंद जयपुर ) ने कहा –  माननीय मुख्यमंत्री महोदय आज अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस हैं आप राज्य के मुख्यमंत्री हैं तो आप की यह जिम्मेदारी बनती हैं कि राजस्थान में वंचित वर्ग ,दलित, शोषित पीड़ित ,आदिवासी , महिलाओं के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित हो ,
गौरतलब हैं कि  मानव अधिकार सार्वभौमिक हैं जब एक बच्चा माँ के पेट पलता हैं जब से ही उसके मानवाधिकार उसे मिलते हैं सभी देशों में लगभग मानवाधिकार समान रहते हैं और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की होती हैं अतः सभी मानवों के अधिकार हक्क उसे मिलने चाहियें |
हस्ताक्षर जागरूकता अभियान – बायें से सुनील प्रजापति , एडवोकेट चंदा लाल जी बैरवा , शाहिस्ता खान ,राकेश वाल्मीकि , शुभम सोखरिया
राकेश वाल्मीकि प्रदेश संयोजक ( राजस्थान वाल्मीकि विकास मंच ) – आज यह गर्व की बात हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी देशों ,गांवों में आज विश्व मानवाधिकार दिवस मनाया जा रहा हैं एक व्यक्ति को अपने मौलिक अधिकारों के प्रति जागरूक व सचेत रखना चाहियें और अपनी गरिमा व मान सम्मान के साथ कभी भी कोई समझौता नहीं करना चाहियें और अपने अधिकारों हक्क के लियें संघर्ष करना चाहियें |
सुनील प्रजापति ( जिला अध्यक्ष DSP DAL) – आज अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस हैं आज के दिन ही वर्ष के 365 दिन हमें हमारे सभी भाई बहनों , जनता को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करना चाहिए जिससे जनता , युवा अपने संवैधानिक अधिकारों के प्रति सचेत रहें |
शाहिस्ता खान – ( संवैधानिक अधिकार संगठन ) ने कहा – आज हम राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी के यहां ज्ञापन दिया हैं जिस में हमने मांग की हैं कि आज विश्व मानवाधिकार दिवस हैं और राजस्थान में अभी जिला प्रमुख , पार्षद , सरपंच के चुनाव संपन्न हुयें हैं जिसमे महिला जनप्रतिनिधि भी अधिक विजेता रही हैं लेकिन आज भी राजस्थान में महिला जन प्रतिनिधि के नाम पर उनके पति , ससुर आदी रिश्तेदार मीटिंग बैठके उनके नाम से करते नज़र आते हैं जो गैर संवैधानिक हैं जिन्हें सरपंच पति के नाम से जाना जाता हैं आज वास्तविकता में महिलाओं को उनके अधिकार मिले यह राज्य सरकारें सुनिश्चित करें |
पवन देव – संवैधानिक अधिकार संगठन 
आज अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर हमारे साथियों ने सीवरेज मैनहॉल में कार्यरत सफाईकर्मियों के अधिकारियों के लियें संघर्ष कर रहें हैं भारत सरकार ने 2013 में हाथ से मैला ढोने की प्रथा को रोकने के लियें ms and th act 2013 बना रखा हैं लेकिन दलित समाज के सफाईकर्मी आज भी ठेकेदारो के दबाब व प्रलोभन में सीवरेज लाइन में कार्य करने के लियें उतर जाते हैं जिससे उनकी जहरीली गैस के कारण दम घुटने से मौत हो जाती हैं इस कुप्रथा को रोकने के लियें संविधान पखवाड़े के तहत वाल्मीकि कॉलोनी व अन्य स्थानों पर लोगों को जागरूक किया हैं और राजस्थान के मुख्यमंत्री जी से इस कुप्रथा को खत्म व रोकथाम के लियें अपील की हैं भारत के संविधान ने भारत के सभी छोटे बड़े सभी नागरिकों को सम्मान जनक जीवन जीने का अधिकार दे रखा हैं जिसकी पालन करना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी हैं उस दिशा में सकारात्मक काम हो –
शुभम सोंखरिया – आज विश्व मानवाधिकार दिवस पर सबसे अधिक शिक्षा विभागों को काम करने की आवश्यकता हैं क्योंकि शिक्षा उस शेरनी के दूध के समान हैं जो पियेगा वो दहाड़ेंगा अतः सभी बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित हो |
पवन देव – संवेधानिक अधिकार संगठन

वर्ल्ड हेरिटेज सिटी जयपुर बना – मानव तस्करी और बाल मजदूरी में अव्वल – शर्मनाक

मानव तस्करों के निशाने पर बचपन – बाल मजदूरी की जद में लाखों मासूम

बालश्रम ,बंधुआ मजदूरी और मानव तस्करी को रोकने की सख्त ज़रूरत

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पवन देव 

जयपुर | जयपुर शहर अपनी सांस्कृतिक धरोहर कला व् विरासत के दम पर विश्व विख्यात हैं जिसके कारण ही  2019 में यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड  हेरिटेज सिटी अवार्ड दिया गया था यह जयपुरवासियों के लियें गर्व की बात है लेकिन अब जयपुर शहर “ बाल श्रमिक “ का केंद्र बनता जा रहा हैं जो की सरकार और स्थानीय जनता के लियें शर्मनाक हैं |

जयपुर शहर मुख्य रूप से 30 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हैं इसमें भट्टा बस्ती , शास्त्री नगर , जालूपुरा , नमक मंडी किशनपोल बाज़ार , ब्रहमपुरी , नारगढ़ रोड ,लंकापूरी , विद्याधर नगर , झोटवाड़ा , रामगंज , ईदगाह ऐसे क्षेत्र हैं जिनमे धड्ले से बाल श्रमिक मजदुर कार्यरत हैं  भट्टा बस्ती व् शास्त्री नगर तो बाल श्रमिक { चूड़ी कारखाना } का केंद बिंदु हैं जो बाल मजदूरी और बाल अपराधों के लियें हमेशा सुर्खियों में रहता हैं |

विधानसभा सदन की पटल में रखे गयें आकड़े –

माननीय विधायक महोदय द्वरा अतारांकित सवाल में “ बाल श्रमिक से काम करवाने के मामले “ पर विगत 2 वर्ष { 1 जनवरी 2018 से 31 दिसम्बर 2019 तक } में राज्य में 1345 लोगों पर केस दर्ज कियें गयें हैं  अर्थार्त 1345 कारखाने , फैक्ट्रीयो में कितने बाल श्रमिक काम करते हैं इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं जयपुर शहर में चूड़ी कारखाने में लगभग सामान्य 10 से 15 बाल श्रमिक कार्यरत मिलते हैं जो की मुख्यता पश्चिम बंगाल ,बिहार के पायें जाते हैं |

 

कोविड 19 से भूख प्यास से दम तोड़ रहें थे बाल मजदुर –

कोविड 19 में भूख – प्यास से भट्टा बस्ती में अवैध चूड़ी कारखाने में कार्यरत 2 बाल श्रमिक मजदुरो ने दम तोड़ दिया था  जिसके बाद कई बाल श्रमिक कोविड 19 लॉक डाउन के समय में चोरी छिपे अपने गाँव लोट गयें थे अब जब वह जयपुर वापस आ रहें हैं तो जयपुर में कार्यरत NGO  पुलिस प्रशासन के साथ उनकी धर पकड़ कर रहें हैं हालिमें गलता गेट थाना ने अम्बिका बस सर्विस की बस जो गया बिहार से जयपुर आ रही थी में कार्यवाही करते हुयें 25  से अधिक बाल श्रमिको को मुक्त करवाया वही दूसरी बड़ी करवाई ट्रांसपोर्ट नगर थाना में वही अम्बिका बस सर्विस की बस पकड़ कर 10 के करीब बाल श्रमिक जो चूड़ी के काम में लिप्त थे पर करवाई की , तीसरी करवाई बस्सी थाना ने बस्सी टोल टेक्स पर सीतामढ़ी बिहार से आ रही बस से 12 बाल श्रमिक को मुक्त करवाया इसके साथ 3 तस्कर 2 बस चालक सहित 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर बस जप्त की हैं इसके बाद भी चोरी छिपे चूड़ी कारखाने व् अन्य कारखानों में कार्यरत बाल श्रमिक जयपुर पहुँच रहें हैं |

 

अधिवक्ता अमितोष पारीक –

बाल अधिकारों को लेकर कार्यरत अधिवक्ता अमितोष पारीक ने कहा की जयपुर शहर वर्तमान में बाल श्रमिक जो लॉक डाउन के समय अपने गाँवों में चले गयें थे अब बाल श्रमिक मजदुर वापस जयपुर आ रहें हैं जिसको लेकर हम सक्रिय हैं हालिमें में गलता गेट से 25 व् ट्रांसपोर्ट नगर थाने की कारवाई में 10 बाल श्रमिको को मुक्त करवाया गया हैं जो की भट्टा बस्ती शास्त्री नगर में चूड़ी के कारखाने में कार्य करने आयें थे यह अभी बच्चे नाबालिक थे  गौरतलब हैं की लॉक डाउन में भट्टा बस्ती में भी एक अवैध चूड़ी कारखाने में भूख -प्यास से 2 बाल श्रमिक मर गयें थे जिनकी पैरवी हमारे द्वारा ही की जा रही हैं पुलिस थाने से 1 किलोमीटर की दुरी पर भी अवैध चूड़ी कारखाने संचालित हैं जिनमे खुले आम बाल श्रमिक काम कर रहे हैं और वही पर NGO भी कार्यरत हैं फिर भी भट्टा बस्ती शास्त्री नगर प्रशासन के लियें अवैध चूड़ी कारखाने चुनौती दे रहें हैं पुलिस प्रशासन को भट्टा बस्ती व् शास्त्री नगर में सख्ती कर बाल श्रमिको को मुक्त करवाना चाहियें |

बाल श्रमिको के रोकथाम व् पुर्नवास के लियें यह संगठन संस्था प्रशासन जिम्मेदार हैं किन्तु जयपुर सिर्फ 30 किलोमीटर के दायरे में फैला हैं और प्रशासन व् संगठन मूक दर्शक के समान हैं या कहें बाल श्रमिक कार्य में लिप्त अपराधीयो पर कोई तो मेहरबान हैं –

अवैध चूड़ी कारखाने में कार्यरत बाल श्रमिक –

बाल श्रम क्या हैं समझे –

अंतर्राष्टीय श्रम संगठन के अनुसार – वे बच्चे बाल श्रमिक कहलाते हैं जो “ स्थायी रूप से बड़ों जैसी जीन्दगी जीते हैं ,लम्बे समय तक कम वेतन पर ऐसी परिस्थियों में काम करते हैं ,जो उनके मानसिक और शारीरिक विकास में बाधक होती हैं और उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती हैं |

बाल श्रम को रोकने हेतु ज़िम्मेदार संस्था  –

 

पुलिस विभाग – बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण के लियें राजस्थान किशोर न्याय ( बालकों की देखरेख एवं संरक्षण ) अधिनियम 2011 के तहत राज्य के सभी जिलों में विशेष पुलिस इकाई व् मानव तस्करी विरोधी इकाई घटित की हुई हैं उक्त दोनों इकाइया बाल श्रमिक / तस्करी पीड़ित बच्चों को मुक्त कराने की कारवाई पूर्ण गोपनीयता एवं सक्रियता से करने हेतु प्रतिबद्ध हैं |

श्रम विभाग – श्रम विभाग द्वारा संवेदनशील क्षेत्रो में नियमित रूप से बाल श्रमिको का सर्व कराना , बाल श्रमिको की सूचना मिलने पर स्थानीय पुलिस एवं बाल कल्याण समिति के माध्यम से 24 घंटे के अंदर कार्यवाही कर बाल श्रमिको को मुक्त कराना होता हैं व् अपराधियों पर बालश्रम ( प्रतिबंधित एवं नियोजन ) अधिनियम 1986 की धारा 3 के तहत कारवाही करते हैं |

बाल कल्याण समिति – बाल कल्याण समिति बाल श्रमिक / तस्करी की सूचना / शिकायत मिलने पर बच्चों को मुक्त करवाने , अधिनियम के अंतरगत संचालित बाल गृहो में बच्चों को प्रवेश कराने एवं बच्चों के पुर्नवास की व्यवस्था हेतु पुलिस को आदेश प्रदान करती हैं |

बाल संरक्षण इकाई – सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा बाल श्रमिको के संरक्षण एवं पुर्नवास के लियें बाल कल्याण समिति के आदेश कानून के अनुसार पंजीक्रत राजकीय / स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित बालगृह बाल श्रमिको को प्रवेश कराकर सामाजिक सुरक्षा की योजनओं से जोडती हैं |

जिला प्रशासन –

जिला प्रशासन द्वारा बाल श्रमिक / तस्करी पीड़ित बच्चों को मुक्त करवाने की कारवाई सहयोग कर बंधुआ मजदुर उन्मूलन अधिनियम 1976 के तहत बंधुआ मजदूरों की पहचान कर प्रशासन द्वारा प्रत्येक मुक्त करवायें बाल श्रमिक को मुक्ति प्रमाण पत्र जारी करते हैं जिससे बालश्रमिक के पुर्नवास में मददगार साबित होता हैं |

उपरोक्त संस्था / संगठन बाल श्रमिक को मुक्त करवाने से लेकर पुर्नवास की ज़िम्मेदारी हैं इसके बाद भी जयपुर में कुछ NGO कार्यरत हैं जो बाल श्रमिक को मुक्त करवाने के काम करते हैं जैसे – बचपन बचाओं आंदोलन , टाबर , प्रयास आदी

# पार्ट 2 में जानें –

जयपुर शहर में कितने NGO बाल श्रमिको को मुक्त करवाने के कार्यरत हैं और इनकी वितीय सहायता जो की करोड़ो में हैं कौन सी संस्था / फंडिंग एजेंसी करती हैं और NGO की कार्य प्रणाली क्या रहती हैं |

सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा मानवता की सुरक्षा है – डिक्की अध्यक्ष डॉ. सत्य प्रकाश वर्मा

COVID-19 

राजस्थान – सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा के लियें राजस्थान सरकार के साथ  DICCI की नई पहल –

जयपुर | COVID-19 वैश्विक महामारी भारत सहित पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. इस वैश्विक महामरी में कार्यरत वाल्मीकि समाज व् सफाई कर्मचारी दिन – रात ” कोरोना योद्धा ” के रूप में देश सेवा कार्यरत है. काम सीवर की सफाई का हो या कोरोना मरीजों से भरे अस्पतालों की, वाल्मीकि समाज एवं सफाई कर्मियों की उपयोगिता सबसे अधिक होती है किन्तु सुरक्षा उपकरण प्रदान करने की दृष्टि से प्राथमिकता सबसे कम. ऐसे में, दलित इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (डिक्की) ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए राज्यभर में पीपीई किट, मास्क और ग्लव्स एवं राज्य सरकार को स्थानीय जिला प्रशासन के माध्यम से भेंट करने की पहल की है |

इस राज्यव्यापी अभियान की शुरूवात जयपुर से डिक्की के अध्यक्ष डॉ. सत्य प्रकाश वर्मा द्वारा जयपुर जिला कलेक्टर श्री जोगाराम को 5000 मास्क्स और 500 ग्लव्स भेंट करते हुए की गई.

उनकी पहल पर इसी श्रंखला में डिक्की के उदयपुर समन्वयक भारत बंशीवाल ने उदयपुर संभागीय आयुक्त श्री विकास सीतारामजी भाले को 5000 मास्क्स और 500 ग्लव्स भेंट किये. राजसमंद कलेक्टर श्री अरविन्द कुमार पोसवाल को भी 5000 मास्क्स और 500 ग्लव्स भेंट किये. इस अवसर पर उनके साथ भारत बंशीवाल, लोकेश चन्देल, ओम बंसीवाल, तिलकेश पुरोहित, चेतन बंसीवाल आदि भी उपस्थित रहे.

राजसमंद जिला कलेक्टर – अरविन्द पोसवाल और dicci टीम
उदयपुर – संभागीय आयुक्त और dicci टीम

देश के सबसे अधिक प्रभावित राज्य महाराष्ट्र के पुणे में डिक्की के संस्थापक अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. मिलिंद कांबले के मागर्दर्शन में डिक्की द्वारा कैप्टिव किचन स्थापित कर अब तक पिछले 60 दिनों में 138084 लाख फूड पैकेट और 17024 राशन किट के माध्यम से 206900 जिंदगियों को लाभ पहुंचाए जाने के बारे में जानकारी दी.

डॉ. वर्मा ने बताया कि एक व्यापारिक संगठन होने के नाते राजस्थान में डिक्की द्वारा अनुसूचित जाति-जनजाति के प्रवासी और स्थानीय मजदूरों, बेरोजगार युवाओं का डेटाबेस तैयार किया जा रहा है ताकि उन्हें प्रदेश में ही उनकी योग्यता एवं कुशलता के आधार पर रोजगार के साथ-साथ स्वरोजगार के अवसर भी उपलब्ध करवाए जा सकें. कोविद के बाद की आर्थिक चुनौतियों से सुक्ष्म और लघु उद्यमियों के कुशलतापूर्वक निपटने, नए उद्यम की संभावनाओं एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर और सुदृढ़ बनाने के लिए डिक्की एक रिपोर्ट तैयार कर रही है जिसे जल्द ही चर्चा के लिए राज्य सरकार के साथ साझा किया जाएगा. युवाओं को नौकरी मांगने वाला नहीं बल्कि नौकरी देने वाला बनाने के संकल्प पर डिक्की निरंतर कार्य कर रही है |

 

 

MSME Minister Interacts with DICCI and assures complete support to SC-ST entrepreneurs amidst COVID19 pandemic

Hon’ble Minister for MSME  Nitin Gadkari, addressed an exclusive online meeting organised by Dalit Indian Chamber of Commerce and Industry (DICCI) on ‘Impact of COVID19 Pandemic on SC-ST MSMEs & Way Forward for Revival’. The meeting was presided by Founder-Chairman of DICCI, Dr. Milind Kamble and moderated by National Working President of DICCI, Shri. Ravi Kumar Narra, in which 350+ SC-ST Entrepreneurs, Industry experts and MSME officials participated.

Hon’ble Minister discussed the various aspects of measures being taken by Govt. of India to meet the challenges of COVID19 with the panellists comprising of all regional heads of DICCI representing all Indian states and across business sectors. The meeting was also attended by international DICCI members from Japan and UK.

The highlights of the discussions for which the Hon’ble Minister has assured his immediate consideration are,

  • The Govt. will consider DICCI’s proposal of including services sector into the ambit of Special Capital Linked Credit Subsidy Scheme (SCLCSS). Proposals for creating alternative different types of incentives that can be extended to SC-ST entrepreneursto be considered. The projects – Bulk LPG transportation by Road and Mechanisation of Sewer Cleaning Activities – has created 2,800+ SC-ST entrepreneurs. The ministry to consider the inclusion of these services into SCLCSS.
  • The possibility of revising thecompounding interest burden due to moratorium under the announced COVID19 relief package and possibilities of increasing the ambit of interest subvention for MSMEs through the ministry.
  • For North East Region, proposals have been invited by ministry for developing SC-ST entrepreneurship and assistance required thereof.
  • Consideration of relief initiativesby Ministry for SC-ST MSMEs through NSSH like extending interest free working capital to increase liquidity, special interest rates for NSIC’s Raw Material Assistance Scheme, priority procurement of masks, sanitisers & gloves from SC-ST MSMEs through GeM portal to fulfil 4% procurement policy and special medical insurance scheme for employees of SC-ST MSMEs
  • Pertaining to SC-ST entrepreneurs in LPG transportation under Stand Up India initiative to be exempted from toll payments for 2 months, extension of National Permits of which are expiring for a period of 3 months or until lock down whichever is earlier & insurance extension for 3 months.
  • Restructuring the MSME loans by extending the moratorium period for 2 years.
  • Special incentives for SC-ST entrepreneurs working in tribal areas & the necessity of incentivising the rural &tribal entrepreneurship. Decentralisation of industries & opening up of industrial clusters across the upcoming national highways&corridors, especially in tribal and backward areas including the aspirational districts.
  • Identification of Technology Upgradation in MSMEs and support in procuring the technology transfer to boost businesses.
  • To explore the possibility of collaborating with foreign funds, at a cheaper cost, for investment and development of MSME sector in India.

. Kishore Kharat, Financial Advisor to DICCI & Former MD &CEO of Indian Bank, IDBI Bank, proposed the change of business credit cycle through financial institutions from 90 days to 180 days. This will help in creation of much needed liquidity for MSMEs. He also advised the reassessment of Working Capital requirements of MSMEs and loan restructuring with 2 years moratorium.

Dr. Milind Kamble requested the creation of Special COVID19 Relief Package for SC-ST Entrepreneurs from the Special Central Assistance (SCA) to Scheduled Castes Sub Plan (SCSP) and Tribal Sub Plan (TSP).He also requested earmarking 10% of, soon to be announced, Fund of Funds of Rs.10,000 Crore for SC-ST MSMEs.

 Nitin Gadkari-ji assured the MSME Ministry’s complete support in sailing through the impact of COVID19 and emerging the MSME sector as a stronger contributor to India’s GDP.He also said that, the development of new international trend of looking for industrial set ups beyond China presents an opportunity for Indian MSMEs to develop India into next power engine of world economy.

 

राजस्थान सरकार अभिभावकों की आर्थिक स्थिति को समझे और प्राइवेट स्कूलों की 3 माह की फ़ीस माफ़ करें – पवन देव

Fanaticism regarding the fees of private schools wrong – Pawan Dev

जयपुर | प्राइवेट स्कूलों की फ़ीस को लेकर अभिभावक व् स्कूल प्रशासन में खीचतान चल रही है जिसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकल पाया है इस को लेकर सोशल एक्टिविस्ट व् जर्नलिस्ट पवन देव ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लेटर लिखकर – इस वैश्विक महामारी कोविड -19 व् लॉक डाउन के चलते अभिभावकों की जो आर्थिक स्थिति ख़राब हुई है जिसके चलते उनका घर चलाना भी मुश्किल हो गया है की और ध्यान दिलाते हुयें कहा है की

 गैर सरकारी स्कूलों  द्वारा इस लॉक डाउन के समय जो फ़ीस वसूली की जा रही है उस पर तुरंत प्रभाव  से रोक लगाई जायें व्  3 माह की स्कूल की फ़ीस माफ़ की जायें | 

 

मोहदय गौरतलब है की देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने देश में 22 मार्च को मध्य रात्रि को लॉक डाउन करने का आदेश जारी करा था जिसके साथ ही राजस्थान सरकार ने भी राजस्थान में लॉक डाउन को सख्ती से लागू किया जिसके चलते रा

PAWAN DEV – JAIPUR

जस्थान में सकारात्मक परिणाम नज़र आयें और इस वैश्विक महामारी में जितना नुकसान जनता को होना चाहियें था उससे कम ही देखने को मिला -यह आपकी दूर द्रष्टि का ही परिणाम था की भीलवाडा मॉडल की विश्वभर ने प्रंशसा की |

राजस्थान की जनता ने राजस्थान सरकार के आदेशो को ईमानदारी से मानते हुयें  लॉक डाउन का पालन किया जिसकी प्रंशसा माननीय प्रधानमंत्री महोदय ने भी की एवम् अन्य राज्यों को राजस्थान की गहलोत सरकार से सिखने की नसीयत दी |महोदय मुख्य रूप से राजस्थान राज्य आर्थिक रूप से व् शिक्षा की द्रष्टि से पिछड़ा हुआ है प्रदेश की अभि

भावको / जनता की रोजी – रोटी  कृषि , पशुपालन व् मुख्यतौर पर खुला काम ( अन ऑर्गेनाइजेशन सेक्टर  ) के रूप में अधिक करते है अपने परिवार के भरन – पोषण के लियें मुख्य रूप से अभिभावक मेहनत मजदूरी करते है और पाई -पाई जोड़ कर अपने बच्चो को शिक्षित करने के लियें यथा संभव अच्छे – अच्छे स्कूल में पढ़ाते है जिसका अभिभावक सपना भी देखते है की उन का बच्चा अच्छे स्कूल में पढाई करे व् समाज व् देश में अपना योगदान दे |

लेकिन इस लॉक डाउन ने आम जनता को बुरी तरह से प्रभावित किया हैं इस लॉक डाउन ने उन्हें घर बेठने पर मजबूर कर दिया हैं जिसके चलते उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है आय के साधन बंद हो गयें है अब परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है|

वर्तमान समय में  राज्य के निजी स्कूल  शिक्षा का  व्यवसायीकरण कर रहे है और अभिभावकों पर फ़ीस जमा कराने का दबाव बना रहे है जब की 22 मार्च 2020 से देश में लॉक डाउन है और सभी स्कूल , कॉलेज बंद है अब स्कूल प्रशासन अभिभावकों पर दवाब बना रहे है की फ़ीस जमा करायेंगे और फीस के संदेशो में लॉक डाउन के दौरान ही अंतिम तिथि घोषित कर दी गई  है जबकि स्कूल प्रशासन को इस समय मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता देते हुयें  लगभग 3 माह की स्कूल  फ़ीस माफ़ करनी चाहियें लेकिन वास्तविकता में इस के उल्टा हो रहा है|

जैसा विदित है की लॉक डाउन के चलते काम – धंधे ठप है और आपके आह्वान पर जनता ने अपने क्षेत्र में किसी भी गरीब , जरूरतमंद को भूखा नहीं सोने दिया है लेकिन अब लॉक डाउन को लम्बा समय हो चूका है अब मध्यम वर्गीय परिवार भी अपने भोजन पानी के लियें सोचने लगा है और काम धंधा व्यवस्थित रूप से चालू होने में लगभग 6 माह लग जायेगे , यह चिंता का विषय है दिन प्रतिदिन जनता की आर्थिक हालत ख़राब हो रहे है और उस पर स्कूलों द्वारा फ़ीस की मांग अभिभावकों को मानसिक प्रताड़ना दे रही है |

अत : महोदय राज्य की जनता / अभिभावको की और विशेष ध्यान दे और उपरोक्त बिन्दुओं पर सकारात्मक कार्य करने के लियें दिशा – निर्देश दे –

1 – राज्य में संचालित गैर सरकारी ( प्राइवेट स्कू

 

ल )  को 3 माह तक की फ़ीस माफ़ करने हेतु निर्देश

2- इस शिक्षा सत्र ( 20- 21 )  गैर सरकारी ( प्राइवेट स्कूल ) को फ़ीस  वृद्धि पर पूर्णतया रोक

3 फ़ीस संबधित किसी भी विषय पर बच्चों व् अभिभावकों को शारीरिक व् मानसिक प्रताड़ना नहीं करें इसके लियें स्कूल प्रशासन को पाबंद करें |

 

 

शिक्षा व् मानवीय मूल्यों की बड़ी बाते करने वाले प्राइवेट स्कूल – अब इस महामारी काल में भी शिक्षा का व्यवसायीकरण कर रहें है

Private schools that talk a lot about education and human values ​​-now even in this

pandemic period, education is being commercialized –

जयपुर |  शिक्षा व मानवता का पाठ पढ़ाने वाले स्कूल आज कल इस  वैश्विक महामारी कोरोना में भी पेरेंट्स को छुट्टियों की फीस जमा कराने के लियें दबाव् बना रहे हैं |

इस मुश्किल घड़ी में जहां लॉक डाउन के चलते पिछले 40 दिन से अधिक समय से व्यवसाय बंद हैं घर चलाने का भी खर्च अब मध्यमवर्गीय परिवार के पास नहीं बचा हैं अब स्कूलों के मेल ,कॉल आदि द्वारा पेरेंट्स पर दबाव बनाया जा रहा हैं कि आप अपने बच्चों की फ़ीस जमा किरायें|

sa aabhar

अब मध्यम वर्गीय परिवार मानसिक रूप से तनाव में है एक और तो काम धंधे ठप हैं उसके ऊपर प्रधानमंत्री मोदी व राज्य सरकारों ने आदेश जारी कर के कह दिया हैं कि लॉक डाउन के चलते आप अपने यहां काम करने वाले मजदूरों को नोकरी से नहीं निकाल सकते और उन्हें लॉक डाउन के चलते सैलेरी भी देना अनिवार्य हैं |

अब मध्यम वर्गीय परिवार अपना घर चलायें या जरूरतमंद लोगों की मदद करें या बंद पड़े व्यापार का किराया दे जबकी धंधा चोपट हो चुका हैं और उस पर अलग से स्कूल प्रशासन तीन महीने के फीस मांग रहा हैं जिसको लेकर मध्यम वर्गीय परिवार अतिरिक्त तनाव में जीवन गुजार रहे हैं |

स्कूल प्रशासन ने कहा – निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि वह छुटियों में भी ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं जबकि एक सर्व में कहा गया है कि भारत मे अभी छोटे बच्चे ऑनलाइन स्टडी को प्राथमिकता नहीं देते हैं |

अभिभावकों ने कहा – पेरेंट्स आर सी शर्मा ने कहा कि आज निजी स्कूलों ने शिक्षा का पूर्ण रूप से व्यवसायीकरण कर दिया है यह तो इंसानियत भी मार चुके  है इस आपदा के समय जब देश दुनिया मानवता को बचाने में लगी हैं जब सब मिलकर इस कोरोना महामारी से लड़ रहे है सरकार ने सभी से अपील की है कि वह किरायदारों से 3 माह का किराया ना ले और किसी गरीब को परेशान ना होने दे|

वही दूसरी और  आज यह शिक्षा का मंदिर इस आपदा के समय मे पेरेंट्स पर 3 माह की फीस जमा कराने का दवाब बना रहे हैं जबकि 30 बच्चों पर एक टीचर होता हैं इस के अनुसार भी मोटी फीस लेने वाले स्कूल अपने को ख़राब आर्थिक स्थिति में बता रहे हैं और फीस की अपील का विज्ञापन फुल पेज का देकर पेरेंट्स से फीस की मांग कर रहे हैं जो कि मानवीय मूल्यों के विपरीत हैं

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