

मुख्यमंत्री बतायें कि यह परम्परा किसने तोड़ी थी और इसकी वजह क्या रही: डाॅ. पूनियां
प्रदेश में बहन-बेटियां असुरक्षित, राजा सो रहा है, जनता खौफ में जी रही है: डाॅ. पूनियां
जयपुर, 15 मार्च। भाजपा प्रदेश कार्यालय में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए राजस्थान की राजनीति में अनेक अवसरों पर अनेक किस्म की सियासी चर्चाएं होती हैं, लेकिन राजस्थान में जबसे कांग्रेस की सरकार बनी है तभी से तमाम मुद्दों पर यह सरकार घिरी हुई है।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि यह सरकार जब भी अपने पाप छुपाने की कोशिश करती है तो कोई ना कोई नई बात सरकार के खिलाफ उजागर होती है। सरकार की स्टेबिलिटी, कांग्रेस पार्टी की अंतकलह जैसी कुछ बातों से आप अच्छी तरह से वाकिफ हैं। उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले एक सियासी एपिसोड के दौरान राजस्थान में सियासी पारा बहुत ऊँचा था और सरकार अपना अस्तित्व बचाने के लिए मशक्कत कर रही थी और वो परिस्थितियां भी इनके अपने लोगांे के कारण ही थी। उस दौरान भाजपा पर अनेकों बार झूठी तोहमत लगाने की कोशिश हुई, लेकिन उस पूरे नाटक के नायक, खलनायक मुख्यमंत्री गहलोत थे।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि 15वीं विधानसभा के 5वें सत्र के दौरान भाजपा विधायक द्वारा एक प्रश्न पूछा गया, जो गोपनीयता से सम्बन्धित है। आमतौर पर जो प्रश्न पूछे जाते हैं उनका एक माह के भीतर जवाब आ जाता है। यह प्रश्न अगस्त, 2020 में पूछा गया और अब उसका जवाब आया है। भाजपा विधायक ने यह प्रश्न पूछा था कि, क्या यह सही है कि विगत दिवसों में फोन टेप किए जाने के प्रकरण सामने आए हैं? यदि हाँ तो किस कानून के अन्तर्गत एवं किसके आदेश पर? पूर्ण विवरण सदन की मेज पर रखें।
सरकार ने इसका जवाब दिया कि, लोक सुरक्षा या लोक व्यवस्था के हित में या किसी ऐसे अपराध को प्रोत्साहित होने से रोकने के लिए जिससे लोक सुरक्षा या लोक व्यवस्था को खतरा हो टेलीफोन अन्तावरोध भारतीय तार अधिनियम 1885 की धारा 5(2) भारतीय तार अधिनियम (संशोधित) नियम 2007 के नियम 419ए व सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69 में वर्णित प्रावधान के अनुसार सक्षम अधिकारी की स्वीकृति उपरान्त किया जाता है। राजस्थान पुलिस द्वारा उपरोक्त प्रावधानों के अन्तर्गत टेलीफोन अन्तावरोध सक्षम अधिकारी से अनुमति प्राप्त करने के उपरान्त ही किए गए हंै।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि सियासी घटनाक्रम के समय भी प्रश्न यह था कि क्या कोई फोन टैपिंग हुई है? और उस समय इस बात की चर्चा हुई तो सक्षम अधिकारियों ने, मुख्य सचिव एवं उनके निचले स्तर तक के अधिकारियों ने इस बारे में मना कर दिया। तब मुख्यमंत्री ने सदन में इस बात के लिए साफ-साफ इंकार किया कि राजस्थान में कभी ऐसी परम्परा रही नहीं। सदन में कही गई बात, अधिकारियों द्वारा कही गई बात और अनेक बार चर्चा हुई और अनेक प्रसंगों में यह साबित हुआ कि कहीं ना कहीं फोन की टैपिंग जरूर हुई है। उस दौरान भी इस तरह की टैपिंग के मसले आये तो हमने कई बार पूछा कि इसका साॅर्स क्या है?
डाॅ. पूनियां ने कहा कि अब सरकार ने फोन टैपिंग की बात को स्वीकार कर लिया है। यह स्वीकारोक्ति है राजस्थान पुलिस की, जो विधानसभा के प्रश्न का जवाब आया है। इस तरह की खबरें मीडिया के माध्यम से पहले भी आई हैं। जनवरी, 2020 से अगस्त, 2020 तक कितने फोन टेप किये गये? इस बारे में सरकार इंकार करती रही, लेकिन इस बारे में जानकारी मिलेगी तो मुझे लगता है कि सारी चीजें स्पष्ट हो जायेगी।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि फोन टैपिंग का यह सामान्य मसला नहीं है, राजस्थान के मुख्यमंत्री स्वीकार कर चुके हैं कि प्रदेश में इस प्रकार की परम्परा नहीं है, तो मुख्यमंत्री बतायें कि यह परम्परा किसने तोड़ी और इस परम्परा को तोड़ने की वजह क्या है? मुख्यमंत्री खुद इसके दोषी हैं और उस समय जब मीडिया में आॅडियो टेप सामने आने की खबरें आई थी तो कांग्रेस के कई विधायकों ने इस मामले की एनआईए से जाँच कराने की मांग की थी।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि सदन में भी इस बारे में भी झूठ बोला गया, तथ्यों के बारे में भी भ्रांतियां फैलायी गई, तो स्पष्ट तौर पर मुख्यमंत्री इसके दोषी हैं, उनको नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए, जो खुद गृहमंत्री भी हैं, इस मामले की सीबीआई से जाँच करवानी चाहिए। आमतौर पर सरकारों में पूर्णकालिक गृहमंत्री कार्य करते रहे हैं, लेकिन इस सरकार मंे पूर्णकालिक गृहमंत्री नहीं है।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि प्रदेश में बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं है, अब तक 6 लाख 14 हजार से अधिक मुकदमे दर्ज हुए हैं, जिनमें 80 हजार से अधिक महिला अपराधों से सम्बन्धित हैं और 12 हजार से अधिक रेप एवं गैंगरेप के मामले हैं। आमतौर पर जनता बेखौफ होकर सोती है और राजा उसकी सुरक्षा के लिए जागता है, लेकिन प्रदेश में अराजक हालात बने हुए हैं, ऐसे में राजा सो रहा है और जनता खौफ में जी रही है, सो नहीं पा रही है। कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए मुख्यमंत्री लीपापोती करने के अलावा कुछ नहीं कर रहे, जनघोषणा पत्र में बहन-बेटियों को सुरक्षा देने का वादा किया था, जिसे वो पूरा नहीं कर पा रहे हैं, ऐसे में नैतिक आधार पर उनको पद पर बने रहना का कोई अधिकार नहीं है |
राजस्थान में गहलोत सरकार को अपना समर्थन देकर उसकी सहायता करने वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) ने अब अपना समर्थन वापस ले लिया है। भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) ने कई मौको पर कांग्रेस का साथ देकर उसकी नैया पार करवाने में मदद की है चाहे वह राज्यसभा का चुनाव हो या विधानसभा में विश्वास मत साबित करना हो। लेकिन पंचायत चुनावों में पहली बार बीजेपी और कांग्रेस के गंठबधन ने सभी को चौका दिया और इस बात से नाराज बीटीपी ने गहलोत सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया है।
पंचायत चुनाव में मिली हार के बाद एक बार भी राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार के सामने संकट खड़ा हो गया है कि वह भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) को जिला प्रमुख नहीं बनने दिया जिसके कारण समर्थन वापस ले लिया है। भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के 2 विधायकों ने जब विधानसभा में गहलोत सरकार ने अपना बहुमत साबित किया था, तब दोनों विधायकों ने अशोक गहलोत का समर्थन किया था।
डूंगरपुर जिला परिषद सदस्यों के चुनाव में बीटीपी ने सबसे ज्यादा सीटें जीती थी, लेकिन कांग्रेस और बीजेपी के हाथ मिलाने के चलते बीटीपी का जिला प्रमुख नहीं बन सका। इसके कारण डूंगरपुर में बीजेपी ने अपना जिला प्रमुख बना लिया इसी बार से नाराज होकर भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) ने अपना समर्थन वापस लिया है।
हालांकि, मौजूदा समय में दो विधायकों के समर्थन वापस लेने से अशोक गहलोत सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन आने वाले समय में यह कांग्रेस के लिए बड़ी परेशानी बन सकता है। बीते दिनों खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आशंका जताई थी कि राज्य में फिर एक बार सरकार गिराने कोशिश हो सकती है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि राजस्थान में कांग्रेस दो गुटो में बटी हुई है और एक पक्ष में गहलोत तो दूसरे पक्ष में सचिन पायलट है। पंचायत चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन ज्यादा अच्छा नहीं रहा है और कई विधायक और मंत्रियों के क्षेत्रों में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है।
मुख्यमंत्री गहलोत का ‘‘लव जिहाद’’ पर बयान उनकी वोट बैंक की ओछी मानसिकता को दर्शाता है: डाॅ. सतीश पूनियां
इस्लामिक आतंकवाद के घोषित एजेण्डे ‘‘लव जिहाद’’ का शिकार होकर हमारी अबोध बच्चियां देश में उत्पीड़न की शिकार होती हैं: डाॅ. पूनियां
विश्वास नहीं होता कि वोट बैंक की राजनीति के लिए मुख्यमंत्री गहलोत आप इतना गिर जाओगे: डाॅ. पूनियां
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जयपुर, 20 नवम्बर। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा दिये गये ‘‘लव जिहाद’’ के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत का ‘‘लव जिहाद’’ पर बयान उनकी वोट बैंक की ओछी मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की देशभर में हो रही दुर्दशा से वह इतना विचलित हो जाएंगे यह विश्वास नहीं होता, हम सब जानते हैं कि सनातन भारत की परम्परा में विवाह एक धार्मिक और सामाजिक मान्यता प्राप्त संस्कार है यह केवल व्यक्ति की स्वतंत्रता तक सीमित नहीं है।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत का यह बयान शर्मनाक है, भारत विश्व का पुरातन सनातन देश है, जहाँ विवाह एक नैसर्गिक संस्कार है, ‘‘लव जिहाद’’ इस्लामिक आतंकवाद का घोषित एजेण्डा है, विश्वास नहीं होता वोट बैंक की राजनीति के लिए आप इतना गिर जाओगे, कांग्रेस की दुर्दशा से विचलित होकर मानसिक सन्तुलन यूँ गड़बड़ होना स्वाभाविक ही है।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत ने भाजपा पर लगाया गया आरोप बेबुनियाद है, इस्लामिक आतंकवाद के एजेण्डे ‘‘लव जिहाद’’ का शिकार होकर हमारी अबोध बच्चियाँ देश में उत्पीड़न का शिकार होती हंै, यह जगजाहिर है। ऐसी परिस्थिति में गहलोत का यह बयान निश्चित तौर पर ओछी मानसिकता का परिचायक है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ” लव जिहाद ” कानून पर क्या कहा था जानें –
एक ट्वीट में गहलोत ने लिखा कि ‘लव जिहाद बीजेपी की ओर से देश को विभाजित करने और सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के लिए बनाया गया एक शब्द है। विवाह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है, उस पर अंकुश लगाने के लिए कानून लाना पूरी तरह से असंवैधानिक है और यह कानून किसी भी अदालत में नहीं टिकेगा। प्यार में जिहाद की कोई जगह ही नहीं है।’
अशोक गहलोत ने विधानसभा सत्र बुलाने का दबाब बना रहें हैं – राज्यपाल पर
मंत्री प्रताप सिंह ने कहा – संविधान व् लोकतंत्र बचाने की लड़ाई हैं
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जयपुर | राजस्थान की राजनीति में चल रहें सियासी उठापटक के बीच आज अशोक गहलोत ने हाईकोर्ट के फेसले के बाद बड़ा दावं चल दिया | दोहपर 12 बजे के बाद प्रेस कांफ्रेस कर राजपाल कलराज मिश्र को संवेधानिक पद की दुहाई दी और कहा की राज्यपाल का पद संवेधानिक होता हैं वह किसी के दबाब में काम ना करें और राजस्थान विधानसभा का सत्र आहूत करने का आदेश दे , लोकतंत्र की सुने अन्यथा राजस्थान की जनता राजभवन का घेराव कर सकती हैं जिसकी जिम्मेदारी मेरी ( गहलोत ) की नहीं होगी
101 विधायकों को लेकर राजभवन मार्च –
अशोक गहलोत बाडेबंदी में रुके कांग्रेस व् मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमे के विधायको के साथ मीटिंग कर आज दोहपर 2 बजें 2 बड़ी बस व् एक छोटी बस को लेकर राजभवन कूच कर दिया जिसमे राज्यपाल ने अकेले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वार्ता की वही दूसरी और गहलोत गुट के विधायक ” वी वोन जस्टिस ” विधानसभा का सत्र आहूत करो . अशोक गहलोत तुम संघर्ष करो हम आपके साथ हैं के नारेबाज़ी करते रहें |
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अब राज्यपाल के फेसले का इंतजार –
आज के इस घटनाक्रम के बाद अब यह देखना बड़ा दिलचस्प होगा की राजस्थान की राजनीति किस और जायेगी फिलहाल अभी तक अशोक गहलोत के विधायक राज्यपाल भवन के गार्डन में बेठे हैं
गोरतलब हैं की राज्यपाल में कहा था की कोरोना महामारी के बीच अभी विधान सभा का सत्र बुलाना मुश्किल हैं जिसके बाद अशोक गहलोत को 2 बजे समय दिया गया था लेकिन वह अपनी सभी विधायको को लेकर राज भवन कूच कर चुके हैं
मंत्री रघु शर्मा ने कहा –
राज्यपाल के कोरोना बयाना कर चिकित्सया मंत्री रघु शर्मा ने कहा की वह ” 200 विधायको का कोरोना टेस्ट करवा सकते हैं और हालिमें में राज्यसभा के चुनावों में भी 200 विधायको ने वोट डाला था |
Horse Trading
केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने रची थी राजस्थान सरकार को गिराने की साज़िश कथित ऑडियो वायरल
जयपुर | राजस्थान की राजनीति में आया भूचाल – ऑडियो वायरल कथित ऑडियो में हॉर्स ट्रेडिंग की कोशिश की जा रहीं हैं सबसे ख़ास कांग्रेस सरकार में उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की भूमिका मुख्य मानी जा रही हैं सबसे ख़ास बात बीते दिन ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कह दिया था की उनके पास सबूत है जिसमे यह साफ़ हो जायेगा की ( बीना नाम लियें ) सचिन पायलेट इस हॉर्स ट्रेडिंग में मुख्य भूमिका में हैं और आज एक ऑडियो वायरल हो गया जिसमे कथित तौर पर
केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत व् संजय जैन नामक व्यक्ति का नाम सामने आ रहा हैं जिसमे विधायको के लिस्ट , पैसों का जिक्र सामने आ रहा हैं|
इस ऑडियो वायरल के बाद अब सचिन पायलेट और उनके समर्थन विधायक घिरते नज़र आ रहे हैं
वायरल ऑडियो के कुछ अंश –
नई दिल्ली. राजस्थान में चल रहे सत्ता संघर्ष के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि जिसे जाना है, वो जाएगा। इससे घबराने की जरूरत नहीं है। हालांकि बाद में कांग्रेस और एनएसयूआइ की राष्ट्रीय प्रभारी ने ऐसे बयान से इनकार किया है। सूत्रों ने बताया कि एनएसयूआइ के राष्ट्रीय पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में राहुल ने सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम लिए बिना कहा कि पार्टी छोड़कर जाने वालों से घबराने की जरूरत नहीं है। उल्टे यह लोग युवा पीढ़ी के लिए रास्ते खाली कर रहे हैं। इस बैठक में राहुल गांधी के साथ कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन, प्रभारी रुचि गुप्ता मौजूद रहीं। बयान पर हंगामा मचने के बाद रुचि ने कहा कि राहुल ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है। बैठक को लेकर मीडिया में चल रही रिपोर्ट्स आधारहीन हैं।