राजस्थान की राजनीति में आया – लव जिहाद , इस्लामिक आतंकवाद के घोषित एजेण्डे में हैं ‘‘लव जिहाद’’ – सतीश पूनियां

मुख्यमंत्री गहलोत का ‘‘लव जिहाद’’ पर बयान उनकी  वोट बैंक की ओछी मानसिकता को दर्शाता है: डाॅ. सतीश पूनियां

 

इस्लामिक आतंकवाद के घोषित एजेण्डे ‘‘लव जिहाद’’ का शिकार होकर हमारी अबोध बच्चियां देश में उत्पीड़न की शिकार होती हैं: डाॅ. पूनियां

 

विश्वास नहीं होता कि वोट बैंक की राजनीति के लिए  मुख्यमंत्री गहलोत आप इतना गिर जाओगे: डाॅ. पूनियां

 

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जयपुर, 20 नवम्बर। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा दिये गये ‘‘लव जिहाद’’ के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत का ‘‘लव जिहाद’’ पर बयान उनकी वोट बैंक की ओछी मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की देशभर में हो रही दुर्दशा से वह इतना विचलित हो जाएंगे यह विश्वास नहीं होता, हम सब जानते हैं कि सनातन भारत की परम्परा में विवाह एक धार्मिक और सामाजिक मान्यता प्राप्त संस्कार है यह केवल व्यक्ति की स्वतंत्रता तक सीमित नहीं है।

डाॅ. पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत का यह बयान शर्मनाक है, भारत विश्व का पुरातन सनातन देश है, जहाँ विवाह एक नैसर्गिक संस्कार है, ‘‘लव जिहाद’’ इस्लामिक आतंकवाद का घोषित एजेण्डा है, विश्वास नहीं होता वोट बैंक की राजनीति के लिए आप इतना गिर जाओगे, कांग्रेस की दुर्दशा से विचलित होकर मानसिक सन्तुलन यूँ गड़बड़ होना स्वाभाविक ही है।

डाॅ. पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत ने भाजपा पर लगाया गया आरोप बेबुनियाद है, इस्लामिक आतंकवाद के एजेण्डे ‘‘लव जिहाद’’ का शिकार होकर हमारी अबोध बच्चियाँ देश में उत्पीड़न का शिकार होती हंै, यह जगजाहिर है। ऐसी परिस्थिति में गहलोत का यह बयान निश्चित तौर पर ओछी मानसिकता का परिचायक है।

 

 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने   ” लव जिहाद ” कानून पर क्या कहा था जानें –

एक ट्वीट में गहलोत ने लिखा कि ‘लव जिहाद बीजेपी की ओर से देश को विभाजित करने और सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के लिए बनाया गया एक शब्द है। विवाह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है, उस पर अंकुश लगाने के लिए कानून लाना पूरी तरह से असंवैधानिक है और यह कानून किसी भी अदालत में नहीं टिकेगा। प्यार में जिहाद की कोई जगह ही नहीं है।’

राजस्थान में मुहँ की खाने के बाद संघी भाजपा के चाणक्य भांड मीडिया और नचनिया के मार्फत महाराष्ट्र सरकार को उकसा रहें – क्यों ख़ास हैं आर्थिक राजधानी और मराठी मानुष समझें

व्यंग्य मुंबई पटकथा – सरकार को अस्थिर करने का खेल 

मुंबई  | कांग्रेस मुक्त भारत का सपना देखने वाले संघीय फ़ासीवाद के चाणक्य कहलानें वाले मोटा भाई शांत हैं और अपना चित परिचित खेल शह मात बोलें तो शतरंज खेल रहें हैं अभी प्रथम पंक्ति के छोटे पयादे उछल कूद कर रहें हैं और मुख्य योद्धा अपने राजा की नाकामियों कुशासन कमियों और जनता के दुखों को नज़र अंदाज़ करने का प्रयास कर रहें हैं और खुले आसमान में रोज़गार और बुलेट ट्रेन दिखा रहा हैं आप देखना पसंद करते हो इस लियें जादूगर दिखा हैं जादू कोई मिल गया वाला लेकिन बेरोजगार युवा तनिक समझदार निकला बे – ट्विटर पर 9 बजकर 9 मिनट को प्रथम पंक्ति बोले तो नंबर 1 पर ट्रेडिंग करबा दिया और हमारी मणिकर्णिका दुसरे स्थान पर ही रह गई   |


भांड मीडिया स्वान के मार्फ़त अपने मालिक ठेकेदार के चक्षुओं के किनारों के चाल के अनुसार भोकन्ने का प्रयास प्रतिदिन संध्या काल के पश्चात रात्रि शगुन के पंचाग के दिशा मध्य कालीन पहर चोकड़िया निर्देशानुसार अपने स्टुडियों में राहु ग्रह के प्रतीक काले कपड़े पहने काला चश्मा लगा कर राजा बाबु के अभिनय के जैसे पाइल्स बवासीर  से दुखी प्राणी जैसे उछल उछल अमर्यादित वियाग्रह के अधिक डोज बोले तो ख़ुराक के कारण बोलता है – है संजय राउत कौन हो तुम ….हैं उर्धव ठाकरे कौन हो तुम ……….. – अरे उत्तेजित प्राणी वह जन प्रतिनिधि हैं जनता ने चुना हैं लेकिन भंगिया नशेड़ी तुम कौन हो यह ज्ञान हैं तुम्हें या पिछवाड़े में डंडे के बाद उछल कूद कर रहें हो जो भी कर रहें हो निन्दनीय हैं  !!

 

दूसरी एक बहुप्रतिभा कि धनी शादीशुदा लोगों के घर में ताक छाक करने वाली फिर कीचड़ उछालने में मशगूल रहने का प्रयास लड़ने वाली ट्विटर पर अपनी भड़ास निकाली वाली मोहतरमा शहमात में फँस चुकी हैं इन मोहतरमा का अभिनय तो ख़त्म हो चुका हैं अब बस बचता हैं राजनीति का खेल – मोहतरमा भी बड़ी ज्ञानी हैं बकलोल कर y+ सुरक्षा लेली ग़जब हैं भई !

सूना हैं आज काटी के घोड़े पर मणिकर्णिका के पात्र में अभिनय करते करते इन में झासी की रानी की आत्मीय लगाव ने इन्हें महारानी महूसस करबा दिया बे फिर क्या रे – महाराष्ट को पाकिस्तान और मुंबई को पाकिस्तान अधिग्रहत कश्मीर से तुलना कर दी तो मराठी मानुष को बुरा लगा और चले हाथ mcd ने चलवा दियें बुलडोजर और हथोड़े , मोहतरमा नाराज हो गई और बतयाने लगी – सुन हे उर्ध्र्व ठाकरे आज तूने मेरा घर तोडा हैं बे कल तेरा घमंड टोटेगा ……………….यह समय का पहिया हैं घूमता ज़रूर हैं ! !

mcd कार्यवाही केबाद कंगना

 

 

पंडित को पंडिताइन की चिंता शुद्र को उकसाने का प्रयास – संघीय पृष्टभूमि पूर्व भाजपा प्रमुख मध्य रात्री मुख्यमंत्री की शपथ लेने वाले और सूर्य की किरणों के उदय होते ही हैं इस्तीफ़ा देने वाले देव साब और हिमाचल की पंडताई एक स्वर में बोल रहे हैं और गोस्वामी के उछल कूद करने वाले उत्तेजित वंशज बोले तो तीनों शुद्ध चोटीधारी साथ हैं जैसे अकबर अमर एंटनी माफ़ करियेगा मॉडलिंग क्वीन  मिलकर एक शुद्र ठाकरे को  ललकार रहे हैं |

पैसा बोलता हैं सत्त्ता के पटल पर कहा जाता हैं क्रिकेट के 20 -20 का मामला 30 हजार करोड़ व फिल्मी दुनिया 6 हजार करोड़ के करीब हैं प्रतिवर्ष और समुद्र व भाई का खेल का हिसाब अलग हैं वह जब ही कब्जे में आ सकती हैं जब महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज हो इस के लिये साम दाम दंड भेद चल रहा हैं बाकी चनिया की आज कुछ अकड़ तो ढ़ीली हो चुकी बाकी समझदार को इशारा काफी – बोलो जय सिया राम ! !

राजस्थान की सियासत में अभी खेल बाकी हैं फ्लोर टेस्ट संभव – भाजपा की भी हैं पैनी नजरें

राजस्थान की सियासत में अभी खेल बाकी हैं सचिन पायलेट के जाते ही कांग्रेस संगठन होगा – धराशायी 

सचिन की ख़ामोशी के पीछे छिपे हैं कई राज – कांग्रेस हैं उससे चिन्तितं 

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी कर रहीं हैं मध्यस्ता – मुख्यमंत्री गहलोत व् सचिन पायलेट में 

नंबर गेम में छीपा है बड़ा रहस्य – अभी भी गहलोत खेमे के अंदर के विधायक रुख़ पर नज़र बनाएं रखे हैं किस ओर जायेगे यह बड़ा सवाल हैं 

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राजस्थान सियासत पार्ट 2

पवन देव

जयपुर | राजस्थान की कांग्रेस सरकार में चल रही उठा पठक के बीच अभी कई दांव पेच बचे हैं बीते दिन मुख्यमंत्री गहलोत के शक्ति प्रदर्शन का रहा उन्होंने मुख्यमंत्री निवास पर विधायक दल की बैठक ली जिसके बाद सभी विधायको को  होटल में रुका दिया लेकिन सटीक विधायको की संख्या नहीं बता पायें कभी कहा 109 हैं तो कभी 113 लेकिन एक राय बाहर नहीं आ सकी देर रात सचिन पायलेट ने अभी एक विडियो  जारी कर दिया जिसमे  उनके साथ 17 विधायक दिख रहें हैं और वह अपने खेमे के 30 विधायक बता रहें हैं |

सचिन पायलट – 

सचिन पायलेट कांग्रेस में पिछले 6 से अधिक साल से प्रदेश अध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं उन्होंने युवा शक्ति के साथ मिलकर कर संघर्ष भी किया हैं और 2018 से पहले चर्चा भी थी की कांग्रेस की सरकार बनती हैं तो मुख्यमंत्री पद के दावेदार होगे लेकिन कांग्रेस के पास सत्ता आने पर सचिन को आलाकमान ने दरकिनार कर गांधी परिवार के करीबी और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लम्बी जदोजहद के बाद मुख्यमंत्री बना दिया और सचिन पायलेट को उपमुख्यमंत्री बना दिया तब से ही अशोक गहलोत और सचिन पायलेट के बीच पॉवर गेम चल रहा हैं |

अगर सचिन अब कांग्रेस से दूर जाते हैं तो 

सचिन पायलेट अब कांग्रेस पार्टी को छोड़ते है तो उनके पास 2 रास्ते बचते हैं एक तो भाजपा में जायें जिसके संभावना कम है दूसरा अपनी नई पार्टी संगठन बनाने का जिसमे भी भविष्य क्या होगा कुछ तय नहीं है क्योकिं इससे पहले भी कई बड़े नेताओं ने अपनी पार्टी संगठन बनाया था लेकिन वह सफल नही हो सके लेकिन एक पहलु यह भी सचिन के जाने से कांग्रेस पार्टी कुछ हद तक युवा शक्ति के विरोध हो जायगी जिससे युवा कांग्रेस से दूर चला जायेगा यह कांग्रेस कभी नही चाहती और आगामी निगम – पंचायत चुनावों में भी कांग्रेस मात खा सकती हैं |

भाजपा ने दियें संकेत – फ्लोर टेस्ट हो 

कांग्रेस पार्टी के बीच चल रहीं जंग के बीच भाजपा ने भी दबी जुबा ही सही फ्लोर टेस्ट की मांग कर दी हैं वह कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती आगामी कुछ दिनों में अगर कांग्रेस पार्टी बागी हो रहें सचिन पायलेट को बना नहीं पाती हैं तो राजस्थान में सत्ता परिवर्तन का खेल शुरू होगा और भाजपा पूरी कोशिश करेगी सत्ता हतियाने की |

 

विधायको का गणित – 

कुल विधायक – 200

कांग्रेस – 10 7

भाजपा -72

निर्दलीय -13 ( जहाँ सत्ता में जगह मिलगी )

आर एल पी – 3 ( भाजपा )

सी पी एम् -2 ( मोटे तौर पर कांग्रेस के साथ )

बी टी पी -2  ( जो भी सरकार बनेगी उस के साथ )

आर एलडी -1 कांग्रेस के साथ

नोट – सचिन पायलेट ने अभी वित् मंत्रलाय व् गृह मंत्रलाय व् मुख्यमंत्री पद व् साथ में प्रदेश अध्यक्ष पद की मांग कर रही हैं उपरोक्त सभी मांगो पर सहमती मुश्किल हैं इन मांगो को देखते हुयें सचिन का कोई मूंड नहीं लगता कांग्रेस में वापस आने का |

 

 

 

राज्यसभा चुनाव – 19 सीटों में 8 भाजपा व् 4 कांग्रेस के खाते हैं – राजस्थान में बड़ा खेल

राज्यसभा चुनाव – 19 सीटों में 8 भाजपा व् 4 कांग्रेस के खाते हैं – राजस्थान में रहा रोमांच 

नई दिल्ली | आठ राज्यों में 19 सीटों के लियें  राज्य सभा चुनाव आज  सम्पन्न हुयें , देर रात सभी राज्यों के परिणाम घोषित कर दियें गयें . ख़ास बात यह रही भाजपा पर जो हौर्स ट्रेडिंग के आरोप लग रहे थे वेसा उलटफेर देखने को नहीं मिला . सभी राज्यों के परिणाम जैसे शुरुआत में माने जा रहें थे उसके अनुरूप ही रहें |

राजस्थान में कांग्रेस के दोनों उमीदवार केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी विजय रहें तो भाजपा से राजेन्द्र गहलोत विजय रहें ,मध्यप्रदेश से कांग्रेस से भाजपा का दामन थामने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया विजय रहें साथ ही अन्य भाजपा से उमीदवार सुमेर सोलंकी भी विजय रहें वही कांग्रेस के खाते में सिर्फ एक सीट पर दिग्विजय सिंह  जीत पायें हैं

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक मात्र कांग्रेस के संकटमोचन हैं – 

वैसे तो कांग्रेस पार्टी अपने सबसे बुरे दौर में चल रही हैं कांग्रेस भाजपा के सामने लगभग टूट चुकी हैं लेकिन राजस्थान की राजनीति में जादूगर के नाम से पहचाने जाने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई अहम मौखो पर कांग्रेस को संजीवनी बूटी दे कर बचा लेते हैं |

राजस्थान में बाडेबंदी सफल –

गौरतलब है भाजपा द्वारा कर्नाटक , गोवा ,मध्यप्रदेश ख़ास तौर पर मध्यप्रदेश में सरकार गिराने के बाद अगला नंबर राजस्थान का बताया जा रहा था लेकिन राजस्थान के वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने लम्बे राजनीतिक अनुभव के कारण राजस्थान में अन्य दलों के विधायको को अपने पक्ष में कर अपनी मजबूती दर्शाने में सफल रहें हैं वही राज्यसभा चुनावों से दस दिन पहले ही मुख्यमंत्री गहलोत ने जयपुर के एक निजी होटल में सभी विधायको ,निर्दलीय विधायक, माकपा , बीटीपी व् बसपा के विधायक जो पहले ही कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर चुके हैं का समर्थन हासिल कर चुके है जो की राजस्थान में बहुमत को सिद्ध करता हैं

हालाकिं की भाजपा पर हौर्स ट्रेडिंग के आरोप लगें है जिसकी शिकायत विधानसभा सचेतक व् गहलोत के ख़ास महेश जोशी ने की थी जिसकी जाँच एजेंसी कर रहीं हैं वही भाजपा का आरोप रहा हैं की कांग्रेस व् मुख्यमंत्री भाजपा पर गलत आरोप लगा रहें हैं भाजपा विधायक राजेन्द्र राठोड ने कह चुके है की कांग्रेस बसपा के विधायको को हौर्स ट्रेडिंग कर पहले भी खरीद चुकी है और वह भाजपा पर आरोप लगा रहें हैं |

मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा दलित विरोधी है भाजपा – नीरज दांगी थे निशाने पर 

वेणुगोपाल व् नीरज डांगी

पूर्व मंत्री के पुत्र व् 3 बार विधायक का चुनाव हार चुके नीरज डांगी थे निशाने पर लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत ने पारी संभाली जब जीत पायें हैं दांगी . गौरतलब हैं की राजनेतिक गलियारों में शुरुआत से ही चर्चा थी कांग्रेस पार्टी के कई विधायक नीरज दांगी को हराने के लियें बिसात बिछा चुके है और विधायक तो डांगी को प्रत्याशी बनाने के विरोध में थे इसके चलते ही भाजपा ने लखावत को भी मैदान में उतार दिया था जिसके चलते 3 राज्यसभा सीटो पर 4 उम्मीदवार हो चुके थे यही से राजनीती का असली खेल शुरू हुआ था हालाकिं यह भी सच हैं की चाहे कांग्रेस व् भाजपा वह दलितों को एक तय दायरे में भी रखना पसंद करती हैं ख़ैर राजस्थान में बड़े राजनेतिक ड्रामे के बाद परिणाम वही रहें जो पहले दिन से ही तय दिख रहा था – 1 सीट भाजपा व् 2 कांग्रेस , ख़ास बात यह रहीं जातीय आधार पर केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी दोनों ही अनुसूचित जाति ” दलित वर्ग ” से हैं |

अन्य राज्यों के परिणाम –

आन्ध प्रदेश में वाई आर कांग्रेस ने चार सीटो पर विजय रहीं  , माणीपुर में भाजपा की जीत हुई हैं गुजरात और झारखंड में बीजेपी अपनी स्ट्रैटजी के कारण सीटें हासिल कर ली. गुजरात में जहां बीजेपी 3 सीटों पर जीत दर्ज कर लिया, वहीं झारखण्ड में भी उसे एक सीट पर जीत मिली. वहीं कांग्रेस को1 गुजरात में एक सीट से संतोष करना पड़ा. झारखंड में बाकी के एक सीट पर झामुमो के शिबु सोरेन चुनाव जीते हैं |

स्टोरी – पवन देव

क्या पीएम मोदी और अमित शाह झूठ -जुमलो के सहारे चुनाव जीतना चाह रहे हैं –

Is PM Modi and Amit Shah want to win the elections with the lie

यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक काला अध्याय है, जहाँ प्रधानमंत्री और सत्तारूढ़ दल के मुखिया तथा मुख्यमंत्री स्तर के राजनेता खुलकर चुनावी सभाओं में झूठ बोल रहे हैं, जनता को गुमराह कर रहे हैं, जनहित के मुद्दों से मतदाता का ध्यान हटा रहे हैं, ताकि पूर्व की भांति जनता उनकी लफ्फाजी के चक्रव्यूह में फंस जाए और उन्हें एक बार फिर सत्ता सौंप दे ! 

जयपुर (टीम इकरा पत्रिका)। भारतीय लोकतंत्र को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है, क्योंकि यहाँ बहुत से देशों की कुल आबादी से अधिक करीब 90 करोड़ वोटर हैं। जितने किसी एक देश में तो होने का सवाल ही नहीं है। साथ ही यह वोटर पंचायत और नगर निकाय से लेकर विधानसभा एवं लोकसभा तक का हर पांच साल में चुनाव करते हैं। जनता को नीचे से लेकर ऊपर तक के तमाम लोकतांत्रिक राजाओं को बदलने का अधिकार है। भारतीय लोकतंत्र की एक और विचित्र बात भी है कि यहाँ देश के किसी न किसी कौने में हर वर्ष कोई ना कोई चुनाव होता है। यानी यहाँ चुनाव एक लोकतांत्रिक त्यौहार बन चुका है।

यह बड़ी खूबसूरती है भारतीय लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था की, इसीलिए इसे विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है। लेकिन 70 साल बाद इस बेमिसाल लोकतंत्र पर लोकतंत्र के जरिए ही काले बाद मण्डराने लग गए हैं ! आज हमारा लोकतंत्र जातिवाद, धर्मवाद, वंशवाद, पूंजीवाद, अपराधवाद, घोटालेवाद आदि कई वादों के साथ एक और वाद का भी शिकार हो चुका है तथा वो है झूठवाद ! सियासी बहसों और चुनावी भाषणों में हल्की फुल्की झूठ तो बरसों से चल रही है तथा कमोबेश सभी राजनीतिक दल इसका सहारा लेते रहे हैं।लेकिन तर्क वितर्क की जो हत्या और सफेद झूठ का बोलबाला इस चुनाव में हो रहा है, या पिछले पांच साल के विभिन्न चुनावों में हुआ है, वैसा कभी नहीं हुआ है !

यह भी सच है कि कुछ पार्टियों को छोड़ दें, तो झूठवाद के इस सियासी हमाम में बाकी सभी पार्टियां नंगी नज़र आती हैं। लेकिन यह और खतरनाक तब हो जाता है, जब सत्तारूढ़ दल के नेता और यहाँ तक कि स्वयं प्रधानमंत्री खुलेआम चुनावी सभाओं में झूठ बोलने लग जाएं ! सवाल यह है कि कोई आदमी झूठ क्यों बोलता है ? झूठ तीन वजह से बोली जाती है। पहली सच का सामना करने की हिम्मत नहीं हो। दूसरी वजह किसी बात को छुपाना चाह रहा हो, ताकि उसकी पोल न खुल जाए। तीसरी वजह लोगों को गुमराह कर अपना फायदा उठाने की कोशिश में झूठ बोली जाती है। अगर झूठ बोलने से किसी व्यक्ति विशेष का फायदा और नुकसान होता है, तो वो ज्यादा खतरनाक नहीं होता है, लेकिन अगर झूठ बोलने से किसी राष्ट्र या समाज का नुकसान होता है, तो वो झूठ बेहद खतरनाक होती है !

कुछ ऐसा ही आज हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उनके खासमखास और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तथा भाजपा के बड़े नेता कर रहे हैं। यह लोग जनहित के मुद्दों पर बात करने की बजाए ऐसे मुद्दों पर बात कर रहे हैं, जिनसे लोकतंत्र कमजोर हो तथा इनकी झूठी बातों से मतदाता गुमराह होकर इन्हें पुनः सत्ता सौंप दे। जनता ने इन्हें पांच साल पहले पूर्ण बहुमत की सरकार सौंपी थी, क्योंकि जनता कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार के काले कारनामों से दुखी थी। जनता ने सोचा कि सत्ता बदलनी चाहिए और नरेन्द्र मोदी एवं उनकी टीम को मौका देना चाहिए। क्योंकि इन्होंने अच्छे दिन लाने, विकास, रोजगार आदि लाने का वादा किया था। अब पांच बाद चुनावों में इन्हें यह बताना चाहिए कि हमने विकास कौनसा और कहाँ कहाँ किया तथा रोजगार कितनों को दिया ? लेकिन इन मुद्दों पर यह बात नहीं करते, क्योंकि इन्होंने इन मुद्दों पर पांच साल में कुछ किया ही नहीं।

पांच साल में जिस भी राज्य में विधानसभा चुनाव हुए हैं, घुमा फिराकर यह लोग कश्मीर, पाकिस्तान, मुसलमान, हिन्दू, मदरसे, कब्रिस्तान, शमशान, गौ हत्या, लव जिहाद, जिन्नाह, धर्मान्त्रण, घर वापसी, तीन तलाक, राम मन्दिर, बाबरी मस्जिद, मुस्लिम तुष्टीकरण, हिन्दुओं को खतरा, हिन्दुओं का पलायन, बांग्लादेशी घुसपैठिये, रोहिंग्या जैसे मुद्दों को अपना चुनावी मुद्दा बनाते आ रहे हैं। हाँ, इन मुद्दों में भी यह उच्च स्तर का चयन करते हैं, जिस राज्य में जो फ़िट बैठ रहा हो, उसे पूरी ताकत से उठाते हैं और जो वहाँ फायदेमंद नहीं हो, उस मुद्दे को छोड़ देते हैं। यह लोग रोटी, रोजगार, खेती किसानी, शिक्षा, चिकित्सा आदि जनहित के मुद्दों पर कोई बात नहीं करते, अगर कहीं मजबूरी में करते भी हैं तो घुमा फिराकर फर्जी आंकड़ों व लफ्फाजी का सहारा लेकर करते हैं।

गत दिनों प्रधानमन्त्री ने वर्धा की एक चुनावी रैली में कहा कि हिन्दू आतंकवाद शब्द कांग्रेस की देन है। अब यह बात समझ से परे है कि कांग्रेस ने कब कहा था कि हिन्दू आतंकवादी होते हैं ? अगर कांग्रेस ने ऐसा कहा है तो उसके खिलाफ उसी वक्त मुकदमा दर्ज होना चाहिए था। उन्होंने यह बात विभिन्न बम धमाकों में साध्वी प्रज्ञा और असीमानंद मामले को लेकर कही। लेकिन प्रधानमंत्री जी को मालूम होना चाहिए कि जिस तत्कालीन गृह सचिव आर के सिंह ने इन मामलों को उजागर करवाया या किसी बेगुनाह हिन्दू भाई को आतंकवाद के मुकदमे में फंसवाया, वे भाजपा के सांसद और आपके मन्त्रीमण्डल के सदस्य हैं ! आपने आज तक आर के सिंह पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की ? इसी तरह से एक अप्रेल को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ओडिशा की चुनावी सभा में कहा कि कांग्रेस

हिन्दुओं पर आतंकवादी होने का ठप्पा लगाकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रही है।

7 अप्रेल को कूच बिहार की एक चुनावी सभा में प्रधानमंत्री ने कहा बंगाल विकास से वंचित रहा है। ममता बनर्जी राष्ट्र विरोधी लोगों का समर्थन करती हैं। अगर यह बात सही है तो प्रधानमन्त्री जी आप पांच साल क्या कर रहे थे ? जनता ने देश की चाबी आपको सौंप रखी थी, आपको बंगाल सरकार को बरखास्त कर ममता बनर्जी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करना चाहिए था और फिर बंगाल में विकास की गंगा बहानी चाहिए थी। साथ ही प्रधानमन्त्री जी को यह भी बता देना चाहिए जिन प्रदेशों में भाजपा का राज है, वहाँ कितना विकास हुआ है ? हकीकत तो यह है प्रधानमंत्री जी कि जिस तरह से बंगाल में आम आदमी बुनियादी समस्याओं को लेकर त्राहि त्राहि कर रहा है, उसी तरह से भाजपा शासित राज्यों में भी त्राहि त्राहि मची हुई है !

मोदी जी ने 6 अप्रेल को सोनपुर की एक सभा में कहा कि गरीबी हटाने के लिए सबसे बेहतर जड़ी बूटी है, जिसका नाम है कांग्रेस हटाओ ! इसी दिन उन्होंने नांदेड़ में कहा कि कांग्रेस जनता से किए वादे भूल जाती है ! मोदी जी कांग्रेस को हटाए तो पांच साल हो गए ? फिर आपने इस जड़ी बूटी से जनता की गरीबी दूर क्यों नहीं की ? रही वादों की बात, तो यह सच है कि कांग्रेस अपने वादों को भूल जाती है। लेकिन आपको यह बात कहते शोभा नहीं देती, क्योंकि आपने भी ऐसा ही किया है। यानी आपने जो वादे 2014 के चुनाव में किए थे उनमें से एक भी पूरा नहीं किया !

इसी तरह प्रधानमन्त्री ने 5 अप्रेल को देहरादून में कहा कि अगस्ता हेलिकॉप्टर घोटाले में एपी और फेम दो नाम गिरफ़्तार दलाल मिशेल ने बताए हैं। एपी का मतलब अहमद पटेल और फेम का मतलब फैमिली ! यानी सोनिया गांधी का परिवार। मोदी जी अगर यह सच है तो आपने आज तक एपी और फेम को सलाखों के पीछे क्यों नहीं भेजा ? क्या यह आपकी देश से गद्दारी नहीं है ? क्योंकि जनता ने देश का मुखिया आपको बनाया और आपको यह मालूम है कि एपी और फेम चोर हैं, तो आपके द्वारा उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न करना एक तरह से देश को धोखा देना और चोरों को बचाना है ! क्या जनता यह समझे कि आपने एपी और फेम को बचाने के लिए कोई बड़ा सौदा किया है ?

ऐसे बेशुमार झूठ प्रधानमन्त्री और उनकी पार्टी के बड़े नेता चुनावी सभाओं में बोल रहे हैं। क्योंकि इनसे आसानी से जनता का ध्यान जनहित के मुद्दों से हट जाता है। क्या प्रधानमन्त्री जी को यह नहीं बताना चाहिए कि कितने लोगों को रोजगार मिला ? कालाधन कितना आया और उसका वितरण 15 लाख या उससे कम किस किस के खाते में हुआ ? कितने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई ? इनमें भाजपा के कितने नेता शामिल हैं ? अगर जिनके खिलाफ कार्रवाई हुई है, उनमें एक भी भाजपाई नेता नहीं है, तो क्या भाजपा के किसी भी नेता ने आज तक कोई भ्रष्टाचार नहीं किया है ? चलिए यह तो कुछ कठिन सवाल हैं, सिर्फ इस सवाल का जवाब दे देना चाहिए कि पांच साल में केन्द्रीय सेवाओं में कुल कितनी भर्तियां हुई और आज कुल कितने पद खाली पड़े हैं ? दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा !

लेख़क -एम फारूक़ ख़ान सम्पादक इकरा पत्रिका।

गहलोत सरकार के खिलाफ़ – मुस्लिम

मुख्यमंत्री गहलोत के रवैये से मुसलमानों में कङा रोष –

मुस्लिम थिंक टैंक का मानना है कि राजस्थान में कांग्रेस को सत्ता की चौखट तक पहुंचाने में प्रमुख योगदान मुस्लिम वोटर का रहा है। यहाँ तक कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी मुस्लिम वोटर की एकतरफा पोलिंग से विधायक बने हैं, इसके बावजूद गहलोत ने मुसलमानों को पूरी तरह से नजरअंदाज करने का रवैया बना रखा है। गहलोत के इस रवैये से मुसलमानों में कङा रोष है, जिसका का खामियाजा कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में भुगतान पङ सकता है !
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एक मुस्लिम थिंक टैंक विधानसभा चुनाव परिणाम का अध्ययन कर रहा है। इस अध्ययन और आंकड़ों के आकलन के आधार पर थिंक टैंक का मानना है कि राजस्थान में मुस्लिम वोट करीब 90 फीसदी पोल हुआ है और कुछ सीटों को छोड़कर यह वोट एकतरफा कांग्रेसी उम्मीदवारों को मिला है। जिसके नतीजे में कांग्रेस को 100 सीटें मिली हैं और वो 

हारती हारती बची है। अगर मुस्लिम वोट 20 फीसदी भी कम पोल हो जाता, तो कांग्रेस को 60 सीटें भी नहीं मिलती !


जयपुर। दो महीने पहले राजस्थान विधानसभा चुनाव हुए। जिनमें कांग्रेस को 99 सीटें मिली। हालांकि बाद में रामगढ सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस जीत गई और उसकी कुल 100 सीटें हो गई, बहुमत से एक कम। मतगणना के एक सप्ताह बाद मुख्यमंत्री कौन बने ? के सवाल की जंग खत्म हुई और अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री व सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके कई दिनों बाद मन्त्रीमण्डल का गठन हुआ। मन्त्रीमण्डल में एक मुस्लिम को मन्त्री बनाया गया, जबकि पिछले तीन दशक में जब भी राजस्थान में कांग्रेस की सरकार रही है, तब तीन से कम मुस्लिम मन्त्री कभी नहीं रहे। मन्त्रीमण्डल का

गठन होते ही मुसलमानों में कङा रोष व्याप्त हो गया। जिसकी चर्चा चाय चौपालों से लेकर सोशल मीडिया पर शुरू हो गई। लोगों ने गहलोत के इस रवैये की कङी आलोचना करते हुए नाराज़गी का इजहार किया।

इसके कुछ दिनों बाद विभागों का बंटवारा हुआ और मुसलमानों के नाम पर बनाए गए एकमात्र मन्त्री पोकरण विधायक सालेह मोहम्मद को अल्पसंख्यक मामलात का मामूली मन्त्रालय देकर इतिश्री कर दी। तो मुस्लिम समुदाय में व्याप्त रोष और तीव्र हो गया। फिर एएजी की नियुक्तियां हुईं और उनमें एक भी मुस्लिम एडवोकेट को शामिल नहीं किया गया। जबकि एएजी के नाम पर करीब डेढ़ दर्जन वकीलों की नियुक्ति हुई है। इसके बाद मुस्लिम बुद्धिजीवियों ख़ासकर वकीलों ने कङी नाराज़गी का इजहार किया। कांग्रेस से जुड़े हुए मुस्लिम वकीलों ने एक बैठक आयोजित करने की भी योजना बनाई, हालांकि वो किसी कारणवश आयोजित नहीं हो

सकी। एएजी की नियुक्तियों के बाद अन्दरखाने कांग्रेसी मुस्लिम नेताओं ने भी मुख्यमंत्री गहलोत की आलोचना शुरू कर दी और गहलोत के इस रवैये को पार्टी नेतृत्व तक पहुंचा दिया। इसके बाद एक मुस्लिम एडवोकेट को सरकारी वकील के साथ एएजी बनाया।

सीएम गहलोत के इस रवैये से मुसलमानों में कङा रोष है और मुस्लिम समुदाय अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। सियासी तौर पर जागरूक मुसलमानों का मानना है कि राजस्थान में कांग्रेस को सत्ता की चौखट पर पहुंचाने वाला मुस्लिम समुदाय है। इसके बावजूद गहलोत मुसलमानों को नजरअंदाज कर रहे हैं और वो कांग्रेस को भाजपा की बी टीम बनाने पर तुले हुए हैं, जिसका खामियाजा कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में भुगतान पङ सकता है। इस बीच एक मुस्लिम थिंक टैंक ने विधानसभा चुनाव परिणाम का अध्ययन शुरू किया है और इस थिंक टैंक का मानना है कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार मुस्लिम वोटर की देन है। इस थिंक टैंक ने इकरा पत्रिका से भी सम्पर्क किया और इकरा पत्रिका की टीम ने थिंक टैंक के आंकड़ों और विश्लेषण का अध्ययन किया। यह एक विस्तृत रिपोर्ट है, जो एक लेख में प्रकाशित करना सम्भव नहीं है। इसलिए आगामी अंकों में विस्तार से इस रिपोर्ट पर आधारित लेख प्रकाशित किए जाएंगे। फिर भी कुछ आंकड़े इस लेख में भी प्रकाशित किए जा रहे हैं।

इस थिंक टैंक का मानना है कि राजस्थान में मुसलमानों का वोट करीब 90 फीसदी पोल हुआ है और कुछ मुस्लिम बाहुल्य बूथों पर तो इससे भी अधिक वोट पोल हुआ है। नगर, तिजारा, उदयपुरवाटी, सीकर जैसी कुछ विधानसभा सीटों को छोड़कर यह वोट एकतरफा पूरा का पूरा कांग्रेसी उम्मीदवारों को मिला है। जिसके नतीजे में कांग्रेस को 100 सीटें मिली हैं और वो हारती हारती बची है तथा राजस्थान की सत्ता कांग्रेस की झोली में आई है। इस थिंक टैंक का मानना है कि अगर राजस्थान में मुसलमानों का वोट 20 फीसदी भी कम पोल हो जाता, तो कांग्रेस की 60 सीट भी नहीं आती और वो आज विपक्ष में बैठी होती। इस थिंक टैंक का यह भी दावा है कि कांग्रेस को मुसलमानों के अलावा किसी भी जाति या समुदाय का 65 फीसदी से अधिक वोट नहीं मिला है। कुछ जातियों का तो कांग्रेस को 20 फीसदी से भी कम वोट मिला है, फिर भी कांग्रेस सरकार ने उन जातियों से सम्बंधित नेताओं को मन्त्रीमण्डल और एएजी जैसे पदों पर मुस्लिम से ज्यादा नियुक्तियां दी हैं। इनका आकलन यह भी बता रहा है कि किसी भी जाति का 65 फीसदी से अधिक वोट कांग्रेस को उसी सीट पर मिला है, जिस सीट पर कांग्रेस का उम्मीदवार उसी जाति का था तथा भाजपा या अन्य पार्टी का कोई मजबूत उम्मीदवार दूसरी जाति का था। जबकि मुसलमानों का वोट न सिर्फ मुस्लिम उम्मीदवार वाली सीटों पर बल्कि कमोबेश अन्य सभी सीटों पर भी 90 फीसदी के करीब पोल हुआ है तथा यह एकतरफा कांग्रेस को मिला है। इसके बावजूद सीएम गहलोत मुसलमानों को नजरअंदाज कर रहे हैं।

अगर कांग्रेस के कुछ विजयी उम्मीदवारों को मिले वोट और जीत के अन्तराल का अध्ययन करें, तो मालूम होता है कि वे मुस्लिम वोट की वजह से जीते हैं, यहाँ तक के खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी मुस्लिम वोटों की वजह से विधायक बने हैं। यहाँ कुछ ऐसी ही सीटों के आंकड़े पेश किए जा रहे हैं, जहाँ मुस्लिम वोट 50 हजार से अधिक हैं। इनमें एक सरदारपुरा विधानसभा सीट है, जहाँ से खुद मुख्यमंत्री गहलोत विधायक बने हैं। वे यहाँ से 45 हजार 597 वोटों के अन्तर से जीते हैं और उन्हें करीब 65 हजार मुस्लिम वोटर वाली इस सीट पर एकतरफा मुस्लिम वोट मिले हैं। दूसरी सीट टोंक जहाँ से उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट 54 हजार 179 वोटों के अन्तर से विजयी हुए हैं। तीसरी सीट कोटा उत्तर जहाँ से यूडीएच मन्त्री शान्ति धारीवाल 17 हजार 945 वोटों की लीड से जीतकर विधायक बने हैं। चौथी सीट बीकानेर पश्चिम जहाँ से कैबिनेट मन्त्री बी डी कल्ला 6 हजार 190 वोटों के अन्तर से विजयी हुए हैं। पांचवी सीट झुन्झुनूं जहाँ से बृजेन्द्र ओला 40 हजार 565 वोटों की लीड लेकर विधानसभा पहुंचे हैं। यह सब वो सीट हैं जहाँ मुसलमानों के 50 हजार से अधिक वोट हैं और वे एकतरफा कांग्रेस के खाते में डले हैं।

लेख़क -एम फारूक़ ख़ान सम्पादक इकरा पत्रिका।

राजस्थान – भाजपा कर सकती है वापसी – जाने ख़ास रिपोर्ट

तीसरा मोर्चा गठबंधन के बंदर बाट में लगभग तय है – भाजपा की वापसी 

जयपुर | राजस्थान विधानसभा चुनावों में अभी एक महीने का वक्त है लेकिन आज https://politico24x7.com की टीम ने   जमीन स्तर और आकड़े जांचे तो चौकाने वाले तथ्य सामने आ रहे है ,जिसके आधार पर भाजपा राजस्थान में वापसी कर सकती है आसानी से – जानें

तीसरा गटबंधन मात्र – बातो और मीटिंगों ने –

राज्य में भाजपा और कांग्रेस को हराने के लिए ऐसे तो लम्बी राजनेतिक पार्टियों की जम्बो लिस्ट है लेकिन उन

सभी पार्टियों में कुछ अहम देखने को मिल रहा ,वैसे तो अभी जयपुर में MI ROAD पर एक निजी होटल में कुछ पार्टियों के मीटिंग हुई है लेकिन सिफ बाते – एकजुट होने के कोई संकेत नहीं मिले |

भाजपा ने बदले – 60% से अधिक प्रत्याशी –

भाजपा के चाणक्य अमित शाह राजस्थान में मुख्य रूप से सक्रिय है प्रतिदिन की मीटिंग के मीटिंग मिनिट्स तक उन तक पहुँच रही है भाजपा कार्यलय में अभी कुछ समय पहले हुई मीटिंग में अमित शाह ने साफ कह दिया था की जिला अध्यक्षों को टिकट नहीं मिलेगा चाहे तो पार्टी छोड़ सकते है जिसके बाद सभी जिलाध्यक्ष अपने संघटन के कार्य में लग गए वेसे लगभग सभी जिलाध्यक्ष टिकट की लाइन में थे , साफ़ इशारा रहा अमित शाह का पार्टी संगठन को वो किसी भी कीमत में टूटने नहीं देखे ,

60% से अधिक प्रत्याशी होगे नये – 

सूत्रों के अनुसार इस बार भाजपा में दिग्गजों के साथ कई बड़े नेता ओं की टिकट कट रहे है तथा उनको संघटन को मजबूत करने का कार्य दे दिया है ,इसके साथ ही 34 SC तथा 25 ST सीटों पर प्रत्याशी बदल दिए गए है ,इसके बाद 70 वर्ष से अधिक उम्र के उमीदवारो को मार्गदर्शन मंडल में रखने का मूड अब भाजपा ने बना लिया है |

उपरोक्त समीकरणों को देखने पर साफ़ पता लग रहा है की कितने नए प्रत्याशी इस बार चुनावी मैदान में है |

कांग्रेस आलाकमान है चिंता में – 

राजस्थान में तीसरा मोर्चे की जितनी भी पार्टिया मैदान में है वो सब कांग्रेस के वोट बैंक को ही शेयर कर रही है अब अंदुरनी खाने में गहलोत साहब से लेकर मुख्यमंत्री का सपना देख रहे सचिन पायलेट तक इस ख़तरे से परिचित है , जबकि कुछ समय पहले सचिन पायलेट ने कहा था की कांग्रेस किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी जिसके बाद सचिन पायलेट ने कहा था की सामान विचारधारा की पार्टियों के साथ बातचीत के सभी रास्ते खुले है – यह इशारे कुछ तो संकेत दे रहे है |

ख़ास नज़र – तीसरा मोर्चा जो सिर्फ बातों में है शामिल – 

गौरतलब है राजस्थान में इस बार लगभग 50 से अधिक सिम्बल देखने को मिल सकते है हर विधानसभा सीट से ,  वही तीसरे मौर्चे की बात करे तो अनगिनत पार्टिया/ संगठन इस बार चुनावी मैदान में है जैसे – लोहियावादी ,अम्बेडकर वादी ,माक्सवादी मिलकर चुनाव लड़ने वाले है तो अन्य जैसे भाजपा से बागी घनश्याम तिवाड़ी { भारत वाहनी पार्टी },हनुमान बेनीवाल {आगामी समय में जयपुर में रैली कर घोषणा करने वाले है } चन्द्र राज सिंघवी { निर्दलीय मंच } ,बसपा , आप ,राजपा , NPF  ,IPGP  ,नया भारत पार्टी , अभिनव पार्टी DSP अधिकार दल ,SDPI  जैसी अनेक पार्टिया अपना -अपना अलाप गा रहे है लेकिन यह ख़ास बात है अब चुनावों में कम समय बचा है लेकिन सिर्फ – बाते ही नज़र आ रही है अब जिस भाजपा को हराने के लिए यह सभी पार्टिया प्रयासरत है लेकिन आपसी मन -मुटाव / मन -भेद में गठबंधन होता नज़र नहीं आ रहा है अगर अब यह सभी पार्टिया अपने 200 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारती  है तो नुकसान कांग्रेस को ही होने वाला है जबकि भाजपा का 15% वोट बैंक तो फिक्स ही है ,एक थ्योरी”  मेनुएपुलेट डेटा ” के  सिदांत को माने तो वर्तमान समीकरण के अनुसार ” भाजपा “को फायदा होता नज़र आ रहा है अगर भाजपा इस बंदर बाट में सत्ता में वापसी कर जाए तो आश्चर्यजनक नहीं होगा |

 

#MeToo आरोपों में घिरे – भाजपा विदेश मंत्री , राहुल गाँधी ने माँगा इस्तीफा – जाने यहाँ

भारत में इन दिनों एक ख़ास अभियान चल रहा है #MeToo इसमें महिलाऐं समाज और बड़े लोगो द्वारा महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार ,छेड़ छाड़ की घटनाओं पर सामने आ कर विरोध कर रही है , इसमें हाली में  नाना पाटेकर , MJ अकबर , आलोकनाथ भट्ट ,केलाश ख़ैर ,चेतन भगत

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आदी नामी लोगों पर छेड़ छाड़ के आरोप लगाये गए है |

भाजपा के विदेश मंत्री पर भी लगे आरोप –

जाने -माने पत्रकार व् वर्तमान में विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर पर भी  ‘प्रीडेटरी बिहेवियर’ के आरोप हैं ” जिसमे युवा महिला को मीटिंग के नाम पर होटल के कमरे में बुलाना ” जैसे आरोप है

राहुल गाँधी – 

#MeToo अभियान में भाजपा विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर पर लगे आरोपों के बीच कांग्रेस के राष्ट्रिय अध्यक्ष राहुल गाँधी ने ट्वीट कर इस्तीफ़ा माँगा है है वही भाजपा  केन्द्रीय मंत्री महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि राजनेताओं पर लगे आरोप की जाँच होनी चाहिए पिछले कुछ दिनों के भीतर ही अभिनेताओं, पत्रकारों, लेखकों और फिल्मकारों पर आरोप लगे हैं |