कोविड19 –  जन कला साहित्य मंच संस्था सामाजिक कार्यो में अग्रणी – सेनीटाइज मशीनें , सुखा राशन वितरण कार्यक्रम निरंतर जारी –

 

कोविड -19 राहत अभियान –

 

संस्था समन्वय – नरेंद्र महावर द्वारा जन सहयोग

 

जयपुर | कोविड 19 व् लॉक डाउन के चलते स्लम क्षेत्र में निवास करने वाले नकारात्मक रूप से प्रभावित पीड़ित परिवारों एवं उनके आश्रितों तथा कोरोना की वज़ह से बेरोजगार हुवे परिवारों को जन कला साहित्य मंच संस्था मानसरोवर जयपुर ,निरंतर उन्हें रहत पहुंचाने के कार्य में लगी हुई है |

इस दौरान बेघर हुवे बच्चों को आश्रय देना,भोजन-पानी की व्यवस्ता करना, उनको मानसिक पीड़ा से राहत हेतु मनोरंजन व् योगा जैसे कार्य क्रम  संचालित कर रही है |

इसके लिए संस्था समाज सेवकों, संस्थाओं के साथ मिलकर सहयोग कर रही है , संस्था ने सामाजिक कार्यकर्ता पवन देव  ,एवं संस्था समन्वयक नरेन्द्र महावर , अजय , शाहिस्ता , कीर्ती एवं रेखा के सहयोग से बाबा रामदेव नगर कच्ची बस्ती,एवं भिश्तियों का मोहल्ला रामगंज बाज़ार  में 80 पैकेट सुखा राशन वितरण किये ।

 

जन सहयोग – संस्था कार्यकर्ता शाहिस्ता जी द्वारा

 

 

कोविड-19 राहत अभियान 2021द्वारा 5 सेनीटाइज मशीनें नगर निगम को भेंट की गई

कोरोना महामारी से पीड़ित परिवारों एवं उनके आश्रितों तथा कोरोना की वजह से बेरोजगार हुए परिवारों को पिछले 15 दिनों से जन कला साहित्य मंच संस्था, लाइफ मेडिकेयर हेल्पलाइन सोसायटी, उत्कर्ष संस्था ,अपना घर मानसरोवर ,जयपुर चाइल्ड लाइन 1098 तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा गठित कोविड-19 राहत अभियान के माध्यम से अब तक 5000 से अधिक लोगों को भोजन एवं राशन सामग्री वितरित की जा चुकी है इसके अलावा बीमारी से ग्रसित व्यक्तियों को उनकी आवश्यकता अनुसार हॉस्पिटल, बेड ,ऑक्सीजन आदि मदद की जा रही है |

आज कोविड राहत अभियान 2021 के अंतर्गत कोरोना से पीड़ित परिवारों एवं उनके आसपास के घरों को सैनिटाइज करने हेतु 5 सैनिटाइजर मशीनें जयपुर ग्रेटर नगर निगम की फायर कमेटी के चेयरमैन व पार्षद पारस कुमार जैन को भेंट की गई |

इस अवसर पर जन कला साहित्य मंच संस्था के सचिव कमल किशोर लाइफ मेडिकेयर हेल्पलाइन सोसायटी के सचिव डॉ सतीश गुप्ता एवं जयपुर चाइल्ड लाइन 1098 की समन्वयक जया शशि सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र कुमार ,दिनेश चंद्र,  पूजा दायमा आदि मौजूद रहें |

 

संस्था द्वारा जन सहयोग – सामाजिक कार्यकर्ता कीर्ति द्वारा

इन सैनिटाइजर मशीनों का उपयोग मानसरोवर क्षेत्र में किया जाएगा प्रत्येक मशीन के माध्यम से प्रतिदिन करीब 50 घरों को सैनिटाइज किया जाएगा ।

जयपुर शहर की विभिन्न बस्तियों में भोजन सामग्री का वितरण किया जा रहा है और हॉस्पिटलों में तथा होम आइसोलेशन में रह रहे परिवारों को भी भोजन सामग्री पहुंचाई जा रही है |

भट्टा बस्ती क्षेत्र – बाल श्रमिक को कारखाने मालिक ने भयंकर मारपीट कर आधी रात में भगाया

जयपुर | जयपुर का भट्टा बस्ती क्षेत्र बाल श्रमिको का केंद बना हुआ है लम्बे समय से वही भट्टा बस्ती शास्त्री नगर पुलिस थाने की कारवाई हमेशा संदिग्ध रहती है उसका ही ताजा उदाहरण आज देखने को मिला . जिसमे एक चूड़ी कारखाने में कार्यरत बाल श्रमिक को लॉक डाउन के समय में ही चूड़ी कारखाने के मालिक ने भयंकर रूप से मारपीट कर घर से भगा दिया जिसके बाद बाल श्रमिक ( रिंकू परिवर्तन नाम )   उस क्षेत्र से  डर के कारण भाग गया . बाद में वह बाल श्रमिको के लियें कार्यरत संस्था चाइल्ड राइट वॉच ग्रुप के संयोजक बसंत हरियाणा  के सम्पर्क में आया जिसके बाद बच्चे को बाल कल्याण समिति के सौपा गया |

चाइल्ड राइट वॉच ग्रुप के संयोजक बसंत हरियाणा ने कहा –

दिनांक 24 मई रविवार 2020 को मुझे बसन्त हरियाणा को सूचना प्राप्त हुई कि भट्टा बस्ती थाना क्षेत्र में एक बाल श्रमिक जिसे उसके कारखाना मालिक द्वारा भयंकर रूप से मारा गया था। वह मार खाने के बाद वह बालक भाग कर दो दिन तक भट्टा बस्ती क्षेत्र में ही इधर उधर छिप रहा हैं । दो दिन बाद जब उस पर नज़र क्षेत्र के ही कुछ संवेदनशील और जागरूक नागरिको की पड़ी तो उन्होंने उसे भट्टा बस्ती थाने में सुपुर्द कर दिया। कुछ देर बाद भट्टा बस्ती पुलिस उपरोक्त कारखाने के मालिक को भी पकड़ कर ले आई लेकिन अफ़सोस कुछ देर बाद ही उस कारखाने मालिक को छोड़ दिया गया |

Baal majdur – jaipur { f .p }

उस बालक (बाल श्रमिक) को जब वह थाने वाले बिना किसी ज़िम्मेदारी के छोड़ रहे थे तब उसी क्षेत्र के जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता  ज़ाहिद निर्बान ने उस बच्चे को अपने सामाजिक सरोकार व मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए अपने सरंक्षण में ले लिया, उसके पश्चात इसकी सूचना ज़ाहिद निर्बान द्वारा बसन्त हरियाणा को दी गई ।

उपरोक्त समस्त घटनाक्रम की सूचना बसंत हरियाणा द्वारा श्री राजीव पचार, डी सी पी (उत्तर) को उपलब्ध कराई उसके बाद  राजीव पचार द्वारा उपरोक्त घटना की गम्भीरता और सवेदनशीलता समझते हुए तुरन्त प्रभाव से  ज़ाहिद निर्बान के पास अपनी एक टीम भेजी उपरोक्त टीम द्वारा जो बच्चा (बाल श्रमिक)  ज़ाहिद निर्बान के सरंक्षण में था उसकी निशानदेही के आधार पर उपरोक्त कारखाने से दो बच्चों को और बरामद किया, दोनो बच्चो की फ़ोटो भी उपलब्ध है जो कि थाने में ही ली गई थी।

जब शाम को इस संदर्भ में भट्टा बस्ती थाने में सूचना प्राप्त की तब पता लगा कि सिर्फ जिस बच्चे के साथ मारपीट की गई थी उसी के सन्दर्भ में कानूनी औपचारिकता पूरी कर उपरोक्त बालक(बाल श्रमिक) को बाल कल्याण समिति के सुपुर्द किया गया एवं बाकी दोनो बच्चो के बारे में उन्होंने साफ इंकार कर दिया कि उनके बारे में हमे (भट्टा बस्ती थाना) को कोई जानकारी नही है।

अब चाइल्ड राइट वॉच ग्रुप के संयोजक बसंत हरियाणा  ने राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व् बाल संरक्षण आयोग को चिट्टी लिख कर भट्टा बस्ती क्षे त्र में अवैध रूप से कार्यरत चूड़ी कार खाने व् उनमें  कार्यरत बाल श्रमिको की दयनीय स्थिति व् उन्हें मुक्त कराने हेतु करवाई की मांग की है |

 

 

राजस्थान अब  ” दलितअत्याचारस्थान ” – लॉक डाउन के समय में दलितों  अत्याचारों में बढ़ोतरी – प्रशासन की करवाई संदिग्ध

लॉक डाउन की आड़ में दलित अत्याचार चरम पर –

जयपुर |  यूपी के संभल की ताजा घटना आप को याद होगी की किस प्रकार दलित नेता  { पिता – बेटे  } की किस प्रकार सभी गांववासियों के सामने गोली मार के हत्या कर दी गई थी अकसर हमारे सामने यूपी की घटना तो सामने आती है लेकिन अब राजस्थान भी दलित .वंचित व् गरीबो पर अधिक हत्याचार हो रहे हैं वैसे  वर्तमान समय में दलित हत्याचार के मामलो में राजस्थान प्रथम स्थान पर है   

राजस्थान के युवा सामाजिक कार्यकर्ता रवि कुमार मेघवाल ने कहा –

 

वर्तमान लॉक डाउन के समय में जब लोग अपने घरो में केद है फिर भी दलितों पर अत्याचार

सवर्णों द्वारा अधिक हो रही है जैसे –

गांव सूरतपुरा, मंडावरी  पुलिस थाना, लालसोट (राज. ) प्रकरण 

दिनांक 15 मई 2020 को सुबह 7 :30 बजे  सुरतपुरा डालिया की ढाणी मैं एक दलित परिवार के सदस्यों में गाय के खेतों में घुसने संबंधित  विवाद हो गया था जिसके बाद झगड़े में कुछ दलित परिवार के सदस्यों को गंभीर चोट आई वह स्थानीय अस्पताल में अपना इलाज करा रहें थे जब पुलिस प्रशासन को घटना की जानकारी हुई तो पुलिस पीडितो के घर जाकर जांच करने के बजायें पीड़ित परिवार के बच्चे महिला व्  बुर्जुर्ग को बुरी तरह से पीटा जब परिवार के अन्य सदस्य उन्हें छोड़ने के लियें कहा तो पुलिस ने अतरिक्त पुलिस बुला कर बीना वर्दी के पीड़ित दलित परिवार के घर में तोड़फोड़ की वही सभी लोगो को बुरी तरह से पीटा जिससे परिवार दशहत में है अब सवाल यह है की पुलिस को पीड़ित परिवार को मारने का हक्क किसने दिया और क्यों नहीं पीड़ित दलित परिवार की FIR दर्ज क्यों नहीं की , अब इस केस में सामाजिक लोग बड़े अधिकारीयों से मीटिंग कर रहें है ताकि पीडितो को न्याय मिल सके |

किशनगढ़ रेनवाल के गाँव -लुनिवास की घटना 

दिनाँक 30 अप्रैल 2020 को गांव लुनियावास निवासी पीड़ित सुभाष वर्मा की बकरी पड़ोसी के खेत मे जाने को लेकर हुई कहासुनी से मामला यहां तक बढ़ गया कि आरोपी कुल्हाड़ी,डण्डे लेकर जातिसूचक शब्दो से अपमानित करते हुए दलित परिवार के घर पर जानलेवा हमला कर दिया और परिवार से मारपीट की , जिसका वीडियो सोशल मिडिया पर वायरल हो रहा है

अगले दिन 01 मई 2020 को पीड़ित सुभाष वर्मा रेनवाल पुलिस थाने जाकर मामला दर्ज करवाने के लिए रिपोर्ट दी, लेकिन पुलिस प्रशासन की ओर  दिनाँक 14 मई 2020 तक मामला दर्ज नही किया। अब जब सामाजिक कार्यकर्ता ओं  ने fir दर्ज करने का दबाब प्रशासन पर बनाया जब जाकर अब पुलिस प्रशासन ने FIR दर्ज की है वह आरोपीयो पर अभी तक कोई कार्यवाई नहीं हुई है जिनमे आरोपी मुकेश जांगिड़, उत्तम शर्मा, जगदीश कुमावत, चंद्रप्रकाश शर्मा है। जो आज तक खुलेआम घूम रहे है और पीड़ित पक्ष को धमकियां दे रहे है।

अब पीड़ित पक्ष अपना बचाओं करते आरोपियों के डर दहशत में जीवन जी रहें है लेकिन प्रशासन ने कोई कार्यवाही नहीं की |

सीकर जिले के नीमकाथाना में दलित परिवार की जमीन हडपने का प्रयास – दलितों के साथ मारपीट 

सीकर जिले के नीमकाथाना की ग्राम डुडियों की ढाणी में बलाई समाज  के परिवार पर अचानक लगभग एक दर्जन जाट समुदाय के महिपाल, रोहितास, बाबूलाल, सुरेश,गणपत, वंशीधर, धर्मपाल, सुखराम, सुवा राम,झुमा देवी,कोयली देवी ( fir में  दर्ज नाम )  लोगो ने धारदार हथियारों से हमला कर दिया जिससे रामकिशन के परिवार को गम्भीर चोटे लगीं हैं।

पीड़ित के परिजनों ने बताया कि उक्त लोगो ने काफी बार अनुसूचित जाति के परिवार पर हमला करने का प्रयास किया है। व खुलेआम जातिसूचक गालियां देते हैं।

पीडित परिवार के परिजन रामकिशन ने बताया कि उक्त परिवार अवैध खनन जैसे काम करता है व पिछले काफी समय से हमारी जमीन पर कब्जा करने का प्रयास करते हैं। हम इसका विरोध किया तो हमला कर दिया।पीड़ित परिवार ने सदर थाना नीमकाथाना में 20 मई 2020 बुधवार को fir दर्ज 0137/20 करवाई है।

उपरोक्त दलितों पर अत्याचार तो वह है इस लॉक डाउन के समय जो सुर्खियों में जिनका सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके है तो आप देख सकते हैं की राजस्थान में सवर्णों द्वारा दलितों पर अत्याचार हो ही रहें है साथ ही अब तो सवर्ण अधिकारी जो प्रशासन में बठे है दलितों पीडितो की fir तक दर्ज नहीं  करते जो की स्थानीय कांग्रेस सरकार व् प्रशासन के लियें शर्म की बात हैं अब पीडितो के लियें समाज के लोग व् युवा साथी आगें आ रहें हैं |

राजस्थान में 50 हजार से अधिक पदों की व् 3 दर्जन से ज्यादा भर्ती परीक्षाएं इस महामारी के बीच अटक गई हैं – ईरा बोस

प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहें बेरोजगार युवा की समस्या समझे – मुख्यमंत्री गहलोत

कोरोना वैश्विक महामरी ने जहाँ सभी वर्गों को बुरी तरह से प्रभावित किया है वही लम्बे समय से प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले युवा बेरोजगारों को भी कुछ समझ ही नहीं आ रहा की आगे क्या होगा या कहें उनके अरमानों पर पानी सा फिर गया है |

अभ्यर्थी पहले से ही लेट लतीफी का शिकार होते रहें है अब वह भर्तियों के समय पर पूरा होने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन कोरोना लॉक डाउन ने बेरोजगारी के साथ नौकरी का लंबा इंतजार करा दिया है।

राज्य में लगभग 50 हजार से अधिक पदों की 3 दर्जन से ज्यादा भर्ती परीक्षाएं इस महामारी के बीच अटक गयी। किसी भर्ती की घोषणा हो जाने के बाद विज्ञापन जारी नही हुआ तो कही विज्ञापन जारी हुई भर्ती का परीक्षा आयोजन नही

मुख्यमंत्री – राजस्थान
अशोक गहलोत { फ़ाइल् फोटो }

हुआ, जिनकी परीक्षाएं हो गयी वहां परिणाम जारी नही हुआ, जहां परिणाम जारी हो गया वहा नियुक्ति अटक गई। वहीं कई भर्तियां वर्षो से लंबित है उन पर भी एक बार संकट के बादल मंडराने लग गए। प्रदेश के युवा बेरोजगार इन तमाम भर्तियों को बहाल करने की मांग कर रहे हैं।

 

भर्तियां जिनके परिणाम या नियुक्ति लंबित है –

1.एलडीसी भर्ती 2018 11322 पदों पर विभाग और जिला आवंटन के साथ नियुक्ति बाकी
2. वरिष्ठ अध्यापक भर्ती 2018 9000 पद
3. वरिष्ठ अध्यापक भर्ती 2018 संस्कृत शिक्षा विभाग 690 पद
4. स्कूल व्याख्याता 2018 5000 पद
5. PRO भर्ती 2018 23 पद साक्षात्कार व नियुक्ति बाकी
6. सहायक सांख्यकी अधिकारी भर्ती 2018 225 पद
7. NTT भर्ती 2018 1310 पद
8. प्रयोगशाला सहायक भर्ती (चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग) 2018 1534 पद
9. सहायक कृषि अधिकारी 2018 134 पद
10. RPSC AEN 2018 916 पद
11.कनिष्ठ अनुदेशक भर्ती 2018 402 पद

भर्तियां जो कोर्ट में लंबित है-

  1. RAS भर्ती 2018 1017 पद
  2. कृषि पर्यवेक्षक 2018 1832 पद
  3. महिला सुपरवाइजर 2018 180 पद
  4. महिला सुपरवाइजर आंगनबाड़ी 2018 309 पद
  5. प्रयोगशाला सहायक भर्ती 2018(शिक्षा विभाग) 1200 पद
  6. अग्निशमन वाहन चालक 2015
    7.विद्यालय सहायक भर्ती 2015 33456 पद

भर्तियां जिनकी परीक्षाएं होना बाकी है-

  1. पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2020 5000 पद
  2. पटवारी भर्ती 2020 4620 पद
    3.JEN भर्ती 2020 1098 पद
    इनके अलावा RPSC की कई भर्तियां है जिनका परीक्षा आयोजन लंबित है।

भर्तियां जो कई वर्षों से लंबित है –

  1. वरिष्ठ अध्यापक 2013 रिशफल पर नियुक्ति बाकी
  2. एलडीसी भर्ती 2013 पिकअप सूची पर विभाग आवंटन ओर नियुक्ति बाकी
  3. पंचायती राज एलडीसी भर्ती 2013 10029 पद
  4. विद्यायल सहायक भर्ती 2015
  5. परिचालक भर्ती 2011
  6. पंचायतीराज RSR भर्ती 2013
  7. आयुर्वेद नर्सिंग भर्ती 2013

वर्तमान समय में प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों की सरकार से मांग है की वह

कोरोना काल मे उनका किराया माफ किया जाए ओर कोचिंग फीस वापस दी जाए या उसी फीस में वापस अध्ययन कराया जाए। इस संदर्भ में युवा हल्ला बोल संगठन ने ट्विटर पर मांग उठाकर किराया माफी की बात सरकार तक पहुचाई। ईरा बोस ने बताया कि दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने युवा हल्ला बोल के ट्विटर मांग पर किराया माफी पर सहमति जताकर किराया माफ़ भी कर दिया। तथा राजस्थान सरकार से भी किराया माफी ओर कोचिंग फीस के संदर्भ में उम्मीद है।

ईरा बोस

 

युवा हल्ला बोल संगठन का राजस्थान सरकार निवेदन किया है  कि एलडीसी, वरिष्ठ अध्यापक जैसी तमाम भर्तिया जिनमे नियुक्ति लंबित है जल्द से जल्द नियुक्ति देकर युवाओ को रोजगार के अवसर प्रदान करे। जो भर्तियां कोर्ट में लंबित है उनका जल्द से जल्द निस्तारण कराया जाए। नई भर्तियों के विज्ञापन जारी किए जाए, लंबित परीक्षाओ के लिए कोरोना लॉकडाउन के अनुसार रणनीति बनाई जाए ताकि समय पर परीक्षा कराई जा सके।

ईरा बोस : प्रदेशाध्यक्ष युवा हल्ला बोल राजस्थान ने कहा –

RSSB एलडीसी भर्ती 2018 जिसका विज्ञापन 16 अप्रैल 2018 को जारी हुआ जिसे 25 माह पूरे हो चुके। लेकिन अब तक नियुक्ति नही मिल पाई। प्रदेश के समस्त नव चयनित 11322 कनिष्ठ सहायक आर्थिक एवं मानसिक तनाव में है। सरकार से आग्रह है कि जल्द से जल्द हमारे विभाग, जिला आवंटन करके नियुक्ति प्रदान करे जिस से इस बेरोजगारी के चंगुल से निकल सके।

प्रकाश सैनी- चयनित कनिष्ठ सहायक, नावा नागौर

इन भर्तियों में एलडीसी भर्ती 2018 एक बहुचर्चित भर्ती रही है। गौरतलब है कि 16 अप्रैल 2018 को भर्ती का विज्ञापन जारी हुआ। 12, 19 अगस्त, 9, 16 सितंबर 2018 को भर्ती के एग्जाम हुए। लिखित परीक्षा, 3 गुना परिणाम, दक्षता परीक्षा, 1.5 गुना चयनितों के दस्तावेज सत्यापन के बाद 14 फरवरी 2020 को अंतिम परिणाम जारी हुआ। करीब 3 महीने के इंतजार के बाद प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा 4 मई 2020 को विभाग व जिला आवंटन हुआ लेकिन आंवटन में हुई गड़बड़ियों के चलते सूची रदद् कर दी गई। अब चयनितों को पुनः विभाग व आवंटन सूची का इंतजार है। वहीं भर्ती में कम किये गए 587 पदों का मामला भी गरमाया हुआ नज़र आ रहा है। इसके लिए दर्जनों विधायको एवं कुछ मंत्रियों ने भी सरकार को पत्र लिखकर अवगत कराया। इतना ही नही इस भर्ती में 2013 के बेकलॉग पद भी जुड़ना बाकी है जिसका कार्य प्रगतिशील है। युवा हल्ला बोल राजस्थान, प्रदेशाध्यक्ष ईरा बोस ने बताया कि इस भर्ती के चयनित काफी अवसाद वे मानसिक तनाव में है। सरकार को जल्द से जल्द विभाग, जिला आवंटन सूची जारी करके नियुक्ति देनी चाइये ओर कम किये गए 587 पदों व बेकलॉग के पक्ष में निर्णय लेना चाइये। अब तक विगत एक महीने में एलडीसी चयनित काफी बार ट्विटर वॉर अभियान चलाकर नियुक्ति की मांग कर चुके है। पिछले सप्ताह से एलडीसी नियुक्ति ट्विटर हैशटेग काफी कई बार ट्रेंड कर चुका है।

भर्तियां जिनके आवेदन मांगे जाने बाकी है –

1. स्टेनोग्राफर भर्ती 2018 1111 पद
2. फार्मासिस्ट भर्ती 2018 1736 पद
3. पुस्तकालयाध्यक्ष भर्ती 2018 500 पद
4. वन रेंजर भर्ती 2018 169 पद

इनके साथ बजट में घोषित तमाम भर्तियों के विज्ञापन लंबित। REET शिक्षक भर्ती एवम व्याख्याता भर्ती जिसकी घोषणा मुख्यमंत्री महोदय कर चुके उनका आयोजन तय समय पर किया जाए। तथा REET भर्ती का पाठ्यक्रम जल्द से जल्द जारी किया जाए।

आपका ज़मीर आख़िर जिन्दा क्यों है – 21 वीं सदीं में इंसान मलमूत्र में अपना मुहँ दे रहा है

Why is your conscience alive – in the 21st century man is giving his mouth in excreta

राजस्थान . जयपुर | भारत देश आज परमाणु सम्पन्न है और विश्व पटल पर अपनी एक साख रखता है लेकिन जमीनी स्तर पर आज भी कुछ ऐसे अमानवीय द्रश्य हमारी आखों के सामने आ जाते है की हम अपने आप से ही कई सवाल कर बैठते थे आख़िर ऐसा क्यों – आज़ादी के 70 साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी हमारे समाज के कर्णधार समाज ” वाल्मीकि ” जिन्हें अलग – अलग राज्यों में अलग -अलग नाम से जानते है जैसे राजस्थान में में वाल्मीकि .भंगी .मेहतर .झडमाली . हलालखोर . चुह्दा ,राउत ,हेमा . डोम .डोमर .हाड़ी ,लालबेग आदी तमाम नाम लेकिन इनका काम सिर्फ – सफाई करना है चाहे रोड पर हो या गटर – सीवरेज |

आज़ादी के बाद इस वंचित समाज को क्या मिला –

भारत देश 15 अगस्त 1947 में आज़ाद हो गया देश की सत्ता अब देश के नेताओं के पास आ गई देश के पहले प्रधानमंत्री बनने का गौरव पंडित जवाहर लाल नेहरु को मिला ,उनका पहला देश को संबोधित करने वाला भाषाण एक विजनरी था जिसकी चर्चा आज भी होती है | देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था बनी और 26 जनवरी 1950 को डॉ बाबा साहब अम्बेडकर के अध्यक्ष्यता में ” भारत के संविधान का निर्माण हुआ और लागू हुआ जिसके अंतर्गत देश के सभी व्यक्तियों को सामाजिक ,आर्थिक और राजनेतिक न्याय ,विचार अभिव्यति , धर्म , प्रतिष्टा ,अवसर की समानता आदी अधिकार मिले लेकिन यह वाल्मीकि समाज के लियें उधार सा प्रतीत हो रहा है आज भी |

sabir kureshi pic – shashtri nagar . jaipur .

लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भारी – सामाजिक व्यवस्था

भारत देश में एक अभिशाप व्यवस्था है जिसे वर्ण व्यवस्था कहते है इस व्यवस्था ने वंचित वर्ग की जातियों को अद्रश्य गुलामी की बेड़ियों में इस कदर जकड़ रखा हैं की संवेधानिक रूप से SC जातिया जिन्हें अनुसूचित जातियों की श्रेणी में रखा गया है इनका जीवन आज भी चौनोतीपूर्ण है जैसे – वाल्मीकि , रेगर , बलाई ,चमार ,मेघवाल ,खटिक, बैरवा ,आदी इन जातियों का जीवन आज भी संवेधानिक अधिकार होने के बावजूद भी प्रतिदिन अपने स्वाभिमान के लियें संघर्ष करती नज़र आती है आज भी इन्हें अपनी शादी में घोड़ी पर नहीं बैठने दिया जाता , मूंछ नहीं रखने दिया जाता , आज भी इन जातियों को छुआ -छुत का शिकार होना पड़ता है जहाँ ग्रामीण क्षेत्रो में यह प्रत्यश होता है तो शहरी क्षेत्रो शाररिक कम और मानसिक छुआ छुत अधिक होने लगी है जबकि सरकार ने इन वंचित समाज की सुरक्षा के लियें ” SC/ST ACT – 1989 बना रखा है फिर भी असामाजिक लोगों द्वारा इन गरीब वंचित लोगो का शोषण करते रहते है जैसे – राजस्थान में डांगावास कांड , नागौर – पेचकस कांड ,अलवर कांड ,सीकर आदी तमाम जघन्य अपराध राजस्थान के इतिहास में दर्ज है – वैसे राजस्थान दलितों पर हत्याचार के मामले में प्रथम स्थान पर है जो की राज्य के लियें – शर्मनाक है |

सीवरेज वर्कर को लेकर लम्बे समय से काम कर रही सामाजिक कार्यकर्ता हेमलता कांसोटिया ने कहा की –

आज भी वाल्मीकि समाज के लोगों को समाज में सम्मानजनक काम अन्य जातियों द्वारा नहीं करने दिया जाता उनका विभिन्न तरिकों से बहिष्कार किया जाता हैं क्या आप ने अभी तक “वाल्मीकि मिष्ठान भण्डार , भंगी पवित्र भोजनालय , चमार फुटवियर , रेगर महाविधालय देखा है नहीं देखा होगा जबकि – शर्मा पवित्र भोजनालय आप ने अधिकतर हर जगह देखा होगा , शर्मा फुटवियर भी नहीं देखा होगा जबकि यही अंतर है उच्च जाती व् दलित जातियों में |

जब व्यक्ति को उचित काम नहीं मिलेगा तो वह मज़बूरी के कारण मलमूत्र में मुहँ देने को मजबूर है क्योकि उसे अपने बच्चे ,परिवार जो पालना है

उच्च न्यायलय ने सीवरेज वर्कर को लेकर 2005 में में दिशा – निर्देश दियें थे की सीवरेज से संबंधित सभी कार्य मशीनों के माध्यम से होगा लेकिन जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं आया |

में { हेमलता कांसोटिया } ने 2007 में दिल्ली उच्च न्यायलय में सीवरेज वर्कर को लेकर जनहित याचिका डाली गई जिसके परिणाम स्वरूप 2008 में दिल्ली न्यायलय व् सर्वोच्च न्यायलय द्वारा ने सीवरेज लाइन में व्यक्ति को उतरने पर पाबंदी लगा दी गई और सभी राज्यों को आदेश प्रेषित कर दियें . लेकिन आज भी सीवरेज वर्कर की स्थिति वही है की उसे आज भी अन्य व्यक्तियों के मलमूत्र में मुहँ देना पड़ रहा है | अब तो राज्यों सरकारों को इस अमानवीय काम पर पूर्ण रूप से रोक लगाना चाहियें और साथ ही सीवरेज वर्कर को सभी जरुरी सुरक्षा उपकरण देकर मशीनों की सहायता से काम किया जायें |

गाँधी जी 150 वीं वर्ष जयंती और वाल्मीकि समाज –

महात्मा गांधी और दलित समाज –

आजादी के समय से पूर्व ही महात्मा गाँधी दलित समाज और विशेष वाल्मीकि समाज के उद्धार के लियें काम कर रहे थे और उस वक्त सम्पूर्ण देश व् कांग्रेस पार्टी में गाँधी का विशेष स्थान था लेकिन जमीनी स्तर पर जबकि लगभग 100 साल से अधिक समय बीत चूका है लेकिन इस दलित समाज का विकास नहीं हो पाया और यह समाज आज भी मलमूत्र में मुहँ देने को मजबूर है

अब देश महात्मा गांधी की वर्ष भर 150 वीं जयंती मना रही है तो क्या महात्मा गाँधी को आदर्श मानने वाले बड़े नेता प्रधानमंत्री मोदी ,मुख्यमंत्री अशोक गहलोत क्या इन दलित समाज के लोगों को इस अमानवीय काम से दूर नहीं कर सकते क्या यह महात्मा गांधी व् डॉ अम्बेडकर को सच्चा सम्मान नहीं दे सकते

 

story by – pawan dev 

{ news team – politico }

 गंगा – जमुनी तहजीब का केन्द्र बना – अल्बर्ट हॉल ,पिछले 15 दिन से हो रहा हैं – CAA.NPR . NRC का विरोध

People of Jaipur said they will not show paper – CAA.NPR. NRC Dismissal Taxes

जयपुर | मोदी सरकार के  CAA .NRC और NPR  को देश की जनता ने नकार दिया है जिसका असर  विरोध प्रदर्शन के रूप में हर शहर – गली मोहल्ले तक में दिखने को मिल रहा है |

जनता ने सड़कों से बुलंद आवाज़ में  NRC ,NPR .CAA  को ख़ारिज कर दिया है क्योकिं जनता के चुनें हुयें सांसद प्रतिनिधि उपरोक्त बिल पर बहस की बजायें गूंगे – बहरे साबित हुयें – जनता की नज़रों में देश की सरकार और चुने हुयें नेताओं ने जनता को धोखा दिया हैं .आज इसलिए जरूरी मुद्दों रोजगार शिक्षा ,महिला सुरक्षा , अर्थव्यवस्था जैसे गंभीर मुद्दों पर कोई बहस नहीं हो रहीं है तो देश की जनता ने सड़कों का रुख कर लिया है लोकतांत्रिक व्यवस्था में और भारत के संविधान में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध- प्रदर्शन करना व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार बताया गया हैं लेकिन केंद्र व राज्य सरकारों को भी यह देखना चाहिये कि जनता का सब्र का इंतहा नहीं ले  जन आंदोलनों का कोई चेहरा नहीं होता है

देश की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार को देश की जनता का रुख़ देखते हुयें जल्द ही  NRC ,NPR ,CAA  को ख़ारिज कर देना चाहिए क्योंकि चुनी हुई सरकार जनता के लियें काम करती है ना कि उनके विरोध में   – यह कहना है कार्यक्रम के संयोजक सवाई सिंह जी का {  CAA .NRC .NPR विरोधी जन आंदोलन & अल्बर्ट हाल विरोध प्रदर्शन  }

24 जनवरी 2020 को राज्यपाल भवन मार्च –

CAA .NRC .NPR विरोधी जन आंदोलन द्वारा – संविधान – लोकत्रंत बचाओं अभियान के तहत

NRC ,NPR ,CAA जैसे काले कानून को वापस लेने के लियें विभिन्न सामाजिक संगठनो के संयुक्त प्रतिनिधि मंडल द्वारा राष्टपति के नाम राज्यपाल को ज्ञापन दिया जायेगा 24 जनवरी को पैदल मार्च कार्यक्रम शहीद स्मारक  दोहपर 2 बजे से रवाना हो कर सिविल लाइन फाटक पर पहुँच कर जनसभा में परिवर्तन होगा व् संगठन के प्रतिनिधि मंडल द्वारा राज्यपाल महोदय को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया जायेगा |

CAA.NRC.NPR के विरोध का केंद्र बना अल्बर्ट हाल – जयपुर

CAA.NRC.NPR के विरोध का केन्द्र बन गया है जयपुर के ह्रदय स्थल रामनिवास बाग़ स्थित अल्बर्ट हाल. पिछली 2 जनवरी से लगातार शाम को 6 बजे से शाम 7 बजे तक विभिन्न सामाजिक, जनसंगठनों के व्यक्तियों सहित जयपुर शहर के गणमान्य नागरिक जिनमे वकील समुदाय के लोगो से लेकर चिकित्सक समुदाय के लोग एवं बड़ी संख्या में युवतियां व युवक और बडी तादाद में महिलाओं की संख्या यहाँ पर आकर मोमबत्ती जलाकर और नारे लगाक अपना विरोध CAA.NRC.NPR के विरोध में अपना विरोध व्यक्त करती है। कार्यकम का समापन संविधान की प्रस्तावना की शपथ लेकर होती है। कार्यक्रम में विशेष तौर –

सवाई सिंह जी, संयोजक  { CAA, NRC, NPR विरोधी जन आंदोलन

संविधान-लोकतंत्र बचाओ अभियान से  मुजाहिद अली नकवी  { संयोजक } , नासिर खान { सहसंयोजक }  राजस्थान नागरिक मंच से उपाध्यक्ष  बसंत हरियाणा , महासचिव अनिल गोस्वामी एडवोकेट पैकर फारुख – राजस्थान प्रदेशाध्यक्ष APCR  , मुज़म्मिल रिज़वी जॉइन सेक्टरी   { APCR } ,  अब्दुल लतीफ़ आरको , युवा नेता पवन देव  , धर्मेन्द्र आँचर  जाट महासभा  राजस्थान ,  राहुल चौधरी [ सी.पी.एम. – माले ] , डॉ इक़बाल सिद्धकी , नजमुद्दीन अध्यक्ष { jih }  , अब्दुल लतीफ़ आरको ,  आसिफ  दाऊदी ,  राजस्थान भीम आर्मी – जितेन्द्र हटवाल { जयपुर शहर अध्यक्ष } , विजय मीरवाल , प्रदीप बैरवा , करनी तेजी  ,

बप्पादित्या सरकार , ऋषभ सिंह ,आरिफ मालया , देवांशी त्रिपाठी , आली दाधीच , कंचन यादव , फिरोज आलम , शकील कुरैशी , इस्लामुधीन कुरैशी ,   अब्दुल लतीफ़ आरको

युवा वर्ग नोकरी देने वाला बनें – हम देंगे प्लेटफार्म – डॉ. सत्य प्रकाश वर्मा { डिक्की }

Youths should become jobbers – We will give platform – Dr. Satya Prakash Verma { DICCI }

जयपुर |  दलित इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (डिक्की) द्वारा जयपुर के निजी होटल में  sc /st  युवाओं को उद्यमिता के क्षेत्र में सफलता कैसे  प्राप्त करे और बाजार में मजबूत पकड़ कैसे बनायें विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया  |कार्यक्रम में 100 से अधिक युवा उधमियों ने हिस्सा लिया |

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डिक्की राजस्थान के अध्यक्ष डॉ. सत्य प्रकाश वर्मा ने इस अवसर पर युवाओं से कहा की माना आज आर्थिक मंदी का दौर है लेकिन यह समय नयें उधमीयों के लियें एक अवसर है क्योकि इस समय केंद्र सरकार व् राज्य सरकार नई – नई सब्सिडी जारी कर रही है जिसका फ़ायदा युवा उधमियों को ज़रूर उठाना चाहियें और राजस्थान के उधमियों के लियें डिक्की हर सहायता के लियें तैयार है |

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति (RISU) डॉ. ललित के. पंवार ने कहा कि आज राजस्थान में कौशल विश्वविद्यालय युवाओं की वर्तमान समय की मांग के अनुसार कौशल आधारित कोर्स संचालित कर रही है जिसे कोई भी व्यक्ति कर सकता है और शत-प्रतिशत जॉब प्राप्त करने के साथ-साथ स्वयं उद्यमी भी बन सकता है.  उन्होंने बताया की डिक्की एवं रिसु का MOU हुआ है जिसके माध्यम से SC-ST उद्यमियों का कौशल विकास किया जायेगा.कार्यक्रम में डिक्की अध्यक्ष डॉ. सत्य प्रकाश वर्मा, एनएसआईसी मैनेजर श्री विकास माथुर, नाबार्ड के मुख्य महा प्रबंधक सुरेश चद, एमएसएमई के निदेशक वी के शर्मा, डिक्की उपाध्याक्ष आशीष गोरा अन्य अतिथि  रहे |

डिक्की { DICCI  } , एनएसआईसी { NSIC } , एमएसएमई { MSME  } द्वारा राज्य एवं केंद्र सरकार की योजनाओं के विषय में विस्तार से चर्चा की गई  जिस का लाभ उठाते हुयें  युवा उधमी अपना नया उधम शुरू कर सकते है |

कार्यक्रम में राज्य सरकार की नयी उद्योग, सौर एवं खाद्य प्रसंस्करण नीति के बारे में  विस्तार से बताया गया नयें उधमियों को dicci के सहयोग केसे करता है  इस विषय पर dicci के उपाध्यक्ष आशीष गोरा जी ने विस्तार से युवाओं को बताया |

नाबार्ड के सुरेश चंद्र जी ने फ़ूड प्रोसेसिंग , कृषि उत्पाद निर्यात आदि सेक्टर्स में संभावनाओं एवं नाबार्ड की योजनाओं अवगत कराया ,वी के शर्मा ने व्यापार को शुरू करने से पहले मार्केट रिसर्च, सोशल नेटवर्किंग की व्यावहारिक बारीकियों युवाओं का मार्गदर्शन किया

कार्यक्रम में उद्यमी महेश हैंडीक्रॉफ्ट्स के अशोक चौहान एवं खेराज राम चौहान को भी उद्यमिता में विशेष प्रदर्शन के लिए मुख्य अतिथि द्वारा सम्मानित किया गया |

 

CAA – NRC के विरोध में जयपुर में प्रधानमंत्री मोदी व् शाह का पुतला दहन –

Prime Minister and Home Minister’s effigy burnt in protest against CAB and NRC

जयपुर 15 दिसम्बर 2019 | पिंकसिटी ज़री हैंडवर्क मज़दूर यूनियन की और से ना

गरिकता संशोधन बिल और एन आर सी के विरोध में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का पुतला दहन किया गया। कार्यक्रम की जानकारी देते हुए यूनियन के अध्यक्ष आफ़ताब खान ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नागरिकता संशोधन “कैब” और एन आर सी कानून लाने की मंशा के खिलाफ दिल्ली रोड ईदगाह में यूनियन की और से प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का पुतला दहन किया गया।

पुतला दहन से पूर्व विभिन्न जनसंगठनों व राजनैतिक दलों के नेताओं ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए केंद्र की भाजपा सरकार के इस फैसले को अमानवीय व संविधान विरोधी बताया।

सभी वक्ताओं ने सरकार के इस फैसले की निंदा करते हुए कहा कि सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए देश के मुसलमानों में भय का वातावरण पैदा कर रही है सभी वक्ताओं ने उपस्थित लोगों को आव्हान किया कि वह इस एकजुट होकर केंद्र सरकार की अमानवीय, अलोकतांत्रिक व संविधान विरोधी नीतियों का विरोध करे। इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख लोगो मे यूनियन के मुख्य सलाहकार व राजस्थान नागरिक मंच के महासचिव बसन्त हरियाणा,डॉक्टर राममनोहर लोहिया विचार संस्थान के उपाध्यक्ष मोहम्मद फारुख खान, समाजवादी नेता विनोद यादव, कम्युनिस्ट नेता यूनुस क़ुरैशी, राजस्थान नागरिक मंच के सचिव अनिल गोस्वामी व मीडिया प्रभारी पवन देव,पूर्व पार्षद याकूब खान,यूनियन के पदाधिकारी जुबेर खान, अकील क़ुरैशी, रईस खान व सामाजिक कार्यकर्ता आज़म खान मुख्य तौर पर उपस्थित थे।

किशनपोल – युवा नेता पवन देव ने किशनपोल विधानसभा क्षेत्र से बाल-श्रमिक बच्चों को मुक्त कराया –

Kishanpol – Youth leader Pawan Dev freed child laborers from Kishanpol constituency –

Child watch group and Kotwali police station combined –

जयपुर | बाल -श्रम मुक्त जयपुर कार्यक्रम के अंतर्गत  “ चाईल्ड वाच ग्रुप ”  जयपुर द्वारा  बाल- श्रमिको  को कोतवाली थाने क्षेत्र अजमेरी गेट नमक मंडी से 4 नाबालिक बाल श्रमिकों मुक्त कराया गया ,  बाल श्रमिकों से चूड़ी कारखाने में बंधवा मजदूरी कराई जा रही थी , जिस पर चाईल्ड वाच ग्रुप जयपुर से बसंत हरियाणा व् किशनपोल विधानसभा से युवा नेता पवन देव व् कोतवाली थाने की टीम ने संयुक्त कारवाई करते हुयें दबिश दी , कारखाने में कुल 9 बच्चे काम कर रहे थे जिनमे चार बच्चे 6 से 12 वर्ष के पायें गयें जो की मूल रूप से बिहार जिले थे |

पुलिस प्रशासन ने जप्त माल सहित कारखाने के मालिक के खिलाफ़ केस दर्ज कर , बाल श्रमिको को सरकारी नियमों के अनुसार संस्था में रहने की उचित व्यवस्था कर दी  |

बसंत हरियाणा ने कहा – 

चाईल्ड राईट वॉच ग्रूप के प्रमुख बसंत हरियाणा ने कहा की जयपुर शहर में बड़ी संख्या में चूड़ी कारखाने अवैध रूप से चल रहे है जिन में बाल श्रमिको से अवैध रूप से बंधवा मजदूरी कराई जा रही है जो की गैरकानूनी है आज बच्चों का भविष्य अंधकारमय है सरकार – प्रशासन और समाज के प्रत्येक व्यक्ति की यह जिम्मेदारी है की वह आज इस देश और समाज के भविष्य – बच्चों के बचपन को सवारें और उन्हें बाल श्रमिक बनने से रोके |

किशनपोल विधानसभा से युवा नेता – पवन देव ने कहा – 

आज जयपुर शहर में चूड़ी बनाने के अवैध कारखाने संचालित हो रहे है जिनमे मुख्यतः बाल श्रमिक मजदूरी कर रहे है जिन्हें या तो पैसे देकर या खरीद कर उन्हें बाल श्रमिक के रूप में इन अवैध कारखानों में अवैध रूप से भूखे – प्यासे रख कर मजदूरी कराई जा रही है जयपुर शहर में , हवामहल , किशनपोल विधान सभा क्षेत्र में अवैध चूड़ी कारख़ाने संचालित है आज समय आ गया है की समाज के प्रत्येक व्यक्ति समाज को स्वस्थ रखने के लियें सफाई ही नहीं देश के विकास  के कर्णधार बच्चों के भविष्य को बचायें ,यह कार्य भी देश भक्ति कहलाता है  |

 

क्या भारत में मोदी { पूंजीवाद } के खिलाफ़ – लाल सलाम { कार्ल मार्क्स & लेनिन } क्रांती की आहट शुरू हो चुकी है ,जानें यहाँ

Has the cry for Lal Salaam {Karl Marx & Lenin} revolution started against Modi {capitalism} in India, know here

The basic lessons of Lenin are still the same, right and very important today –

श्रमजीवी वर्ग के महान क्रांतिकारी नेता और शिक्षक, वी.आई. लेनिन रूस के मजदूर वर्ग और मेहनतकश जनसमुदाय को संगठित करके पूंजीपतियों का तख्तापलट करने, और मानव इतिहास में पहली बार मजदूरों और किसानों की हुकूमत स्थापित व मजबूत करने में बोल्शेविक पार्टी को अगुवाई दी।

अपनी महत्पूर्ण सैद्धांतिक कृति “साम्राज्यवाद: पूंजीवाद का उच्चतम पड़ाव” में लेनिन ने दिखाया कि पूंजीवाद अपने अंतिम पड़ाव,

साम्राज्यवाद या मरणासन्न पूंजीवाद, पर पहुंच गया है।

दुनिया और भारत में सारी गतिविधियां वर्तमान युग को साम्राज्यवाद और श्रमजीवी क्रांति का युग बताने वाले लेनिन के विश्लेषण की ही पुष्टि करती हैं। साम्राज्यवाद दुनिया के सभी भागों पर अपना वर्चस्व जमाने के लिये पूरी कोशिश करेगा, खूनी विनाशकारी जंग भी छेड़ेगा, और मानवजाति को एक संकट से दूसरे संकट में धकेलता चला जायेगा, जब तक मजदूर वर्ग इस शोषण की व्यवस्था का तख्तापलट करने और समाजवाद लाने के संघर्ष में शोषित व उत्पीड़ित जनसमुदाय को अगुवाई नहीं देगा।

 

कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स ने मानव समाज के विकास के वैज्ञानिक विश्लेषण के ज़रिये यह स्थापित किया था कि पूंजीवाद की कब्र खोदना और इंसान द्वारा इंसान के शोषण से मुक्त समाजवाद और कम्युनिज़्म का नया युग लाना मजदूर वर्ग का अन्तिम लक्ष्य है। लेनिन अपने समय की हालतों में, जब पूंजीवाद साम्राज्यवाद के पड़ाव पर पहुंच गया था, मार्क्सवाद के सिद्धांत की हिफाज़त की, उसे लागू किया और विकसित भी।
लेनिन ने दिखाया कि जब पूंजीवाद साम्राज्यवाद के पड़ाव पर पहुंच जाता है, तो श्रमजीवी क्रांति के लिए सभी हालतें परिपक्व हो जाती हैं। उन्होंने असमान आर्थिक और राजनीतिक विकास के नियम का आविष्कार किये और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि अंतर-साम्राज्यवादी अंतर्विरोधों, शोषकों और शोषितों के बीच अंतर्विरोधों, दूसरों पर हावी साम्राज्यवादी राज्यों और दबे

-कुचले राष्ट्रों तथा लोगों के बीच अंतर्विरोधों, इन सबकी वजह से यह मुमकिन हो जाता है कि किसी एक देश में क्रांति शुरू हो सकती और कामयाब हो सकती है। इससे पहले सोचा जाता था कि श्रमजीवी क्रांति सिर्फ उन देशों में शुरू हो सकती है जहां पूंजीवाद सबसे अगुवा था। लेनिन ने यह पूर्वाभास दिया कि क्रांति उस देश में शुरू होगी जहां साम्राज्यवाद की वैश्विक कड़ी सबसे कमजोर होगी, हालांकि वह देश पूंजीवादी तौर पर अगुवा नहिं भी हो सकता है, क्योंकि साम्राज्यवाद गुलामी और लूट की वैश्विक व्यवस्था है। लेनिन इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि साम्राज्यवाद श्रमजीवी क्रांति की पूर्वसंध्या है।

1917 में रूस में अक्तूबर क्रांति की जीत के साथ दुनिया के इतिहास में एक नया युग शुरू हुआ। पहली बार, शोषक वर्ग की राजनीतिक सत्ता को मिटाया गया और उसकी जगह पर किसी दूसरे शोषक वर्ग की सत्ता नहीं, बल्कि मजदूर वर्ग की सत्ता स्थापित हुई। दुनियाभर में कई पीढ़ियों के कम्युनिस्ट और क्रांतिकारी उस समय से, शोषण के खिलाफ़ अपने संघर्ष में लेनिनवाद के सिद्धांत और अभ्यास से प्रेरित और मार्गदर्शित हुए।

लेनिन ने मार्क्स की धारणा का विस्तार किये कि श्रमजीवी क्रांति से समाजवाद स्थापित करने के लिए श्रमजीवी अधिना

यकत्व के राज्य की स्थापना करना आवश्यक है, जो कि समाज को समाजवाद और कम्युनिज़्म के रास्ते पर अगुवाई देने के लिए मजदूर वर्ग का मुख्य साधन है। रूस में 1917 में महान अक्तूबर समाजवादी क्रांति की जीत और सोवियत संघ में समाजवाद के निर्माण से यह अवधारणा सही साबित हुई। लेनिन और स्टालिन के नेतृत्व में सोवियत संघ में समाजवाद का सफलतापूर्वक निर्माण उन हालतों में किया गया जब दुनिया की मुख्य साम्राज्यवादी ताकतें और सत्ता से गिराये गये प्रतिक्रियावादी मिलजुलकर, सशस्त्र हमले और अंदरूनी विनाश के ज़रिये क्रांति को कुचलने की भरसक कोशिश कर रहे थे और सोवियत संघ के मजदूर-मेहनतकशों को इन कोशिशों के खिलाफ़ डटकर संघर्ष भी करना पड़ रहा था, जिसमें वे सफल हुए। जिन देशों में श्रमजीवी अधिनायकत्व को नहीं स्थापित किया गया, जैसे कि चीन, वहां के विपरीत घटनाक्रम से भी लेनिन की अवधारणा सही साबित होती है।

 

जे.वी. स्टालिन ने लेनिनवाद को आमतौर पर श्रमजीवी क्रांति का सिद्धांत और कार्यनीति तथा खासतौर

पर श्रमजीवी अधिनायकत्व का सिद्धांत और कार्यनीति बताया।

लेनिन ने उन सभी के खिलाफ़ कठोर विचारधारात्मक संघर्ष किया, जो पार्टी को समान विचार वाले सदस्यों की ढुलमुल संस्था के रूप में बनाना चाहते थे। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि पूंजीपति वर्ग को हराने के लिए मजदूर वर्ग के अंदर जिस अटूट एकता की जरूरत है, उसे हासिल करने के लिए यह काफी नहीं है कि पार्टी के सदस्य पार्टी के कार्यक्रम से सहमत हों और नियमित तौर पर योगदान दें; पार्टी के सदस्यों को पार्टी के किसी संगठन के अनुशासन तले काम भी करना होगा। उन्होंने लोकतांत्रिक केन्द्रीयवाद – सामूहिक फैसले लेना और व्यक्तिगत दायित्व निभाना – को कम्युनिस्ट पार्टी के संगठनात्मक सिद्धांत बतौर स्थापित किया, जिसके ज़रिये अधिक से अधिक व्यक्तिगत पहल उभरकर आती है और साथ ही साथ, पार्टी की एकाश्म एकता हमेशा बनी रहती है तथा मजबूत होती रहती है।

विभिन्न ताकतों द्वारा मार्क्सवाद को तोड़-मरोड़कर और झूठे तरीके से पेश करने की कोशिशों के खिलाफ़ लेनिन ने मार्क्सवाद के मूल सिद्धांतों का अनुमोदन और हिफ़ाज़त करने के लिए जो कठोर संघर्ष किया था, वह उस अवधि में उनके द्वारा लिखे गये महत्वपूर्ण लेखों से स्पष्ट होता है। अपनी कृति “राज्य और क्रांति” में लेनिन ने मार्क्सवाद और एंगेल्स की उस मूल अवधारणा की हिफ़ाज़त की कि श्रमजीवी वर्ग के लिए यह जरूरी है कि पूंजीवादी राज्य तंत्र को चकनाचूर कर दिया जाये और उसकी जगह पर एक बिल्कुल नया राज्यतंत्र स्थापित किया जाये जो मजदूर वर्ग की सेवा में काम करेगा। अपनी कृति “

श्रमजीवी क्रांति और विश्वासघातक काउत्स्की” में लेनिन ने पूंजीवादी लोकतंत्र के बारे में मजदूर वर्ग आंदोलन में भ्रम फैलाने की कोशिशों का पर्दाफाश किया और श्रमजीवी अधिनायकत्व के तहत श्रमजीवी लोकतंत्र के साथ पूंजीवादी लोकतंत्र की बड़ी तीक्ष्णता से तुलना की।

आज दुनिया के अलग भागों में मजदूर वर्ग और दूसरे उत्पीड़ित तबकों द्वारा अपने-अपने पूंजीवादी शासकों और साम्राज्यवादी व्यवस्था के खिलाफ़ संघर्ष आगे बढा रहे हैं। साम्राज्यवाद और पूंजीपति गहरे से गहरे संकट में फंसते चले जा रहे हैं।
ब्रिटेन-अमेरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को बनाये रखने तथा अपने प्रतिद्वंद्वियों को कमजोर करने के लिए, एक के बाद दूसरा विनाशकारी जंग छेड़ रहे हैं और राष्ट्रों तथा लोगों की आज़ादी और संप्रभुता पर बेरहमी से हमले कर रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में झूठा प्रचार करके वे साम्राज्यवादियों के खिलाफ़ खड़े होने की जुर्रत करने वालों को आतंकवादी और दुष्ट राज्य करार देते हैं, और फिर उन पर क्रूर बल-प्रयोग को जायज़ ठहराते हैं।

सारी दुनिया में साम्राज्यवादी जंग और लूट के खिलाफ़ संघर्ष भी तेज़ हो रहा है। पूंजीवादी देशों में शोषकों और शोषितों के बीच अंतर्विरोध, साम्राज्यवाद और दबे-कुचले राष्ट्रों व लोगों के बीच अंतर्विरोध और अंतर-साम्राज्यवादी अंतर्विरोध, सभी तीक्ष्ण होते चले जा रहे हैं। इन सबसे लेनिन के मूल सबकों और निष्कर्षों की फिर से पुष्टि होती है। सभी देशों की कम्युनिस्ट पार्टियों का यह काम है कि मजदूर वर्ग को श्रमजीवी क्रांति के दूसरे दौर के लिए तैयार करें, जिसका साम्राज्यवादी कड़़ी के सबसे कमजोर स्थान पर शुरू होना लाजिमी है।

लेनिनवाद को तोड़-मरोड़कर पेश करने और उसे कोई ऐसा सिद्धांत बना देने, जो पूंजीपतियों को कोई नुकसान न पहुंचाये, इन सभी कोशिशों के खिलाफ़ लेनिनवाद के मूल निष्कर्षों की हिफ़ाज़त करने के लिए भारत की कम्युनिस्ट पार्टीयाँ भी लगातार संघर्ष करती आयी है। हमें ‘समाजवाद के संसदीय रास्ते’ के खिलाफ़ संघर्ष करना होगा और करते जा रहे हैं भी। हमने डटकर उस धारणा का भी विरोध किया है कि इस समय श्रमजीवी क्रांति मुमकिन ही नहीं है या इसकी जरूरत नहीं है। ऐसी धारणाएं इसलिए फैलायी जाती हैं ताकि साम्राज्यवाद और पूंजीपतियों के साथ समझौता करना जायज़ ठहराया जा सके। यह धारणा जो आज बहुत फैलायी जा रही है, कि आज कोई ‘मध्यम वर्ग की क्रांति’ मुमकिन है न कि श्रमजीवी क्रांति, इसके खिलाफ़ हमें डटकर संघर्ष करना पड़ेगा।

कुछ ताकतें एक एकजुट वैश्विक ताकत बतौर “अंतर्राष्ट्रीय वित्त पूंजी” की बात करती हैं और इस तरह दुनिया पर हावी होने के लिए विभिन्न साम्राज्यवादी ताकतों के आपसी अंतर्विरोधों को कम करके पेश करती हैं। वे भी लेनिनवाद के मूल निष्कर्षों को तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं। उनके द्वारा फैलायी गई इस सोच के अनुसार दुश्मन की ताकत को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है और क्रांति की संभावनाओं का अल्पानुमान किया जाता है।

आज साम्राज्यवाद और श्रमजीवी क्रांति का ही युग चल रहा है, जिसके अंदर सोवियत संघ के विघटन के बाद क्रांति की लहर कुछ समय के लिए पीछे चली गई है। कामरेड लेनिन के सबक आज बहुत महत्व रखते हैं।

मार्क्सवाद-लेनिनवाद के मूल असूलों और निष्कर्षों की हिफ़ाज़त करने और इन असूलों व निष्कर्षों के अनुकूल हिन्दोस्तानी लोगों की मुक्ति के सिद्धांत को विकसित करने को हमें वचनबद्ध होना है। हमारे सामने फौरी कार्य मजदूर वर्ग, मेहनतकश किसानों तथा दूसरे उत्पीड़ित तबकों के साथ गठबंधन बनाकर, अपने हाथ में राज्य सत्ता लेने के लिए तैयार करना है।

पूंजीपतियों के परजीवी शासन को खत्म करने और मेहनतकश जनता का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करने के लिए यह अनिवार्य शर्त है। (कॉपी & ओवर राइट)

लेख़क -प्रतिवादी नवीन

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