Is PM Modi and Amit Shah want to win the elections with the lie

जयपुर (टीम इकरा पत्रिका)। भारतीय लोकतंत्र को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है, क्योंकि यहाँ बहुत से देशों की कुल आबादी से अधिक करीब 90 करोड़ वोटर हैं। जितने किसी एक देश में तो होने का सवाल ही नहीं है। साथ ही यह वोटर पंचायत और नगर निकाय से लेकर विधानसभा एवं लोकसभा तक का हर पांच साल में चुनाव करते हैं। जनता को नीचे से लेकर ऊपर तक के तमाम लोकतांत्रिक राजाओं को बदलने का अधिकार है। भारतीय लोकतंत्र की एक और विचित्र बात भी है कि यहाँ देश के किसी न किसी कौने में हर वर्ष कोई ना कोई चुनाव होता है। यानी यहाँ चुनाव एक लोकतांत्रिक त्यौहार बन चुका है।
यह बड़ी खूबसूरती है भारतीय लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था की, इसीलिए इसे विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है। लेकिन 70 साल बाद इस बेमिसाल लोकतंत्र पर लोकतंत्र के जरिए ही काले बाद मण्डराने लग गए हैं ! आज हमारा लोकतंत्र जातिवाद, धर्मवाद, वंशवाद, पूंजीवाद, अपराधवाद, घोटालेवाद आदि कई वादों के साथ एक और वाद का भी शिकार हो चुका है तथा वो है झूठवाद ! सियासी बहसों और चुनावी भाषणों में हल्की फुल्की झूठ तो बरसों से चल रही है तथा कमोबेश सभी राजनीतिक दल इसका सहारा लेते रहे हैं।लेकिन तर्क वितर्क की जो हत्या और सफेद झूठ का बोलबाला इस चुनाव में हो रहा है, या पिछले पांच साल के विभिन्न चुनावों में हुआ है, वैसा कभी नहीं हुआ है !
यह भी सच है कि कुछ पार्टियों को छोड़ दें, तो झूठवाद के इस सियासी हमाम में बाकी सभी पार्टियां नंगी नज़र आती हैं। लेकिन यह और खतरनाक तब हो जाता है, जब सत्तारूढ़ दल के नेता और यहाँ तक कि स्वयं प्रधानमंत्री खुलेआम चुनावी सभाओं में झूठ बोलने लग जाएं ! सवाल यह है कि कोई आदमी झूठ क्यों बोलता है ? झूठ तीन वजह से बोली जाती है। पहली सच का सामना करने की हिम्मत नहीं हो। दूसरी वजह किसी बात को छुपाना चाह रहा हो, ताकि उसकी पोल न खुल जाए। तीसरी वजह लोगों को गुमराह कर अपना फायदा उठाने की कोशिश में झूठ बोली जाती है। अगर झूठ बोलने से किसी व्यक्ति विशेष का फायदा और नुकसान होता है, तो वो ज्यादा खतरनाक नहीं होता है, लेकिन अगर झूठ बोलने से किसी राष्ट्र या समाज का नुकसान होता है, तो वो झूठ बेहद खतरनाक होती है !
कुछ ऐसा ही आज हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उनके खासमखास और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तथा भाजपा के बड़े नेता कर रहे हैं। यह लोग जनहित के मुद्दों पर बात करने की बजाए ऐसे मुद्दों पर बात कर रहे हैं, जिनसे लोकतंत्र कमजोर हो तथा इनकी झूठी बातों से मतदाता गुमराह होकर इन्हें पुनः सत्ता सौंप दे। जनता ने इन्हें पांच साल पहले पूर्ण बहुमत की सरकार सौंपी थी, क्योंकि जनता कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार के काले कारनामों से दुखी थी। जनता ने सोचा कि सत्ता बदलनी चाहिए और नरेन्द्र मोदी एवं उनकी टीम को मौका देना चाहिए। क्योंकि इन्होंने अच्छे दिन लाने, विकास, रोजगार आदि लाने का वादा किया था। अब पांच बाद चुनावों में इन्हें यह बताना चाहिए कि हमने विकास कौनसा और कहाँ कहाँ किया तथा रोजगार कितनों को दिया ? लेकिन इन मुद्दों पर यह बात नहीं करते, क्योंकि इन्होंने इन मुद्दों पर पांच साल में कुछ किया ही नहीं।
पांच साल में जिस भी राज्य में विधानसभा चुनाव हुए हैं, घुमा फिराकर यह लोग कश्मीर, पाकिस्तान, मुसलमान, हिन्दू, मदरसे, कब्रिस्तान, शमशान, गौ हत्या, लव जिहाद, जिन्नाह, धर्मान्त्रण, घर वापसी, तीन तलाक, राम मन्दिर, बाबरी मस्जिद, मुस्लिम तुष्टीकरण, हिन्दुओं को खतरा, हिन्दुओं का पलायन, बांग्लादेशी घुसपैठिये, रोहिंग्या जैसे मुद्दों को अपना चुनावी मुद्दा बनाते आ रहे हैं। हाँ, इन मुद्दों में भी यह उच्च स्तर का चयन करते हैं, जिस राज्य में जो फ़िट बैठ रहा हो, उसे पूरी ताकत से उठाते हैं और जो वहाँ फायदेमंद नहीं हो, उस मुद्दे को छोड़ देते हैं। यह लोग रोटी, रोजगार, खेती किसानी, शिक्षा, चिकित्सा आदि जनहित के मुद्दों पर कोई बात नहीं करते, अगर कहीं मजबूरी में करते भी हैं तो घुमा फिराकर फर्जी आंकड़ों व लफ्फाजी का सहारा लेकर करते हैं।
गत दिनों प्रधानमन्त्री ने वर्धा की एक चुनावी रैली में कहा कि हिन्दू आतंकवाद शब्द कांग्रेस की देन है। अब यह बात समझ से परे है कि कांग्रेस ने कब कहा था कि हिन्दू आतंकवादी होते हैं ? अगर कांग्रेस ने ऐसा कहा है तो उसके खिलाफ उसी वक्त मुकदमा दर्ज होना चाहिए था। उन्होंने यह बात विभिन्न बम धमाकों में साध्वी प्रज्ञा और असीमानंद मामले को लेकर कही। लेकिन प्रधानमंत्री जी को मालूम होना चाहिए कि जिस तत्कालीन गृह सचिव आर के सिंह ने इन मामलों को उजागर करवाया या किसी बेगुनाह हिन्दू भाई को आतंकवाद के मुकदमे में फंसवाया, वे भाजपा के सांसद और आपके मन्त्रीमण्डल के सदस्य हैं ! आपने आज तक आर के सिंह पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की ? इसी तरह से एक अप्रेल को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ओडिशा की चुनावी सभा में कहा कि कांग्रेस
हिन्दुओं पर आतंकवादी होने का ठप्पा लगाकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रही है।
7 अप्रेल को कूच बिहार की एक चुनावी सभा में प्रधानमंत्री ने कहा बंगाल विकास से वंचित रहा है। ममता बनर्जी राष्ट्र विरोधी लोगों का समर्थन करती हैं। अगर यह बात सही है तो प्रधानमन्त्री जी आप पांच साल क्या कर रहे थे ? जनता ने देश की चाबी आपको सौंप रखी थी, आपको बंगाल सरकार को बरखास्त कर ममता बनर्जी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करना चाहिए था और फिर बंगाल में विकास की गंगा बहानी चाहिए थी। साथ ही प्रधानमन्त्री जी को यह भी बता देना चाहिए जिन प्रदेशों में भाजपा का राज है, वहाँ कितना विकास हुआ है ? हकीकत तो यह है प्रधानमंत्री जी कि जिस तरह से बंगाल में आम आदमी बुनियादी समस्याओं को लेकर त्राहि त्राहि कर रहा है, उसी तरह से भाजपा शासित राज्यों में भी त्राहि त्राहि मची हुई है !
मोदी जी ने 6 अप्रेल को सोनपुर की एक सभा में कहा कि गरीबी हटाने के लिए सबसे बेहतर जड़ी बूटी है, जिसका नाम है कांग्रेस हटाओ ! इसी दिन उन्होंने नांदेड़ में कहा कि कांग्रेस जनता से किए वादे भूल जाती है ! मोदी जी कांग्रेस को हटाए तो पांच साल हो गए ? फिर आपने इस जड़ी बूटी से जनता की गरीबी दूर क्यों नहीं की ? रही वादों की बात, तो यह सच है कि कांग्रेस अपने वादों को भूल जाती है। लेकिन आपको यह बात कहते शोभा नहीं देती, क्योंकि आपने भी ऐसा ही किया है। यानी आपने जो वादे 2014 के चुनाव में किए थे उनमें से एक भी पूरा नहीं किया !
इसी तरह प्रधानमन्त्री ने 5 अप्रेल को देहरादून में कहा कि अगस्ता हेलिकॉप्टर घोटाले में एपी और फेम दो नाम गिरफ़्तार दलाल मिशेल ने बताए हैं। एपी का मतलब अहमद पटेल और फेम का मतलब फैमिली ! यानी सोनिया गांधी का परिवार। मोदी जी अगर यह सच है तो आपने आज तक एपी और फेम को सलाखों के पीछे क्यों नहीं भेजा ? क्या यह आपकी देश से गद्दारी नहीं है ? क्योंकि जनता ने देश का मुखिया आपको बनाया और आपको यह मालूम है कि एपी और फेम चोर हैं, तो आपके द्वारा उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न करना एक तरह से देश को धोखा देना और चोरों को बचाना है ! क्या जनता यह समझे कि आपने एपी और फेम को बचाने के लिए कोई बड़ा सौदा किया है ?
ऐसे बेशुमार झूठ प्रधानमन्त्री और उनकी पार्टी के बड़े नेता चुनावी सभाओं में बोल रहे हैं। क्योंकि इनसे आसानी से जनता का ध्यान जनहित के मुद्दों से हट जाता है। क्या प्रधानमन्त्री जी को यह नहीं बताना चाहिए कि कितने लोगों को रोजगार मिला ? कालाधन कितना आया और उसका वितरण 15 लाख या उससे कम किस किस के खाते में हुआ ? कितने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई ? इनमें भाजपा के कितने नेता शामिल हैं ? अगर जिनके खिलाफ कार्रवाई हुई है, उनमें एक भी भाजपाई नेता नहीं है, तो क्या भाजपा के किसी भी नेता ने आज तक कोई भ्रष्टाचार नहीं किया है ? चलिए यह तो कुछ कठिन सवाल हैं, सिर्फ इस सवाल का जवाब दे देना चाहिए कि पांच साल में केन्द्रीय सेवाओं में कुल कितनी भर्तियां हुई और आज कुल कितने पद खाली पड़े हैं ? दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा !
लेख़क -एम फारूक़ ख़ान सम्पादक इकरा पत्रिका।