एके एंटनी ने कांग्रेस के 136वें स्थापना दिवस पर झंडा फहराया

आज देश की सबसे पुरानी पार्टी यानी कांग्रेस अपना 136वां स्थापना दिवस मना रही है। पार्टी के स्थापना दिवस से एक दिन पहले राहुल गांधी किसी विशेष काम के चलते विदेश दौरे पर रवाना हो गए तो दूसरी तरफ सोनिया गांधी खराब स्वास्थ्य के कारण पार्टी का झंडा नहीं फहरा पायेगी ऐसे में एके एंटनी ने स्थापना दिवस के मौके पर झंडा फहराया

स्थापना दिवस और किसान आंदोलन के बीच राहुल के विदेश दौरे को लेकर राजनीति भी शुरू हो गयी है क्योंकि कांग्रेस पार्टी आज किसानों के समर्थन में तिरंगा यात्रा निकालेगी। इस मौके पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्यों ने पार्टी की राज्य इकाइयों को निर्देश दिया है कि वे कोरोना की गाइडलाईन का पालन करते हुए ‘तिरंगा यात्रा’ का आयोजन करें और युवाओं के साथ जुड़ने के लिए सोशल मीडिया अभियान ‘सेल्फी विद तिरंगा’ चलाएं।

 

 

स्थापना दिवस पर राहुल गांधी ने कहा कि सच्चाई और समानता के अपने इस संकल्प को दोहराते हैं और ‘देश हित की आवाज उठाने के लिए कांग्रेस शुरू से प्रतिबद्ध रही है। कांग्रेस पिछले एक समय से अपनो की लड़ाई में उलझी हुई कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता राहुल को अध्यक्ष बनाना चाहते है तो कुछ नेता प्रियंका को अध्यक्ष बनाने के पक्ष में इसी कारण से बीजेपी कांग्रेस पर वंशवाद का आरोप लगाने का मौका नहीं छोड़ती है।

राहुल के विदेश दौरे पर सफाई देते हुए सुरजेवाला ने कहा, कि राहुल गांधी एक निजी यात्रा पर हैं और वह बहुत जल्द हमारे बीच होंगे। खबरों के अनुसार बताया जा रह है कि राहुल अपनी नानी से मिलने गये है जो बीमार है। कांग्रेस ने इस यात्रा को लेकर बीजेपी पर निम्न दर्जे की राजनीति करने का आरोप लगाया है।

 

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राहुल की विदेश यात्रा को लेकर कहा कि, ‘कांग्रेस अपना 136वां स्थापना दिवस मना रही है और राहुल जी ‘9 2 11’ हो गए’

 

 

कृषि कानूनों पर राहुल-प्रियंका का हल्ला बोल, प्रियंका पुलिस हिरासत……..

केन्द्र सरकार द्वारा पारित 3 नये कृषि कानूनों को समाप्त करने की मांग को लेकर पिछले 1 महीने से देश भर के किसान दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे है। किसानों की मांगों को लेकर सभी विपक्ष दल उनका समर्थन कर रहे है लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्टीय अध्यक्ष राहुल गंाधी सड़क पर उतरने का फैसला किया है।

राहुल के साथ कांग्रेस पार्टी के कई बड़े नेता उनके साथ सड़क पर उतरेगे और केन्द्र सरकार को बिल वापस लेने के लिए दबाव बनाएंगे। राहुल राष्ट्रपति से मिले तो दूसरी तरफ पुलिस बिना अनुमति के मार्च के आरोप में प्रियंका वाड्रा को हिरासत में ले लिया गया है।

राहुल के इस मार्च से पहले उनके आवास के बाहर धारा 144 लगा दी गयी है और पुलिस प्रशासन ने कहा कि केवल राष्ट्रपति से मिलने के लिए जिन लोगों को अनुमति दी गयी है उन्हीं लोगों को अनुमति दी जाएगी। कांग्रेस के नेता आज राष्ट्रपति से मुलाकात करने के साथ उनको 2 करोड़ किसानों के हस्ताक्षरों के साथ ज्ञापन सौपेंगे और इन बिल को निरस्त करने का आग्रह करेंगे।

यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस पार्टी ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए सड़क पर उतरे है इससे पहले भारत बंद के दौरान भी कांग्रेस ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया था। राहुल गांधी का यह फैसला उनके और पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकता है क्योंकि पिछले कुछ समय से कांग्रेस पार्टी में अपनों की लड़ाई के कारण वह दूसरी मुद्धों पर ध्यान केन्द्रीत नहीं कर पा रही है।

किसान आंदोलन को लेकर केन्द्र सरकार अभी तक किसी भी प्रकार से झुकने को तैयार नहीं है और किसान भी मोदी सरकार के साथ किसी प्रकार की वार्ता से हल निकलाने पर राजी नहीं है। हालाकि पीएम मोदी कल किसानों को बहुत बड़ी राशि उनके बैंक खातों में देंगे।

कांग्रेस के वरिष्ठ नाराज नेताओं से मुलाकता करेगी सोनिया गांधी

देशभर में कांग्रेस पार्टी के कमजोर होने से लेकर कई प्रकार के बदलावो की मांग को लेकर पत्र लिखने वाले वरिष्ठ 23 नेताओं के साथ शनिवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकता हो सकती है। सूत्रों ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोनिया गांधी के साथ इन नेताओं की मुलाकात की भूमिका तैयार करने में अहम भूमिका निभाई है हाल ही में कमलनाथ ने सोनिया से मुलाकात की थी।

जो लंबे समय से पार्टी से नाराज चल रहे हैं थे इन नेतओं ने पार्टी के भविष्य के साथ नये अध्यक्ष को लेकर जो बाते कही थी उसी को ध्यान में रखते हुए यह मुलाकत हो रही है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के उपस्थित होने की अभी तक कोई स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है।

अगस्त महीने में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल समेत कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी के लिए सक्रिय अध्यक्ष होने और व्यापक संगठनात्मक बदलाव करने की मांग की थी। इसके बाद बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली हार के बाद कई नेताओं ने खुलकर आलोचना कर थी।

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कांग्रेस धीरे—धीरे अपना अस्तिव खोती जा रही है और कुछ राज्यों को छोड़ दे तो उसे किसी क्षेत्रीय दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ना पड़ रहा है। अगर समय रहते कांग्रेस इस पर ध्यान नहीं देती है तो वहआने वाले समय में अपना वजूद खोने की ओर अग्रसर होती नजर आ रही है। कांग्रेस में इतने बड़े नेता होने के बाद भी अध्यक्ष पद केवल गांधी परिवार तक ही समिति रह जाता है और इसी बात को फायदा बीजेपी उठाती रही है

नहीं रहा कांग्रेस का संकटमोचक! जाने इसका इतिहास

अहमद पटेल कांग्रेस पार्टी के लिए वह नाम था जो अपने आप में कांग्रेस की 3 पीढ़ियों में लगातार अपना विश्वास बनाये हुए था। पटेल कांग्रेस के ऐसे नेता ​थे जो इंदिरा गांधी के दौर से लेकर सोनिया गांधी के वक्त तक उनका राजनीतिक सफर हमेशा से अहम रहा है। कई बार पटेल को कांग्रेस पार्टी ने अलग थलग कर दिया था लेकिन उनकी पार्टी के प्रति वफादारी है जो इतनी अनदेखी होने के बाद भी पार्टी के प्रति अपना मन नहीं बदले दिया।

राजीव गांधी की हत्या के बाद जब नरसिम्हा राव की अगुवाई में कांग्रेस ने केन्द्र में अपनी सरकार बनाई तो गांधी परिवार का सबसे वफदार कहे जाने वाले पटेल को किनारे कर दिया इसके साथ कई मौको पर पटेल को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की सदस्यता के साथ अन्य पदों से भी हटा दिया गया था। इसके बाद भी वह पार्टी के प्रति वफादार बने रहे और इसी वजह से कांग्रेस पार्टी में उनको बहुत अहम माना जाता था।

5 बार राज्यसभा और 3 बार लोकसभा सांसद बने

गुजरात में जन्में अहमद पटेल तीन बार लोकसभा के लिए चुने गए तो 5 बार राज्यसभा के सांसद चुने गये और वह पहली बार 1977 में महज 26 साल की उम्र में लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। पटेल का परिवार भी राजनीति ने जुडा हुआ था ले​किन पटेल के बच्चे इससे दूर है। इसके साथ पटेल ने कई मौको पर के​न्द्रीय मंत्री पद न लेकर पार्टी को मजबूत बनाने का कार्य किया इसी वजह से वह पार्टी के सबसे शक्तिशाली नेता माने जाते ​थे।

पटेल का दूसरा नाम कांग्रेस का संकटमोचक

पटेल ने कई मौको पर अपने आप को साबित किया जिसके कारण उनको कांग्रेस का संकटमोचक भी कहा जाता है। इंदिरा से लेकर सोनिया तक उनकी हर बात आंख मूदकर विश्वास करती है और इसी कारण वह सोनिया गांधी के सबसे करीबी सलाहकारों में उनको गिना जाता है। अगर बात करे कांग्रेस के सबसे ताकतवर नेताओं की तो उसमें पटेल का नाम सबसे अग्रिण है। लेकिन उनके निधन से कांग्रेस पार्टी के साथ गांधी परिवार को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है।

 

झारखंड के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन ने ली शपथ, समारोह में दिग्गज नेताओं ने की शिरकत

नई दिल्ली। हेमंत सोरेन झारखंड के 11वें नए मुख्यमंत्री बन गए हैं। झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। उन्होंने मोरहाबादी मैदान में शपथ ली। हेमंत सोरेन के साथ तीन मंत्रियों ने भी शपथ ली। इसमें दो कांग्रेस और एक आरजेडी से हैं।

बता दें कि झारखंड विधानसभा चुनाव में 81 सीटों में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में बने कांग्रेस-RJD गठबंधन ने 47 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया था। सूबे के मुख्यमंत्री रहे रघुबर दास और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा भी चुनाव हार गए और बीजेपी को सिर्फ 25 सीटें हासिल हुईं।

हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी एकता की झलक भी दिखी। शपथ ग्रहण समारोह में राहुल गांधी, ममता बनर्जी, तेजस्वी यादव, सीताराम येचुरी, डी राजा, डीएमके नेता स्टालिन, अशोक गहलोत और आप नेता सहित कई विपक्षी नेता मंच पर दिखे. झारखंड में बीजेपी की सरकार को हटाकर गठबंधन की सरकार बनी है।

हेमंत सोरेन के साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव, कांग्रेस विधायक दल के नेता विधायक आलमगीर आलम और RJD विधायक सत्यानंद भोक्ता ने भी कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली। राहुल गांधी कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को भरोसा जताया कि झारखंड में नई गठबंधन सरकार सभी के लिए काम करेगी।

इन चुनावों में हेमंत सोरेन की पार्टी ने रिकॉर्ड 30 सीटें जीतीं. अब JMM विधानसभा में सबसे बड़ा दल है, जबकि सिर्फ 25 सीटें जीत पाने से बीजेपी का विधानसभा में सबसे बड़ा दल बनने का सपना भी चकनाचूर हो गया। तीन पार्टियों (JMM, RJD और कांग्रेस) के गठबंधन को चार अन्य विधायकों ने भी समर्थन दिया है। इनमें से तीन विधायक झारखंड विकास मोर्चा के और एक विधायक भाकपा के हैं।

राहुल गांधी ने कहा कि शांति तथा समृद्धि के नए युग की शुरुआत करेगी. राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘मैंने आज रांची में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेनजी और राज्य सरकार में कांग्रेस के मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया। मुझे विश्वास है कि झारखंड में नई सरकार सभी नागरिकों के भले के लिए काम करेगी तथा राज्य में शांति एवं समृद्धि के नये युग की शुरुआत करेगी।

राहुल गांधी ने मोदी पर कसा तंज, कहा RSS का प्रधानमंत्री भारत माता से झूठ बोलता

नई दिल्ली। राहुल गांधी ने गुरुवार को पीएम मोदी पर उनकी उस टिप्पणी को लेकर निशाना साधा जिसमें उन्होंने कहा था कि देश में कोई हिरासत केंद्र नहीं है। गांधी ने ट्वीट करते हुए आरोप लगाया, आरएसएस के प्रधानमंत्री भारत माता से झूठ बोलते हैं।

गुरुवार को राहुल गांधी ने ट्वीट कर पीएम मोदी को झूठा करार दिया। असम में डिटेंशन सेंटर से जुड़े एक वीडियो को ट्वीट करते हुए राहुल गांधी ने लिखा, ‘RSS का प्रधानमंत्री भारत माता से झूठ बोलता है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी का नागरिकता संशोधन एक्ट के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करना लगातार जारी है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक ट्वीट करके आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी असम में हिरासत केंद्र के मुद्दे पर देश से झूठ बोल रहे हैं। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्होंने आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया है लेकिन उनसे सार्वजनिक संवाद में शालीन भाषा की अपेक्षा करना बहुत ज्यादा है।

बीजेपी ने कहा कि असम में हिरासत केंद्र (डिटेंशन सेंटर) तब बनाए गए थे जब कांग्रेस केंद्र और राज्य दोनों ही जगह सत्ता में थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर झूठ बोलने का आरोप लगाने के लिए बीजेपी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर गुरुवार को पलटवार करते हुए उन्हें ‘झूठों का सरदार’ कहा।

पात्रा ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए 2011 में तत्कालीन कांग्रेस नीत संप्रग सरकार की ओर से जारी आधिकारिक बयान दिखाया जिसमें कहा गया था कि असम में हिरासत केंद्र स्थापित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी झूठों के सरदार हैं। असम में तीन हिरासत केंद्र उनकी पार्टी ने बनवाये थे, जो (उस वक्त) केंद्र और राज्य दोनों ही जगह सत्ता में थी।

पात्रा ने असम सरकार द्वारा अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर जारी श्वेतपत्र भी दिखाया और दावा किया कि इसमें भी हिरासत केंद्र स्थापित करने की बात की गई है। उन्होंने साथ ही कहा कि हिरासत केंद्रों और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) में कोई संबंध नहीं है।

उन्होंने ट्विटर पर एक वीडियो क्लिप भी डाली जिसमें मोदी कांग्रेस और उसके सहयोगियों तथा शहरी नक्सलियों पर यह अफवाह फैलाने का आरोप लगा रहे हैं कि मुस्लिमों को हिरासत केंद्रों में भेजा जाएगा। क्लिप में असम में एक कथित हिरासत केंद्र बनते हुए भी दिखाया गया है।

रामलीला मैदान पहुंचे लाखों लोग, प्रियंका गांधी का मोदी सरकार के खिलाफ करारा हमला

नई दिल्ली। कांग्रेस की भारत बचाओं रैली में हिस्सा लेने के लिए देश के कोने-कोने से लाखों कांग्रेस कार्यकर्ता रामलीला मैदान पहुंच रहे हैं। प्रियंका गांधी ने रामलीला मैदान की रैली में अपने भाषण की शुरुआत मेरे नेता राहुल गांधी से की। प्रियंका गांधी ने अपने भाषण में मोदी सरकार के खिलाफ करारा हमला बोला है।

प्रियंका ने कहा ये देश एक आंदोलन से उभरा है। भाजपा के 6 वर्षो के राज के बाद जीडीपी पाताल पर है। छोटा व्यापारी नाखुश है। बीजेपी है तो 4 करोड़ नौकरियां नष्ट हैं। फिर भी हर बस स्टॉप हर इश्तेहार में मोदी मुमकिन है।

गांधी ने कहा कि भाजपा है 100 रुपये प्याज़ मुमकिन है। 4 करोड़ नौकरी नष्ट होना मुमकिन है। 15000 किसानों की आत्महत्या मुमकिन है। भाजपा है जो कानून देश के खिलाफ है मुमकिन है। भाजपा है तो हमारे पीएसयू का बिकना मुमकिन है।

प्रियंका ने अपने भाषण में उन्नाव की घटना को याद दिलाया। पीड़ित परिवार का दुखड़ा सुनाया. उन्होंने कहा कि जब मैंने एक छोटी सी बच्ची से पूछा कि बड़ी होकर तुम क्या बनोगी तो पहले तो उसने कुछ नहीं किया लेकिन बाद में उसने कहा कि जो वकील से बड़ा होता है।

भारत बचाओ’ रैली का मकसद बीजेपी सरकार की विभाजनकारी नीतियों को उजागर करना है। पार्टी के शीर्ष नेता रैली को संबोधित कर मोदी सरकार की विफलताओं और देश के नागरिकों को बांटने के कथित प्रयासों को जनता के सामने उजागर करेंगे।

OBC /SC/ST एवं अल्पसंख्यक संगठनो का निर्णय – लोकसभा चुनावों में मनुवादी प्रत्याशियों का करेंगे -बहिष्कार

95% समाज ने कहा – लोकसभा चुनावों में करेंगे – मनुवादि प्रत्याशियों का बहिष्कार —

OBC /SC/ST एवं अल्पसंख्यक समाज के लोगों ने  सर्व सहमती से निर्णय लिया की आगामी लोकसभा चुनाव 2019 में सभी पार्टियों के मनुवादी प्रत्याशियों का वह विरोध करंगे और किसी भी कीमत पर इन मनुवादी प्रत्याशियों को वोट नहीं देंगे |

 

जयपुर | OBC /SC/ST एवं अल्पसंख्यक समाज के  वरिष्ट संगठनों ने आज जयपुर में आयोजित “संयुक्त स्वाभिमान बैठक ” में भाजपा और कांग्रेस द्वारा मूलनिवासियों के अधिकारों का जो हनन किया जा रहा है उस पर विस्तार से चर्चा की गई |

स्वाभिमान बैठक में सभी समाजों के वरिष्ट , बुद्धिजीवी व् युवा वर्ग शामिल हुवें जिसमे वर्तमान भाजपा मोदी सरकार द्वारा जो कुठाराघात OBC /SC/ST एवं अल्पसंख्यक समाज पर किये जा रहे है जैसे – मोदी की भाजपा सरकार द्वारा आरक्षण के खत्म करने की साजिश – 13 पॉइंट रोस्टर , evm की विश्वसनीयता पर सवाल , बिन मांगे सवर्णों को दिये गए – 10% आरक्षण आदी गंभीर मुद्दों पर चर्चा की गई |

क्या कहा बुद्धिजीवियों ने –

अध्यक्ष्य – आरक्षण अधिकार मंच के राजाराम मील साहब –

ने कहा की आज वर्तमान भाजपा सरकार ने आरक्षण को मजाक बना दिया है आज तक आरक्षण सही तरीके से लागू भी नहीं हुआ है

जबकि भाजपा आरक्षण विरोधी सरकार साबित हुई है आज देश का शिक्षित युवा बेरोजगार घूम रहा है मोदी सरकार आज पूरी तरह से विफल साबित हुई है आज जिन गरीब ,वंचित शोषित वर्ग के लोगों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए था उन्हें तो सही तरह से मिला भी नहीं है और सवर्णों को बिन मांगे 10 % आरक्षण लाभ दे दिया गया है जो की इस मनुवादी सरकार के पक्षपात को उजागर करता है |

दलित – मुस्लिम एकता मंच अध्यक्ष – आरको साहब 

अब्दुल लतीफ़ आरको साहब ने कहा की आज देश को कुछ मुठ्टी भर लोग अपने अनुसार चला रहे है उन्हें सिर्फ अपने चहीते मित्रमण्डली { अडानी -अम्बानी } को लाभ केसे पहुँचाया जाये इस पर अधिक ध्यान रहता है जबकि देश के 40% बेरोजगार लोग  प्रतिदिन रोजगार की तलाश में शहरों की और जाते है आज देश में साम्प्रदायिक ताकते फन उठाये हुए है आज देश के हालत चिन्त्ता जनक है आज  OBC /SC/ST एवं अल्पसंख्यक समाज के लोग इस विषम परिस्थितियों में है की कांग्रेस – भाजपा में से कौन सही है जबकि वर्तमान में दोनों पार्टिया सांप नाथ – नाग नाथ से कम नज़र नहीं आती है जो कि हमारे बहुसंख्यक समाज के लिए बड़ी चिंता का विषय है |

भीम संसद – पवन देव 

भीम संसद के मीडिया प्रवक्ता पवन देव ने कहा की आज देश की सत्ता में हर स्तर पर मनुवादियों का कब्ज़ा है आज इन मनुवादियों ने संविधान को मजाक बना दिया है आज देश का संविधान ख़तरे में है भारत का संविधान विश्व का सबसे मजबूत संविधान है क्योकिं संविधान निर्माता डॉ बाबा साहब अम्बेडकर ने इस संविधान के माध्यम से देश के सभी वर्गों – दलित ,पिछड़ा ,वंचित अल्पसंख्यक , महिला वर्ग आदी सभी के अधिकारों को सुरक्षित व् संरक्षित किया है जिससे यह पिछड़ा वंचित समाज – मुख्य समाज के साथ मुख्यधारा में आ सके लेकिन आज इस भाजपा मनुवादी सरकार ने बहुसंख्यक 95 % समाज के लोगों पर षड्यंत्र द्वारा कुठाराघात कर अपने चहितों को लाभ देने में मशगूल है जो की देश की जनता के साथ धोखा है  |

युवा सामाजिक कार्यकर्ता – धर्मेन्द्र आँचर –

युवा सामाजिक कार्यकर्ता आँचर ने कहा की आज देश में 5 प्रतिशत सवर्ण समाज के लोगों ने सभी संसाधनों पर कब्ज़ा कर रखा है जबकि मूलनिवासी OBC /SC/ST एवं अल्पसंख्यक समाज आज हाशिये पर खड़ा है आज देश में 5 % लोगों को 10 % आरक्षण  बिन मांगे यह  मनुवादी सरकार ने गिफ्ट कर दिया है जबकि देश की 95 %  जनसंख्या को आज अपने संविधानिक अधिकारों से वंचित रखा गया है आज देश का युवा बेरोजगारी से तंग आ कर आत्महत्या कर रहा है और देश के यह मनुवादी नेता विदेशी दौरों में मस्त है आज हम इन दोनों भाजपा – कांग्रेस के मनुवादी प्रत्याशियों को लोकसभा में वोट नहीं देंगे – यह निर्णय है हमारा |

OBC /SC/ST एवं अल्पसंख्यक समाज के लोगों ने सर्वसहमति से कहा है की आगामी लोकसभा चुनावों में वह मनुवादी प्रत्याशियों  को किसी भी कीमत पर वोट नहीं देंगे व् उनका विरोध करेंगे |

5 मार्च के भारत बंद का समर्थन – 

‘‘संविधान बचाओ संघर्ष समिति’’ द्वारा घोषित दिनांक 5 मार्च 2019 को राष्ट्रव्यापि भारत बंद व राष्ट्रीय आंदोलन को पूर्णतया समर्थन करने का निर्णय लिया गया।

इस “संयुक्त स्वाभिमान बैठक में विभिन्न संगठनों जिसमें आरक्षण अधिकार मंच, सामाजिक अधिकार न्याय मंच, दलित मुस्लिम एकता मंच, श्री कृष्ण यादव विकास संस्थान, अम्बेडकर वेलफेयर सोसाईटी, भीम संसद आदि के प्रमुखों ने भाग दिया

 

गहलोत सरकार के खिलाफ़ – मुस्लिम

मुख्यमंत्री गहलोत के रवैये से मुसलमानों में कङा रोष –

मुस्लिम थिंक टैंक का मानना है कि राजस्थान में कांग्रेस को सत्ता की चौखट तक पहुंचाने में प्रमुख योगदान मुस्लिम वोटर का रहा है। यहाँ तक कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी मुस्लिम वोटर की एकतरफा पोलिंग से विधायक बने हैं, इसके बावजूद गहलोत ने मुसलमानों को पूरी तरह से नजरअंदाज करने का रवैया बना रखा है। गहलोत के इस रवैये से मुसलमानों में कङा रोष है, जिसका का खामियाजा कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में भुगतान पङ सकता है !
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एक मुस्लिम थिंक टैंक विधानसभा चुनाव परिणाम का अध्ययन कर रहा है। इस अध्ययन और आंकड़ों के आकलन के आधार पर थिंक टैंक का मानना है कि राजस्थान में मुस्लिम वोट करीब 90 फीसदी पोल हुआ है और कुछ सीटों को छोड़कर यह वोट एकतरफा कांग्रेसी उम्मीदवारों को मिला है। जिसके नतीजे में कांग्रेस को 100 सीटें मिली हैं और वो 

हारती हारती बची है। अगर मुस्लिम वोट 20 फीसदी भी कम पोल हो जाता, तो कांग्रेस को 60 सीटें भी नहीं मिलती !


जयपुर। दो महीने पहले राजस्थान विधानसभा चुनाव हुए। जिनमें कांग्रेस को 99 सीटें मिली। हालांकि बाद में रामगढ सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस जीत गई और उसकी कुल 100 सीटें हो गई, बहुमत से एक कम। मतगणना के एक सप्ताह बाद मुख्यमंत्री कौन बने ? के सवाल की जंग खत्म हुई और अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री व सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके कई दिनों बाद मन्त्रीमण्डल का गठन हुआ। मन्त्रीमण्डल में एक मुस्लिम को मन्त्री बनाया गया, जबकि पिछले तीन दशक में जब भी राजस्थान में कांग्रेस की सरकार रही है, तब तीन से कम मुस्लिम मन्त्री कभी नहीं रहे। मन्त्रीमण्डल का

गठन होते ही मुसलमानों में कङा रोष व्याप्त हो गया। जिसकी चर्चा चाय चौपालों से लेकर सोशल मीडिया पर शुरू हो गई। लोगों ने गहलोत के इस रवैये की कङी आलोचना करते हुए नाराज़गी का इजहार किया।

इसके कुछ दिनों बाद विभागों का बंटवारा हुआ और मुसलमानों के नाम पर बनाए गए एकमात्र मन्त्री पोकरण विधायक सालेह मोहम्मद को अल्पसंख्यक मामलात का मामूली मन्त्रालय देकर इतिश्री कर दी। तो मुस्लिम समुदाय में व्याप्त रोष और तीव्र हो गया। फिर एएजी की नियुक्तियां हुईं और उनमें एक भी मुस्लिम एडवोकेट को शामिल नहीं किया गया। जबकि एएजी के नाम पर करीब डेढ़ दर्जन वकीलों की नियुक्ति हुई है। इसके बाद मुस्लिम बुद्धिजीवियों ख़ासकर वकीलों ने कङी नाराज़गी का इजहार किया। कांग्रेस से जुड़े हुए मुस्लिम वकीलों ने एक बैठक आयोजित करने की भी योजना बनाई, हालांकि वो किसी कारणवश आयोजित नहीं हो

सकी। एएजी की नियुक्तियों के बाद अन्दरखाने कांग्रेसी मुस्लिम नेताओं ने भी मुख्यमंत्री गहलोत की आलोचना शुरू कर दी और गहलोत के इस रवैये को पार्टी नेतृत्व तक पहुंचा दिया। इसके बाद एक मुस्लिम एडवोकेट को सरकारी वकील के साथ एएजी बनाया।

सीएम गहलोत के इस रवैये से मुसलमानों में कङा रोष है और मुस्लिम समुदाय अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। सियासी तौर पर जागरूक मुसलमानों का मानना है कि राजस्थान में कांग्रेस को सत्ता की चौखट पर पहुंचाने वाला मुस्लिम समुदाय है। इसके बावजूद गहलोत मुसलमानों को नजरअंदाज कर रहे हैं और वो कांग्रेस को भाजपा की बी टीम बनाने पर तुले हुए हैं, जिसका खामियाजा कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में भुगतान पङ सकता है। इस बीच एक मुस्लिम थिंक टैंक ने विधानसभा चुनाव परिणाम का अध्ययन शुरू किया है और इस थिंक टैंक का मानना है कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार मुस्लिम वोटर की देन है। इस थिंक टैंक ने इकरा पत्रिका से भी सम्पर्क किया और इकरा पत्रिका की टीम ने थिंक टैंक के आंकड़ों और विश्लेषण का अध्ययन किया। यह एक विस्तृत रिपोर्ट है, जो एक लेख में प्रकाशित करना सम्भव नहीं है। इसलिए आगामी अंकों में विस्तार से इस रिपोर्ट पर आधारित लेख प्रकाशित किए जाएंगे। फिर भी कुछ आंकड़े इस लेख में भी प्रकाशित किए जा रहे हैं।

इस थिंक टैंक का मानना है कि राजस्थान में मुसलमानों का वोट करीब 90 फीसदी पोल हुआ है और कुछ मुस्लिम बाहुल्य बूथों पर तो इससे भी अधिक वोट पोल हुआ है। नगर, तिजारा, उदयपुरवाटी, सीकर जैसी कुछ विधानसभा सीटों को छोड़कर यह वोट एकतरफा पूरा का पूरा कांग्रेसी उम्मीदवारों को मिला है। जिसके नतीजे में कांग्रेस को 100 सीटें मिली हैं और वो हारती हारती बची है तथा राजस्थान की सत्ता कांग्रेस की झोली में आई है। इस थिंक टैंक का मानना है कि अगर राजस्थान में मुसलमानों का वोट 20 फीसदी भी कम पोल हो जाता, तो कांग्रेस की 60 सीट भी नहीं आती और वो आज विपक्ष में बैठी होती। इस थिंक टैंक का यह भी दावा है कि कांग्रेस को मुसलमानों के अलावा किसी भी जाति या समुदाय का 65 फीसदी से अधिक वोट नहीं मिला है। कुछ जातियों का तो कांग्रेस को 20 फीसदी से भी कम वोट मिला है, फिर भी कांग्रेस सरकार ने उन जातियों से सम्बंधित नेताओं को मन्त्रीमण्डल और एएजी जैसे पदों पर मुस्लिम से ज्यादा नियुक्तियां दी हैं। इनका आकलन यह भी बता रहा है कि किसी भी जाति का 65 फीसदी से अधिक वोट कांग्रेस को उसी सीट पर मिला है, जिस सीट पर कांग्रेस का उम्मीदवार उसी जाति का था तथा भाजपा या अन्य पार्टी का कोई मजबूत उम्मीदवार दूसरी जाति का था। जबकि मुसलमानों का वोट न सिर्फ मुस्लिम उम्मीदवार वाली सीटों पर बल्कि कमोबेश अन्य सभी सीटों पर भी 90 फीसदी के करीब पोल हुआ है तथा यह एकतरफा कांग्रेस को मिला है। इसके बावजूद सीएम गहलोत मुसलमानों को नजरअंदाज कर रहे हैं।

अगर कांग्रेस के कुछ विजयी उम्मीदवारों को मिले वोट और जीत के अन्तराल का अध्ययन करें, तो मालूम होता है कि वे मुस्लिम वोट की वजह से जीते हैं, यहाँ तक के खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी मुस्लिम वोटों की वजह से विधायक बने हैं। यहाँ कुछ ऐसी ही सीटों के आंकड़े पेश किए जा रहे हैं, जहाँ मुस्लिम वोट 50 हजार से अधिक हैं। इनमें एक सरदारपुरा विधानसभा सीट है, जहाँ से खुद मुख्यमंत्री गहलोत विधायक बने हैं। वे यहाँ से 45 हजार 597 वोटों के अन्तर से जीते हैं और उन्हें करीब 65 हजार मुस्लिम वोटर वाली इस सीट पर एकतरफा मुस्लिम वोट मिले हैं। दूसरी सीट टोंक जहाँ से उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट 54 हजार 179 वोटों के अन्तर से विजयी हुए हैं। तीसरी सीट कोटा उत्तर जहाँ से यूडीएच मन्त्री शान्ति धारीवाल 17 हजार 945 वोटों की लीड से जीतकर विधायक बने हैं। चौथी सीट बीकानेर पश्चिम जहाँ से कैबिनेट मन्त्री बी डी कल्ला 6 हजार 190 वोटों के अन्तर से विजयी हुए हैं। पांचवी सीट झुन्झुनूं जहाँ से बृजेन्द्र ओला 40 हजार 565 वोटों की लीड लेकर विधानसभा पहुंचे हैं। यह सब वो सीट हैं जहाँ मुसलमानों के 50 हजार से अधिक वोट हैं और वे एकतरफा कांग्रेस के खाते में डले हैं।

लेख़क -एम फारूक़ ख़ान सम्पादक इकरा पत्रिका।

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