किसान आंदोलन का 19वां दिन: सभी जिला मुख्यालयों पर धरना देंगे किसान

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के खिलाफ देश भर के किसानों के विरोध प्रदर्शन का आज 19वां दिन है और अब यह आंदोलन धीरे—धीरे देश के सभी हिस्सों में फैल रहा है। खबरों के अनुसार बताया जा रहा है कि दिल्ली की सीमाओं पर किसान 8 बजे से भूख हड़ताल पर बैठने का फैसला करने के साथ आज देश भर में किसान सभी जिला मुख्यालयों पर धरना दिया जाएगा। इस आंदोलन पर जबरदस्त राजनीति भी देखने का मिल रही है जिसके चलते इस आंदोलन को लेकर कई प्रकार के सवाल भी खड़े किये जा रहे हैं।


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी किसानों की भूख हड़ताल का समर्थन करते हुए वह खुद भूख हड़ताल पर बैठेंगे इस फैसलों को पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने केजरीवाल के उपवास को नौटंकी करार दिया है। किसानों के आंदोलन को लेकर मोदी सरकार हर प्रकार से किसानों से वर्ता करने के​ प्रयास कर रही है वहीं अब इस मुद्दे पर खुद अमित शाह लगातार बैठके कर रहे हैं।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को किसानों को मनाने के लिए अलग-अलग राज्यों और यूनियनों की जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन,अमित शाह ने पंजाब के किसान नेताओं से बातचीत करने की जिम्मेदारी अपने पास रखी है। इस आंदोलन से जुड़े कई किसान नेताओं ने इससे दूरी बना ली है।


किसान दिल्ली-जयपुर हाईवे बंद करने के लिए राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर पर भारी संख्या में जमा होने लगे हैं। इस आंदोलन को देश के खतरा बताने के साथ इसके तार पाकिस्तान से भी जोड़ने की बाते सामने आ रही है लेकिन किसान नेता पहले ही कह चुके हैं कि हमें किसी भी राजनीतिक पार्टी की जरूरत नहीं है हम अपने अधिकार के लिए खुद लड़ सकते हैं।

राजस्थान में गहलोत सरकार पर मंडराया ये बड़ा खतरा

कोरोना काल में राजस्थान की गहलोत सरकार पर ​खतरा एक फिर से मंडराने लगा है इस बात का खुलासा स्वंय राज्य के सीएम गहलोत ने किया है। गहलोत ने बताया कि उनकी सरकार को एक बार फिर से अस्थिर करने की तैयारी की जा रही है लेकिन इस बार भी उनको कामयाबी नहीं मिलेगी। इस खबर के बाद से यह कयास लगाये जा रहे है कि पायलट खेमा नाराज है या फिर वह अपनी मांग पूरी नहीं होने के कारण कुछ ऐसा करने का प्रयास कर रहा है। सीएम गलतोत ने ​कहा कि पिछली बार जब सरकार गिराने की रणनीति बनाई गयी थी तब अमित शाह इसके पीछे ​थे जिसके पुख्ता जानकारी हमारे पास है।

प्रदेश में कोरोना के कारण बहुत ज्यादा लोगों को परेशा​नी झेलनी पड़ रही है और ऐसे समय में अगर सरकार को गिराने की बात सामने आ रही है तो यह प्रदेशवासियों के लिए सही नहीं होगा। क्योंकि पिछले दिनों राज्य की जनता ने देखा था कि जब कोरोना फैल रहा था तो सरकार एक महीने तक होटल में रही जिसके कारण लोगों को बहुत ज्यादा परेशानी उठानी पड़ी थी।

गहलोत और पायलट खेमे में पिछले दिनों से कोई ज्यादा बयानबाजी नहींं हुई है लेकिन इसके बाद भी सीएम का यह बयान बहुत कुछ होने की तरफ इशारा कर रहा है। अगर इन दोनों खेमों के बीच खिचतान कम नहीं हुई तो कांग्रेस पार्टी के लिए एक बार फिर बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है जिसमें दिल्ली में बैठे नेताओं को फिर हस्तक्षेप करना पड़ सकता है।

गहलोत के इए बयान के बाद बीजेपी ने कहा कि वह हर बार अपनी ही सरकार के मंत्रियों पर पैसे लेने का आरोप लगाकर सरकार गिराने को आरोप बीजेपी पर मंड़ते है। अगर खुद के परिवार की लड़ाई को वह हल नहीं कर पा रहे है तो प्रदेश की जनता का ध्यान वह कैसे रखेंगे।

 

 

हैदराबाद नगर निकाय चुनावों के नतीजों पर देश की निगाहे

हैदराबाद नगर निगम के चुनाव मंगलवार को समाप्त हो चुके है और इन चुनावों में सभी पार्टीयों ने अपनी पूरी ताकत लगा रखी थी। लेकिन इसके बाद भी मतदाताओं ने ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया और बहुत कम मतदान हुआ।

ग्रेटर हैदराबाद में करीब 50 प्रतिशत से ज्यादा हिन्दू मतदाता हैं, जबकि मुस्लिम आबादी कम है इसी को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने यहां अपनी पूरी ताकत लगा दी है। यह देश का पहला नगर निगम का चुनाव था जिसमें देश के गृहमंत्री से लेकर बीजेपी के बड़े बड़े मंत्रियों के साथ यूपी के सीएम तक ने यहां प्रचार किया। नतीजे 4 दिसंबर को आएंगे इसी वजह से देश की निगाहे इन चुनावों पर टिकी हुई है।

फ़ाइल् फोटो { अमित शाह }

हैदराबाद नगर निगम के 150 सीटों के लिए मतदान हो चुका है और सभी दलों ने यहां अपनी अपनी जीत का दावा भी कर दिया है। बीजेपी इस निकाय में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन को टक्कर देने के लिए यहां अपनी पूरी ताकत लगा दी है।

 

राज्य सभा का गणित और भाजपा की हॉर्स ट्रेडिंग , पगड़ी ( साफा ) इवेंट

राज्य सभा का गणित 

7 राज्यो में 18 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव 19 जून को सुबह 9 बजे से होंगे। कोरोना महामारी और देशव्यापी लोकडाउन की वजह से चुनाव आयोग ने मार्च में होने वाले राज्यसभा स्थगित कर दिए थे।

चुनाव आयोग के अनुसार चुनाव प्रक्रिया में मतदान केंद्र पर मतदान अधिकारी, राजनीतिक दलों के एजेंट, समर्थक एवं विधायक शामिल होंगे।जिससे मतदान केंद्र पर भारी भीड़ रहेगी जो वर्तमान विषम परिस्थितियों में उचित नहीं है साथ ही विधायक और नेता भी चुनाव स्थगित करने की मांग कर रहे थे।

अतः चुनाव केवल 7 राज्यो में 18 सीटो पर कराने का फैसला आयोग द्वारा लिया गया।जिसमें आंध्रप्रदेश और गुजरात की चार-चार सीट, मध्यप्रदेश और राजस्थान की तीन-तीन सीट,झारखण्ड की दो सीट तथा मेघालय और मणिपुर की एक-एक सीट शामिल है।

इसी के साथ राजनीतिक पार्टियों में दल बदल का खेल भी शुरू हो गया है। पिछले कुछ ही दिनों में कांग्रेस के तीन विधायको ने इस्तीफा दिया है। जिसपर सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट करके भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है की भाजपा हॉर्स ट्रेडिंग कर रही है।

गुजरात में कांग्रेस के दो विधायकों – मध्य गुजरात के कर्जन से अक्षय पटेल और दक्षिण गुजरात के कपराडा से जीतू चौधरी ने 3 जून को इस्तीफा दे दिया, जिससे पार्टी की विधानसभा संख्या 66 हो गई और 5 जून को, एक तीसरे विधायक, बृजेश मेरजा ने अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी को अपना इस्तीफा सौंप दिया, और कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता भी छोड़ दी जिससे कांग्रेस की मुसीबत और बढ़ गई है।
कांग्रेस के पास अब 182 सदस्यीय सदन में 65 विधायक हैं,ये 65 विधायक शनिवार (6 जून) को अंबाजी, राजकोट और वड़ोदरा में तीन रिसॉर्ट में पैक किए गए थे ताकि उन्हें “अवैध शिकार” के भाजपा के प्रयासों से बचाया जा सके।

वही राजस्थान में कांग्रेस की स्थिति मजबुत दिख  रही है।कांग्रेस के पास 107 विधायको का समर्थन है साथ ही कांग्रेस का दावा है कि राज्य में 13 निर्दलीय विधायक व अन्य दल भी गहलोत सरकार के पक्ष में वोट करेंगे।

राजस्थान में अफवाह का दौर 

राजस्थान में इन दिनों राजनेतिक गलियारों में एक बात दबी जुबा में चर्चा में है की भाजपा राजस्थान में भी जोड़ तोड़ की कोशिश कर रहीं है और इसका केंद स्थान गुरुग्राम का वेदांता अस्पताल  है क्योकि भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा और राजस्थान के सामाजिक न्याय व् आपदा प्रबंधक मंत्री  मास्टर भंवर लाल में भर्ती है जो सचिन पायलेट के खेमे के है  और कुछ लोग इसे ” पकड़ी ” इवेंट से जोड़ रहें है की जिन विधायकों ने पकड़ी बांधी है वह बगावत कर सकते हैं |

राष्ट्रपति ने दी मंजूरी, नागरिक संशोधन बिल-2019 को लेकर क्‍यों सुलग रहा उत्‍तर-पूर्व

दिल्ली। भारतीय नागरिकता बिल में केंद्र सरकार का प्रस्तावित संशोधन लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत से पारित हो गया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी है। आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार यह कानून कल राजपत्र में प्रकाशित होने के साथ लागू हो गया है।

आपको बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किया जा गया है, जिससे नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नियमों में बदलाव होगा। नागरिकता बिल में इस संशोधन से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा।

सरकार ने कहा है कि घुसपैठियों और शरणार्थियों के बीच अंतर किया जाना आवश्‍यक है। यह कानून किसी के भी खिलाफ भेदभाव नहीं बरतता है और न ही किसी का अधिकार छीनता है। नागरिकता संशोधन विधेयक के दायरे से बाहर वाले क्षेत्र में दो श्रेणियां हैं जिन्हें इस विधेयक से दूर रखा गया है, इनर लाइन’ द्वारा संरक्षित राज्य और संविधान की छठी अनुसूची के तहत आने वाले क्षेत्र।

बता दें कि यह कानून पाकिस्‍तान, बांग्लादेश और अफगानिस्‍तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसम्‍बर, 2014 तक भारत आये हिन्‍दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई समुदाय के अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता के योग्‍य बनाता है। यह संविधान की छठी अनुसूची में शामिल असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के जनजातीय क्षेत्रों और इनरलाइन परमिट व्‍यवस्‍था के तहत आने वाले क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा।

बता दें कि प्रदर्शनकारियों को इस बात से आशंका है कि इस बिल के पास होने के बाद बांग्‍लादेश से बड़ी संख्‍या में आए शरणार्थी जो पहले से यहां पर मौजूद हैं भारत के नागरिक बन जाएंगे। इससे उनकी पहचान या असतित्‍व खतरे में पड़ सकता है। हालांकि नीलू रंजन का कहना है कि यह विरोध राजनीति से प्रेरित है।

बता दें कि भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए देश में 11 साल निवास करने वाले लोग योग्य होते हैं। नागरिकता संशोधन बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए निवास अवधि की बाध्यता को 11 साल से घटाकर 6 साल करने का प्रावधान है।

नागरिकता संशोधन विधेयक राज्यसभा में भी पास -असम में विरोध उग्र – सेना भेजी ..

Citizenship Amendment Bill also passed in Rajya Sabha – Protest raging in Assam – sent army

दिल्ली। राज्‍यसभा ने आज नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पारित कर दिया है। सदन ने विधेयक को 105 के मुकाबले 125 वोटों से मंजूरी दी। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर दिया है। सदन में विधेयक पर विपक्ष के संशोधनों को खारिज करते हुए विधेयक को मंजूरी दी।

अमित शाह ने कहा कि अनुच्‍छेद 14 में जो समानता का अधिकार दिया है, संसद को ऐसा कानून बनाने से नहीं रोकता, जो रिजनेबल क्‍लीसिफिकेशन पर आधारित हो और रिजनेबल क्‍लीसिफिकेशन आज यहां है। हम कोई एक धर्म को नहीं दे रहे हैं। हम एक, तीन देशों की माइनॉरटी को ले रहे हैं और सभी की सभी माइनॉरटी को ले रहे हैं, एक क्‍लास को ले रहे हैं और उसमें भी वो क्‍लास को जो धार्मिक प्रताडना से प्रताडि़त है। इसलिए रिजनेबल क्‍लीसिफिकेशन के आधार पर ये संसद को कानून बनाने का अधिकार है।

गृहमंत्री ने कहा कि यह विधेयक पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और अफगानिस्‍तान जैसे पड़ोसी देशों के अल्‍प संख्‍यकों को मुसीबतों से छुटकारा दिलाने के लिए एक ऐतिहासिक आवश्‍यकता है। उन्‍होंने कहा कि धार्मिक आधार पर देश के विभाजन के बाद इन देशों में अल्‍पसंख्‍यकों को लगातार उत्‍पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।

नागरिकता संशोधन अधिनियम में 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन करके अफगानिस्‍तान, बांग्‍लादेश और पाकिस्‍तान के छह समुदायों के अवैध आप्रवासियों को भारतीय नागरिकता के लिए पात्र बनाने का प्रावधान किया गया है। ये समुदाय हैं-हिन्‍दू, सिक्‍ख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई।

गौरतलब है कि चर्चा के दौरान कांग्रेस, वामपंथी दलों, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, डी एम के पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्‍ट्रीय जनता दल, राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और तेलांगना राष्‍ट्र समिति ने विधेयक को असंवैधानिक करार देते हुए इसका विरोध किया। कांग्रेस के कपिल सिब्‍बल का कहना था कि इसके ऐसे दूरगामी परिणाम होंगे जिनकी कल्‍पना भी नहीं की जा सकती। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन ने विधेयक को असंवैधानिक बताया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को ऐतिहासिक बताते हुए कहा है कि इससे पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को धार्मिक उत्पीड़न से मुक्ति मिल जायेगी। नई दिल्ली में आज भाजपा संसदीय दल की बैठक के बाद संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने बताया कि श्री मोदी ने कहा है कि इस कानून के बनने से उन लोगों के जीवन में अस्थिरता खत्म हो जायेगी जो भारत में रह रहे हैं लेकिन उन्हें नागरिक अधिकार और अन्य सुविधाएं हासिल नहीं हो पाती।

राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्‍ल पटेल ने कहा कि संविधान ने हर ना

गरिक को एक समान अधिकार दिये हैं और इस विधेयक को आगे जांच के लिए प्रवर समिति को सौंपा जाना चाहिए।

शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि विधेयक का विरोध करने वालों को राष्‍ट्रविरोधी करार देना गलत है। उन्‍होंने कहा कि पड़ोसी देशों में अल्‍पसंख्‍यकों के अधिकारों का हनन हुआ है।

समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान ने भी सरकार पर आरोप लगाया कि यह विधेयक देश के घर्म निरपेक्ष स्‍वरूप पर हमला है। ये बिल सबको इसका समर्थन करना होता, अगर दो अमेन्ड्मेन्ट अपनी राजनीतिक महत्‍वाकांक्षा को पूरा करने के लिए उससे थोडा पीछे हट जाएं और सिर्फ दो अमेन्ड्मेन्ट कि पाकिस्‍तान, बंगलादेश और अफगानिस्‍तान की जगह तो लिख दे नेबरिंग कंट्री और हिंदू, सिख बगैर जो लिखा है, इसको रिलिजस माइनॉरटी लिख देते तो बड़ी शानदार तरीके से ये बिल हमारा पास हो जाता।

अमित शाह को मिला गृह मंत्रलाय , जानें किसे मिला कोनसा विभाग

मोदी मंत्रिमंडल में अमित शाह को मिला गृह मंत्रलाय , निर्मला सीतारमण को मिला – वित्त

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने शपथ ग्रहण के अगले दिन अर्थार्त आज { शुक्रवार } को अपने मंत्रियों के  विभागों का बटवारा कर दिया है सबसे चर्चित रहे अमित शाह को गृह मंत्रालय , राजनाथ सिंह को रक्षा , निर्मला सीतारमण को वित्त , नितिन गडकरी को परिवहन ,रवि शंकर को कानून , स्मृति ईरानी को कपड़ा व् महिला एवं बाल विकास  आदी दिये गयें है

मोदी मंत्री मंडल में कुल 57 मंत्रियों को जगह मिली है

साभार

 

यहाँ जानें किस मंत्री को कोनसा विभाग / मंत्रलाय मिला है 

 

मंत्रियों का नाम                   किस मंत्रालय का दिया गया जिम्मा      
 1. नरेंद्र मोदी (प्रधानमंत्री)  प्रधानमंत्री के पद के साथ कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष मंत्रालय. इसके अलाव वो सभी मंत्रालय जो किसी भी मंत्री को अलॉट न हुए हो
 2. राजनाथ सिंह (कैबिनेट मंत्री)  रक्षा मंत्रालय
 3. अमित शाह (कैबिनेट मंत्री)  गृह मंत्रालय
 4. नितिन गडकरी (कैबिनेट मंत्री)  सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय
 5. सदानंद गौड़ा (कैबिनेट मंत्री)  रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय
 6. निर्मला सीतारमण (कैबिनेट मंत्री)  वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय
 7. राम विलास पासवान (कैबिनेट मंत्री)  उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
 8. नरेंद्र सिंह तोमर (कैबिनेट मंत्री)  कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय
 9. रविशंकर प्रसाद (कैबिनेट मंत्री)  कानून एवं न्याय, संचार और इलेक्ट्रानिक एवं सूचना मंत्रालय
 10. हरसिमरत कौर बादल (कैबिनेट मंत्री)  खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय
 11. एस. जयशंकर (कैबिनेट मंत्री)  विदेश मंत्रालय
 12. रमेश पोखरियाल निशंक (कैबिनेट मंत्री)  मानव संसाधन विकास मंत्रालय
 13. थावर चंद गहलोत (कैबिनेट मंत्री)  सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय
 14. अर्जुन मुंडा (कैबिनेट मंत्री)  आदिवासी मामलों का मंत्रालय
 15. स्मृति ईरानी (कैबिनेट मंत्री)  महिला एवं बाल विकास और कपड़ा मंत्रालय
 16. हर्षवर्धन (कैबिनेट मंत्री)  स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विज्ञान और प्रोद्योगिकी, भूविज्ञान मंत्रालय
 17. प्रकाश जावड़ेकर (कैबिनेट मंत्री)  पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय
 18. पीयूष गोयल (कैबिनेट मंत्री)  रेलवे और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
 19. धर्मेंद्र प्रधान (कैबिनेट मंत्री)  पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्रालय
 20. मुख्तार अब्बास नकवी (कैबिनेट मंत्री)  अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय
 21. प्रह्लाद जोशी (कैबिनेट मंत्री)  संसदीय मामले, कोयला और खान मंत्रालय
 22. महेंद्र नाथ पांडेय (कैबिनेट मंत्री)  कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय
 23. अरविंद सावंत (कैबिनेट मंत्री)  भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय
 24. गिरिराज सिंह (कैबिनेट मंत्री)  पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्रालय
 25. गजेंद्र सिंह शेखावत (कैबिनेट मंत्री)  जल शक्ति मंत्रालय
 26. संतोष गंगवार (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)  श्रम एवं रोजगार मंत्रालय
 27. राव इंद्रजीत सिंह (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)  सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन और नियोजन मंत्रालय
 28. श्रीपद नाईक (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)  आयुष मंत्रालय (स्वतंत्र प्रभार), रक्षा मंत्रालय (राज्य मंत्री)
 29. जितेंद्र सिंह (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)  पूर्वोत्तर विकास (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, जनशिकायत और पेंशन, परमाणु उर्जा, अंतरिक्ष मंत्रालय (राज्य मंत्री)
 30. किरण रिजिजू (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)  युवा मामले एवं खेल (स्वतंत्र प्रभार), अल्पसंख्यक मामले (राज्य मंत्री)
 31. प्रह्लाद सिंह पटेल (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)  संस्कृति और पर्यटन (स्वतंत्र प्रभार)
 32. आरके सिंह (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)  बिजली, नवीन एवं नवीकरणीय उर्जा (स्वतंत्र प्रभार), कौशल विकास एवं उद्यमिता (राज्य मंत्री)
 33. हरदीप सिंह पुरी (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)  शहरी विकास और नागरिक उड्डयन मंत्रालय (स्वतंत्र प्रभार), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (राज्य मंत्री)
 34. मनसुख मंडाविया (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)  जहाजरानी (स्वतंत्र प्रभार), रसायन एवं उर्वरक (राज्य मंत्री)
 35. फग्गन सिंह कुलस्ते (राज्य मंत्री)  इस्पात राज्य मंत्री
 36. अश्विनी चौबे (राज्य मंत्री)  स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री
 37. जनरल (रिटायर) वीके सिंह (राज्य मंत्री)  सड़क, परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री
 38. कृष्ण पाल गुज्जर (राज्य मंत्री)  सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण राज्य मंत्री
 39. दानवे रावसाहेब दादाराव (राज्य मंत्री)  उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री
 40. जी. किशन रेड्डी (राज्य मंत्री)  गृह राज्य मंत्री
 41. पुरुषोत्तम रुपाला (राज्य मंत्री)  कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री
 42. रामदास अठावले (राज्य मंत्री)  सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण राज्य मंत्री
 43. साध्वी निरंजन ज्योति (राज्य मंत्री)  ग्रामीण विकास राज्य मंत्री
 44. बाबुल सुप्रियो (राज्य मंत्री)  पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री
 45. संजीव कुमार बलियान (राज्य मंत्री)  पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन राज्य मंत्री
 46. धोत्रे संजय शमराव (राज्य मंत्री)  मानव संसाधन विकास, संचार और इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री
 47. अनुराग सिंह ठाकुर (राज्य मंत्री)  वित्त और कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री
 48. सुरेश अंगादि (राज्य मंत्री)  रेल राज्य मंत्री
 49. नित्यानंद राय (राज्य मंत्री)  गृह राज्य मंत्री
 50. वी मुरलीधरन (राज्य मंत्री)  विदेश, संसदीय कार्य राज्य मंत्री
 51. रेणुका सिंह (राज्य मंत्री)  आदिवासी मामलों की राज्य मंत्री
 52. सोम प्रकाश (राज्य मंत्री)  वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री
 53. रामेश्वर तेली (राज्य मंत्री)  खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री
 54. प्रताप चंद्र सारंगी (राज्य मंत्री)  सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन राज्य मंत्री
 55. कैलाश चौधरी (राज्य मंत्री)  कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री
 56. देबाश्री चौधरी (राज्य मंत्री)  महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री
 57. अर्जुन राम मेघवाल (राज्य मंत्री)  संसदीय कार्य, भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम राज्य मंत्री
 58. रतन लाल कटारिया (राज्य मंत्री)  जलशक्ति और सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण राज्य मंत्री

अमित शाह मुख्यमंत्री गहलोत के गढ़ में भाजपा की रैली करेंगे – 26 अप्रैल को

Preparation to encroach on Chief Minister Ashok Gehlot in Jodhpur – Elections for many

Diggaj BJP leaders in Rajasthan –

जयपुर, 18  अप्रैल 2019। भाजपा प्रदेश संयोजक प्रवास कार्यक्रम समन्वयक ओंकार सिंह लखावत ने बताया कि 26 अप्रैल को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जी का जालौर जिले के रामसीन क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी देवजी भाई पटेल के समर्थन में आमसभा को सम्बोधित करेंगे। तत्पश्चात् सायं 6.30 बजे जोधपुर में भाजपा प्रत्याशी गजेन्द्र सिंह शेखावत के समर्थन में आयोजित रोड़ शो में भाग लेंगे। उसके बाद रात्रि में जोधपुर से प्रस्थान करेंगे।
फ़ाइल् फोटो { अमित शाह }
लखावत ने बताया कि 22 अप्रैल को केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह कोलायत (बीकानेर), देवली (टोंक-सवाईमाधोपुर) एवं शाहजहांबाद (अलवर) में भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में आमसभाओं को सम्बोधित करेंगे  |

आज अंतिम दिन भाजपा के यह प्रत्याशी भेरेंगे अपना नामांकन

लखावत ने बताया कि 18 अप्रैल को भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे श्रीगंगानगर में भाजपा प्रत्याशी निहालचन्द मेघवाल के नामांकन समारोह में भाग लेंगी।
लखावत ने बताया कि 18 अप्रैल को केन्द्रीय संस्कृति, वन एवं पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री डाॅ. महेश शर्मा प्रातः 7.20 बजे दिल्ली से उदयपुर के लिए प्रस्थान कर प्रातः 9.15 बजे उदयपुर से राजसमंद के लिए प्रस्थान कर प्रातः 10.15 बजे विशिष्ठजन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेंगे। तत्पश्चात् प्रातः 11.30 बजे सर्व समाज प्रबुद्धजन सम्मेलन में मुख्य वक्ता के तौर पर भाग लेंगे। उसके बाद दोपहर 1.30 बजे राजसमंद में पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करेंगे। उसके बाद दोपहर 3.00 बजे नाथद्वारा में श्रीनाथजी के दर्शन करेंगे एवं दोपहर 3.30 बजे नाथद्वारा में आयोजित आमसभा में मुख्य वक्ता के तौर पर भाग लेंगे। उसके बाद अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों के अनुरूप प्रस्थान करेंगे।
लखावत ने बताया कि 18 अप्रैल को भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता एवं विधायक सतीश पूनियां प्रातः 10.00 बजे जयपुर से बीकानेर के लिए प्रस्थान कर प्रातः 10.00 बजे बीकानेर संसदीय क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी अर्जुनराम मेघवाल के नामांकन समारोह में भाग लेंगे। उसके बाद दोपहर 2.00 बजे बीकानेर में भाजपा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लेंगे। तत्पश्चात् सायं 5.00 बजे बीकानेर से जोधपुर के लिए प्रस्थान करेंगे एवं रात्रि विश्राम जोधपुर में ही करेंगे। 19 अप्रैल को भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता एवं विधायक सतीश पूनियां प्रातः 10.00 बजे जोधपुर संसदीय क्षेत्र में पार्टी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लेंगे। उसके बाद अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार प्रस्थान करेंगे।
लखावत ने बताया कि 18 अप्रैल को केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत प्रातः 10.00 बजे जोधपुर से नागौर के लिए प्रस्थान कर प्रातः 10.30 बजे नागौर में नागौर संसदीय क्षेत्र के रालोपा प्रत्याशी हनुमान बेनीवाल की नामांकन सभा में भाग लेंगे।
लखावत ने बताया कि 19 अप्रैल को नेता प्रतिपक्ष गुलाबचन्द कटारिया प्रातः 9.00 बजे जयपुर से डेगाना (नागौर) के लिए प्रस्थान कर प्रातः 10.35 बजे डेगाना में आमसभा को सम्बोधित करेंगे। उसके बाद दोपहर 1.00 बजे मेड़ता में कार्यकर्ता सम्मेलन को सम्बोधित करेंगे। तत्पश्चात् दोपहर 3.00 बजे मेड़ता से उदयपुर के लिए प्रस्थान करेंगे एवं रात्रि विश्राम उदयपुर में ही करेंगे।
लखावत ने बताया कि 19 अप्रैल को उतराखंड के मुख्यमंत्री टी.एस. रावत सायं 7.30 बजे होटल मैरियट, जवाहर सर्किल जयपुर से प्रस्थान कर सायं 7.45 बजे जयपुर के मालवीय नगर स्थित 17, नन्दपुरी, शहीद बाबा की मोरी में प्रवासी प्रतिनिधियों के साथ भोजन लेंगे। तत्पश्चात् होटल मैरियट के लिए प्रस्थान करेंगे।
लखावत ने बताया कि 18 अप्रैल को राजस्थान केश कला बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष मोहन मोरवाल प्रातः 10.00 बजे जोधपुर लोकसभा क्षेत्र में भाजपा संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रमानुसार जनसम्पर्क करंेगे। 19 अप्रैल को राजस्थान केश कला बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष मोहन मोरवाल प्रातः 10.00 बजे जोधपुर से जयपुर के लिए प्रस्थान करेंगे।
लखावत ने बताया कि 18 अप्रैल को भाजपा अन्य पिछड़ा वर्ग मोर्चा के उपाध्यक्ष रणजीत सिंह सोड़ाला प्रातः 10.00 जालौर में पूर्व निश्चित सामाजिक एवं भाजपा द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में भा लेंगे। 19 अप्रैल को भाजपा अन्य पिछड़ा वर्ग मोर्चा के उपाध्यक्ष रणजीत सिंह सोड़ाला प्रातः 7.00 बजे जालौर से बाड़मेर के लिए प्रस्थान कर प्रातः 11.00 बजे बाड़मेर में भाजपा द्वारा आयोजित कार्यक्रमों एवं सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेंगे।
लखावत ने बताया कि 18 अप्रैल को राज्यसभा सांसद रामकुमार वर्मा प्रातः 8.00 बजे जयपुर से टोंक के लिए प्रस्थान कर प्रातः 10.00 बजे टोंक में टोंक-सवाईमाधोपुर संसदीय क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी सुखवीर सिंह जौनपुरिया के पक्ष में जनसम्पर्क करेंगे एवं रात्रि विश्राम टोंक में ही करेंगे। 19 अप्रैल को राज्यसभा सांसद रामकुमार वर्मा प्रातः 9.00 बजे टोंक से बूंदी के लिए प्रस्थान कर प्रातः 10.00 बजे बूंदी में कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी ओम बिरला के पक्ष में जनसम्पर्क करेंगे एवं रात्रि विश्राम बंूदी में ही करेंगे।

क्या पीएम मोदी और अमित शाह झूठ -जुमलो के सहारे चुनाव जीतना चाह रहे हैं –

Is PM Modi and Amit Shah want to win the elections with the lie

यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक काला अध्याय है, जहाँ प्रधानमंत्री और सत्तारूढ़ दल के मुखिया तथा मुख्यमंत्री स्तर के राजनेता खुलकर चुनावी सभाओं में झूठ बोल रहे हैं, जनता को गुमराह कर रहे हैं, जनहित के मुद्दों से मतदाता का ध्यान हटा रहे हैं, ताकि पूर्व की भांति जनता उनकी लफ्फाजी के चक्रव्यूह में फंस जाए और उन्हें एक बार फिर सत्ता सौंप दे ! 

जयपुर (टीम इकरा पत्रिका)। भारतीय लोकतंत्र को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है, क्योंकि यहाँ बहुत से देशों की कुल आबादी से अधिक करीब 90 करोड़ वोटर हैं। जितने किसी एक देश में तो होने का सवाल ही नहीं है। साथ ही यह वोटर पंचायत और नगर निकाय से लेकर विधानसभा एवं लोकसभा तक का हर पांच साल में चुनाव करते हैं। जनता को नीचे से लेकर ऊपर तक के तमाम लोकतांत्रिक राजाओं को बदलने का अधिकार है। भारतीय लोकतंत्र की एक और विचित्र बात भी है कि यहाँ देश के किसी न किसी कौने में हर वर्ष कोई ना कोई चुनाव होता है। यानी यहाँ चुनाव एक लोकतांत्रिक त्यौहार बन चुका है।

यह बड़ी खूबसूरती है भारतीय लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था की, इसीलिए इसे विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है। लेकिन 70 साल बाद इस बेमिसाल लोकतंत्र पर लोकतंत्र के जरिए ही काले बाद मण्डराने लग गए हैं ! आज हमारा लोकतंत्र जातिवाद, धर्मवाद, वंशवाद, पूंजीवाद, अपराधवाद, घोटालेवाद आदि कई वादों के साथ एक और वाद का भी शिकार हो चुका है तथा वो है झूठवाद ! सियासी बहसों और चुनावी भाषणों में हल्की फुल्की झूठ तो बरसों से चल रही है तथा कमोबेश सभी राजनीतिक दल इसका सहारा लेते रहे हैं।लेकिन तर्क वितर्क की जो हत्या और सफेद झूठ का बोलबाला इस चुनाव में हो रहा है, या पिछले पांच साल के विभिन्न चुनावों में हुआ है, वैसा कभी नहीं हुआ है !

यह भी सच है कि कुछ पार्टियों को छोड़ दें, तो झूठवाद के इस सियासी हमाम में बाकी सभी पार्टियां नंगी नज़र आती हैं। लेकिन यह और खतरनाक तब हो जाता है, जब सत्तारूढ़ दल के नेता और यहाँ तक कि स्वयं प्रधानमंत्री खुलेआम चुनावी सभाओं में झूठ बोलने लग जाएं ! सवाल यह है कि कोई आदमी झूठ क्यों बोलता है ? झूठ तीन वजह से बोली जाती है। पहली सच का सामना करने की हिम्मत नहीं हो। दूसरी वजह किसी बात को छुपाना चाह रहा हो, ताकि उसकी पोल न खुल जाए। तीसरी वजह लोगों को गुमराह कर अपना फायदा उठाने की कोशिश में झूठ बोली जाती है। अगर झूठ बोलने से किसी व्यक्ति विशेष का फायदा और नुकसान होता है, तो वो ज्यादा खतरनाक नहीं होता है, लेकिन अगर झूठ बोलने से किसी राष्ट्र या समाज का नुकसान होता है, तो वो झूठ बेहद खतरनाक होती है !

कुछ ऐसा ही आज हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उनके खासमखास और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तथा भाजपा के बड़े नेता कर रहे हैं। यह लोग जनहित के मुद्दों पर बात करने की बजाए ऐसे मुद्दों पर बात कर रहे हैं, जिनसे लोकतंत्र कमजोर हो तथा इनकी झूठी बातों से मतदाता गुमराह होकर इन्हें पुनः सत्ता सौंप दे। जनता ने इन्हें पांच साल पहले पूर्ण बहुमत की सरकार सौंपी थी, क्योंकि जनता कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार के काले कारनामों से दुखी थी। जनता ने सोचा कि सत्ता बदलनी चाहिए और नरेन्द्र मोदी एवं उनकी टीम को मौका देना चाहिए। क्योंकि इन्होंने अच्छे दिन लाने, विकास, रोजगार आदि लाने का वादा किया था। अब पांच बाद चुनावों में इन्हें यह बताना चाहिए कि हमने विकास कौनसा और कहाँ कहाँ किया तथा रोजगार कितनों को दिया ? लेकिन इन मुद्दों पर यह बात नहीं करते, क्योंकि इन्होंने इन मुद्दों पर पांच साल में कुछ किया ही नहीं।

पांच साल में जिस भी राज्य में विधानसभा चुनाव हुए हैं, घुमा फिराकर यह लोग कश्मीर, पाकिस्तान, मुसलमान, हिन्दू, मदरसे, कब्रिस्तान, शमशान, गौ हत्या, लव जिहाद, जिन्नाह, धर्मान्त्रण, घर वापसी, तीन तलाक, राम मन्दिर, बाबरी मस्जिद, मुस्लिम तुष्टीकरण, हिन्दुओं को खतरा, हिन्दुओं का पलायन, बांग्लादेशी घुसपैठिये, रोहिंग्या जैसे मुद्दों को अपना चुनावी मुद्दा बनाते आ रहे हैं। हाँ, इन मुद्दों में भी यह उच्च स्तर का चयन करते हैं, जिस राज्य में जो फ़िट बैठ रहा हो, उसे पूरी ताकत से उठाते हैं और जो वहाँ फायदेमंद नहीं हो, उस मुद्दे को छोड़ देते हैं। यह लोग रोटी, रोजगार, खेती किसानी, शिक्षा, चिकित्सा आदि जनहित के मुद्दों पर कोई बात नहीं करते, अगर कहीं मजबूरी में करते भी हैं तो घुमा फिराकर फर्जी आंकड़ों व लफ्फाजी का सहारा लेकर करते हैं।

गत दिनों प्रधानमन्त्री ने वर्धा की एक चुनावी रैली में कहा कि हिन्दू आतंकवाद शब्द कांग्रेस की देन है। अब यह बात समझ से परे है कि कांग्रेस ने कब कहा था कि हिन्दू आतंकवादी होते हैं ? अगर कांग्रेस ने ऐसा कहा है तो उसके खिलाफ उसी वक्त मुकदमा दर्ज होना चाहिए था। उन्होंने यह बात विभिन्न बम धमाकों में साध्वी प्रज्ञा और असीमानंद मामले को लेकर कही। लेकिन प्रधानमंत्री जी को मालूम होना चाहिए कि जिस तत्कालीन गृह सचिव आर के सिंह ने इन मामलों को उजागर करवाया या किसी बेगुनाह हिन्दू भाई को आतंकवाद के मुकदमे में फंसवाया, वे भाजपा के सांसद और आपके मन्त्रीमण्डल के सदस्य हैं ! आपने आज तक आर के सिंह पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की ? इसी तरह से एक अप्रेल को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ओडिशा की चुनावी सभा में कहा कि कांग्रेस

हिन्दुओं पर आतंकवादी होने का ठप्पा लगाकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रही है।

7 अप्रेल को कूच बिहार की एक चुनावी सभा में प्रधानमंत्री ने कहा बंगाल विकास से वंचित रहा है। ममता बनर्जी राष्ट्र विरोधी लोगों का समर्थन करती हैं। अगर यह बात सही है तो प्रधानमन्त्री जी आप पांच साल क्या कर रहे थे ? जनता ने देश की चाबी आपको सौंप रखी थी, आपको बंगाल सरकार को बरखास्त कर ममता बनर्जी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करना चाहिए था और फिर बंगाल में विकास की गंगा बहानी चाहिए थी। साथ ही प्रधानमन्त्री जी को यह भी बता देना चाहिए जिन प्रदेशों में भाजपा का राज है, वहाँ कितना विकास हुआ है ? हकीकत तो यह है प्रधानमंत्री जी कि जिस तरह से बंगाल में आम आदमी बुनियादी समस्याओं को लेकर त्राहि त्राहि कर रहा है, उसी तरह से भाजपा शासित राज्यों में भी त्राहि त्राहि मची हुई है !

मोदी जी ने 6 अप्रेल को सोनपुर की एक सभा में कहा कि गरीबी हटाने के लिए सबसे बेहतर जड़ी बूटी है, जिसका नाम है कांग्रेस हटाओ ! इसी दिन उन्होंने नांदेड़ में कहा कि कांग्रेस जनता से किए वादे भूल जाती है ! मोदी जी कांग्रेस को हटाए तो पांच साल हो गए ? फिर आपने इस जड़ी बूटी से जनता की गरीबी दूर क्यों नहीं की ? रही वादों की बात, तो यह सच है कि कांग्रेस अपने वादों को भूल जाती है। लेकिन आपको यह बात कहते शोभा नहीं देती, क्योंकि आपने भी ऐसा ही किया है। यानी आपने जो वादे 2014 के चुनाव में किए थे उनमें से एक भी पूरा नहीं किया !

इसी तरह प्रधानमन्त्री ने 5 अप्रेल को देहरादून में कहा कि अगस्ता हेलिकॉप्टर घोटाले में एपी और फेम दो नाम गिरफ़्तार दलाल मिशेल ने बताए हैं। एपी का मतलब अहमद पटेल और फेम का मतलब फैमिली ! यानी सोनिया गांधी का परिवार। मोदी जी अगर यह सच है तो आपने आज तक एपी और फेम को सलाखों के पीछे क्यों नहीं भेजा ? क्या यह आपकी देश से गद्दारी नहीं है ? क्योंकि जनता ने देश का मुखिया आपको बनाया और आपको यह मालूम है कि एपी और फेम चोर हैं, तो आपके द्वारा उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न करना एक तरह से देश को धोखा देना और चोरों को बचाना है ! क्या जनता यह समझे कि आपने एपी और फेम को बचाने के लिए कोई बड़ा सौदा किया है ?

ऐसे बेशुमार झूठ प्रधानमन्त्री और उनकी पार्टी के बड़े नेता चुनावी सभाओं में बोल रहे हैं। क्योंकि इनसे आसानी से जनता का ध्यान जनहित के मुद्दों से हट जाता है। क्या प्रधानमन्त्री जी को यह नहीं बताना चाहिए कि कितने लोगों को रोजगार मिला ? कालाधन कितना आया और उसका वितरण 15 लाख या उससे कम किस किस के खाते में हुआ ? कितने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई ? इनमें भाजपा के कितने नेता शामिल हैं ? अगर जिनके खिलाफ कार्रवाई हुई है, उनमें एक भी भाजपाई नेता नहीं है, तो क्या भाजपा के किसी भी नेता ने आज तक कोई भ्रष्टाचार नहीं किया है ? चलिए यह तो कुछ कठिन सवाल हैं, सिर्फ इस सवाल का जवाब दे देना चाहिए कि पांच साल में केन्द्रीय सेवाओं में कुल कितनी भर्तियां हुई और आज कुल कितने पद खाली पड़े हैं ? दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा !

लेख़क -एम फारूक़ ख़ान सम्पादक इकरा पत्रिका।

राजस्थान के टिकट दिल्ली में हो रहे है फ़ाइनल – क्या है गणित

बीजेपी में दिल्ली में शुरू हुआ टिकटों के लिए सेमीफाइनल मैराथन मंथन –

विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों में प्रत्याशी चयन का केन्द्र अब दिल्ली हो गया है. कांग्रेस के बाद अब सीएम वसुंधरा राजे और बीजेपी के बड़े नेता भी शनिवार को सुबह दिल्ली पहुंच गए हैं. दिल्ली में आज राजस्थान के चुनाव प्रभारी केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के आवास पर टिकटों के लिए सेमीफाइनल मैराथन मंथन शुरू हो गया है |
जावड़ेकर के आवास पर सीएम राजे, प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना, प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी, वी सतीश, और राजेन्द्र राठौड़ समेत अन्य बड़े नेता मौजूद हैं. यहां पार्टी की कोर कमेटी प्रदेश की सभी 200 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी चयन को लेकर मंथन में जुटी है. जावड़ेकर के आवास पर मंथन के बाद सीएम राजे की राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ भी चर्चा होने की संभावना है.
कल होनी है सेन्ट्रल इलेक्शन कमेटी की बैठक. उसके बाद रविवार को बीजेपी सेन्ट्रल इलेक्शन कमेटी की बैठक होनी है. उस बैठक में प्रत्याशियों के नामों पर अंतिम रूप से मुहर लगेगी. उसके बाद रविवार देर रात या फिर सोमवार को बीजेपी की पहली सूची जारी होने की संभावना है. मध्य प्रदेश की तरह राजस्थान के लिए भी बीजेपी बड़ी सूची जारी कर सकती है |