खाप पंचायतों के फैसले से हिल गयी जुमले वाली सरकार

पिछले 2 महीने से ज्यादा का समय बित चुका है और दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन की गूंज अब धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय हलकों में सुनाई देने लगी है। दो महीनों के दौरान आंदोलन कृषि कानूनों के खिलाफ कई रंग ले चुका है और इसी वजह से जुमले वाली सरकार की नींद उड़ गयी है। गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा ने आंदोलनकारियों के लिए परेशानी खड़ी कर दी थी लेकिन इसके बाद जिस तहर टिकैत ने किसानों के लिए मरने की बात कही उसको लेकर किसानों में जबरदस्त जोश देखने को मिल रहा है।

दिल्ली हिंसा को लेकर टिकैत ने सार्वजनिक तौर पर माफी मांगकर केन्द्र सरकार को ललकारा था कि अगर वह इस आंदोलन को खत्म करने के लिए किसी भी हद तक चले जाए लेकिन यह आंदोलन जारी रहेगा। इसके बाद पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसानों ने टिकैत का समर्थन करने का फैसला किया है। वहीं दूसरी तरफ खाप पंचायतों ने आर-पर की जंग लड़ने का ऐलान भी कर दिया है। इसके साथ दिल्ली में बैठी बहरी व जुमले वाली सरकार को चेता दिया है कि जल्द से जल्द किसानों की बात नहीं मानी गयी तो आंदोलन तेज होगा पीएम को पद छोड़ना होगा।

बुधवार को भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने हरियाणा के जींद में हजारों किसानों के साथ महापंचायत करके सरकार पर और दबाव बनाने की बात कही है। टिकैत ने मोदी सरकार को चेताया कि अगर कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो उसके लिए सत्‍ता में बने रहना चुनौती होगी। इसके साथ दिल्ली की सीमाओं पर जो तारबंदी करने के साथ किलेबंदी की है उसको लेकर कहां की जो राजा डरता है वह ऐसा करता है।

किसान आंदोलन पर विदेशी लोगों द्वारा जो टिप्पणियां की है उसके बाद बॉलीवूड व खेल जगत के लोगों ने उनको करारा जवाब दिया है। अजय देवगन, लता मंगेशकर, अक्षय कुमार, सचिन तेंदुलकर व विराट कोहली सहित कई बड़े लोगों ने ट्वीट किया है कि किसी भी भारतीय मुद्दे पर विचान करने के लिए भारत सक्षम है।

दिन-रात कांटों व पत्थरों में खेती करने वाले किसानों को कांटों से डराने चला फेकू मोदी

पिछले 2 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है और किसान सगंठन 3 नये कृषि बिलों को समाप्त करने की मांग को लेकर दिल्ली की सिमाओं पर आंदोलन कर रहे है। 2 महीने के अन्तराल में किसानों और सरकार के बीच कई दौरे की वार्ता हो चुकी है लेकिन इसके बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल पाया है और इस दौरान किसानों ने सरकार को जगाने के लिए कई प्रकार के प्रयास किये लेकिन मोदी सरकार किसानों की बात को अनसुना कर रही है।

26 जनवरी के दिन ट्रेक्टर परेड़ के दौरान लाल किले पर जो हिंसा हुई उसको लेकर किसानों पर कई तरह के आरोप लगाये जा रहे है और किसान संगठन इस हिंसा पर खेद प्रकट करने के साथ हिंसक प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की और एक बार फिर दिल्ली कूच करने की तैयारी शुरू कर दी है। कृषि कानून के खिलाफ किसानों ने अपने आंदोलन को तेज करने के साथ 6 फरवरी को चक्का जाम का ऐलान कर दिया है। ऐसे में दिल्ली के बॉर्डरों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है, गाजीपुर बॉर्डर पर तार, नुकीली कील और बैरिकेडिंग तक लगा दी गई है, सुरक्षा के मध्यनजर ट्रेनों को भी डाइवर्ट किया जा रहा है।


किसानों ने पहले ही चेतावनी दी है कि वह तीनों बिलों खत्म करने के बाद ही अपना आंदोलन खत्म करेंगे। दिल्ली की सीमाओं पर जो कंटीले तारों व कीलों आदि वाली जबर्दस्त बैरिकेडिंग की गई है जिसकों लेकर किसानों ने कहा कि वह दिन-रात खेतों में कांटों व पत्थरों के बीच रहकर खेती करता है तो उसे इन तारों के जाल से नहीं डराये तो सरकार के लिए अच्छा होगा।


सरकार के सख्त रूख को देखते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि हमने सरकार को अक्टूबर तक का समय दिया है और इसके बाद भी सरकार हमारे मांगें नहीं मानती है तो 40 लाख ट्रैक्टरों के साथ देशव्यापा ट्रैक्टर रैली निकालेंगे। टिकैत ने कहा कि कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं की बात भी कही है। सरकार उन किसानों को डरा रही है जो गर्मी,सर्दी और बारिश के मौसम में तपकर बढ़ा हुआ है और उसे कभी पानी की धार से तो कभी पुलिस बल से तो कभी कांटों का डर दिखा रही है जो किसी हास्यपद से कम नहीं है।

जुमले वाली सरकार के बजट से आम व खास हुआ निराश, जानें पूरी खबर

भारत के इतिहास में पहली बार पेपरलेस बजट प्रस्तुत किया गया लेकिन इस बजट को लेकर लोगों ने मोदी सरकार की जमकर आलोचना की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे मेड इन इंडिया टैबलेट से पढ़ा जो अच्छी बात है लेकिन उनके इस टैबलेट से आम व खास के लिए कुछ नया नहीं निकला।

सामाजिक सुरक्षा के दायरे में ठेका कर्मचारी को पहली बार सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 में गिग और प्लेटफॉर्म कर्मचारियों को शामिल किया गया। डिजिटल जनगणना के लिए सरकार ने बजट में 3ए760 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया है। इस बजट के बाद आम जनता की जेब ढीली होने वाली है क्योंकि इस बजट के बाद घरेलू सामानों की किमतों में जबरदस्त इजाफा देखने को मिलेगा। पेट्रोल, डीजल, शराब, लेदर, सोना, चांदी और गाड़ियां जैसी चीजों की कीमत में बदलाव देखने को मिलेगा।

18 प्रोडक्ट्स महंगे
मोबाइल पार्ट्स, बैटरी और चार्जर ,फ्रिज,एसी पर 5 प्रतिशत तक इंपोर्ट ड्यूटी बढाई गयी है। इसके साथ ही आने वाले दिनों में पेट्रोल व डीजल की कीमतों में भारी इजाफा देखने को मिल सकता है। इसके कारण सभी चीजों के दाम बढ़ना तय है।

8 सामान सस्ते हुए
आम आदमी से परे गोल्ड, सिल्वर और प्लेटिनम की ज्वैलरी पर इंपोर्ट ड्यूटी 5 प्रतिशत कम की गई है। इसके कम होने से आमजन को कोई बड़ा फायदा नहीं होता दिख रहा है। इस बजट के बाद लोगों ने कहा कि कोरोना के कारण जब लोगों की नौकरी चली गयी है और लोगों को नौकरी का इंतजार है। लेकिन इस बजट में नौकरियों को लेकर कोई ऐलान नहीं किया है।

इस बजट में किसानों के लिए कोई बड़ा ऐलान नहीं किया गया जबकि पिछले 2 महीने से किसान संगठन कृषि बिलों को खत्म करने व एमएसपी को लेकर आंदोलन कर रहे है। अगर इस बजट में किसानों को राहत के लिए कुछ बड़े फैसले लिये जाते तो किसानों को विश्वास होता की मोदी सरकार उनके हितों के बारे में सोचती है लेकिन ऐसा देखने को नहीं मिला।

 

जुमले वाली सरकार का फेकू बजट 2021: जानिए पूरा बजट

कोरोना काल में मोदी सरकार का बजट लोगों को कितना पसंद आयेगा इसके बार में तो अभी लोगों की प्रतिक्रिया आना बाकी है लेकिन कोरोना काल के नाम पर जुमले वाली सरकार का यह फेकू बजट किसानों, सेना और आम जनता के लिए क्या लेकर आया है इसके बार में नीचे विस्तार से जान सकते हैं। पिछले साल कोरोना काल की आड में फेकू सरकार ने 3 नये कृषि कानून बिल पास कराके उन्हें लागू कर दिया लेकिन पिछले 2 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है और फेकू सरकार किसानों की मांग नहीं मान रही है और उनको सड़कों पर रात गुजराने पर मजबूर कर रही है।

75 साल से अधिक उम्र वाले पेंशनधारकों को इनकम टैक्‍स नहीं भरना होगा
ट्राइब्यूनल्स के कामकाज़ को सुधारा जाएगा
जनगणना डिजिटल होगी
लेह में सेंट्रल युनिवर्सिटी बनाई जाएगी
100 नए सैनिक स्कूल खोले जाएंगे
बैंकों में 20,000 करोड़ की पूंजी डाली जाएगी

कश्मीर क्षेत्र में गैस पाइपलाइन का विस्तार किया जाएगा
3 नए रुट्स पर रेलवे नए फ्रंट कॉरोडोर बनेंगे
सरकारी बस सेवा पर 18000 करोड़ का खर्च होगा
मार्च 2022 तक 8500 किमी हाईवे बनाए जाएंगे
3 नए रुट्स पर रेलवे नए फ्रंट कॉरोडोर बनेंगे
अर्बन जल जीवन मिशन लॉन्च किया जाएगा
कोरोना वैक्सीन के लिए 35,000 करोड़ आवंटित

स्वास्थ्य योजना पर 64180 करोड़ रुपये खर्च होंगे
17 नए अस्तपताल शुरु किए जाएंगे
सभी राज्यों का स्वास्थय डाटा बेस बनाया जाएगा
सभी राज्यों का इंटीग्रेटिड डाटा बेस तैयार होगा
किसानों की आय दोगुनी होगी
भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी
आत्मनिर्भर भारत के लिए नई योजना लॉन्च करेंगे

अन्ना हजारे ने केन्द्र सरकार को दे डाली ये बड़ी धमकी, जानें पूरी खबर

पिछले एक महीने से किसान आंदोलन को कई लोगों का समर्थन मिला है और अब इस आंदोलन को सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का समर्थन मिल गया है। हजारे ने साफ शब्दों में कहा दिया है कि आने वाले दिनों में अगर किसानों की मांगे नहीं मानी गयी तो वह भूख हड़ताल करेंगे। महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के रालेगण सिद्धि गांव में अन्ना हजारे ने पत्रकारों से कहा कि वह किसानों के साथ 3 साल से प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सरकार ने इन मुद्दों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया।


हजारे ने कहा कि सरकार सिर्फ दिखावा करती है इसलिए मुझे उस पर अब कोई विश्वास नहीं है। हजारे ने कहा कि उन्होंने एक महीने का समय मांगा है और मैंने उन्हें जनवरी अंत तक का समय दिया है अगर इस वक्त में उनकी मांगे नहीं मानी गयी तो वह भूख हड़ताल करेंगे। इससे पहले सरकार और किसानों के बीच वार्ता जारी है लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है।

 

अन्ना हजारे ने केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को 14 दिसम्बर को पत्र लिखकर कहा कि एम. एस. स्वामीनाथन समिति की अनुशंसाओं को लागू करने और कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) को स्वायत्तता प्रदान करने संबंधी उनकी मांगों को जल्द से जल्द माने नहीं तो वह आंदोलन करेंगे। हजारे ने तीन कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग को लेकर 8 दिसम्बर को भारत बंद के समर्थन में उपवास रखा था। अब यह देखना होगा की केन्द्र सरकार किसानों की मांगे कितनी जल्दी मानती है या फिर हजारे को उपवास पर बैठना होगा।

किसान आंदोलन : जल्द मिल सकती है किसानों को बड़ी खुशखबरी

कृषि कानूनों के खिलाफ लगभाग 21 दिन से चल रहा आंदोलन अब उग्र रूप लेता हुआ नजर आ रहा है। किसान दिल्ली बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ लगातार विरोध कर रहे है और इसके साथ-साथ किसानों ने साफ कर दिया कि जब तक तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लिया जाता है तब तक उनका आंदोलन खत्म नहीं होगा। किसान आंदोलन के उल्टे कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है देश के 10 किसान संगठनों ने कृषि कानूनों को सही बताया है और उनका समर्थन किया है।


आंदोलन के बीच पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात दौरे के दौरान कृषक समुदाय के अलावा गुजरात के सिख किसानों से भी मुलाकात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को गुजरात में कुछ परियोजनाओं का शिलान्यास किया। मोदी ने कहा कि आजकल दिल्ली के पास किसानों को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है सरकार लगातार किसानों से वार्त करने के प्रयास कर रही है और किसानों को इस ​बिल में कुछ बदलाव करने के लिए भी तैयार है लेकिन किसान इस बिल को खत्म करने की मांग पर अड़े हुए है।

इस आंदोलन के बीच देश के कई राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, बिहार और हरियाणा राज्यों के कई किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के तीनों नए कृषि कानूनों का खुलकर समर्थन किया। उन्होंने कहा कि तीनों कानून किसानों के हित में हैं और इन्हें वापस नहीं लिया जाना चाहिए।

किसानों और उनके नेताओं से संपर्क के बाद गतिरोध को दूर करने के लिए एक विस्तृत योजना बनाई है। इसके लिए अमित शाह और कृषि मंत्री तोमर के बीच लगातार बैठक हो रही है। किसान आंदोलने से जुड़े कई संगठनों सोमवार को भूख हड़ताल करके सरकार को अपनी मांग मनवाने का आग्रह किया। मोदी सरकार किसानो के उग्र तेवर देखकर आने वाले दिनों में किसानों को बड़ी खुशखबरी दे सकती है।

किसान आंदोलन का 19वां दिन: सभी जिला मुख्यालयों पर धरना देंगे किसान

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के खिलाफ देश भर के किसानों के विरोध प्रदर्शन का आज 19वां दिन है और अब यह आंदोलन धीरे—धीरे देश के सभी हिस्सों में फैल रहा है। खबरों के अनुसार बताया जा रहा है कि दिल्ली की सीमाओं पर किसान 8 बजे से भूख हड़ताल पर बैठने का फैसला करने के साथ आज देश भर में किसान सभी जिला मुख्यालयों पर धरना दिया जाएगा। इस आंदोलन पर जबरदस्त राजनीति भी देखने का मिल रही है जिसके चलते इस आंदोलन को लेकर कई प्रकार के सवाल भी खड़े किये जा रहे हैं।


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी किसानों की भूख हड़ताल का समर्थन करते हुए वह खुद भूख हड़ताल पर बैठेंगे इस फैसलों को पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने केजरीवाल के उपवास को नौटंकी करार दिया है। किसानों के आंदोलन को लेकर मोदी सरकार हर प्रकार से किसानों से वर्ता करने के​ प्रयास कर रही है वहीं अब इस मुद्दे पर खुद अमित शाह लगातार बैठके कर रहे हैं।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को किसानों को मनाने के लिए अलग-अलग राज्यों और यूनियनों की जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन,अमित शाह ने पंजाब के किसान नेताओं से बातचीत करने की जिम्मेदारी अपने पास रखी है। इस आंदोलन से जुड़े कई किसान नेताओं ने इससे दूरी बना ली है।


किसान दिल्ली-जयपुर हाईवे बंद करने के लिए राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर पर भारी संख्या में जमा होने लगे हैं। इस आंदोलन को देश के खतरा बताने के साथ इसके तार पाकिस्तान से भी जोड़ने की बाते सामने आ रही है लेकिन किसान नेता पहले ही कह चुके हैं कि हमें किसी भी राजनीतिक पार्टी की जरूरत नहीं है हम अपने अधिकार के लिए खुद लड़ सकते हैं।

राजस्थान पंचायत चुनावों में कांग्रेस हुई कमजोर, बीजेपी ने मारी बाजी

राजस्थान में हुए पंचायत समिति और जिला परिषद के चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। कांग्रेस के सभी दिग्गज नेताओं के विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है जिसके कारण कांग्रेस को सोचने पर मजबूर कर दिया है।

21 जिला प्रमुखों के लिए चुनाव में बीजेपी ने 14 और कांग्रेस को 5 पर जीत मिली है। इसके साथ राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल की पार्टी ने नागौर में अच्छा प्रदर्शन किया है। जबकि बाड़मेर में कांग्रेस और BJP दोनों को बराबर 18-18 सीटें मिली है। वहीं, अगर बात करें पंचायत चुनाव की तो यहां भी बाजी बीजेपी ने मारी है बीजेपी के खाते में 1833 सीटों पर , जबकि कांग्रेस को 1713 सीटों पर जीत मिली है।

सचिन पायलेट व् अशोक गहलोत

अगर पिछले चुनावों के प्रदर्शन की बात करें तो सत्ता पक्ष की पार्टी को ज्यादा सीटे मिली थी, लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस को ज्यादा फायदा नहीं हुआ और ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी मजबूत पकड़ वाली कांग्रेस इस बार अपने परम्परागत वोट को अपने खाते में नहीं डाल सकी। चुनावों के ठीक पहले कांग्रेस समर्थित निर्दलय विधायक संयम लोढा व मुख्य सचिव के बीच हुई खिचातान में विधायक ने कहा था कि पाली में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा नहीं होगा और चुनावों परिणामों में उनकी यह बात सच साबित होती नजर आ रही है।

भारत बंद: जयपुर में भाजपा और कांग्रेसी कार्यकर्ता भीड़े, दिल्ली के सीएम नजरबंद!

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के साथ देश की कई विपक्षी पार्टियों ने किसान के भारत बंद का समर्थन किया है। लेकिन खबरों के अनुसार बताया जा रहा है कि दिल्ली पुलिस ने नजरबंद कर दिया है और इस बात की जानकारी आम आदमी पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इसे जारी किया गया है। हालाकि दिल्ली पुलिस ने AAP के दावे को गलत करार दिया है।

वहीं बात करें राजस्थान की राजधानी जयपुर की तो यहां पर भारत बंद के दौरान बीजेपी और कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में हाथपाई की नौबत आ गयी। इसके बाद पुलिस ने बीचबचाव करते हुए दोनों दलों के कार्यकर्ताओं को दूर किया।

यूपी में भी सपा के कार्यकर्ताओं ने किसानों से ज्यादा योगी सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश प्रकट किया और कई जगह सड़के बंद करने के साथ ट्रेने रोक दी। इसके साथ योग सरकार ने पहले ही चेतावनी जारी कर दी थी कि अगर कोई जोर—जबरदस्ती से बंद करने का काम करता है तो उस पर सख्त कार्यवाही की जाएगी।

किसान संगठनों ने पहले ही कह दिया था कि हमारे मंच ​से किसी भी राजनीतिक पार्टी को राजनीति नहीं करने दिया जाएगा। लेकिन इसके बाद भी इस आंदोलन में किसानों की हितों की कम और अपनी राजनीति करने का ज्यादा दिखावा हो रहा है।

 

 

भारत बंद में किसानों से ज्यादा विपक्ष उतरा सड़कों पर

मंगलवार को किसानों द्वारा भारत बंद के समर्थन में विपक्षी दलों ने ज्यादा उत्साह नजर आया और लगभग देश के सभी राज्यों में किसानों से ज्यादा विपक्ष सड़कों पर उतरकर भारत बंद को सफल बनाने का काम किया है। अगर बात करें राजस्थान की तो यहां सरकार के कई मंत्री सड़कों पर उतरे और किसानों को हक दिलाने में उनके साथ खड़े रहने का वादा किया। अगर बात करें पूरे देश की तो कई जगह आगजनी और झड़प की खबरे भी देखने ​को मिली।


बंद को समर्थन देने वाले विपक्षी दल
भारत बंद को इन दलों ने समर्थन दिया है – कांग्रेस, एनसीपी, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, द्रमुक और इसके घटक, टीआरएस, राजद, आम आदमी पार्टी, सपा, बसपा, वामदल, पीएजीडी।

देशव्यापी भारत बंद के दौरान किसी प्रकार की कोई घटना घटित नहीं हो इसके मध्यनजर केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सुरक्षा बढ़ाने और शांति सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किये हैं।भारत बंद के दौरान आम जनता को काफी परेशानियों का भी सामान करना पड़ रहा है और शादियों के सीजन के चलते बहुत ज्यादा परेशानी होती नजर आ रही है। कई किसाने दिल्ली की सीमा पर डटे हुए है और उनको केन्द्र सरकार ने कहा कि प्रदर्शन करने या बंद करने से किसी भी समस्या का समाधान नहीं होगा।

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