राष्ट्रपति ने दी मंजूरी, नागरिक संशोधन बिल-2019 को लेकर क्‍यों सुलग रहा उत्‍तर-पूर्व

दिल्ली। भारतीय नागरिकता बिल में केंद्र सरकार का प्रस्तावित संशोधन लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत से पारित हो गया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी है। आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार यह कानून कल राजपत्र में प्रकाशित होने के साथ लागू हो गया है।

आपको बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किया जा गया है, जिससे नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नियमों में बदलाव होगा। नागरिकता बिल में इस संशोधन से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा।

सरकार ने कहा है कि घुसपैठियों और शरणार्थियों के बीच अंतर किया जाना आवश्‍यक है। यह कानून किसी के भी खिलाफ भेदभाव नहीं बरतता है और न ही किसी का अधिकार छीनता है। नागरिकता संशोधन विधेयक के दायरे से बाहर वाले क्षेत्र में दो श्रेणियां हैं जिन्हें इस विधेयक से दूर रखा गया है, इनर लाइन’ द्वारा संरक्षित राज्य और संविधान की छठी अनुसूची के तहत आने वाले क्षेत्र।

बता दें कि यह कानून पाकिस्‍तान, बांग्लादेश और अफगानिस्‍तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसम्‍बर, 2014 तक भारत आये हिन्‍दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई समुदाय के अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता के योग्‍य बनाता है। यह संविधान की छठी अनुसूची में शामिल असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के जनजातीय क्षेत्रों और इनरलाइन परमिट व्‍यवस्‍था के तहत आने वाले क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा।

बता दें कि प्रदर्शनकारियों को इस बात से आशंका है कि इस बिल के पास होने के बाद बांग्‍लादेश से बड़ी संख्‍या में आए शरणार्थी जो पहले से यहां पर मौजूद हैं भारत के नागरिक बन जाएंगे। इससे उनकी पहचान या असतित्‍व खतरे में पड़ सकता है। हालांकि नीलू रंजन का कहना है कि यह विरोध राजनीति से प्रेरित है।

बता दें कि भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए देश में 11 साल निवास करने वाले लोग योग्य होते हैं। नागरिकता संशोधन बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए निवास अवधि की बाध्यता को 11 साल से घटाकर 6 साल करने का प्रावधान है।

नागरिकता संशोधन विधेयक राज्यसभा में भी पास -असम में विरोध उग्र – सेना भेजी ..

Citizenship Amendment Bill also passed in Rajya Sabha – Protest raging in Assam – sent army

दिल्ली। राज्‍यसभा ने आज नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पारित कर दिया है। सदन ने विधेयक को 105 के मुकाबले 125 वोटों से मंजूरी दी। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर दिया है। सदन में विधेयक पर विपक्ष के संशोधनों को खारिज करते हुए विधेयक को मंजूरी दी।

अमित शाह ने कहा कि अनुच्‍छेद 14 में जो समानता का अधिकार दिया है, संसद को ऐसा कानून बनाने से नहीं रोकता, जो रिजनेबल क्‍लीसिफिकेशन पर आधारित हो और रिजनेबल क्‍लीसिफिकेशन आज यहां है। हम कोई एक धर्म को नहीं दे रहे हैं। हम एक, तीन देशों की माइनॉरटी को ले रहे हैं और सभी की सभी माइनॉरटी को ले रहे हैं, एक क्‍लास को ले रहे हैं और उसमें भी वो क्‍लास को जो धार्मिक प्रताडना से प्रताडि़त है। इसलिए रिजनेबल क्‍लीसिफिकेशन के आधार पर ये संसद को कानून बनाने का अधिकार है।

गृहमंत्री ने कहा कि यह विधेयक पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और अफगानिस्‍तान जैसे पड़ोसी देशों के अल्‍प संख्‍यकों को मुसीबतों से छुटकारा दिलाने के लिए एक ऐतिहासिक आवश्‍यकता है। उन्‍होंने कहा कि धार्मिक आधार पर देश के विभाजन के बाद इन देशों में अल्‍पसंख्‍यकों को लगातार उत्‍पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।

नागरिकता संशोधन अधिनियम में 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन करके अफगानिस्‍तान, बांग्‍लादेश और पाकिस्‍तान के छह समुदायों के अवैध आप्रवासियों को भारतीय नागरिकता के लिए पात्र बनाने का प्रावधान किया गया है। ये समुदाय हैं-हिन्‍दू, सिक्‍ख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई।

गौरतलब है कि चर्चा के दौरान कांग्रेस, वामपंथी दलों, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, डी एम के पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्‍ट्रीय जनता दल, राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और तेलांगना राष्‍ट्र समिति ने विधेयक को असंवैधानिक करार देते हुए इसका विरोध किया। कांग्रेस के कपिल सिब्‍बल का कहना था कि इसके ऐसे दूरगामी परिणाम होंगे जिनकी कल्‍पना भी नहीं की जा सकती। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन ने विधेयक को असंवैधानिक बताया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को ऐतिहासिक बताते हुए कहा है कि इससे पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को धार्मिक उत्पीड़न से मुक्ति मिल जायेगी। नई दिल्ली में आज भाजपा संसदीय दल की बैठक के बाद संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने बताया कि श्री मोदी ने कहा है कि इस कानून के बनने से उन लोगों के जीवन में अस्थिरता खत्म हो जायेगी जो भारत में रह रहे हैं लेकिन उन्हें नागरिक अधिकार और अन्य सुविधाएं हासिल नहीं हो पाती।

राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्‍ल पटेल ने कहा कि संविधान ने हर ना

गरिक को एक समान अधिकार दिये हैं और इस विधेयक को आगे जांच के लिए प्रवर समिति को सौंपा जाना चाहिए।

शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि विधेयक का विरोध करने वालों को राष्‍ट्रविरोधी करार देना गलत है। उन्‍होंने कहा कि पड़ोसी देशों में अल्‍पसंख्‍यकों के अधिकारों का हनन हुआ है।

समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान ने भी सरकार पर आरोप लगाया कि यह विधेयक देश के घर्म निरपेक्ष स्‍वरूप पर हमला है। ये बिल सबको इसका समर्थन करना होता, अगर दो अमेन्ड्मेन्ट अपनी राजनीतिक महत्‍वाकांक्षा को पूरा करने के लिए उससे थोडा पीछे हट जाएं और सिर्फ दो अमेन्ड्मेन्ट कि पाकिस्‍तान, बंगलादेश और अफगानिस्‍तान की जगह तो लिख दे नेबरिंग कंट्री और हिंदू, सिख बगैर जो लिखा है, इसको रिलिजस माइनॉरटी लिख देते तो बड़ी शानदार तरीके से ये बिल हमारा पास हो जाता।

लगातार 13 वें दिन नहीं चल सका प्रश्नकाल

नई दिल्ली। तेलंगाना में आरक्षण से जुड़े मुद्दे पर तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के और कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग को लेकर अन्नाद्रमुक के भारी हंगामे की वजह से बुधवार को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

बजट सत्र के दूसरे चरण में गत दो सप्ताह की कार्यवाही हंगामे की वजह से बाधित रहने के बाद तीसरे सप्ताह में भी कोई कामकाज नहीं हो पा रहा है और बुधवार को लगातार 13 वें दिन भी प्रश्नकाल हंगामे की भेंट चढ़ गया। लोकसभा की कार्यवाही बुधवार सुबह जैसे ही आरंभ हुई तो अन्नाद्रमुक और टीआरएस के सदस्य नारेबाजी करते हुए अध्यक्ष के आसन के निकट पहुंच गए।

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने प्रश्नकाल चलाने का प्रयास किया लेकिन हंगामा थमता नहीं देख उन्होंने सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी। अन्नाद्रमुक और टीआरएस के सदस्य ‘वी वांट जस्टिस’ के नारे लगा रहे थे। टीआरएस के सदस्यों ने ‘एक राष्ट्र, एक नीति’ की मांग वाली तख्तियां ले रखी थीं। बजट सत्र के दूसरे चरण में पांच मार्च को आरंभ होने के बाद से लोकसभा की कार्यवाही पीएनबी धोखाधड़ी मामले, आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे की मांग और तेलंगाना में आरक्षण के मुद्दे सहित कई विषयों पर लगभग रोजाना बाधित हो रही है।

बजट सत्र आज भी चढ़ सकता है हंगामे की भेट

नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ कल लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव हंगामे के कारण पेश नहीं हो पाया है। आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर एनडीए से अलग हुई तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और वाईएसआर कांग्रेस ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया, हालांकि थोड़ी ही देर बाद दोनों दलों ने सदन में हंगामा करना शुरू कर दिया। दोनों दलों के सांसद हंगामा करते हुए लोकसभआ स्पीकर के पास पहुंच गए, जिसकी वजह से लोकसभा को स्थगित करना पड़ा। जिसके चलते विपक्षी दलों का लाया गये अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी नही मिल पाई।

दूसरी ओर अविश्वास प्रस्ताव से बेपरवाह दिख रही सरकार ने विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र प्रसाद ने कहा, एक तरफ तो वह अविश्वास प्रस्ताव ला रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ वह संसद में हंगामा कर रहे हैं ताकि प्रस्ताव को चर्चा के लिए स्वीकार नहीं किया जा सके। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा कि सरकार अविश्वास प्रस्ताव समेत सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। हालांकि विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर अविश्वास प्रस्ताव की राह में रोड़ा डालने का आरोप लगाया है।

केंद्र सरकार के खिलाफ पेश होने वाले पहले अविश्वास प्रस्ताव को कांग्रेस पार्टी ने समर्थन दिया है। वहीं एनडीए की सहयोगी शिव सेना ने बीजेपी को झटका देते हुए अविश्वास प्रस्ताव से दूरी बना ली है। शिव सेना ने कहा कि वह इस अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार और विपक्षी दल, दोनों में से किसी के साथ खड़़ी नहीं होगी।

राजस्थान उपचुनाव : जानिए कांग्रेस की रिकॉर्ड जीत की 3 अहम वजह….

नई दिल्ली। राजस्थान उपचुनाव में भाजपा को तीनों सीटों पर करारी हार मिली है। अजमेर, अलवर लोकसभा और मांडलगढ़ विधानसभा सीट के उपचुनाव में कांग्रेस ने रिकॉर्ड जीत दर्ज की है। इस जीत से कांग्रेस का होशला और बढ़ गया। उधर, वसुंधरा के लिए ये हार वॉर्निंग की तरह रही। कहा जा रहा है कि इस बार कांग्रेस में नेताओं ने ये चुनाव एकजुटता और स्ट्रैटजी बनाकर लड़े है।

जानिए BJP हार-जीत की 3 बड़ी वजहें….

1. राजपूतों की नाराजगी:- आनंदपाल और पद्मावत फिल्म के मुद्दे पर राजपूतों की नाराजगी को सरकार नहीं भांप सकी। कांग्रेस ने इसे अपने वोट में कैश किया। सरकार के पास 24 राजपूत विधायक हैं।

2. अंदरूनी संघर्ष:- टिकटों को लेकर पार्टी में आखिर तक विवाद बना रहा। अलवर में कैबिनेट मंत्री जसवंत यादव को टिकट दिया। उनकी छवि अच्छी नहीं थी। पार्टी के विधायक नाराज थे।

3. एंटी-इनकमबेंसी: केन्द्र और राज्य की नीतियों के खिलाफ जनता नाराज है। इस वजह से शहरी वोटर भी बीजेपी से दूर हुए। जिन 17 विधानसभा सीटों पर पोलिंग हुई, वहां सभी जगह बीजेपी हारी।

  • संघ ने भी इन चुनावों में प्रचार से खुद को दूर रखा। कर्मचारियों और डॉक्टरों की हड़ताल से लोग परेशान हुए। सरकार इन मुद्दों को नहीं सुलझा सकी। इससे सरकार के खिलाफ माहौल बना।

राजस्थान : मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर BJP, अजमेर, अलवर लोकसभा सीटों पर कांग्रेस आगे

जयपुर। उपचुनावों की मतगणना के दौरान अलवर और अजमेर लोकसभा सीटों पर कंाग्रेस जबकि मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर बीजेपी आगे चल रही है। राज्य निर्वाचन विभाग सूत्रों के मुताबिक अजमेर से कंाग्रेस उम्मीदवार रघु शर्मा अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के राम स्वरूप लाम्बा से और अलवर लोकसभा सीट पर कांग्रेस के डॉक्टर करण सिंह यादव बीजेपी के जसवंत सिंह यादव से आगे चल रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार विवेक धाकड़ तीसरे स्थान पर है जबकि बीजेपी के शक्ति सिंह हांडा निर्दलीय उम्मीदवार गोपाल मालवीय से तीन हजार से अधिक मतों से आगे चल रहे हैं।

राज्य निर्वाचन विभाग के अनुसार अलवर में कांग्रेस उम्मीदवार डॉक्टर करण सिंह यादव भाजपा उम्मीदवार जसवंत सिंह यादव से इकसठ हजार आठ सौ पांच मतों से आगे चल रहे हैं। अजमेर में कांग्रेस उम्मीदवार रघु शर्मा बीजेपी उम्मीदवार राम स्वरूप लाम्बा से तीन हजार तीन सौ अठावन मतों से बढत बनाए हुए हैं। राजस्थान में दो लोकसभा एवं एक विधानसभा उपचुनाव की मतगणना गुरुवार सुबह आठ बजे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शुरु हो गई। राज्य के निर्वाचन विभाग के अनुसार अलवर और अजमेर लोकसभा एवं भीलवाड़ा जिले में मांडलगढ़ विधानसभा उपचुनाव की मतगणना संबंधित जिला मुख्यालयों पर पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था के बीच शुरू कर दी गई।

राज्य में इन उपचुनावों में मतगणना मैंडेटरी वैरीफिकेशन पद्धति के जरिए कराई जा रही है। अलवर लोकसभा उपचुनाव के लिए बाबू शोभाराम राजकीय कला महाविद्यालय अलवर में मतगणना शुरु हुई जहां तिजारा क्षेत्र के लिए 25, किशनगढ़ 20, मुंडावर 24, बहरोड़ एवं अलवर ग्रामीण 19, अलवर शहर और रामगढ़ के लिए 22 तथा राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ के लिए 21 राउंड में मतगणना संपन्न होगी।इसी तरह अजमेर संसदीय क्षेत्र के लिए राजकीय पोलीटेक्नीक महाविद्यालय, अजमेर में पुख्ता सुरक्षा प्रबंधों के बीच मतगणना शुरु हो गई जहां अजमेर निर्वाचन क्षेत्र के किशनगढ़ के लिए 34 , पुष्कर 20, अजमेर उत्तर 24, अजमेर दक्षिण 23, नसीराबाद 29, मसूदा 24, केकड़ी 34 और दूदू के लिए 23 राउंड में मतगणना पूरी होगी।

इसके अलावा भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ विधानसभा उपचुनाव के लिए राजकीय पोलीटेक्नीक महाविद्यालय, तिलक नगर, भीलवाड़ा में सुबह 8 बजे मतगणना शुरु हो गई जहां 21 राउंड में मतगणना सम्पन्न होगी। परिणाम राउंड वाइज निर्वाचन विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध कराए जाएंगे। गौरतलब है कि गत उन्नतीस जनवरी को हुए अलवर लोकसभा उपचुनाव के लिए 61.93 प्रतिशत तथा अजमेर लोकसभा उपचुनाव के लिए 65.59 प्रतिशत मतदान हुआ जबकि मांडलगढ़ विधानसभा उपचुनाव में 78.68 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। उपचुनाव में अजमेर में सर्वाधिक 23 उम्मीदवार चुनाव मैदान अपना भाग्य आजमा रहे हैं जबकि अलवर में ग्यारह एवं मांडलगढ में 8 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा।

राजस्थान -उपचुनाव दिग्गजों ने छोड़ा चुनाव क्षेत्र –

अजमेर। अजमेर संसदीय क्षेत्र में उपचुनाव के प्रचार का शोर शनिवार शाम 6 बजे थम गया। अंतिम दिन भाजपा और कांग्रेस के रोड शो के बाद शाम 6 बजे से पहले शहर में आए बाहरी नेता भी यहां से रवाना हो गए। अब प्रत्याशी और कार्यकर्ता घर-घर जाकर पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में मतदान की अपील कर पाएंगे। प्रत्याशियों का जोर अब मतदाताओं की देहरी धोक कर वोट मांगने पर रह गया है।दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों और नेताओं ने वार्ड स्तर पर मतदाताओं को निकाल कर पाेलिंग बूथ पर पहुंचाने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। अब तक चुनावी रैलियों व सभाओं के बाद अब जनसंपर्क के लिए कार्यकर्ता अब घर-घर पहुंचेंगे और इसके साथ ही मतदान केंद्रों पर उपस्थित रहने वाले कार्यकर्ता और बूथ पर बैठने वाले एजेंट को अंतिम रूप देने का भी काम शुरू कर दिया है।

 

अजमेर लोकसभा उप चुनाव का प्रचार समाप्त होने के साथ ही प्रचार के लिए आए भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेताओं ने शहर छोड़ना शुरू कर दिया है, लेकिन दोनों ही पार्टियों के छोटे नेता अभी भी डेरा डाले हुए हैं। प्रशासन को अब इन नेताओं और कार्यकर्ताओं जिला बदर करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। पिछले दस दिनों से दोनों दलों ने प्रदेश स्तरीय नेता और कार्यकर्ताओं बड़ी फौज प्रचार के लिए संसदीय क्षेत्र में झोंक रखी थी। इनकी संख्या ढाई हजार से अधिक होगी। मंत्री, विधायक, पूर्व विधायक और वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं। चुनाव आयोग के निर्देशानुसार 27 फरवरी को चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद जिले के बाहर से आए नेता और कार्यकर्ता जिले में प्रवास नहीं कर सकते हैं। इसके तहत शाम को प्रचार का समय समाप्त होने के बाद नेताओं ने स्थानीय कार्यकर्ताओं को आवश्यक दिशा-निर्देश देकर रवाना होना शुरु कर दिया है।

सूत्रों के अनुसार दोनों ही पार्टियों के बड़े नेता देर सात तक शहर अथवा जिला छोड़ देंगे। शहर छोड़ने वाले बड़े कांग्रेसी नेताओं में सचिन पायलट, विवेक बंसल, प्रताप सिंह खाचरियावास, प्रमोद जैन भार्य सहित अन्य नेता शामिल हैं। यह लंबे समय स अजमेर में प्रवास कर पार्टी की रणनीति को अंजाम दे रहे थे। इसी प्रकार भाजपा में मंत्री यूनिस खान, अरुण चतुर्वेदी, केन्द्रीय मंत्री सीआर चौधरी सहित अन्य विधायकों ने शहर छोड़ना प्रारंभ कर दिया। सूत्रों का कहना है कि बड़े नेताओं ने तो शहर छोड़ रहे हैं, लेकिन कई छोटे नेता और कार्यकर्ता अभी जिले में डटे हुए हैं। जिनको जिला बदर करने के लिए प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। सूत्रों का कहना है कि प्रशासन दोनों ही पार्टियों के इन नेताओं को पहचानता नहीं है। इधर यह नेता स्थानीय कार्यकर्ताओं के घर में मेहमान बनकर रह रहे हैं। वहीं, से चुनाव का संचालन कर रहे हैं। ऐसे में शिकायत होने पर प्रशासन को इन नेताओं की पहचान हो सकती है।

BJP सरकार का बोरिया बिस्तर बंधना तय: सचिन पायलट

राजस्थान। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने बुधवा को श्रीनगर रोड पर आयोजित सभा में कहा कि राजस्थान में आमजन जिस तरह सरकारी नीतियों व कामकाज से त्रस्त है उसे देखते हुए कांग्रेस न केवल उपचुनाव में जीतेगी बल्कि आने वाले विस चुनाव में भारी बहुमत के साथ जीत हासिल करेगी। 10 महीने बाद भाजपा की वसुंधरा राजे सरकार का राजस्थान से बोरिया-बिस्तर बंधना तय है। रघु शर्मा की जमानत सचिन पायलट ले रहा है। अजमेर की लोक सभा सीट कांग्रेस जीतेगी और दिल्ली का सिंहासन भी डोलेगा।

दरअसल प्रदेश में अजमेर, अलवर एवं मांडलगढ़ सीट पर नामांकन के आखिरी दिन गहमागहमी रही। अजमेर लोस सीट पर भाजपा-कांग्रेस सहित निर्दलीय व अन्य पार्टियों के 22 प्रत्याशियों ने 27 नामांकन दाखिल किए। कांग्रेस के डा. रघु शर्मा व भाजपा के रामस्वरूप लांबा ने बुधवार को नामांकन दाखिल किया। नाम वापसी तक प्रत्याशियों की संख्या 15 से कम नहीं हुई तो यहां एक बूथ पर दो-दो ईवीएम लगानी पड़ेंगी। नाम वापसी की अंतिम तिथि 15 जनवरी है।

अलवर लोकसभा सीट

भाजपा के डा. जसवंत यादव ने नामांकन दाखिल किया। कांग्रेस के डाॅ. करण सिंह यादव पहले ही नामांकन भर चुके हैं। यहां से 15 प्रत्याशी मैदान में है।

मांडलगढ़ विधानसभा सीट

भाजपा के शक्ति सिंह हाड़ा ने बुधवार को नामांकन भरा। कांग्रेस प्रत्याशी विवेक धाकड़ ने मंगलवार को नामांकन दाखिल किया था। यहां से 18 प्रत्याशी मैदान में हंै। कांग्रेस के बागी गोपाल मालवीय ने भी पर्चा भरा, जिनका नामांकन वापस कराने के लिए कांग्रेसी जोर लगा रहे हैं। सभी सीटों पर 29 जनवरी को मतदान होना है।

अजमेर: 40 साल बाद कांग्रेस ने खेला ऐसा दांव –

जयपुर। राजस्थान की अजमेर लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी की ओर से उम्मीदवार पार्टी प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ही होंगे। करीब 40 साल बाद कांग्रेस ने अजमेर संसदीय सीट पर किसी ब्राह्मण पर दांव लगाया है। वहीं भाजपा ने सांवर लाल जाट के निधन से सहानुभूति लहर के भरोसे जाट कार्ड खेला है। किसका दांव सही पड़ेगा यह परिणाम बताएगा। अजमेर लोक सभा संसदीय सीट का इतिहास देखा जाए तो किसी जाति वर्ग का सांसद सबसे ज्यादा बार चुना गया तो वह ब्राह्मण वर्ग है। 1945 से लेकर 1977 तक तीन बड़े राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सैनानी अजमेर लोक सभा सीट से चुने गए। यह सभी ब्राह्मण वर्ग से थे। इसमें मुकुट बिहारी लाल भार्गव, ज्वाला प्रसाद शर्मा और बीएन भार्गव के नाम शामिल हैं। यह तीनों ही कांग्रेस से थे।

 

40 साल के लंबे अंतराल मे बाद अब एक बार फिर कांग्रेस ने ब्राह्मण पर भरोसा जताया है। अजमेर में बड़ा वोट बैंक होते हुए भी ब्राह्मण समाज राजनीतिक रूप से उपेक्षित महसूस करता रहा है। गाहे बगाहे सामाजिक मंचों से समाज की यह व्यथा कई बार सामने आई भी है। मौजूदा हालात में कांग्रेस को भरोसा है कि ब्राह्मण सहित अन्य सामान्य वर्ग से जुड़े वोटर इस बार अहम साबित होंगे।

 

जीवन परिचय

 

राजस्थान विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष रहे। भिनाय से दो और जयपुर लोक सभा सीट से एक बार चुनाव लड़ चुके हैं। 2009 में केकड़ी विधानसभा से सीट लड़ा और त्रिकोणीय मुकाबले में जीते।पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित सीपी जोशी व सचिन पायलट तीनों से ही उनका बेहतरीन तालमेल। प्रदेश कांग्रेस में अभी उपाध्यक्ष हैं, युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं। अजमेर संसदीय क्षेत्र से उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी घोषित किए गए रघु शर्मा मूलत: अजमेर जिले के सावर गांव के निवासी हैं।

 

उन्होंने वर्ष 1982-83 में एलएलबी किया। वर्ष 1986-87 में राजस्थान यूनिवर्सिटी से एमबीए किया। राजस्थान यूनिवर्सिटी से ही उन्होंने डाक्टरेट की। डॉ. शर्मा केकड़ी के पूर्व विधायक (2008-2013) और विधानसभा में मुख्य सचेतक भी रहे हैं। वे पूर्व में जयपुर लोकसभा क्षेत्र से भी चुनाव लड़ चुके हैं।

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