दिग्गज जाट नेता हनुमान बेनीवाल ने निकाली किसानों के समर्थन में ट्रैक्टर रैली

किसाना आंदोलन मजबूत बनाने के लिए राजस्थान में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टीसे सांसद और दिग्गज जाट नेता हनुमान बेनीवाल राज्य के प्रत्येक जिले में किसान आंदोलन के समर्थन में ट्रैक्टर रैली निकालेंगे। बेनीवाल ने किसानों के समर्थन के लिए एनडीए से अलग होकर बता दिया था कि वह किसानों के हक की बात पर किसानों के साथ खड़े होकर उनका साथ देंगे। बेनीवाल ने कहा कि रैली का आयोजन शुक्रवार को सभी जिला मुख्यालयों शांतिपूर्ण तरीके से किया जायेगा।

बेनीवाल ने कहा इस रैली के माध्यम से केन्द्र सरकार को संदेश दिया जाएगा कि किसानों के मुद्दे को दबाया नहीं जा सकता और राजस्थान के किसान एक है। राजधानी जयपुर में रैली मानसरोवर मेट्रो स्टेशन से शुरू होगी और 14 नंबर बाईपास पर जाकर समाप्त होगी।

बेनीवाल ने कहा कि आंदोलन के समर्थन में उनकी पार्टी शाहजहांपुर बॉर्डर पर पड़ाव डालकर बैठी है और किसानों के पक्ष में आवाज को मजबूत कर रहे है। बेनीवाल ने संसद सत्र के दौरान भी सांसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण और वित्त मंत्री के बजट भाषण पर भी अपना विरोध् दर्ज करवाते हुए कृषि बिलों को वापिस लेने की अपील की थी। इसके बाद वह अब ट्रैक्टर रैली के माध्यम से किसानों का हौसला बढ़ा रहे हैं। इस रैली जबरदस्त भीड़ देखने को मिल रही है और इस बात से पता चलता है कि हनुमान बेनीवाल की किसानों के बीच अच्छी पकड़ है।

वही दूसरी तरफ भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसानों को कहा कि हर गांव से एक ट्रैक्टर पर 15 आदमी 10 दिन का समय लेकर आएं और इस आंदोलन में शामिल हो और इसके बाद वह लौटकर अपनी खेती करे इससे गांव में बैठे किसानों तक हमारी बात पहुचंगी और ज्यादा से ज्यादा किसान इसमें भाग लेंगे।

किसानों के लिए जान की बाजी लगाने को तैयार है राकेश टिकैत

2 महिने से ज्यादा का समय बीत चुका है और किसान संगठन नये कृषि कानूनों को खत्म करने के लिए लगातार सरकार पर दबाव बनाने के लिए शांति पूर्वक धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन 26 जनवरी को टै्रक्टर परैड के दौरान जो लाल किले पर हिंसा की घटना हुई उसको लेकर राकेश टिकैत ने साफ शब्दों में कह दिया है कि वे लोग हमारे साथ नहीं थे और उनका हमारे साथ कोई लेना देना नहीं है। हिंसा के बाद पुलिस ने सभी किसान नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी है और इस कारण किसान नेताओं ने आंशका जाहिर की है पुलिस उन्हें जबरदस्ती गिरफ्तार कर सकती है लेकिन फिर भी आंदोलन चलता रहेगा।

जयंत चौधरी ने किसान आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान कर चुके है। गुरुवार शाम 4 बजे तक गाजीपुर बॉर्डर पर भारी पुलिस बल की तैनाती के बाद माहौल ऐसा बन गया था कि किसानों को घर भेज दिया जाएगा। लेकिन हरियाणा से हजारों किसान रात में ही गाजीपुर बॉर्डर के लिए रवाना हो गए और वे सभ आज मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत करेंगे। खबरों के अनुसार बताया जा रहा है गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत धरनास्थल से हटने को तैयार हो गए थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है ।टिकैत के गांव में ऐलान किया गया कि हर किसान गाजीपुर पहुंचेगा।

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रात 11 बजे से मेरठ, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद और शामली से भारी संख्या में लोगों ने गाजीपुर के लिए कूच शुरू कर दिया। हरियाणा में भी कई खापों ने ऐलान कर दिया वे भी दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचेंगी।पुलिस ने धरनास्थल को चारों तरफ से सील कर दिया इसके बाद टिकैत ने रोते हुए कहा कि मुझे मारने की साजिश रची जा रही है और मैं खुदकुशी कर लूंगा लेकिन देश के किसानों को बर्बाद नहीं होने दूंगा।


दिल्ली हिंसा के मामले में पुलिस ने 37 किसान नेताओं को आरोपी बनाया गया है। इनमें राकेश टिकैतए मेधा पाटकर, योगेंद्र यादव, दर्शन पाल, राजिंदर सिंह, बूटा सिंह बुर्जगिल और जोगिंदर सिंह के साथ अन्य लोगों के नाम है। हिंसा के बाद राष्ट्रीय मजदूर किसान संगठन और भारतीय किसान यूनियन ने खुद को आंदोलन से अलग करने का ऐलान भी कर दिया है।

हिंसा के बाद दो धड़ों में बटा किसान आंदोलन, एक गुट ने जताई शर्मिंदगी तो दूसरे धड़े ने खत्म किया आंदोलन

26 जनवरी को गंणतत्र दिवस के मौके पर जिस तहर की हिंसा देखने को मिली उसके बाद किसान आंदोलनकारी दो भागों में बटते हुए नजर आ रहे है। हिंसा के बाद दो बड़े किसान संगठनों में आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर दिया तो दूसरे धड़े ने हिंसा पर खेद प्रकट करते हुए शर्मिदंगी जताते हुए 30 जनवरी को उपवास रखने का फैसला किया है।

इस आंदोलन को लेकर अब किसान संगठन एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर रहे हैं और हिसां फैलाने वालों को बाहरी बता रहे हैं। हिंसा के बाद से किसान आंदोलन से जुड़े बड़े नेताओं के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गयी है और उनको कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। बताया जा रहा है कि हिंसा के बाद किसान संगठनों को लगने लगा है कि उनको कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। हिंसा के बाद केन्द्र सरकार ने कहा कि वह अभी भी किसानों से वार्ता करने के लिए तैयार है।

दिल्ली पुलिस ने किसान नेताओं पर भी एफआईआर दर्ज की है इनमें राकेश टिकैत,जोगिंदर सिंह, बूटा सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल और राजेंद्र सिंह का नाम भी शामिल है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि ट्रैक्टर मार्च के दौरान इन नेताओं की ओर से नियमों का उल्लंघन किया गया था। सभी किसान संगठनों से जुड़े हैं और सरकार संग बातचीत हो या ट्रैक्टर परेड का रुट तय करना सभी में इनकी अहम भूमिका रही थी।

किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि गणतंत्र दिवस के दिन जो हुआ वो शर्मनाक है। मैं उस समय गाजीपुर बॉर्डर के पास था फिर भी मैं शर्मिंदा हूं और 30 जनवरी को उपवास रखकर हम प्रायश्चित करेंगे।

राष्ट्रीय मजदूर किसान संगठन और भारतीय किसान यूनियन भानु ने हिंसा के बाद ऐलान कर दिया कि वे आंदोलन से अलग हो रहे हैं। हिंसा के बाद यूपी पुलिस भी एक्शन में दिखी और दिल्ली सहारनपुर हाइवे पर के बागपत जिले के बड़ौत में धरने पर बैठे किसानों को आधी रात को हटा दिया।

लाल किले पर झंडा फहराने को लेकर तेज हुई सियासत, किसान संगठनों ने जताई यह बड़ी आशंका

26 जनवरी को लाल किले पर झंडा फहराने की घटना को लेकर सभी पार्टियों के साथ किसान संगठनों ने भी नाराजगी जताई है लेकिन झंडा फहराने के स्थान को लेकर जो बाते सामने आ रही है उसको लेकर जबरदस्त जंग छीड़ गयी है। किसान संगठनों ने कहा कि हमने पुलिस द्वारा बताये गये मार्ग से रैली निकाल रहे थे लेकिन हमारे बीच कुछ ऐसी हिसां फैलाने वाले लोग शामिल हो गये है जो किसानों को भड़काने के साथ हिंसा फैलाने का काम किया है। किसान संगठनों ने उन लोगों को अपने आप अलग करते हुए कहा कि ऐसे उपद्रवी लोगों के साथ उनका कोई संबंध नहीं है और हम शांति से अपने धरना स्थल पर लौट रहे है और अपना आंदोलन शांति से चलाने का आग्रह कर रहे है। दूसरी तरफ राजपथ पर अचानक भिड़ का उग्र होना और लाल किले पर झंडा फहराना सही नहीं है लेकिन ऐसी घटनाओं से किसान समुदाय पर हिंसा फैलाने के आरोप मंडने शुरू हो गये है।

अगर लाल किले पर झंडा फहराने को लेकर कोई विवाद हुआ है तो वह सही नहीं है क्योंकि झंडा उस जगह पर नहीं फहराया गया जहां पर तिरंगा फहराया जाता है। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि एक समुदाय विशेष का झंडा फहराना शर्मनाक है और इससे लोगों में गलत संदेश जाता है। जिस व्यक्ति पर किसानों को भड़काने का आरोप लगा है वह पंजाब से बीजेपी सांसद सनी देओल के साथ नजर आने वाला दिप सिद्धू है जो कई मौकों पर सनी के साथ नजर आ चुका है।

किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान अचानक उग्र प्रदर्शनकारी बैरियर तोड़ते हुए लाल किले तक पहुंच गए और उस स्तंभ पर एक धार्मिक झंडा लगा दिया जहां 15 अगस्त को प्रधानमंत्री भारत का तिरंगा फहराते हैं। लाल किले में घुसे प्रदर्शनकारियों ने जमकर उत्पात मचाया और टिकट काउंटर में भी तोड़फोड़ की पुलिस ने रात करीब 11 बजे तक प्रदर्शनकारियों से लाल किला को खाली कराया और धार्मिक झंडे को भी हटाया।

हिंसा पर किसान संगठन करेंगे चर्चा
दिल्ली हिंसा के बाद किसान संगठनों की आज दोपहर 2 बजे बैठक होगी और बैठक में 26 जनवरी को हुई हिंसा पर की चर्चा की जाएगी और 1 फरवरी के संसद घेराव कार्यक्रम पर भी फैसला लिया जा सकता है।

हिंसा पर सख्त ग्रह मंत्रालय
दिल्ली हिंसा को लेकर ग्रह मंत्रालय बहुत ज्यादा सख्त है और अमित शाह ने इसको लेकर एक बैठक बुलाई है। इसके साथ दिल्ली क्राइम ब्रांच और स्पेशल सेल से जांच कराई जा सकती है और उपद्रवियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए गृह मंत्रालय अब कानून मंत्रालय की मदद भी ले रहा है। मंगलवार को हुई हिंसा में 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, दिल्ली पुलिस दोपहर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी और हिंसा को लेकर जानकारी देगी।

कल किसानों से वार्ता करेगी केन्द्र सरकार, जानें किसान आंदोलन का हाल

जब से संसद में तीनों कृषि कानून को पास किया गया है तब से इन बिलों का विरोध किया जा रहा है। पिछले एक महीने से तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डर पर देशभर के किसानों का जमावड़ा जमा हुआ है। इस आंदोलन के दौरान सरकार और किसानों की बीच कई बार वार्ता हुई है लेकिन इसके अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है।

खबरों के अनुसार बताया जा रहा है कि सरकार ने किसान संगठनों को 30 दिसंबर को दोपहर दो बजे दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में बातचीत करने के लिए बुलाया है। सरकार द्वारा किसान 40 किसान संगठनों के नेताओं को पत्र लिखकर कहा है कि है, ”अनुरोध है कि 30 दिसंबर को दोपहर 2 बजे विज्ञान भवन, नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री स्तरीय समिति के साथ समाधान हेतु इस बैठक में भाग लेने का कष्ट करें।”

किसान संगठनों का कहना था कि उनकी चार मांगे है जिनमें इसमें सबसे पहला मुद्दा कृषि कानूनों को रद्द करने का रखा गया तो दूसरा एमएसपी को कानून बनाना है। पिछले एक महीने से किसानों ने अपने आंदोलन को तेज करने की रूपरेखा तैयार कर रखी है जिसके कारण हर दिन यह आंदोलन व्यापक होता जा रहा है।

सरकार बार—बार किसानों को समझाने का प्रयास कर रही है कि इस बिल से किसानों का भला होगा लेकिन फिर भी किसान विपक्ष के बहकावे में आकर आंदोलन कर रहे हैं। जबकि किसानों की मांग है कि सरकार इन बिलों को खत्म करके एमएसपी को कानूनी अधिकार बनाये। किसानों के इस आंदोलन को देश भर के राजनीतिक दलों के साथ कई संगठनों का सहयोग मिल रहा है जिसके चलते किसानों का हौसला मजबूत है। किसानों को बार्डर पर सभी प्रकार की परेशानियों के साथ उन्हें कुछ उम्मीद भी उन लोगों से बनी है जो इस आंदोलन को समर्थन करने के​ लिए उनका हौसला बड़ा रहे है।

कृषि कानूनों पर राहुल-प्रियंका का हल्ला बोल, प्रियंका पुलिस हिरासत……..

केन्द्र सरकार द्वारा पारित 3 नये कृषि कानूनों को समाप्त करने की मांग को लेकर पिछले 1 महीने से देश भर के किसान दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे है। किसानों की मांगों को लेकर सभी विपक्ष दल उनका समर्थन कर रहे है लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्टीय अध्यक्ष राहुल गंाधी सड़क पर उतरने का फैसला किया है।

राहुल के साथ कांग्रेस पार्टी के कई बड़े नेता उनके साथ सड़क पर उतरेगे और केन्द्र सरकार को बिल वापस लेने के लिए दबाव बनाएंगे। राहुल राष्ट्रपति से मिले तो दूसरी तरफ पुलिस बिना अनुमति के मार्च के आरोप में प्रियंका वाड्रा को हिरासत में ले लिया गया है।

राहुल के इस मार्च से पहले उनके आवास के बाहर धारा 144 लगा दी गयी है और पुलिस प्रशासन ने कहा कि केवल राष्ट्रपति से मिलने के लिए जिन लोगों को अनुमति दी गयी है उन्हीं लोगों को अनुमति दी जाएगी। कांग्रेस के नेता आज राष्ट्रपति से मुलाकात करने के साथ उनको 2 करोड़ किसानों के हस्ताक्षरों के साथ ज्ञापन सौपेंगे और इन बिल को निरस्त करने का आग्रह करेंगे।

यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस पार्टी ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए सड़क पर उतरे है इससे पहले भारत बंद के दौरान भी कांग्रेस ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया था। राहुल गांधी का यह फैसला उनके और पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकता है क्योंकि पिछले कुछ समय से कांग्रेस पार्टी में अपनों की लड़ाई के कारण वह दूसरी मुद्धों पर ध्यान केन्द्रीत नहीं कर पा रही है।

किसान आंदोलन को लेकर केन्द्र सरकार अभी तक किसी भी प्रकार से झुकने को तैयार नहीं है और किसान भी मोदी सरकार के साथ किसी प्रकार की वार्ता से हल निकलाने पर राजी नहीं है। हालाकि पीएम मोदी कल किसानों को बहुत बड़ी राशि उनके बैंक खातों में देंगे।

राजनीतिक नियुक्तियां के साथ जल्द गठन होगी प्रदेश कार्यकारिणी: डोटासरा

राजस्थान की सियासत में एक ​बार फिर से हलचल देखने को मिल रही है राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष व शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के दिल्ली दौरे से बात स्पष्ट होती दिख रही है। पीसीसी चीफ डोटासरा ने कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी अजय माकन से मुलाकात के दौरान कार्यकारिणी, संभाग के दौरे, जनहित के मुद्दे के साथ प्रदेश की राजनीति को लेकर चर्चा होने की बात सामने आ रही है।

पीसीसी चीफ डोटासरा इस महीने के अंत तक वरिष्ठ नेताओं से चर्चा कर प्रदेश कार्यकारिणी के नाम आलाकमान को सौप देंगे वहीं, जिलाध्यक्ष व राजनीतिक नियुक्तिों के साथ नव गठित प्रदेश कार्यकारिणी की विशेष बैठक बुलाई जा सकती है। डोटासरा ने कहा है कि प्रदेश के 11 जिलों के 50 नगर निकायों में हुए चुनाव में कांग्रेस 36 जगह बोर्ड बनाने में सफल जो पार्टी और संगठन के लिए अच्छी बात है।

राजस्थान में गहलोत और पायलट के तेवर अभी नरम है लेकिन इन दोनों के बीच जो टकराव है वह अभी शांत नहीं हुआ है इसी बात को ध्यान में रखते हुए आलाकमान राजस्थान में कुछ नया बदलाव करने के साथ इन दोनों नेताओं को एक साथ लाने की कोशिश में लगा है। राज्य के सीएम बार बार बीजेपी पर आरोप लगा रहे है कि उनकी सरकार को गिराने की कोशिश एक बार फिर से तेज हो गयी है तो बीजेपी इस पर पलटवार करते हुए कांग्रेस के घर की लड़ाई बताकर सीएम के आरोपो को झूठ करार देती है।

मुसलमानों को ” बलि का बकरा बनाया गया ” मरकज तबलीगी जमात विवाद – उच्च न्यायालय

मरकज में शामिल विदेशियों को ‘बलि का बकरा’ बनाया गया

बंबई उच्च न्यायालय के औरंगाबाद पीठ ने कहा है कि दिल्ली में तबलीगी जमात के एक कार्यक्रम में भाग लेने वाले विदेशी नागरिकों को ‘बलि का बकरा बनाया गया। उन पर आरोप लगाया गया कि देश में कोविड-19 को फैलाने के लिए वे जिम्मेदार थे। न्यायमूर्ति टीवी नलावडे और न्यायमूर्ति एमजी सेवलिकर के खंडपीठ ने 29 विदेशियों के खिलाफ दायर प्राथमिकियों को खारिज करते हुए 21 अगस्त को यह टिप्पणी की। पीठ ने रेखांकित किया कि महाराष्ट्र पुलिस ने मामले में यंत्रवत ढंग से काम किया है, जबकि राज्य सरकार ने ‘राजनीतिक बाध्यता’ के तहत काम किया है। राष्ट्रीय राजधानी में स्थित निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के एक कार्यक्रम में पर्यटन वीजा शतों का कथित तौर पर उल्लंघन करने के सिलसिले में 29 विदेशी नागरिकों के खिलाफ आइपीसी की विभिन्न

साभार

धाराओं, महामारी रोग अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम और विदेशी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। पीठ ने अपने आदेश में रेखांकित किया कि दिल्ली में मरकज में आए विदेशी लोगों के खिलाफ बड़ा दुष्प्रचार किया गया था। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि महामारी या विपत्ति आने पर राजनीतिक सरकार बलि का बकरा ढूंढने की कोशिश करती है और हालात बताते हैं कि

बंबई हाई कोर्ट के औरंगाबाद पीठ ने 29 प्राथमिकियां खारिज करते हुए कहा 
अदालत ने कहा कि तबलीगी जमात के खिलाफ दुष्प्रचार वांछित था। जमात 50 साल से गतिविधि चला रही है। उसने कहा कि भारत में कोविड-19 के संक्रमण के हालात और ताजा आंकड़े बताते हैं कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ ऐसी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए थी। पीठ ने कहा कि इन विदेशियों के भारत में मस्जिद जाने पर रोक नहीं थी और यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर कुछ भी नहीं है कि यह गतिविधि सरकार द्वारा स्थायी रूप से प्रतिबंधित है।
संभावना है कि इन विदेशी लोगों को बलि का बकरा बनाने के लिए चुना गया था। अदालत ने कहा, ‘तबलीगी जमात की गतिविधि दिल्ली में पूर्णबंदी की घोषणा के बाद ही बंद हो गई थी और तब तक (घोषणा तक) यह चल रही थी। अदालत ने कहा कि कोविड-19 महामारी से पैदा हुई स्थिति के दौरान, हमें अधिक सहिष्णुता दिखाने की जरूरत है और अपने मेहमानों के प्रति अधिक – संवेदनशील होने की जरूरत है।

उत्‍तर भारत लगातार शीत लहर की चपेट में, दिल्‍ली में आज न्यूनतम तापमान 5.2 डिग्री

दिल्ली। जम्‍मू-कश्‍मीर में ताजा बर्फबारी और बारिश के बाद कश्‍मीर घाटी में इस सप्‍ताह भी शीत लहर जारी है। समूची घाटी में न्‍यूनतम तापमान जमाव बिंदु से कई डिग्री नीचे बना हुआ है। समूचा उत्तर भारत शीत लहर की चपेट में है।

हिमाचल प्रदेश में मौसम विभाग ने अगले दो दिन में भारी वर्षा और बर्फबारी का अनुमान व्यक्त किया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्‍ली में आज न्यूनतम तापमान 6 दशमलव 4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।

बता दें कि श्रीनगर में कल रात तापमान शून्‍य से दो दशमलव छह डिग्री नीचे दर्ज किया गया है। मौसम विभाग ने अगले बृहस्‍पतिवार तक मौसम शुष्‍क रहने और हल्‍की वर्षा या बर्फबारी का अनुमान व्‍यक्‍त किया है। लद्दाख क्षेत्र में अगले 24 घंटे में कुछेक स्‍थानों पर हल्‍की बर्फबारी की संभावना है।

राष्ट्रीय राजधानी में मौसम का सबसे ठंडा दिन रिकॉर्ड किया गया। यहां न्यूनतम तापमान 5.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो कि औसत से तीन डिग्री कम है। मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अधिकतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है जो सामान्य से सात डिग्री कम है।

दिल्ली में कड़ाके की ठंड, पिछले 22 सालों का रेकॉर्ड टूटा

दिल्ली। मंगलवार को दिल्ली का अधिकतम तापमान 12.2 डिग्री रहा। 1992 से अब तक यह दूसरा मौका है, जब दिसंबर में राजधानी का तापमान इतना नीचे गया है। दिल्ली की सर्दी ने इस बार दिसंबर में ही 22 सालों का रेकॉर्ड तोड़ दिया है। अधिकतम और न्यूनतम तापमान के बीच सिर्फ 2.2 डिग्री अंतर का ही रहा।

बता दें कि मंगलवार को नजफगढ़ दिल्ली में दिन के समय सबसे अधिक ठंडा रहा। राजधानी का तापमान फिलहाल कई पहाड़ी शहरों से भी कम दर्ज किया गया है अधिकतम तापमान 11 डिग्री हो गया है। मौसम विभाग ने और तापमान में गिरावट की संभावना व्यक्त की है।

मौसम विभाग के अनुसार, इससे पहले 28 दिसंबर 1997 को राजधानी का तापमान 11.3 डिग्री रहा था, जो सबसे कम है। 1992 से अब तक यह दूसरा मौका है, जब दिसंबर में राजधानी का तापमान इतना नीचे गया है।

राजधानी दिल्ली से शीतलहर का प्रकोप कम नहीं हो रहा है। हाड़तोड़ ठंड के आगे लोग अब लाचार नजर आ रहे हैं। अधिकतम तापमान पिछले 22 सालों में इतना नीचे कभी नहीं आया, जबकि 27 सालों का यह दूसरा सबसे कम तापमान रहा है। पिछले 24 घंटों से सूर्य की हल्की सी रोशनी तक दिल्ली-एनसीआर में नहीं पहुंची है। बुधवार को भी हालात सुधरने के आसार नहीं हैं।

बता दें कि अधिकतम और न्यूनतम तापमान के बीच अंतर महज 2.2 डिग्री रहा। गर्म कपड़ों के बावजूद लोगों को ठंड से राहत नहीं मिल पा रही है। राजधानी का तापमान फिलहाल कई पहाड़ी इलाकों से भी कम हो गया है। दिल्ली में नजफगढ़ दिन के समय सबसे ठंडा बना रहा। यहां का अधिकतम तापमान महज 11.1 डिग्री रहा।

दिल्ली में शीतलहर का कहर जारी है, शुक्रवार को बारिश होने की संभावना है मंगलवार को हालात और खराब हो गए। अधिकतम तापमान 12.2 डिग्री रहा, जो सामान्य से 10 डिग्री कम है। न्यूनतम तापमान भी 10.4 डिग्री बना रहा जो सामान्य से 2 डिग्री अधिक है।

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