किसान आंदोलन को तेज करने की तैयारी शुरू

केंद्र सरकार द्वारा लाये गये 3 कृषि कानूनों के खिलाफ लगभग 20 दिनों से ज्यादा समय से चल रहा किसानों आंदोलन अब तेज होने जा रहा है। दिल्ली की सीमा पर डटे किसानों ने आंदोलन को और ज्यादा तेज करने की कवायद शुरू कर दी है। किसानों ने आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है और इसके लिए किसानों का एक समूह बारी-बारी से 24 घंटे की भूख हड़ताल करेगा।

केन्द्र सरकार ने प्रदर्शन कर रहे किसानों से अगले दौर की बातचीत के लिए सभी रास्ते खोल रखे है लेकिन किसान बिल को खत्म करने की मांग पर अड़े है। इससे पहले किसानों ने भूख हड़ताल और भारत बंद का आह्वान किया किया था जिसके सम​र्थन में पूरा विपक्ष सड़कों पर उतरा था। सरकार ने किसानों को कई बार वार्ता के लिए बुलाया लेकिन अभी तक किसी प्रकार का कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। वहीं आंदोलन में 33 प्रदर्शनकारी किसानों की मौत होने की खबर भी सामने आयी है।

किसान आंदोलन के बीच 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में राजमार्गों पर टोल वसूली को भी मुफ्त करेंगे। भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने 23 दिसंबर को किसान दिवस के दिन लोगों से अपील की है कि वह एक दिन का उपवास रखें। सरकार और किसानों के बीच कोई उचित समाधान नहीं निकलने के कारण यह आंदोलन इतना लंबा हो गया है।

 

 

राजस्थान के कई जिले बने शिमला—मनाली, माइनस डिग्री तक पहुंचा पारा

राजस्थान में पिछले 2—3 दिन में सर्दी का प्रकोप बहुत ज्यादा बड़ गया है इसके चलते कई प्रदेश के कई जिलों का तापमान माइनस तक चला गया है। मौसम विभाग ने राजस्थान के साथ कई दूसरे राज्या में में शीतलहर चलने का अर्लट जारी कर दिया है इसकी वजह कश्मीर में लगातार हो रही बर्फबारी को बताया गया है।

राजस्थान का जैसलमेर जिला हमेशा अधिक गर्मी और सर्दी के लिए जाना जाता है कल रात को जैसलमेर के चांदन इलाके में रात का तापमान माइनस 1.5 डिग्री था जो माउंट आबू से भी कम दर्ज किया है। प्रदेश के साथ देश की राजधानी दिल्ली भी ठंड से बेहाल है और आने वाले दिनों में दिन का तापमान भी कम हो सकता है। मौसम विभाग ने अगले 48 घंटे में शीतलहर का अलर्ट जारी किया है।

राजस्थान के माउंट आबू में पारा एक बार फिर जमाव बिंदु से नीचे चला गया है और माउंट आबू में न्यूनतम तापमान शून्य से 1.0 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। प्रदेश के अन्य जिलों में पारा जमाव बिन्दु के करीब पहुच गया है बात करें सीकर में न्यूनतम तापमान 0.5 डिग्री, चुरू में 2.2 डिग्री, पिलानी में 2.5 डिग्री, गंगानगर में 2.8 डिग्री, बीकानेर में 3.1 डिग्री, के सथा बीकानेर, चुरू, नागौर, सीकर और झुंझुनू में शीतलहर चलने की बात भी कही जा रही है।

पारा जमान बिन्दु पर जाने के बाद अभी तक किसानों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हुई है लेकिन इसके कारण जन—जीवन प्रभावित हुआ है। अगर बात करें पहाडी इलाकों की तो हिमाचल प्रदेश के मनाली और कल्पा में पिछले 24 घंटों में तापमान शून्य से नीचे दर्ज किए जाने के साथ शीत लहर के हालात बने हुए है।

किसान आंदोलन का 19वां दिन: सभी जिला मुख्यालयों पर धरना देंगे किसान

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के खिलाफ देश भर के किसानों के विरोध प्रदर्शन का आज 19वां दिन है और अब यह आंदोलन धीरे—धीरे देश के सभी हिस्सों में फैल रहा है। खबरों के अनुसार बताया जा रहा है कि दिल्ली की सीमाओं पर किसान 8 बजे से भूख हड़ताल पर बैठने का फैसला करने के साथ आज देश भर में किसान सभी जिला मुख्यालयों पर धरना दिया जाएगा। इस आंदोलन पर जबरदस्त राजनीति भी देखने का मिल रही है जिसके चलते इस आंदोलन को लेकर कई प्रकार के सवाल भी खड़े किये जा रहे हैं।


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी किसानों की भूख हड़ताल का समर्थन करते हुए वह खुद भूख हड़ताल पर बैठेंगे इस फैसलों को पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने केजरीवाल के उपवास को नौटंकी करार दिया है। किसानों के आंदोलन को लेकर मोदी सरकार हर प्रकार से किसानों से वर्ता करने के​ प्रयास कर रही है वहीं अब इस मुद्दे पर खुद अमित शाह लगातार बैठके कर रहे हैं।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को किसानों को मनाने के लिए अलग-अलग राज्यों और यूनियनों की जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन,अमित शाह ने पंजाब के किसान नेताओं से बातचीत करने की जिम्मेदारी अपने पास रखी है। इस आंदोलन से जुड़े कई किसान नेताओं ने इससे दूरी बना ली है।


किसान दिल्ली-जयपुर हाईवे बंद करने के लिए राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर पर भारी संख्या में जमा होने लगे हैं। इस आंदोलन को देश के खतरा बताने के साथ इसके तार पाकिस्तान से भी जोड़ने की बाते सामने आ रही है लेकिन किसान नेता पहले ही कह चुके हैं कि हमें किसी भी राजनीतिक पार्टी की जरूरत नहीं है हम अपने अधिकार के लिए खुद लड़ सकते हैं।

राजस्थान की विधानसभा में भूतों का साया ! जानें क्या हैं पूरा मामला

राजस्थान विधानसभा में फिर दबी जुबा भूतों की चर्चा – विधायको गणों की मौत के साथ एक बार फिर चर्चा –

राजस्थान विधानसभा का नया भवन अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस तैयार ​किया गया था लेकिन ​इस भवन पर भूतों के साये की बात एक बार फिर सच साबित होती नजर आ रही है।

साल 2001 से लेकर 2020 तक की किसी भी बैठक में सदन के सदस्यों की संख्या पूरी नहीं हुई. इस दौरान कभी विधायकों के लोकसभा का चुनाव जीत जाने या कभी किसी की मृत्यु हो जाने से यह आंकड़ा कभी पूरा नहीं हो पाया। लेकिन कई विधायक और पूर्व मंत्री इस संयोग को भूत—प्रेत से जोड़ चुके है।

लेकिन जब भी एक या दो विधायक की मौत होती है तो और संख्या घटती है तो ये अफवाह फिर से अपना मजबूत होती है कि इस विधानसभा पर काला जादू है जो 5 साल तक किसी भी सरकार के कार्यकाल में 200 की संख्या नहीं हो पा रही है।

 

 

 

कोरोना काल में दो कांग्रेस और एक बीजेपी विधायक की मौत के बाद विधानसभा पर भूतों के साये की अफवाह गर्म हो गयी है और इसके समाधान को लेकर कुछ करने की बात भी की जा रही है। कई मौको पर विधायक यह कह चुके हैं कि इस भवन का एक हिस्सा श्मशान की जमीन पर बना हुआ है जिसके कारण ऐसा हो रहा है।

कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी का निधन इसके बाद मौजूदा सरकार के मंत्री भंवर लाल मेघवाल और बीजेपी की दिग्गज नेता किरण माहेश्वरी का निधन होना भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।

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