भारत बंद में किसानों से ज्यादा विपक्ष उतरा सड़कों पर

मंगलवार को किसानों द्वारा भारत बंद के समर्थन में विपक्षी दलों ने ज्यादा उत्साह नजर आया और लगभग देश के सभी राज्यों में किसानों से ज्यादा विपक्ष सड़कों पर उतरकर भारत बंद को सफल बनाने का काम किया है। अगर बात करें राजस्थान की तो यहां सरकार के कई मंत्री सड़कों पर उतरे और किसानों को हक दिलाने में उनके साथ खड़े रहने का वादा किया। अगर बात करें पूरे देश की तो कई जगह आगजनी और झड़प की खबरे भी देखने ​को मिली।


बंद को समर्थन देने वाले विपक्षी दल
भारत बंद को इन दलों ने समर्थन दिया है – कांग्रेस, एनसीपी, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, द्रमुक और इसके घटक, टीआरएस, राजद, आम आदमी पार्टी, सपा, बसपा, वामदल, पीएजीडी।

देशव्यापी भारत बंद के दौरान किसी प्रकार की कोई घटना घटित नहीं हो इसके मध्यनजर केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सुरक्षा बढ़ाने और शांति सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किये हैं।भारत बंद के दौरान आम जनता को काफी परेशानियों का भी सामान करना पड़ रहा है और शादियों के सीजन के चलते बहुत ज्यादा परेशानी होती नजर आ रही है। कई किसाने दिल्ली की सीमा पर डटे हुए है और उनको केन्द्र सरकार ने कहा कि प्रदर्शन करने या बंद करने से किसी भी समस्या का समाधान नहीं होगा।

ममता के गढ़ को ध्वस्त करने की बीजेपी की जबरदस्त तैयारी

क्या पश्चिम बंगाल में क्या खिलेगा कमल 

 

कोरोना काल में विपक्ष के लगातार आलोचना का शिकार हो रही बीजेपी ने बिहार चुनावों के साथ उप चुनावों में शानदार जीत हासिल करके विपक्ष को एक बार फिर कमजोर साबित कर दिया है। इस जीत के बाद बीजेपी का हौसला 7वें आसमान पर है तो दूसरी तरफ विपक्ष अपनी हार पर केवल मंथन करने के सिवाय कुछ नहीं कर पा रहा है।

पिछले कुछ समय से बीजेपी ने ममता बनर्जी के गढ़ कहे जाने वाले पश्चिम बंगाल में अपनी जमीनी ताकत मजबूत क

रने में लगी हुई है और इसका प्रमाण 2019 के लोकसभा चुनावों में मिल चुका है और इसके बाद पंचायत चुनावों में बीजेपी ने अच्छी जीत हासिल करके ममता के गढ़ में सेंध मार दी है।

अगले साल बंगाल में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और बीजेपी चुनावों से पहले बंगाल को जीतने के लिए जबरदस्त तैयारी शुरू कर दी है। सूत्रों की माने तो चुनावों से पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ कई बड़े मंत्री हर महीने बंगाल

का दौरा करेंगे। अगर बीजेपी बंगाल में वोट प्रतिशत के साथ सीटों की संख्या बढ़ाने में कामयाब होती है तो विधनासभा जाने का सफर ममता के लिए बहुत मुश्किल भरा हो जाएगा।

बंगाल चुनावों से पहले बीजेपी ने यह ऐलान कर दिया है कि वह इस बार बंगाल में कमल खिलाएगी और बंगाल का विकास करने के साथ सभी केन्द्र की सरकारी योजनाओं का लाभ देगी जो उसे अभी तक नहीं मिल पाया है।

राजस्थान की राजनीति में आया – लव जिहाद , इस्लामिक आतंकवाद के घोषित एजेण्डे में हैं ‘‘लव जिहाद’’ – सतीश पूनियां

मुख्यमंत्री गहलोत का ‘‘लव जिहाद’’ पर बयान उनकी  वोट बैंक की ओछी मानसिकता को दर्शाता है: डाॅ. सतीश पूनियां

 

इस्लामिक आतंकवाद के घोषित एजेण्डे ‘‘लव जिहाद’’ का शिकार होकर हमारी अबोध बच्चियां देश में उत्पीड़न की शिकार होती हैं: डाॅ. पूनियां

 

विश्वास नहीं होता कि वोट बैंक की राजनीति के लिए  मुख्यमंत्री गहलोत आप इतना गिर जाओगे: डाॅ. पूनियां

 

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जयपुर, 20 नवम्बर। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा दिये गये ‘‘लव जिहाद’’ के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत का ‘‘लव जिहाद’’ पर बयान उनकी वोट बैंक की ओछी मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की देशभर में हो रही दुर्दशा से वह इतना विचलित हो जाएंगे यह विश्वास नहीं होता, हम सब जानते हैं कि सनातन भारत की परम्परा में विवाह एक धार्मिक और सामाजिक मान्यता प्राप्त संस्कार है यह केवल व्यक्ति की स्वतंत्रता तक सीमित नहीं है।

डाॅ. पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत का यह बयान शर्मनाक है, भारत विश्व का पुरातन सनातन देश है, जहाँ विवाह एक नैसर्गिक संस्कार है, ‘‘लव जिहाद’’ इस्लामिक आतंकवाद का घोषित एजेण्डा है, विश्वास नहीं होता वोट बैंक की राजनीति के लिए आप इतना गिर जाओगे, कांग्रेस की दुर्दशा से विचलित होकर मानसिक सन्तुलन यूँ गड़बड़ होना स्वाभाविक ही है।

डाॅ. पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत ने भाजपा पर लगाया गया आरोप बेबुनियाद है, इस्लामिक आतंकवाद के एजेण्डे ‘‘लव जिहाद’’ का शिकार होकर हमारी अबोध बच्चियाँ देश में उत्पीड़न का शिकार होती हंै, यह जगजाहिर है। ऐसी परिस्थिति में गहलोत का यह बयान निश्चित तौर पर ओछी मानसिकता का परिचायक है।

 

 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने   ” लव जिहाद ” कानून पर क्या कहा था जानें –

एक ट्वीट में गहलोत ने लिखा कि ‘लव जिहाद बीजेपी की ओर से देश को विभाजित करने और सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के लिए बनाया गया एक शब्द है। विवाह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है, उस पर अंकुश लगाने के लिए कानून लाना पूरी तरह से असंवैधानिक है और यह कानून किसी भी अदालत में नहीं टिकेगा। प्यार में जिहाद की कोई जगह ही नहीं है।’

राजस्थान कांग्रेस ने राज्यपाल कलराज मिश्र को दिया ई – ज्ञापन  , 21 सितम्बर, 2020 धरना व् प्रदर्शन 

# कृषि बिलों के विरोध में कांग्रेस 
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा द्वारा राज्यपाल  कलराज मिश्र को कोरोना महामारी के चलते ई-मेल के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति महोदय के नाम केन्द्र सरकार द्वारा देश के किसानों और कृषि व्यापार से संबंधित लाये गये तीन विधेयकों के विरोध तथा उन्हें लागू नहीं करने की मांग को लेकर ज्ञापन प्रस्तुत किया गया।
 राज्यपाल महोदय को सौंपे गए ज्ञापन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा विभिन्न किसान संगठनों से जुड़े 20 किसान नेताओं ने अपने हस्ताक्षर कर केन्द्र सरकार द्वारा देश के किसानों और कृषि व्यापार की कमर तोडऩे वाले इन विधेयकों को वापस लेने की पूरजोर माँग की गई है।
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने बताया कि केन्द्र सरकार की किसान 

 

विरोधी नीतियों तथा कृषि उपज, वाणिज्य और व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश, मूल आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश द्वारा देश के लाखों आढ़तियों, मण्डी मजदूरों और खेत मजदूरों को समाप्त करने, कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को बढ़ावा देकर किसानों की जमीनहड़पने तथा जमाखोरी और कालाबाजारी को बढ़ावा देने वाले उक्त अध्यादेशों के विरोध में सोमवार, 21 सितम्बर, 2020 को प्रात: 11 बजे जयपुर सहित समस्त जिला मुख्यालयों पर जिले में स्थित केन्द्र सरकार के कार्यालय के समक्ष धरना व प्रदर्शन किया जाएगा
उन्होंने बताया कि जयपुर शहर व देहात जिला कांग्रेस द्वारा जयपुर स्थित भारतीय खाद्य निगम के टोंक रोड़ स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के समक्ष प्रात: 11 बजे धरना व प्रदर्शन किया जाएगा। उक्त धरना, प्रदर्शनों के दौरान राज्य सरकार द्वारा केन्द्र सरकार द्वारा जारी कोरोना महामारी की गाईडलाईन का पूर्णतया ध्यान रखा जाएगा

कांग्रेस पार्टी अब युवाओं को देगी अधिक मौका – संगठन में फेरबदल तय

राजस्थान में फेरबदल की तैयारी , प्रदेश के नेताओं से रायशुमारी शुरू

नई दिल्ली | अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस पार्टी अपने संगठन में बड़ा फेरबदल कर सकती हैं इस के साथ ही राहुल गाँधी को फिर से पार्टी का राष्टीय अध्यक्ष बनाने की कोशिश पार्टी के वरिष्ट कांग्रेस जनों द्वारा की जा रही हैं |

राजस्थान असम और बिहार पर हैं ख़ास नजर –

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत .
साभार

राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व कांग्रेस पार्टी सुरक्षित हैं क्योंकि राज्यसभा चुनाव में राजस्थान में सरकार बदलने की बाते सामने आई थी जिस के मध्यनजर मुख्यमंत्री ने लगभग 10 दिनों ने विधायको की बाडेबंदी की थी , लेकिन राज्यसभा चुनाव के परिणाम वही रहे जो तय माने जा रहें थे 2 कांग्रेस व् 1 भाजपा | कांग्रेस संगठन के महासचिव केसी वेणुगोपाल व् नीरज दांगी कांग्रेस से विजय रहें तो भाजपा से राजेन्द्र गहलोत |

कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल को मिल सकती हैं नई ज़िम्मेदारी 

आगामी समय में बिहार ,असम में विधानसभा के चुनाव प्रस्तावित हैं और राजस्थान में भी संगठन में फेरबदल की आवश्यकता हैं इसके मध्य नजर राजस्थान से नव निर्वाचित सांसद व् संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल को संगठन को मजबूत करने की ज़िम्मेदारी मिल सकती हैं जिसमे खासतौर पर युवाओं को नई ज़िम्मेदारी व् पद मिल सकता हैं |

राजस्थान को मिल सकता हैं नया प्रदेशाध्यक्ष 

सूत्रों के अनुसार कांग्रेस पार्टी राजस्थान में नया प्रदेश अध्यक्ष बना सकती हैं चुकी सचिन  पायलेट राजस्थान के उप मुख्यमंत्री हैं और उनके पास कई महत्वपूर्ण मंत्रलाय है जिसके चलते वह संगठन निर्माण में अधिक समय नहीं दे पा रहें हैं जिसको लेकर संगठन में बड़े विभिन्न समाज के नेताओं से राय – मशुहरा लिया जा रहा हैं |

अशोक गहलोत व् सचिन में कई बार देखने को मिला हैं मनमुटाव – 

सचिन पायलेट व् अशोक गहलोत

वैसे तो राजस्थान में सरकार बनने व् मुख्यमंत्री पद को लेकर लम्बी खींचतान चली थी जिसे सभी ने देखा था लेकिन पिछले 2 साल में दोनों ही नेताओं ने सुझबुझ का परिचय दिया हैं लेकिन उनके समर्थको में व् निर्दलीय विधायको के समर्थन के पीछे जो वादे कियें गयें थें अब उनको जमीनी स्थर पर अमल करने का समय आ गया है यह जब ही संभव हैं जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन का प्रदेश अध्यक्ष बने वैसे सचिन पायलेट को प्रदेश अध्यक्ष बने 6 साल से अधिक हो गया हैं |

निगम व् पंचायत चुनाव – 

आगामी समय में शहरों में नगर – निगम व् गांवों में पंचायत के चुनाव होने हैं इस को लेकर भी पार्टी थोड़ी चिंतित है कहा जा रहा हैं की टिकट वितरण व् अपने खेमे को मजबूत करने के लियें अंदुरनी रस्सा कस्सी हो सकती हैं वही संगठन को मजबूत करने के लियें अशोक गहलोत व् सचिन पायलेट दोनों के पास समय नहीं हैं ऐसे में भाजपा भी बड़ा खेल कर सकती हैं इन तमाम मुद्दों को देखते हुयें कांग्रेस राजस्थान में संगठन की पकड़ को मजबूत बनाने में अंदुरनी तौर पर लगी हैं |

भाजपा सरकार पूरी तरह से मुनाफाखोरी पर उतारू हो गई है – सचिन पायलेट

Congress protests over rising prices of petrol diesel

जयपुर | देश में लगातार पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर आज जयपुर में कांग्रेस पार्टी की और से विरोध – प्रदर्शन किया गया  जिसमे राजस्थान सरकार के कई मंत्री विधायक व् कार्यकर्ता उपस्थित रहें , कार्यक्रम में राजस्थान के उप मुख्यमंत्री व् कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलेट ने भाजपा पर प्रहार करते हुयें कहा की आज देश वैश्विक महामारी कोरोना के कारण आर्थिक संकट से गुजर रहा हैं वही अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कम कीमतों का लाभ देश की जनता को मिलना चाहिए था, परन्तु केन्द्र की भाजपा सरकार पूरी तरह से मुनाफाखोरी पर उतारू हो गई हैं

पायलेट  कहा कि भाजपा की केन्द्र सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल के दामों में जो वृद्धि की गई है वह विगत् 70 वर्षों में अप्रत्याशित है। जब किसी चीज की अधिक आवश्यकता होती है तो उसके दामों में वृद्धि कर केन्द्र सरकार मुनाफाखोरी का अवसर नहीं छोड़ती है। उन्होंने कहा कि देश में पेट्रोल-डीजल के पर्याप्त भण्डारण उपलब्ध है |

इस महामारी में आम जनता अपनी आवाज नहीं उठा सकती धरना – प्रदर्शन नहीं कर सकती लेकिन उसकी आवाज कांग्रेस पार्टी उठायेगी।

चीन पर केंद सरकार में ही विरोधाभास हैं – सच्चाई बतायें देश को  

पायलट ने चीन के मुद्दे पर कहा कि प्रधानमंत्री तथा रक्षा मंत्रालय के बयानों में विरोधाभास साफ नजर आता है। उन्होंने कहा कि आज हमारी सरहदों पर अतिक्रमण हो रहा है। देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए हमारे 20 जवान शहीद हो गए हैं, उनकी शहादत व्यर्थ नही जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जी लगातार प्रधानमंत्री जी से यह बोल रहे हैं कि विरोधी देश को जबाब
देना होगा लेकिन मोदी जी की विदेश निति साफ़ नहीं हैं देश की संप्रभुता आज ख़तरे में हैं  हम मोदी जी आप से कहना चाहते हैं की हम आप के  साथ खड़े हैं पूरा देश आपके साथ खड़ा है

विरोध प्रदर्शन के बाद  कांग्रेस पार्टी के द्वारा जिला कलक्टर को माननीय राष्ट्रपति महोदय के नाम ज्ञापन  दिया गया 

धरने में मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला . प्रताप सिंह खाचरियावास,  रमेश मीणा, राजेन्द्र यादव,  ममता भूपेश, मुख्य सचेतक डॉ.महेश जोशी, विधायक रफीक खान आदी उपस्थित रहें

दोहरे झटके: झारखंड में हार से भाजपा को राज्यसभा सीटों का होगा नुकसान

नई दिल्ली। झारखंड में राज्यसभा की कुल 6 सीटें हैं, जिनमें वर्तमान में बीजेपी का तीन पर, कांग्रेस और लालू यादव की पार्टी राजद का एक-एक पर कब्जा है। साल 2020, 2022 और 2024 में दो-दो सीटों पर झारखंड में द्विवार्षिक चुनाव होंगे।

झारखंड चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा को राज्यसभा में सीटों का नुकसान हो सकता है। भले ही अगला लोकसभा चुनाव 2024 में है, मगर उससे पहले राज्यसभा के चुनावों में बीजेपी को झटका लग सकता है।

झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में हार बीजेपी के लिए दोहरे झटके की तरह है। झारखंड में हार से बीजेपी को न सिर्फ सत्ता गंवानी पड़ी है, बल्कि इसका खामियाजा संसद में भी भुगतना पड़ सकता है।

बता दें कि झारखंड चुनाव में जेवीएम (प्रजातांत्रिक) ने बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ा था, मगर अब उसने बीजेपी को समर्थन देना का फैसला लिया है।

इन सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी और जेएमएम-कांग्रेस-राजद गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला होगा। क्योंकि राज्य विधानसभा में मौजूदा सियासी अंकगणित ने इसे पेचीदा बना दिया है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव के विपरीत राज्य के निर्वाचित विधायक उच्च सदन के उम्मीदवार के लिए वोट करते हैं। झारखंड में 81 विधानसभा सीटें हैं।

झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में बने जेएमएम-कांग्रेस-राजद गठबंधन ने 47 सीटें जीत कर स्पष्ट बहुमत प्राप्त कर लिया है। जेएमएम 30, कांग्रेस 16 और एक सीट पर आरजेडी को जीत मिली है। वहीं, बीजेपी को सिर्फ 25 सीटें मिली हैं।

हालांकि, भाजपा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार यानी एनडीए सरकार राज्यसभा में अल्पमत में है, मगर विपक्ष में भीतरघात की वजह से कई अहम विधेयक मसलन नागरिकता (संशोधन) अधिनियम और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, तीन तलाक विधेयक पास कराने में कामयाब रही है।

विधानसभा चुनाव: झारखण्ड में गठबंधन को प्रचंड बहुमत, 27 को शपथ लेंगे हेमंत सोरेन

रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) गठबंधन ने बहुमत हासिल कर लिया है। 27 दिसंबर को हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। जेएमएम के 6, कांग्रेस के 5 और आरजेडी के कोटे से एक मंत्री शपथ लेंगे। यानी हेमंत सोरेन के साथ 12 मंत्री शपथ लेंगे। इसके अलावा कांग्रेस के खाते में स्पीकर पद जा सकता है।

बता दें कि बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। पिछले विधानसभा चुनावों में जहां बीजेपी ने 37 सीटें जीती थीं, वहीं वह इस बार सिर्फ 25 सीटें मिल पाईं। बीजेपी की सहयोगी रही आजसू पिछली विधानसभा में सिर्फ आठ सीटें लड़कर पांच सीटों पर जीती थी, जबकि इस बार उसने 53 सीटें लड़कर महज दो सीटें जीत पाई।

झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) गठबंधन को प्रचंड बहुमत मिला है। गठबंधन ने 81 में से 47 सीटें जीती हैं। इस जीत के बाद अब गठबंधन के नेता जल्द ही सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे।

बता दें कि बीजेपी के लिए महतो वोटबैंक में घाटा साबित हुआ है। बिहार में जेडीयू और बीजेपी गठबंधन में हैं लेकिन झारखंड में दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा जिसका घाटा दोनों को उठाना पड़ा। इससे बीजेपी के ओबीसी वोट बैंक को नुकसान बताया जा रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कुर्मी जाति से हैं। जेडीयू झारखंड में खाता खोलने में भी विफल रही।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि महागठबंधन सरकार राज्‍य के लोगों की आकांक्षाएं पूरी करेगी।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने हेमंत सोरेन और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्‍व वाले गंठबंधन को चुनाव में जीत पर बधाई दी है। एक ट्वीट में मोदी ने भारतीय जनता पार्टी को कई वर्षों तक राज्‍य की सेवा करने का अवसर देने के लिए राज्य की जनता को धन्‍यवाद दिया।

इस बीच, झारखंड मुक्ति मोर्चा के निर्वाचित सदस्यों की आज रांची में बैठक हो रही है, जिसमें विधायक दल का नेता चुना जाएगा। पार्टी अध्यक्ष शिबू सोरेन बैठक की अध्यक्षता करेंगे। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को पार्टी विधायक दल का नेता चुने जाने की संभावना है।

झारखंड विधानसभा चुनाव: जेएमएम और कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत, BJP ने स्वीकारी हार

नई दिल्ली। झारखंड विधानसभा की 81 सीटों के लिए पांच चरणों में मतदान की गणना में भाजपा को जेएमएम कांग्रेस गठबंधन ने फिर काफी पीछे छोड़ दिया है। जेएमएम अकेले 30 सीटों पर आगे हो गई है और बीजेपी को पीछे छोड़ राज्य में सबसे बनी पार्टी बन गई है।

गठबंधन 47 सीटों पर आगे हो गया है अब देखने वाली बात ये है कि क्या गठबंधन जीत का ‘अर्द्धशतक’ लगा पाएगी? यानी क्या 50 सीटें उसे मिलेंगी?

जमशेदपूर्व से मुख्यमंत्री रघुबर दास इस समय बागी सरयू राय से काफी पीछे हो गए हैं। अभी तक मिल रहे रुझानों के मुताबिक मुख्यमंत्री सहित 5 मंत्री हार की ओर जाते दिख रहे हैं।

झारखंड विधानसभा में बहुमत के लिए 41 सीटें चाहिए। झारखंड में गठबंधन के बढ़त की ओर लगातार बढ़ने के बाद कांग्रेस ने सोमवार को उम्मीद जताई कि राज्य में इस गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलेगा और हेमंत सोरेन के नेतृत्व में अगली सरकार बनेगी।

कांग्रेस के झारखंड प्रभारी आरपीएन सिंह ने कहा, ‘हमने लोगों के जीवन को छूने वाले मुद्दे उठाते हुए चुनाव लड़ा। हमें विश्वास है कि हम सरकार बनाएंगे। JMM- कांग्रेस गठबंधन को मिली बढ़त के बाद हेमंत सोरेन पिता शिबू सोरेन से मिलने पहुंचे।

झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने कहा कि बीजेपी की हार की बात कहना अभी जल्दबाजी है. अभी भी कई राउंड की काउंटिंग बाकी है. हालांकि उन्होंने अपनी हार स्वीकार कर ली है. मुख्यमंत्री रघुवर दास बीजेपी के बागी उम्मीदवार सरयू राय से करीब 6 हजार वोट से पीछे चल रहे हैं।

जेएमएम और कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलने से पहले मरांडी को किंगमेकर के तौर पर देखा ज रहा था। इस बार झारखंड चुनाव में मुख्यमंत्री रघुबर दास, JMM के हेमंत सोरेन और झारखंड स्टूडेंट यूनियन के प्रेसीडेंट सुदेश महतो प्रमुख उम्मीदवारों में शामिल थे।

नागरिकता संशोधन अधिनियम: गृहमंत्री अमित शाह बोले, कानून को वापस लेने की कोई संभावना नहीं

दिल्ली। गृहमंत्री अमित शाह का नागरिकता संशोधन अधिनियम वापस लेने से इंकार कर दिया है। कल एक निजी टेलीविजन चैनल से भेंट वार्ता में उन्होंने कहा कि इस कानून को वापस लेने की कोई संभावना नहीं है। श्री अमित शाह ने कहा कि देश के किसी भी नागरिक के साथ कोई अन्‍याय नहीं होगा।

अधिनियम को लेकर जारी विरोध पर उन्होंने कहा कि इस कानून का उद्देश्‍य शरणार्थियों को देश की नागरिकता देकर सशक्‍त बनाना है। उन्‍होंने कहा कि शरणार्थियों को नागरिकता देना नेहरू-लियाकत समझौते का हिस्‍सा था, जिसे अब 70 वर्ष बाद प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में लागू किया जा रहा है।

गृहमंत्री ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम का चाहे कितना भी विरोध क्‍यों न हो, लेकिन नरेन्‍द्र मोदी सरकार पिछले 70 वर्षों से उत्‍पीड़न झेल रहे शरणार्थियों को नागरिकता और गरिमापूर्ण जीवन देने के लिए प्रतिबद्ध है।

गृहमंत्री ने कांग्रेस सहित विपक्षी दलों पर इस मुद्दे को लेकर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। नागरिकता संशोधन विधेयक पर अलग-अलग विश्वविद्यालयों में हो रहे विरोध प्रदर्शन पर अमित शाह ने कहा कि देश में जो भी विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं, वे कांग्रेस के इशारे पर हो रहे हैं। कोई ये बताए कि नागरिकता संशोधन कानून से देश के मुसलमानों को क्या नुकसान हो रहा है?

देश के सभी माइनॉरिटी के भाइयों-बहनों को स्पष्टता के साथ कहना चाहता हूं कि इस एक्ट से आपको रत्तीभर भी नुकसान नहीं होने वाला है क्योंकि यह एक्ट से किसी की सिटिज़नशिप जाती ही नहीं है। सिर्फ किसी को सिटिज़नशिप देने का कानून है और जब सिर्फ किसी को सिटिज़नशिप देने का कानून है तो भारत के नागरिक माइनॉरिटी और मुख्यतः मुसलमानों को चिंता करने का कोई कारण नहीं है।