जयपुर हैरिटेज : हैरिटेज निगम और पुलिस की संयुक्त बैठक संपन्न – इन लोगों पर होगी सख्त कारवाई ,देखें यहाँ

हैरिटेज निगम और पुलिस की संयुक्त बैठक
परकोटे के बाजारों से अतिक्रमण हठाने के लिए संयुक्त अभियान चलाया जायेगा
5  मार्च, जयपुर। परकोटे के बाजारों विशेषकर बरामदों एवं अन्य क्षेत्रें से अतिक्रमण हठाने के लिए नगर निगम जयपुर हैरिटेज और पुलिस की ओर से संयुक्त अभियान चलाया जायेगा। आयुक्त लोकबंधु एवं पुलिस उपायुक्त जयपुर (उत्तर) पारिस देशमुख की संयुक्त अध्यक्षता मे गुरूवार को हैरिटेज मुख्यालय में आयोजित बैठक मे यह निर्णय लिया गया। अधिकारियों को निर्देश दिये गये है कि बरामदों एवं बरामदों के बाहर हो रहे अतिक्रमण को हटवाने के लिए एक बार समझाइश की जाये और समझाइश के बाद भी जो लोग अतिक्रमण नही हटाते है उनके खिलाफ कार्यवाही की जाये। अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान को निरन्तर रूप से चलाने के निर्देश अधिकारियों को दिये गये है।
आयुक्त लोकबंधु ने स्मार्ट सिटी के अधिकारियों को निर्देश दिये है कि स्मार्ट सिटी की ओर से शहर मे लगाये जा रहे कैमरों का स्थान तय करने से पूर्व कार्य योजना को पुलिस अधिकारियों के साथ साझा कर पुलिस की सुविधानुसार कैमरों के स्थान तय करें।
बैठक मे परकोटा क्षेत्र की एक सड़क को पूरी तरह पार्किंग फ्री बनाने के मुद्दे पर आयुक्त लोकबंधु एवं उपायुक्त पुलिस पारिस देशमुख ने निर्देश दिये है कि नगर निगम और पुलिस के अधिकारी संयुक्त रूप से ऎसे मार्ग का सर्वे करवायें जिसे पार्किंग फ्री किया जा सके।
इन मुद्दों पर हुई चर्चा- 
अवैध डेयरियों/अतिक्रमण आदि पर कार्यवाही करने के मामले में पुलिस की ओर से यह वि6वास दिलाया गया है कि निगम द्वारा डिमांंड किये जाने पर तत्काल आमद उपलब्ध करवा दी जायेगी।
जगह-जगह अव्यवस्थित रूप से लगने वाले हॉट बजारों को सुव्यवस्थित ढंग से लगवाया जाये।
परकोटा क्षेत्र में घरों के बाहर लंबे समय से खडे़ वाहन जिनके कारण मार्ग अवरूद्ध होता है एवं आमजन को परेशानी होती है। ऎसे वाहन मालिकों को नोटिस देने एवं नोटिस की समय सीमा समाप्त होने पर कार्यवाही की जायेगी।
नये पार्किंग स्थल जल्दी चिन्हित किये जायेंगे। पार्किंग के नये टेंडरों मे इलेक्ट्रोनिक पेड स्लिप की व्यवस्था की जाये ताकि वाहन की पार्किंग का समय निर्धारित हो सके।  पार्किंग स्थल पर कार्यरत ठेकाकर्मियों का पुलिस वेरिफिके6ान करवाया जाये।
मीट की दुकानों एवं रेस्टोरेंटो के बाहर संचालक के माध्यम से सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करवाई जाये।
 दुर्घटना संभावित चौराहों/स्थानों को चिन्हित कर वहां स्पीड ब्रेकर और डार्क क्षेत्रें में लाईट की व्यवस्था करवाई जाये।
कोविड गाइड लाइन्स जैसे मास्क पहनना, सामाजिक दूरी आदि का सख्ती से पालन करवाये तथा उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाये।
इस दौरान नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त मुकुट बिहारी जांगिड, अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त सुमित गुप्ता सहित निगम और पुलिस के
आलाधिकारी मौजूद रहे।

आज से 2.0 कोविड वैक्सीनेशन शुरू , 150 रुपये वैक्सीन कीमत हैं और 100 रुपये निजी अस्पताल का सर्विस शुल्क

प्रदेश में कोविड वैक्सीनेशन नए चरण की शुरुआत आज से,
निजी अस्पताल में भी हो सकेगा टीकाकरण
जयपुर, 1 मार्च । चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया के प्रदेश में 1 मार्च से प्रदेश में 2.0 कोविड वैक्सीनेशन प्रोग्राम की शुरुआत होने जा रही है। नए चरण में सरकारी अस्पतालों के साथ निजी अस्पतालों में कोविड वैक्सीनेशन कराया जा सकेगा।
डॉ. शर्मा ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने निजी अस्पतालों के लिए कोविड-19 टीकाकरण की प्रति डोज की दर 250 रुपए निर्धारित की है, जो निजी अस्पतालों में कोविड-19 का टीका लगवाने वाले व्यक्ति द्वारा सम्बंधित अस्पताल को चुकानी होगी।
चिकित्सा मंत्री ने बताया कि जिसमे 150 रुपये वैक्सीन कीमत और 100 रुपये निजी अस्पताल का सर्विस शुल्क शामिल है। उन्होंने बताया कि निजी अस्पतालों को कोविड वैक्सीन सरकार द्वारा उपलब्ध करवायी जाएगी और अन्य सभी टीकाकरण सम्बन्धी व्यवस्थाये निजी अस्पताल की रहेगी।
चिकित्सा विभाग के शासन सचिव  सिद्धार्थ महाजन ने रविवार को 2.0 वैक्सीनेशन प्रोग्राम के सबंध में राज्य के सभी सीएमएचओ व आरसीएचओ के साथ वीसी के माध्यम से बैठक की। उन्होंने बताया कि सभी जिलों के करीब एक हजार संस्थाओं व 88 निजी चिकित्सालयों में टीकाकरण किया जाएगा। उन्होंने वीसी में अधिकारियों को निर्देशित किया कि लाभार्थी अधिक से अधिक संख्या में टीकाकरण कराएं इसके लिए एसडीएम सहित सरपंच, टीचर, राशन डीलर्स का भी सहयोग लिया जाए। चिकित्सा सचिव ने कहा कि कोविड वैक्सीनेशन सेंटर पर दूसरी डोज के अतिरिक्त प्रथम डोज भी लगायी जाएगी। उन्होंने बताया कि एक मार्च को प्रदेश में एक से डेढ़ लाख लाभार्थियों के टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है।
चिकित्सा सचिव ने बताया कि 45 से 59 वर्ष की उम्र के जटिल बीमारियों से ग्रसित उन्हीं व्यक्तियों के टीके लगाए जा सकेंगे जो कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सूचीबद्ध 20 बीमारियों में से ग्रस्त होंगे। ऎसे मरीज को रजिस्टर्ड मेडिकल प्रक्टिनर्स (आरएमपी) स्तर से जारी चिकित्सकीय प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य किया गया है। इन अनिवार्य चिकित्सकीय डॉक्यूमेंट के बिना व्यक्ति को इस चरण में टीकाकरण की सुविधा नही मिलेगी।
जिला कलक्टर अन्तर सिंह नेहरा ने बताया –
 1 मार्च से व्यापक स्तर पर प्रारम्भ किए जा रहे कोविड-19 टीकाकरण के तृतीय चरण में जयपुर जिले में 78 सरकारी एवं 20 निजी संस्थानों पर अर्थात कुल 98 संस्थानों में कोविड वैक्सीनेशन किया जाएगा।
जिला कलक्टर अन्तर सिंह नेहरा ने बताया कि तृतीय चरण में 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले व्यक्तियों और 45 से 59 वर्ष तक के को-मोरबिड(अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त) लाभार्थियों को वैक्सीन लगाया जाएगा। सीएमएचओ प्रथम के क्षेत्र में 42 सरकारी एवं 12 निजी संस्थानों में एवं सीएमएचओ द्वितीय के क्षेत्र मेें 36 सरकारी एवं 8 निजी संस्थानों में कोविड-19 वैक्सीनेशन की व्यवस्था रहेगी।
सभी निजी संस्थानों पर केंद्रीय सरकार के आदेशानुसार अधिकतम 250 रुपए वैक्सीन लगाने के चार्ज लिए जाएंगे। इसमें 100 रुपए निजी संस्थान का सर्विस चार्ज एवं 150 रुपए वैक्सीन के चार्ज होंगे। निजी संस्थानों को 150 रुपए प्रति डोज केंद्र सरकार के खाते में जमा कराने होंगे। वहीं राजकीय संस्थानों में कोविड 19 का वैक्सीनेशन पूर्णय निःशुल्क होगा।
जिला कलक्टर नेहरा ने बताया कि दिनांक 1 जनवरी 2022 की आधार दिनांक मानते हुए 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले व्यक्तियों को अपने वैरिफिकेशन के लिए वोटर आईडी कार्ड या आधार कार्ड जैसे दस्तावेज साथ लाने होंगे।
इसी प्रकार 45 वर्ष से अधिक एवं 60 वर्ष से कम उम्र के को-मोरबिटी वाले व्यक्तियों को वैक्सीनेशन के लिए रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिश्नर (आरएमपी) से उनकी बीमारी के सम्बन्ध में प्रमाणपत्र साथ लाना होगा। वैक्सीनेशन के लिए ऑनलाइन रजिस्टे्रशन के साथ ही ‘ऑन द स्पॅाट’ रजिस्टे्रशन भी किया जा सकेगा।
जिला कलक्टर ने बताया कि इन संस्थानों पर हैल्थकेयर वर्कर्स एवं फ्रंटलाइन वर्कर्स को कोविड-19 वैक्सीनेशन की द्वितीय डोज भी लगाई जाएगी। कोविड-19 वैक्सीनेशन के सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिए सीएमएचओ प्रथम कार्यालय की हैल्प लाइन 0141-2605858 पर सम्पर्क किया जा सकता है।

जयपुर में होगा कोरोना की देशी वैक्सीन के थर्ड फेज का ट्रायल

नेशनल इंस्टीट्यृट ऑफ वायरलॉजी और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ तैयार की गयी वैक्सीन तीसरा और अन्तिम ट्रायल जयपुर में किये जाने की बात सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि इस ट्रायल के लिए राजधानी जयपुर के विधाधर नगर मेंं स्थित मणिपाल अस्पताल को चुना गया है। इससे पहले इस अस्पताल में जायडस कैडिला कंपनी की बनाई वैक्सीन का भी ट्रायल किया जा चुका है।

इस ट्रायल को लेकर प्रदेश सरकार ने वैक्सीन आने की संभावना को देखते हुए पूरे प्रदेश में लगभग सभी प्रकार की तैयारियां करने में जुट गयी है। बताया जा रहा है कि वैक्सीनेशन सेंटर बनाने के लिए प्रदेश के 3 प्रमुख शहरों को चुना गया है जिसमें जयपुर उदयपुर व जोधपुर शामिल है।

अब तक मिली जानकारी के अनुसार जयपुर में कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन के थर्ड फेज का ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा। इस ट्रायल में हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने नेशनल इंस्टीट्यृट ऑफ वायरलॉजी और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा तैयार की गई वैक्सीन की डोज लगभग 500 से ज्यादा वॉलिटियर्स को दी जाएगी।

इससे पहले जयपुर में जायडस कैडिला कंपनी की बनाई वैक्सीन का भी ट्रायल किया गया था लेकिन कंपनी का ये ट्रायल दूसरे चरण का था जिसके परिणाम आना अभी ​बाकी है। इस वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री तापमान में रखा जाएगा। वैक्सीन के जल्द आने की संभावना को देखते हुए राजस्थान सरकार ने प्रदेश में मेडिकल कॉलेज,जिला अस्पताल व सैटेलाइट अस्पताल में इसको रखने की तैयारी में लग गयी है। सबसे पहले डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ, महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्मिकों को टीका लागाये जाने की बात सामने आ रही है।

कोरोना मीटर: राजस्थान में घटी कोरोना रफ्तार तो जयपुर में बड़ी रफ्तार, 350 नए मरीज

राजस्थान में कोरोना की रफ्तार अब थोड़ी धीमी पड़ने लगी है और इसी वजह से प्रदेश के लगभग सभी जीलों में कोरोना के नए मरीज मिल रहे हैं। लेकिन प्रदेश की राजधानी जयपुर में कोरोना की रफ्तार धीमी पड़ती नहीं दिख रही है मंगलवार को भी लगभग 350 नए कोरोना मरीज सामने आये है। जयपुर के कुछ भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में मरीजों का आंकड़ा सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है।


कोरोना संक्रमितों की संख्या का आंकडा अब पूरे प्रदेश में लगभग 1000 के पास पहुंच गया है, जो सरकार के साथ लोगों के लिए राहत भरी खबर है। दिवाली के बाद से लगातार बढ़ते आंकड़े सरकार और आमजन दोनों की परेशानी बढ़ा रहे थे लेकिन पिछले कुछ माह में 3000 के पार पहुंचा नए मरीजों का यह आंकड़ा अब 1 हजार पर आ गया है।

राजधानी जयपुर की बात करें, तो यहां नए कोरोना मरीजों की संख्या का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। अकेले जयपुर से 357 नए संक्रमित पाए गए हैं जबकि अन्य जिलों में 100 से कम मरीज मिले है। मंगलवार को जयपुर में कोरोना मरीजों का आंकड़ा जोधपुर 76, अजमेर 60, नागौर 48, पाली 38, अलवर 38, डूंगरपुर 37, भीलवाड़ा 32, राजसमंद से 21 और बूंदी 16 मरीज मिले है। प्रदेश में जहां मृत्युदर अभी भी कई राज्य़ों के मुकाबले अभी कम है तो कुल संक्रमितों का आंकड़ा 293584 है।

राजधानी जयपुर में कोरोना मीटर
1. झोटवाड़ा और वैशाली में 34—34 नए मरीज
2. मानसरोवर में 31 नए मरीज
3. मालवीय नगर में 26 नए मरीज

भारत बंद: जयपुर में भाजपा और कांग्रेसी कार्यकर्ता भीड़े, दिल्ली के सीएम नजरबंद!

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के साथ देश की कई विपक्षी पार्टियों ने किसान के भारत बंद का समर्थन किया है। लेकिन खबरों के अनुसार बताया जा रहा है कि दिल्ली पुलिस ने नजरबंद कर दिया है और इस बात की जानकारी आम आदमी पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इसे जारी किया गया है। हालाकि दिल्ली पुलिस ने AAP के दावे को गलत करार दिया है।

वहीं बात करें राजस्थान की राजधानी जयपुर की तो यहां पर भारत बंद के दौरान बीजेपी और कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में हाथपाई की नौबत आ गयी। इसके बाद पुलिस ने बीचबचाव करते हुए दोनों दलों के कार्यकर्ताओं को दूर किया।

यूपी में भी सपा के कार्यकर्ताओं ने किसानों से ज्यादा योगी सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश प्रकट किया और कई जगह सड़के बंद करने के साथ ट्रेने रोक दी। इसके साथ योग सरकार ने पहले ही चेतावनी जारी कर दी थी कि अगर कोई जोर—जबरदस्ती से बंद करने का काम करता है तो उस पर सख्त कार्यवाही की जाएगी।

किसान संगठनों ने पहले ही कह दिया था कि हमारे मंच ​से किसी भी राजनीतिक पार्टी को राजनीति नहीं करने दिया जाएगा। लेकिन इसके बाद भी इस आंदोलन में किसानों की हितों की कम और अपनी राजनीति करने का ज्यादा दिखावा हो रहा है।

 

 

सीवरेज टैंक में उतरनें से एक कि मौत 2 वेंटिलेटर पर – मूक दर्शक सभी – कब तक

सीवरेज टैंक में  मौतों का सिलसिला थम ही नहीं रहा ………..आख़िर वर्ग विशेष की “जीवन ” की कीमत मात्र कुछ रुपयें 

 

 MANUAL SCAVENGERS AND THEIR REHABILITATION ACT- 2013  निष्क्रिय साबित हो रहा हैं 

जयपुर । एक वर्ग विशेष की जान की कीमत आज मात्र 500 रुपये हैं क्योंकि वह मात्र कुछ पैसों के लियें आप के मल मूत्र में मुँह तक दे देता हैं क्योंकि उसकी भी कोई मजबूरी होगी चाहें उसकी जान ही क्यों न चली जायें लेकिन इस कि जिम्मेदारी किसकी हैं तो हम बता देते हैं सबसे बड़ी जिम्मेदारी सरकार प्रशासन की हैं क्योंकि सरकारी प्रशासन अपनी जिम्मेदारी कर्त्तव्य का निर्वहन सही रूप से नहीं कर रहा जो कि शर्मनाक है |

सीवरेज टेंक – जिसमे पीड़ित अजय की मौत हुई बाहर फेला अपशिष्

घटनाक्रम – सीतापुरा इंड्रस्ट्रीयल एरिया के ज्वैलरी जोन स्थित कंपनी  SONI ,INTERNATIONAL ,JEW.MFG.CO F-22, SEZ – 1 ,PHASE -1 SITAPURA ,JAIPUR ,GSTIN,08 AEVPS.3888PIZZ )  में सीवरेज व केमिकल वेस्ट टैंक में फुल होने पर कंपनी मालिक संजीव सोनी द्वारा चार वाल्मीकि समाज के युवा मजदूरों को बुलाया गया और उन्हें जहरीले पदार्थ व मल मूत्र टैंक में बिना किसी सुरक्षा उपकरणों के उतार दिया गया जिसमें अजय खोड़ा की ज़हरीली गैस से घटना स्थल पर ही मौत हो गई जबकि ,सनी उर्फ भूरिया, आकाश बोयत को अचेत अवस्था में महात्मा गांधी अस्पताल में पहुँचाया गया जिसमें डॉक्टरों ने अजय को मृत बता दिया बाकी दो की हालत नाज़ुक बता कर आईसीयू में भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया |

मृतक अजय के एक बच्चा छोटा हैं जबकि उसकी पत्नी अभी गर्भवती अवस्था में हैं और उसकी परिवारिक स्थिति सही नहीं हैं आज उसकी गैर इरादतन हत्या कर दी गई पूंजीपतियों द्वारा सब ख़ामोश और तमाशबीन – कंपनी मालिक मुवावजा देकर लगभग राजीनामा कर लेगें पुलिस बिना शिकायत के कैसे कार्य करें और पत्रकार स्टोरी लगा कर मुद्दे का उजागर करें लेकिन कब तक सीवरेज सफाई का कार्य दलित उसमें भी वाल्मीकि समाज ही करेगा 10 दिन पहलें ही सीवरेज में उतरनें से बीकानेर में 3 लोगों की मौत हो गई थी उससे पहले सांगानेर मुहाना मंडी में 2 की मौत हो चुकी हैं उससे पहलें सिविल लाइन जोन में मौते हो चुकी हैं इनका स्थाई समाधान क्या हैं यह एक बड़ा सवाल हैं |

 

हेमलता कंसोटिया ( नेशनल कैम्पन डिग्निटी एंड राइट एंड सीवरेज अलाइड वर्कर ) नई दिल्ली –

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को आदेश दे रखा हैं की सफाई का कार्य ( सीवरेज ,अपशिष्ट प्रदार्थ ) का प्रबंध मेनुअल नहीं होगा लेकिन आज भी इस तरीके की घटना सामने आती हैं जो यह तय करती हैं की प्राइवेट कंपनीज दलितों की हत्या कर रही हैं इसकी जिम्मेदारी तय होनी चाहियें की कानून का पालन क्यों नहीं हो रहा |

मृतक के परिजन – शव गृह के बाहर धरने पर –

MANUAL SCAVENGERS AND THEIR REHABILITATION ACT- 2013 कानून निष्क्रिय साबित हो रहा हैं 

गौरतलब हैं की भारत में सफाई कर्मी के रूप में वाल्मीकि समुदाय के लोग ही अधिकतर  या कहें शत प्रतिशत जुड़े हैं चुकी यह समाज सामाजिक द्रष्टि से अछूत माना जाता हैं जिसका मुख्य कारण इनका कार्य भी बताया जाता हैं क्योंकि  यह सीवरेज लाइन सफाई  और अपशिष्ट प्रदार्थ के प्रबन्धन के कार्य से जुड़े हैं भारत सरकार ने मेला ढोने की प्रथा को खत्म करने के लियें कड़े प्रावधानों के साथ MANUAL SCAVENGERS AND THEIR REHABILITATION ACT- 2013 बनाया था जिसमे साफ़ लिखा गया हैं की कोई भी व्यक्ति मेला ढोने का कार्य हाथ से नहीं करेगा इस के लियें मशीनों की सहायत ली जायें लेकिन आज इस कानून का इस सिस्टम ने मजाक बना दिया हैं चाहे राज्य सरकारे हो या पूंजीपति लोग वह सब कुछ पैसों के लालच में वाल्मीकि समाज के लोगों से ही कार्य करवाते हैं जब जेहरीली गैस से किसी सफाई कर्मी की मौत हो जाती हैं जब यह मुद्दे सामने आते हैं उसके बाद पीड़ित परिवार व् अपराधी राजीनामा कर लेते हैं पुलिस केस बंद कर देती हैं और सब फ्री हो जाते हैं तो यह बड़ा सवाल हैं की इस कानून के तहत कितने लोगो को सजा मिली –

 

 

माँ से बालिग बच्चों को अलग कर “ बाल श्रमिक “ बनाया , बचपन बचाओं आंदोलन और खाकी का संयुक्त रेस्क्यू

#Child labor be free jaipur
Separated children from mother and made them “child laborers” ,   joint rescue of ” bachpan 
Bachao Andolan and khaki “

 

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पवन देव 

जयपुर – वर्ल्ड हेरिटेज सिटी जयपुर लम्बे समय से बाल श्रमिक व् मानव बाल तस्करी को लेकर सुर्खियों में रहता हैं जिसको लेकर सामाजिक संगठन { NGO } बाल श्रमिकों को मुक्त करवाने का कार्य करते हैं जिनमें प्रमुख  नोबल प्राइज़ विजेता कैलाश सत्यार्थी का संगठन “ बचपन बचाओं आंदोलन “ टाबर , प्रयास मुख्यत जयपुर शहर  में कार्यरत हैं

लेकिन इन संगठनो की कार्य प्रणाली संदिग्ध रहती हैं चुकी इन संगठनों NGO में कार्य करने वाले कर्मचारी पेड  ( मोटी तनख्वाह ) पर कार्यरत रहते हैं और इनका प्रत्येक माह का टारगेट भी रहता हैं जिसको पूरा करने के लियें साम – दाम – दंड भेद की निति पर काम करते हैं जिससे प्रत्येक माह बाल श्रमिक मुक्त करवाने की संख्या में बढ़ोतरी के लियें यह प्रयासरत रहते हैं साम दाम दंड भेद की निति पर यह अपने नंबर बढ़ाते हैं लेकिन जयपुर इस के लियें बदनाम हो रहा हैं चुकी मीडिया इन रेस्क्यू को यथासंभव कवरेज देता हैं और यह कवरेज के प्रतिलिपि संग्रह कर देश – विदेश से मोटा चंदा ( करोड़ों ) एकत्रित करते हैं लेकिन कुछ क्षेत्रो में भी जैसे शास्त्री नगर , भट्टा बस्त्ती आदी में भी चूड़ी बनाने का कार्य प्रमुख रूप से होता हैं

FIR कॉपी प्रतिलिपि

घटनाक्रम –  बचपन बचओं आंदोलन की सूचना पर ट्रांसपोर्ट नगर की संयुक्त कार्यवाही दिनांक 28 सितम्बर 2020

क्या किसी बस में आ रहें बच्चों को बाल श्रमिक बना कर कार्यवाही उचित हैं – यह कौन तय करेगा की यह बाल श्रमिक हैं या नहीं – बड़ा सवाल

गौरतलब हैं की FIR के अनुसार बचपन बचओ आंदोलन के कर्मचारी देशराज की लिखित शिकायत पर थाने द्वारा कार्यवाही करने की मांग की गई जिस पर थाने द्वारा बिहार से आ रही बस को रोककर कार्यवाही की गई लेकिन इस कार्यवाही में बिहार से जयपुर आ रहा एक परिवार जिसमे महिला केसमी देवी उम्र 42 उनके बेटे बखोरी मांझी उम्र 21 अन्य एक पुत्र प्रदीप मांझी 18 और इनका छोटा भाई उम्र 14 भी सवार थे जिनके पास अपना राशनकार्ड भी साथ था पर पुलिस ने कारवाई कर दी महिला केसमी देवी को पुलिस ने इनके बच्चों से अलग कर भगा दिया जबकि इनके 2 बालिग़ बच्चों को बाल श्रमिक बना दिया जबकि यह परिवार राज मिस्त्री का काम करता हैं ऐसा पीड़ित महिला ने बताया और यह लॉक डाउन में बिहार चला गया था जो अब कमाने खाने वापस जयपुर आ रहा था लेकिन पुलिस कारवाही में इन्हें भी शामिल कर लिया और FIR में नाम भी दर्ज कर दिया गया और बाकी बच्चों के साथ भेज दिया अब यह माँ अपने बच्चों को मुक्त करवाने के लियें पुलिस के चक्कर लगा रही हैं

पीड़ित महिला केसमी देवी की आपबीती उन्ही की जुबानी –

 

NGO का गोरखधंधा , खाकी मूक दर्शक – आख़िर कब चेतेगा सिस्टम

सूत्रों के अनुसार मिली जानकारी में यह पता लगा हैं कि  बाल श्रमिकों को मुक्त करवानें वाले यह प्रमुख NGO  एक तरह का धंधा / रोजगार बना रखा हैं इन संस्था को फंडिंग एजेंसी फ्रीडम फण्ड ने भी करोड़ो को फंडिंग कर रखी हैं और इन संस्थाओं में कार्यरत लोग मोटी तनख्वाह पर कार्य करते हैं सबसे ख़ास बात यह हैं कि इन NGO  / संस्था के अन्य ऑफिस और लोग – बिहार गया , झारखंड , पंचिम बंगाल में भी कार्य करते हैं और वहा से जब बाल श्रमिक बच्चों को कार्य के लियें लाया जाता है या यू कहें कि यह ग़रीब लोगों के बच्चों को तैयार कर के कार्य के लियें ठेकेदारों द्वारा उपलब्ध कराते हैं और जब यह बच्चें राजस्थान की सीमा में प्रवेश करते हैं तो इन NGO के लोग पुलिस

पीड़ित महिला के बच्चें का नाम – प्रदीप मांझी (FIR )

से कार्यवाही करने के लियें साथ में रहते हैं और जब पुलिस रेस्क्यू करती हैं तो इन संस्था / संगठन का नाम आ जाता हैं और कुछ मीडिया हाउस स्टोरी में इन संगठनों / संस्थाओं का नाम भी शामिल कर लेते हैं और इस तरह से  यह NGO  इन कार्यो को महीने में एक या दो बार करते हैं और NGO  को जो फंडिंग होती हैं उनमें दर्शाया जाता हैं कई केस में तो कई बच्चे 2 बार पकड़े जा रहे हैं इसका मतलब आप यह समझें कि यह  रेस्क्यू  प्रयोचित होता हैं और सब आपस में मिलकर हमारे शहर को बदनाम करते हैं और मोटा पैसा कमाते हैं |

 

राजस्थान सरकार को इस मुद्दें पर सीबीआई द्वारा जाँच करवानी चाहियें जिससे इन NGO  और चूड़ी कारखाने के ठेकेदारों के बीच चल रहें इस गोरखधंधे से पर्दा उठ सके –

किरायेदारों का सत्यापन  का कानून / नियम

अपराधों पर लगाम लगानें और अन्य राज्यों से जो अपराधी भेष बदल कर चोरी छीपे आ जाते हैं उनके लियें प्रत्येक थाने द्वारा मकान मालिकों द्वारा जो सत्यापन का नियम था जो कि अनिवार्य था आज हवा में ही नज़र आता हैं जिसकी आड़ में भट्ट बस्ती में आज खुले  आम बाल श्रमिक बेसमेंट में कार्य करते आप को मिल जायेंगे गौरतलब हैं लॉक डाउन के समय 2 बाल श्रमिक की भूख प्यास से मौत हो गई थी जिसकी कानूनी कार्यवाही कोर्ट में चल रही हैं |

कौन कितना फंडिंग करता हैं इन NGO  को देखें –   

इन NGO की फंडिंग मुख्य रूप से तीन तरह से होती है

 

1.सरकार से अनुदान – NGO सरकार के सामाजिक कार्यो ,विभागों से प्राजेक्ट लेते हैं और कार्य करते हैं

 

2. CSR द्वारा – कानून के अनुसार बड़ी कंपनीज को सामाजिक जिम्मेदारी के निभाने हेतु कुछ प्रतिशत पैसा लाभ का सामाजिक कार्यो पर खर्च करना अनिवार्य हैं जिसके के लियें कम्पनीया  NGO को सामाजिक कार्यो के लियें फंडिंग करते हैं |

 

3. पब्लिक फंडिंग – सामाजिक कार्यो को दिखाकर NGO जनता से भी दान के रूप में पैसा एकत्रित करते हैं जो की तिमाही में भी करोडो में हो जाता हैं |

 

Chief Minister Virtually Dedicates First Underground Metro Train to Public – chandpol to badi choupad

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया पहली भूमिगत मेट्रो ट्रेन का ई-लोकार्पण फेज वन-बी में चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक
 चलेगी मेट्रो – 
जयपुर, 23 सितम्बर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश की पहली भूमिगत मेट्रो ट्रेन का बुधवार को वीसी के माध्यम से ई-लोकार्पण किया और वर्चुअल हरी झंडी दिखाकर मेट्रो रवाना की। जयपुर शहर के परकोटे में मेट्रो फेज वन-बी के तहत चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक 2.12किलोमीटर तक यह मेट्रो ट्रेन चलेगी।
लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गहलोत ने कहा कि चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक मेट्रो चलने से जयपुर आने वाले पर्यटकों को परकोटे के अन्दर आवागमन में आसानी होगी और यातायात पर दबाव भी कम होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 21 सितंबर 2013 को तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने मेट्रो फेज वन-बी शिलान्यास किया था तब यह इस फेज के ढाई साल में पूरा होने की उम्मीद थी, लेकिन सरकार बदलने के बाद काम की गति धीमी हो गई और मार्च 2020 में यह पूरा हुआ।
मेट्रो चलाने में हमने घाटा या मुनाफा नहीं देखा
मुख्यमंत्री ने कहा कि जयपुर में 2010 में मेट्रो का काम शुरू हो गया था। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार मेट्रो ट्रेन चलाने में घाटा या मुनाफा नहीं देख रही है क्योंकि लोगों को सस्ती और सुलभ परिवहन सेवा उपलब्ध कराना सरकारों की सामाजिक जिम्मेदारी है।
मेट्रो लाइट प्रोजेक्ट की संभावनाएं तलाशी जाएं
मुख्यमंत्री ने मेट्रो फेज-वन बी को पूरा करने में दिए गए सहयोग के लिए केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय को धन्यवाद दिया। उन्होंने कम लागत वाले मेट्रो लाइट प्रोजेक्ट को प्रदेश में शुरू किए जाने की संभावनाएं देखने का भी आग्रह किया। साथ ही स्मार्ट सिटी परियोजना में जोधपुर एवं बीकानेर जैसे शहरों को जोड़ने की भी मांग की ताकि वहां भी शहरी विकास के काम हो सकें।
ट्रेन ऑपरेटर शैफाली की हौसला अफजाई की
मुख्यमंत्री गहलोत ने जयपुर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन एवं डीएमआरसी को जयपुर शहर के परकोटे का हैरिटेज लुक बनाए रखते इस भूमिगत रेल लाइन का काम पूरा करने के लिए बधाई दी। परियोजना में योगदान देने वाले अधिकारियों, इंजीनियरों को भी बधाई दी। उन्होंने प्रदेश की पहली भूमिगत मेट्रो ट्रेन की ऑपरेटर सुश्री शैफाली से बात कर उनकी हौसला अफजाई की।
सस्ती एवं आरामदायक यात्रा सुलभ होगी
नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि जयपुर में जब मेट्रो की शुरूआत हुई तब किसी भी टू-टियर शहर में मेट्रो ट्रेन नहीं थी। पिछली सरकार के समय मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की इच्छा शक्ति से ही यह संभव हो पाया। उन्होंने उम्मीद जताई कि भूमिगत मेट्रो शुरू होने से जयपुर के लोगों के साथ ही यहां आने वाले पर्यटकों को सुरक्षित, प्रदूषण रहित, सस्ती एवं आरामदायक यात्रा सुलभ होगी। इससे परकोटे में ट्रैफिक जाम से भी काफी हद तक निजात मिलेगी।
हैरिटेज को संरक्षित रखते हुए किया भूमिगत लाइन का काम
जयपुर मेट्रो के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक भास्कर सावंत ने बताया कि हैरिटेज में किसी तरह का बदलाव नहीं करते हुए यह विश्व स्तरीय परियोजना पूरी की गई है। उन्होंने बताया कि मानसरोवर से बड़ी चौपड़ तक 12 किमी की यात्रा अब 26 मिनट में पूरी हो जाएगी। महत्वपूर्ण कलाकृतियों को संरक्षित करने के लिए छोटी चौपड़ मेट्रो स्टेशन पर आर्ट गैलेरी भी बनाई गई है। भूमिगत लाइन में अत्याधुनिक टनल वेंटिलेशन सिस्टम लगाया गया है। बड़ी चौपड़ एवं छोटी चौपड़ स्टेशनों पर सभी खंदों से स्टेशन में प्रवेश के लिए द्वारा बनाए गए हैं। दोनों स्टेशनों को राजस्थान की वास्तुकला के अनुरूप भव्य एवं आकर्षक रूप दिया गया है। यात्रियों की सुविधा के लिए दोनों स्टेशनों पर कुल 18 एस्केलेटर एवं 6 लिफ्ट लगाई गई हैं। परियोजना की कुल लागत 1126 करोड़ रही।
वीसी के माध्यम से लोकार्पण कार्यक्रम से जुड़े केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय के सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने कहा कि केन्द्र सरकार शहरी यातायात के विकास के साथ ही अफोर्डेबल एवं लो-कोस्ट मेट्रो परियोजनाओं पर फोकस कर रही है। इसका लाभ टू-टियर शहरों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि देशभर में 910 किलोमीटर से अधिक मेट्रो लाइन का काम चल रहा है। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के एमडी डॉ. मांगू सिंह ने उम्मीद जताई कि मेट्रो फेज वन-बी शुरू होने से जयपुर शहर का परिदृश्य बदलेगा और यहां आने वाले पर्यटकों को अच्छी यातायात सुविधा मिलेगी। जयपुर मेट्रो के निदेशक (ऑपरेशन) मुकेश कुमार ने बताया कि सोशल डिस्टेंसिंग के साथ यात्रा के लिए समस्त इंतजाम किए गए हैं। 
 कार्यक्रम में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, मुख्य सचिव राजीव स्वरूप, जयपुर मेट्रो के निदेशक (वित्त) श्री हरीश लड्ढा तथा बड़ी चौपड़ मेट्रो स्टेशन एवं मानसरोवर मेट्रो डिपो पर जेएमआरसी के अधिकारी-कर्मचारी भी मौजूद रहे।

वर्ल्ड हेरिटेज सिटी जयपुर बना – मानव तस्करी और बाल मजदूरी में अव्वल – शर्मनाक

मानव तस्करों के निशाने पर बचपन – बाल मजदूरी की जद में लाखों मासूम

बालश्रम ,बंधुआ मजदूरी और मानव तस्करी को रोकने की सख्त ज़रूरत

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पवन देव 

जयपुर | जयपुर शहर अपनी सांस्कृतिक धरोहर कला व् विरासत के दम पर विश्व विख्यात हैं जिसके कारण ही  2019 में यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड  हेरिटेज सिटी अवार्ड दिया गया था यह जयपुरवासियों के लियें गर्व की बात है लेकिन अब जयपुर शहर “ बाल श्रमिक “ का केंद्र बनता जा रहा हैं जो की सरकार और स्थानीय जनता के लियें शर्मनाक हैं |

जयपुर शहर मुख्य रूप से 30 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हैं इसमें भट्टा बस्ती , शास्त्री नगर , जालूपुरा , नमक मंडी किशनपोल बाज़ार , ब्रहमपुरी , नारगढ़ रोड ,लंकापूरी , विद्याधर नगर , झोटवाड़ा , रामगंज , ईदगाह ऐसे क्षेत्र हैं जिनमे धड्ले से बाल श्रमिक मजदुर कार्यरत हैं  भट्टा बस्ती व् शास्त्री नगर तो बाल श्रमिक { चूड़ी कारखाना } का केंद बिंदु हैं जो बाल मजदूरी और बाल अपराधों के लियें हमेशा सुर्खियों में रहता हैं |

विधानसभा सदन की पटल में रखे गयें आकड़े –

माननीय विधायक महोदय द्वरा अतारांकित सवाल में “ बाल श्रमिक से काम करवाने के मामले “ पर विगत 2 वर्ष { 1 जनवरी 2018 से 31 दिसम्बर 2019 तक } में राज्य में 1345 लोगों पर केस दर्ज कियें गयें हैं  अर्थार्त 1345 कारखाने , फैक्ट्रीयो में कितने बाल श्रमिक काम करते हैं इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं जयपुर शहर में चूड़ी कारखाने में लगभग सामान्य 10 से 15 बाल श्रमिक कार्यरत मिलते हैं जो की मुख्यता पश्चिम बंगाल ,बिहार के पायें जाते हैं |

 

कोविड 19 से भूख प्यास से दम तोड़ रहें थे बाल मजदुर –

कोविड 19 में भूख – प्यास से भट्टा बस्ती में अवैध चूड़ी कारखाने में कार्यरत 2 बाल श्रमिक मजदुरो ने दम तोड़ दिया था  जिसके बाद कई बाल श्रमिक कोविड 19 लॉक डाउन के समय में चोरी छिपे अपने गाँव लोट गयें थे अब जब वह जयपुर वापस आ रहें हैं तो जयपुर में कार्यरत NGO  पुलिस प्रशासन के साथ उनकी धर पकड़ कर रहें हैं हालिमें गलता गेट थाना ने अम्बिका बस सर्विस की बस जो गया बिहार से जयपुर आ रही थी में कार्यवाही करते हुयें 25  से अधिक बाल श्रमिको को मुक्त करवाया वही दूसरी बड़ी करवाई ट्रांसपोर्ट नगर थाना में वही अम्बिका बस सर्विस की बस पकड़ कर 10 के करीब बाल श्रमिक जो चूड़ी के काम में लिप्त थे पर करवाई की , तीसरी करवाई बस्सी थाना ने बस्सी टोल टेक्स पर सीतामढ़ी बिहार से आ रही बस से 12 बाल श्रमिक को मुक्त करवाया इसके साथ 3 तस्कर 2 बस चालक सहित 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर बस जप्त की हैं इसके बाद भी चोरी छिपे चूड़ी कारखाने व् अन्य कारखानों में कार्यरत बाल श्रमिक जयपुर पहुँच रहें हैं |

 

अधिवक्ता अमितोष पारीक –

बाल अधिकारों को लेकर कार्यरत अधिवक्ता अमितोष पारीक ने कहा की जयपुर शहर वर्तमान में बाल श्रमिक जो लॉक डाउन के समय अपने गाँवों में चले गयें थे अब बाल श्रमिक मजदुर वापस जयपुर आ रहें हैं जिसको लेकर हम सक्रिय हैं हालिमें में गलता गेट से 25 व् ट्रांसपोर्ट नगर थाने की कारवाई में 10 बाल श्रमिको को मुक्त करवाया गया हैं जो की भट्टा बस्ती शास्त्री नगर में चूड़ी के कारखाने में कार्य करने आयें थे यह अभी बच्चे नाबालिक थे  गौरतलब हैं की लॉक डाउन में भट्टा बस्ती में भी एक अवैध चूड़ी कारखाने में भूख -प्यास से 2 बाल श्रमिक मर गयें थे जिनकी पैरवी हमारे द्वारा ही की जा रही हैं पुलिस थाने से 1 किलोमीटर की दुरी पर भी अवैध चूड़ी कारखाने संचालित हैं जिनमे खुले आम बाल श्रमिक काम कर रहे हैं और वही पर NGO भी कार्यरत हैं फिर भी भट्टा बस्ती शास्त्री नगर प्रशासन के लियें अवैध चूड़ी कारखाने चुनौती दे रहें हैं पुलिस प्रशासन को भट्टा बस्ती व् शास्त्री नगर में सख्ती कर बाल श्रमिको को मुक्त करवाना चाहियें |

बाल श्रमिको के रोकथाम व् पुर्नवास के लियें यह संगठन संस्था प्रशासन जिम्मेदार हैं किन्तु जयपुर सिर्फ 30 किलोमीटर के दायरे में फैला हैं और प्रशासन व् संगठन मूक दर्शक के समान हैं या कहें बाल श्रमिक कार्य में लिप्त अपराधीयो पर कोई तो मेहरबान हैं –

अवैध चूड़ी कारखाने में कार्यरत बाल श्रमिक –

बाल श्रम क्या हैं समझे –

अंतर्राष्टीय श्रम संगठन के अनुसार – वे बच्चे बाल श्रमिक कहलाते हैं जो “ स्थायी रूप से बड़ों जैसी जीन्दगी जीते हैं ,लम्बे समय तक कम वेतन पर ऐसी परिस्थियों में काम करते हैं ,जो उनके मानसिक और शारीरिक विकास में बाधक होती हैं और उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती हैं |

बाल श्रम को रोकने हेतु ज़िम्मेदार संस्था  –

 

पुलिस विभाग – बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण के लियें राजस्थान किशोर न्याय ( बालकों की देखरेख एवं संरक्षण ) अधिनियम 2011 के तहत राज्य के सभी जिलों में विशेष पुलिस इकाई व् मानव तस्करी विरोधी इकाई घटित की हुई हैं उक्त दोनों इकाइया बाल श्रमिक / तस्करी पीड़ित बच्चों को मुक्त कराने की कारवाई पूर्ण गोपनीयता एवं सक्रियता से करने हेतु प्रतिबद्ध हैं |

श्रम विभाग – श्रम विभाग द्वारा संवेदनशील क्षेत्रो में नियमित रूप से बाल श्रमिको का सर्व कराना , बाल श्रमिको की सूचना मिलने पर स्थानीय पुलिस एवं बाल कल्याण समिति के माध्यम से 24 घंटे के अंदर कार्यवाही कर बाल श्रमिको को मुक्त कराना होता हैं व् अपराधियों पर बालश्रम ( प्रतिबंधित एवं नियोजन ) अधिनियम 1986 की धारा 3 के तहत कारवाही करते हैं |

बाल कल्याण समिति – बाल कल्याण समिति बाल श्रमिक / तस्करी की सूचना / शिकायत मिलने पर बच्चों को मुक्त करवाने , अधिनियम के अंतरगत संचालित बाल गृहो में बच्चों को प्रवेश कराने एवं बच्चों के पुर्नवास की व्यवस्था हेतु पुलिस को आदेश प्रदान करती हैं |

बाल संरक्षण इकाई – सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा बाल श्रमिको के संरक्षण एवं पुर्नवास के लियें बाल कल्याण समिति के आदेश कानून के अनुसार पंजीक्रत राजकीय / स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित बालगृह बाल श्रमिको को प्रवेश कराकर सामाजिक सुरक्षा की योजनओं से जोडती हैं |

जिला प्रशासन –

जिला प्रशासन द्वारा बाल श्रमिक / तस्करी पीड़ित बच्चों को मुक्त करवाने की कारवाई सहयोग कर बंधुआ मजदुर उन्मूलन अधिनियम 1976 के तहत बंधुआ मजदूरों की पहचान कर प्रशासन द्वारा प्रत्येक मुक्त करवायें बाल श्रमिक को मुक्ति प्रमाण पत्र जारी करते हैं जिससे बालश्रमिक के पुर्नवास में मददगार साबित होता हैं |

उपरोक्त संस्था / संगठन बाल श्रमिक को मुक्त करवाने से लेकर पुर्नवास की ज़िम्मेदारी हैं इसके बाद भी जयपुर में कुछ NGO कार्यरत हैं जो बाल श्रमिक को मुक्त करवाने के काम करते हैं जैसे – बचपन बचाओं आंदोलन , टाबर , प्रयास आदी

# पार्ट 2 में जानें –

जयपुर शहर में कितने NGO बाल श्रमिको को मुक्त करवाने के कार्यरत हैं और इनकी वितीय सहायता जो की करोड़ो में हैं कौन सी संस्था / फंडिंग एजेंसी करती हैं और NGO की कार्य प्रणाली क्या रहती हैं |

बिहार से जयपुर लायें जा रहें – 25 बंधुआ बाल श्रमिकों को मुक्त करवाया गया – गलता गेट थाने में FIR दर्ज  

जयपुर 25 बंधुआ बाल श्रमिकों को मुक्त करवाया गया , बिहार से बस द्वारा जयपुर लाया जा रहा था – यह रहें मुख्य आरोपी – रिज़वान, शमशेर, सफदर और अख्तर गय्या 
यदि सरकार और समाज इकट्ठा हो जाये तो देश से अनेक समस्याओं को आसानी से खत्म किया जा सकता है। यही हुआ आज जब राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग, जयपुर पुलिस, चाइल्ड लाइन और चाइल्ड राइट वाच ग्रुप के संयुक्त प्रयास से बाल मजदूरों से भरी बस को पकड़कर 25 बाल श्रमिकों को मुक्त करवाया गया।
चाइल्ड वाच ग्रुप से बसंत हरियाणा बच्चों से जानकारी
ये सभी बाल श्रमिक 10 से 14 वर्ष की उम्र के थे जिनके मानव तस्करों द्वारा बिहार के गया जिले से लाया जा रहा था। बाल तस्करी को रोकने के लिए कार्यरत सामाजिक कार्यकर्ताओं  ने ‘बिहार के गया’ से सूचना दी है कि कुछ मानव तस्कर सक्रीय हो गए हैं, वे गांव गांव जाकर गरीब बच्चों की ख़रीददारी कर रहे हैं। सूचना के आधार पर इन तस्करों पर लगातार नजर रखी गई।
आज सुबह खबर मिली कि राजस्थान के एक निजी बस ऑपरेटर की बस नंबर RJ23PA6375 बाल मजदूरों को लेकर जयपुर के अंदर प्रवेश करी उसी समय जयपुर पुलिस की टीम ने कुछ सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से बस को कब्जे में ले लिया और बस को थाने लेकर चले गए।
गलता गेट थाने – बाल श्रमिक
बाल मजदूरों को छुड़ाने और मानव तस्करी को रोकने के इस अभियान को बड़े गुप्त तरीके से चलाया गया जिसमें जयपुर पुलिस उत्तर क्षेत्र के उपायुक्त श्री राजीव पचार, अतिरिक्त उपायुक्त श्री धर्मेंद्र सागर ने प्रमुख भूमिका निभाई।
चाइल्ड राइट्स वाच ग्रुप की तरफ से राज्य संयोजक  वसंत हरियाणा ने इस अभियान में अधिकारियों और सामाजिक संस्थाओं के बीच समन्यवक की भूमिका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विदित हो कि राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्षा श्रीमती संगीता बेनीवाल, के नेतृत्व में आयोग ने पहले ही बस संचालकों को आगाह किया है कि यदि कोई बस बाल तस्करी में संलिप्त पाई गई तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
आज की इस कार्यवाही में सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट अमितोष पारीक, सुमन सिंह और भूपेंद्र कौर प्रमुख तौर पर शामिल थी।