

नेशनल इंस्टीट्यृट ऑफ वायरलॉजी और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ तैयार की गयी वैक्सीन तीसरा और अन्तिम ट्रायल जयपुर में किये जाने की बात सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि इस ट्रायल के लिए राजधानी जयपुर के विधाधर नगर मेंं स्थित मणिपाल अस्पताल को चुना गया है। इससे पहले इस अस्पताल में जायडस कैडिला कंपनी की बनाई वैक्सीन का भी ट्रायल किया जा चुका है।
इस ट्रायल को लेकर प्रदेश सरकार ने वैक्सीन आने की संभावना को देखते हुए पूरे प्रदेश में लगभग सभी प्रकार की तैयारियां करने में जुट गयी है। बताया जा रहा है कि वैक्सीनेशन सेंटर बनाने के लिए प्रदेश के 3 प्रमुख शहरों को चुना गया है जिसमें जयपुर उदयपुर व जोधपुर शामिल है।
अब तक मिली जानकारी के अनुसार जयपुर में कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन के थर्ड फेज का ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा। इस ट्रायल में हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने नेशनल इंस्टीट्यृट ऑफ वायरलॉजी और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा तैयार की गई वैक्सीन की डोज लगभग 500 से ज्यादा वॉलिटियर्स को दी जाएगी।
इससे पहले जयपुर में जायडस कैडिला कंपनी की बनाई वैक्सीन का भी ट्रायल किया गया था लेकिन कंपनी का ये ट्रायल दूसरे चरण का था जिसके परिणाम आना अभी बाकी है। इस वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री तापमान में रखा जाएगा। वैक्सीन के जल्द आने की संभावना को देखते हुए राजस्थान सरकार ने प्रदेश में मेडिकल कॉलेज,जिला अस्पताल व सैटेलाइट अस्पताल में इसको रखने की तैयारी में लग गयी है। सबसे पहले डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ, महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्मिकों को टीका लागाये जाने की बात सामने आ रही है।
राजस्थान में कोरोना की रफ्तार अब थोड़ी धीमी पड़ने लगी है और इसी वजह से प्रदेश के लगभग सभी जीलों में कोरोना के नए मरीज मिल रहे हैं। लेकिन प्रदेश की राजधानी जयपुर में कोरोना की रफ्तार धीमी पड़ती नहीं दिख रही है मंगलवार को भी लगभग 350 नए कोरोना मरीज सामने आये है। जयपुर के कुछ भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में मरीजों का आंकड़ा सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है।
कोरोना संक्रमितों की संख्या का आंकडा अब पूरे प्रदेश में लगभग 1000 के पास पहुंच गया है, जो सरकार के साथ लोगों के लिए राहत भरी खबर है। दिवाली के बाद से लगातार बढ़ते आंकड़े सरकार और आमजन दोनों की परेशानी बढ़ा रहे थे लेकिन पिछले कुछ माह में 3000 के पार पहुंचा नए मरीजों का यह आंकड़ा अब 1 हजार पर आ गया है।
राजधानी जयपुर की बात करें, तो यहां नए कोरोना मरीजों की संख्या का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। अकेले जयपुर से 357 नए संक्रमित पाए गए हैं जबकि अन्य जिलों में 100 से कम मरीज मिले है। मंगलवार को जयपुर में कोरोना मरीजों का आंकड़ा जोधपुर 76, अजमेर 60, नागौर 48, पाली 38, अलवर 38, डूंगरपुर 37, भीलवाड़ा 32, राजसमंद से 21 और बूंदी 16 मरीज मिले है। प्रदेश में जहां मृत्युदर अभी भी कई राज्य़ों के मुकाबले अभी कम है तो कुल संक्रमितों का आंकड़ा 293584 है।
राजधानी जयपुर में कोरोना मीटर
1. झोटवाड़ा और वैशाली में 34—34 नए मरीज
2. मानसरोवर में 31 नए मरीज
3. मालवीय नगर में 26 नए मरीज
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के साथ देश की कई विपक्षी पार्टियों ने किसान के भारत बंद का समर्थन किया है। लेकिन खबरों के अनुसार बताया जा रहा है कि दिल्ली पुलिस ने नजरबंद कर दिया है और इस बात की जानकारी आम आदमी पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इसे जारी किया गया है। हालाकि दिल्ली पुलिस ने AAP के दावे को गलत करार दिया है।
वहीं बात करें राजस्थान की राजधानी जयपुर की तो यहां पर भारत बंद के दौरान बीजेपी और कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में हाथपाई की नौबत आ गयी। इसके बाद पुलिस ने बीचबचाव करते हुए दोनों दलों के कार्यकर्ताओं को दूर किया।
यूपी में भी सपा के कार्यकर्ताओं ने किसानों से ज्यादा योगी सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश प्रकट किया और कई जगह सड़के बंद करने के साथ ट्रेने रोक दी। इसके साथ योग सरकार ने पहले ही चेतावनी जारी कर दी थी कि अगर कोई जोर—जबरदस्ती से बंद करने का काम करता है तो उस पर सख्त कार्यवाही की जाएगी।
किसान संगठनों ने पहले ही कह दिया था कि हमारे मंच से किसी भी राजनीतिक पार्टी को राजनीति नहीं करने दिया जाएगा। लेकिन इसके बाद भी इस आंदोलन में किसानों की हितों की कम और अपनी राजनीति करने का ज्यादा दिखावा हो रहा है।
सीवरेज टैंक में मौतों का सिलसिला थम ही नहीं रहा ………..आख़िर वर्ग विशेष की “जीवन ” की कीमत मात्र कुछ रुपयें
MANUAL SCAVENGERS AND THEIR REHABILITATION ACT- 2013 निष्क्रिय साबित हो रहा हैं
जयपुर । एक वर्ग विशेष की जान की कीमत आज मात्र 500 रुपये हैं क्योंकि वह मात्र कुछ पैसों के लियें आप के मल मूत्र में मुँह तक दे देता हैं क्योंकि उसकी भी कोई मजबूरी होगी चाहें उसकी जान ही क्यों न चली जायें लेकिन इस कि जिम्मेदारी किसकी हैं तो हम बता देते हैं सबसे बड़ी जिम्मेदारी सरकार प्रशासन की हैं क्योंकि सरकारी प्रशासन अपनी जिम्मेदारी कर्त्तव्य का निर्वहन सही रूप से नहीं कर रहा जो कि शर्मनाक है |
घटनाक्रम – सीतापुरा इंड्रस्ट्रीयल एरिया के ज्वैलरी जोन स्थित कंपनी SONI ,INTERNATIONAL ,JEW.MFG.CO F-22, SEZ – 1 ,PHASE -1 SITAPURA ,JAIPUR ,GSTIN,08 AEVPS.3888PIZZ ) में सीवरेज व केमिकल वेस्ट टैंक में फुल होने पर कंपनी मालिक संजीव सोनी द्वारा चार वाल्मीकि समाज के युवा मजदूरों को बुलाया गया और उन्हें जहरीले पदार्थ व मल मूत्र टैंक में बिना किसी सुरक्षा उपकरणों के उतार दिया गया जिसमें अजय खोड़ा की ज़हरीली गैस से घटना स्थल पर ही मौत हो गई जबकि ,सनी उर्फ भूरिया, आकाश बोयत को अचेत अवस्था में महात्मा गांधी अस्पताल में पहुँचाया गया जिसमें डॉक्टरों ने अजय को मृत बता दिया बाकी दो की हालत नाज़ुक बता कर आईसीयू में भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया |
मृतक अजय के एक बच्चा छोटा हैं जबकि उसकी पत्नी अभी गर्भवती अवस्था में हैं और उसकी परिवारिक स्थिति सही नहीं हैं आज उसकी गैर इरादतन हत्या कर दी गई पूंजीपतियों द्वारा सब ख़ामोश और तमाशबीन – कंपनी मालिक मुवावजा देकर लगभग राजीनामा कर लेगें पुलिस बिना शिकायत के कैसे कार्य करें और पत्रकार स्टोरी लगा कर मुद्दे का उजागर करें लेकिन कब तक सीवरेज सफाई का कार्य दलित उसमें भी वाल्मीकि समाज ही करेगा 10 दिन पहलें ही सीवरेज में उतरनें से बीकानेर में 3 लोगों की मौत हो गई थी उससे पहले सांगानेर मुहाना मंडी में 2 की मौत हो चुकी हैं उससे पहलें सिविल लाइन जोन में मौते हो चुकी हैं इनका स्थाई समाधान क्या हैं यह एक बड़ा सवाल हैं |
हेमलता कंसोटिया ( नेशनल कैम्पन डिग्निटी एंड राइट एंड सीवरेज अलाइड वर्कर ) नई दिल्ली –
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को आदेश दे रखा हैं की सफाई का कार्य ( सीवरेज ,अपशिष्ट प्रदार्थ ) का प्रबंध मेनुअल नहीं होगा लेकिन आज भी इस तरीके की घटना सामने आती हैं जो यह तय करती हैं की प्राइवेट कंपनीज दलितों की हत्या कर रही हैं इसकी जिम्मेदारी तय होनी चाहियें की कानून का पालन क्यों नहीं हो रहा |
MANUAL SCAVENGERS AND THEIR REHABILITATION ACT- 2013 कानून निष्क्रिय साबित हो रहा हैं
गौरतलब हैं की भारत में सफाई कर्मी के रूप में वाल्मीकि समुदाय के लोग ही अधिकतर या कहें शत प्रतिशत जुड़े हैं चुकी यह समाज सामाजिक द्रष्टि से अछूत माना जाता हैं जिसका मुख्य कारण इनका कार्य भी बताया जाता हैं क्योंकि यह सीवरेज लाइन सफाई और अपशिष्ट प्रदार्थ के प्रबन्धन के कार्य से जुड़े हैं भारत सरकार ने मेला ढोने की प्रथा को खत्म करने के लियें कड़े प्रावधानों के साथ MANUAL SCAVENGERS AND THEIR REHABILITATION ACT- 2013 बनाया था जिसमे साफ़ लिखा गया हैं की कोई भी व्यक्ति मेला ढोने का कार्य हाथ से नहीं करेगा इस के लियें मशीनों की सहायत ली जायें लेकिन आज इस कानून का इस सिस्टम ने मजाक बना दिया हैं चाहे राज्य सरकारे हो या पूंजीपति लोग वह सब कुछ पैसों के लालच में वाल्मीकि समाज के लोगों से ही कार्य करवाते हैं जब जेहरीली गैस से किसी सफाई कर्मी की मौत हो जाती हैं जब यह मुद्दे सामने आते हैं उसके बाद पीड़ित परिवार व् अपराधी राजीनामा कर लेते हैं पुलिस केस बंद कर देती हैं और सब फ्री हो जाते हैं तो यह बड़ा सवाल हैं की इस कानून के तहत कितने लोगो को सजा मिली –
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पवन देव
जयपुर – वर्ल्ड हेरिटेज सिटी जयपुर लम्बे समय से बाल श्रमिक व् मानव बाल तस्करी को लेकर सुर्खियों में रहता हैं जिसको लेकर सामाजिक संगठन { NGO } बाल श्रमिकों को मुक्त करवाने का कार्य करते हैं जिनमें प्रमुख नोबल प्राइज़ विजेता कैलाश सत्यार्थी का संगठन “ बचपन बचाओं आंदोलन “ टाबर , प्रयास मुख्यत जयपुर शहर में कार्यरत हैं
लेकिन इन संगठनो की कार्य प्रणाली संदिग्ध रहती हैं चुकी इन संगठनों NGO में कार्य करने वाले कर्मचारी पेड ( मोटी तनख्वाह ) पर कार्यरत रहते हैं और इनका प्रत्येक माह का टारगेट भी रहता हैं जिसको पूरा करने के लियें साम – दाम – दंड भेद की निति पर काम करते हैं जिससे प्रत्येक माह बाल श्रमिक मुक्त करवाने की संख्या में बढ़ोतरी के लियें यह प्रयासरत रहते हैं साम दाम दंड भेद की निति पर यह अपने नंबर बढ़ाते हैं लेकिन जयपुर इस के लियें बदनाम हो रहा हैं चुकी मीडिया इन रेस्क्यू को यथासंभव कवरेज देता हैं और यह कवरेज के प्रतिलिपि संग्रह कर देश – विदेश से मोटा चंदा ( करोड़ों ) एकत्रित करते हैं लेकिन कुछ क्षेत्रो में भी जैसे शास्त्री नगर , भट्टा बस्त्ती आदी में भी चूड़ी बनाने का कार्य प्रमुख रूप से होता हैं
घटनाक्रम – बचपन बचओं आंदोलन की सूचना पर ट्रांसपोर्ट नगर की संयुक्त कार्यवाही दिनांक 28 सितम्बर 2020
क्या किसी बस में आ रहें बच्चों को बाल श्रमिक बना कर कार्यवाही उचित हैं – यह कौन तय करेगा की यह बाल श्रमिक हैं या नहीं – बड़ा सवाल
गौरतलब हैं की FIR के अनुसार बचपन बचओ आंदोलन के कर्मचारी देशराज की लिखित शिकायत पर थाने द्वारा कार्यवाही करने की मांग की गई जिस पर थाने द्वारा बिहार से आ रही बस को रोककर कार्यवाही की गई लेकिन इस कार्यवाही में बिहार से जयपुर आ रहा एक परिवार जिसमे महिला केसमी देवी उम्र 42 उनके बेटे बखोरी मांझी उम्र 21 अन्य एक पुत्र प्रदीप मांझी 18 और इनका छोटा भाई उम्र 14 भी सवार थे जिनके पास अपना राशनकार्ड भी साथ था पर पुलिस ने कारवाई कर दी महिला केसमी देवी को पुलिस ने इनके बच्चों से अलग कर भगा दिया जबकि इनके 2 बालिग़ बच्चों को बाल श्रमिक बना दिया जबकि यह परिवार राज मिस्त्री का काम करता हैं ऐसा पीड़ित महिला ने बताया और यह लॉक डाउन में बिहार चला गया था जो अब कमाने खाने वापस जयपुर आ रहा था लेकिन पुलिस कारवाही में इन्हें भी शामिल कर लिया और FIR में नाम भी दर्ज कर दिया गया और बाकी बच्चों के साथ भेज दिया अब यह माँ अपने बच्चों को मुक्त करवाने के लियें पुलिस के चक्कर लगा रही हैं
पीड़ित महिला केसमी देवी की आपबीती उन्ही की जुबानी –
NGO का गोरखधंधा , खाकी मूक दर्शक – आख़िर कब चेतेगा सिस्टम
सूत्रों के अनुसार मिली जानकारी में यह पता लगा हैं कि बाल श्रमिकों को मुक्त करवानें वाले यह प्रमुख NGO एक तरह का धंधा / रोजगार बना रखा हैं इन संस्था को फंडिंग एजेंसी फ्रीडम फण्ड ने भी करोड़ो को फंडिंग कर रखी हैं और इन संस्थाओं में कार्यरत लोग मोटी तनख्वाह पर कार्य करते हैं सबसे ख़ास बात यह हैं कि इन NGO / संस्था के अन्य ऑफिस और लोग – बिहार गया , झारखंड , पंचिम बंगाल में भी कार्य करते हैं और वहा से जब बाल श्रमिक बच्चों को कार्य के लियें लाया जाता है या यू कहें कि यह ग़रीब लोगों के बच्चों को तैयार कर के कार्य के लियें ठेकेदारों द्वारा उपलब्ध कराते हैं और जब यह बच्चें राजस्थान की सीमा में प्रवेश करते हैं तो इन NGO के लोग पुलिस
से कार्यवाही करने के लियें साथ में रहते हैं और जब पुलिस रेस्क्यू करती हैं तो इन संस्था / संगठन का नाम आ जाता हैं और कुछ मीडिया हाउस स्टोरी में इन संगठनों / संस्थाओं का नाम भी शामिल कर लेते हैं और इस तरह से यह NGO इन कार्यो को महीने में एक या दो बार करते हैं और NGO को जो फंडिंग होती हैं उनमें दर्शाया जाता हैं कई केस में तो कई बच्चे 2 बार पकड़े जा रहे हैं इसका मतलब आप यह समझें कि यह रेस्क्यू प्रयोचित होता हैं और सब आपस में मिलकर हमारे शहर को बदनाम करते हैं और मोटा पैसा कमाते हैं |
राजस्थान सरकार को इस मुद्दें पर सीबीआई द्वारा जाँच करवानी चाहियें जिससे इन NGO और चूड़ी कारखाने के ठेकेदारों के बीच चल रहें इस गोरखधंधे से पर्दा उठ सके –
किरायेदारों का सत्यापन का कानून / नियम
अपराधों पर लगाम लगानें और अन्य राज्यों से जो अपराधी भेष बदल कर चोरी छीपे आ जाते हैं उनके लियें प्रत्येक थाने द्वारा मकान मालिकों द्वारा जो सत्यापन का नियम था जो कि अनिवार्य था आज हवा में ही नज़र आता हैं जिसकी आड़ में भट्ट बस्ती में आज खुले आम बाल श्रमिक बेसमेंट में कार्य करते आप को मिल जायेंगे गौरतलब हैं लॉक डाउन के समय 2 बाल श्रमिक की भूख प्यास से मौत हो गई थी जिसकी कानूनी कार्यवाही कोर्ट में चल रही हैं |
कौन कितना फंडिंग करता हैं इन NGO को देखें –
इन NGO की फंडिंग मुख्य रूप से तीन तरह से होती है
1.सरकार से अनुदान – NGO सरकार के सामाजिक कार्यो ,विभागों से प्राजेक्ट लेते हैं और कार्य करते हैं
2. CSR द्वारा – कानून के अनुसार बड़ी कंपनीज को सामाजिक जिम्मेदारी के निभाने हेतु कुछ प्रतिशत पैसा लाभ का सामाजिक कार्यो पर खर्च करना अनिवार्य हैं जिसके के लियें कम्पनीया NGO को सामाजिक कार्यो के लियें फंडिंग करते हैं |
3. पब्लिक फंडिंग – सामाजिक कार्यो को दिखाकर NGO जनता से भी दान के रूप में पैसा एकत्रित करते हैं जो की तिमाही में भी करोडो में हो जाता हैं |
मानव तस्करों के निशाने पर बचपन – बाल मजदूरी की जद में लाखों मासूम
बालश्रम ,बंधुआ मजदूरी और मानव तस्करी को रोकने की सख्त ज़रूरत
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पवन देव
जयपुर | जयपुर शहर अपनी सांस्कृतिक धरोहर कला व् विरासत के दम पर विश्व विख्यात हैं जिसके कारण ही 2019 में यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज सिटी अवार्ड दिया गया था यह जयपुरवासियों के लियें गर्व की बात है लेकिन अब जयपुर शहर “ बाल श्रमिक “ का केंद्र बनता जा रहा हैं जो की सरकार और स्थानीय जनता के लियें शर्मनाक हैं |
जयपुर शहर मुख्य रूप से 30 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हैं इसमें भट्टा बस्ती , शास्त्री नगर , जालूपुरा , नमक मंडी किशनपोल बाज़ार , ब्रहमपुरी , नारगढ़ रोड ,लंकापूरी , विद्याधर नगर , झोटवाड़ा , रामगंज , ईदगाह ऐसे क्षेत्र हैं जिनमे धड्ले से बाल श्रमिक मजदुर कार्यरत हैं भट्टा बस्ती व् शास्त्री नगर तो बाल श्रमिक { चूड़ी कारखाना } का केंद बिंदु हैं जो बाल मजदूरी और बाल अपराधों के लियें हमेशा सुर्खियों में रहता हैं |
विधानसभा सदन की पटल में रखे गयें आकड़े –
माननीय विधायक महोदय द्वरा अतारांकित सवाल में “ बाल श्रमिक से काम करवाने के मामले “ पर विगत 2 वर्ष { 1 जनवरी 2018 से 31 दिसम्बर 2019 तक } में राज्य में 1345 लोगों पर केस दर्ज कियें गयें हैं अर्थार्त 1345 कारखाने , फैक्ट्रीयो में कितने बाल श्रमिक काम करते हैं इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं जयपुर शहर में चूड़ी कारखाने में लगभग सामान्य 10 से 15 बाल श्रमिक कार्यरत मिलते हैं जो की मुख्यता पश्चिम बंगाल ,बिहार के पायें जाते हैं |
कोविड 19 से भूख प्यास से दम तोड़ रहें थे बाल मजदुर –
कोविड 19 में भूख – प्यास से भट्टा बस्ती में अवैध चूड़ी कारखाने में कार्यरत 2 बाल श्रमिक मजदुरो ने दम तोड़ दिया था जिसके बाद कई बाल श्रमिक कोविड 19 लॉक डाउन के समय में चोरी छिपे अपने गाँव लोट गयें थे अब जब वह जयपुर वापस आ रहें हैं तो जयपुर में कार्यरत NGO पुलिस प्रशासन के साथ उनकी धर पकड़ कर रहें हैं हालिमें गलता गेट थाना ने अम्बिका बस सर्विस की बस जो गया बिहार से जयपुर आ रही थी में कार्यवाही करते हुयें 25 से अधिक बाल श्रमिको को मुक्त करवाया वही दूसरी बड़ी करवाई ट्रांसपोर्ट नगर थाना में वही अम्बिका बस सर्विस की बस पकड़ कर 10 के करीब बाल श्रमिक जो चूड़ी के काम में लिप्त थे पर करवाई की , तीसरी करवाई बस्सी थाना ने बस्सी टोल टेक्स पर सीतामढ़ी बिहार से आ रही बस से 12 बाल श्रमिक को मुक्त करवाया इसके साथ 3 तस्कर 2 बस चालक सहित 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर बस जप्त की हैं इसके बाद भी चोरी छिपे चूड़ी कारखाने व् अन्य कारखानों में कार्यरत बाल श्रमिक जयपुर पहुँच रहें हैं |
अधिवक्ता अमितोष पारीक –
बाल अधिकारों को लेकर कार्यरत अधिवक्ता अमितोष पारीक ने कहा की जयपुर शहर वर्तमान में बाल श्रमिक जो लॉक डाउन के समय अपने गाँवों में चले गयें थे अब बाल श्रमिक मजदुर वापस जयपुर आ रहें हैं जिसको लेकर हम सक्रिय हैं हालिमें में गलता गेट से 25 व् ट्रांसपोर्ट नगर थाने की कारवाई में 10 बाल श्रमिको को मुक्त करवाया गया हैं जो की भट्टा बस्ती शास्त्री नगर में चूड़ी के कारखाने में कार्य करने आयें थे यह अभी बच्चे नाबालिक थे गौरतलब हैं की लॉक डाउन में भट्टा बस्ती में भी एक अवैध चूड़ी कारखाने में भूख -प्यास से 2 बाल श्रमिक मर गयें थे जिनकी पैरवी हमारे द्वारा ही की जा रही हैं पुलिस थाने से 1 किलोमीटर की दुरी पर भी अवैध चूड़ी कारखाने संचालित हैं जिनमे खुले आम बाल श्रमिक काम कर रहे हैं और वही पर NGO भी कार्यरत हैं फिर भी भट्टा बस्ती शास्त्री नगर प्रशासन के लियें अवैध चूड़ी कारखाने चुनौती दे रहें हैं पुलिस प्रशासन को भट्टा बस्ती व् शास्त्री नगर में सख्ती कर बाल श्रमिको को मुक्त करवाना चाहियें |
बाल श्रमिको के रोकथाम व् पुर्नवास के लियें यह संगठन संस्था प्रशासन जिम्मेदार हैं किन्तु जयपुर सिर्फ 30 किलोमीटर के दायरे में फैला हैं और प्रशासन व् संगठन मूक दर्शक के समान हैं या कहें बाल श्रमिक कार्य में लिप्त अपराधीयो पर कोई तो मेहरबान हैं –
बाल श्रम क्या हैं समझे –
अंतर्राष्टीय श्रम संगठन के अनुसार – वे बच्चे बाल श्रमिक कहलाते हैं जो “ स्थायी रूप से बड़ों जैसी जीन्दगी जीते हैं ,लम्बे समय तक कम वेतन पर ऐसी परिस्थियों में काम करते हैं ,जो उनके मानसिक और शारीरिक विकास में बाधक होती हैं और उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती हैं |
बाल श्रम को रोकने हेतु ज़िम्मेदार संस्था –
पुलिस विभाग – बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण के लियें राजस्थान किशोर न्याय ( बालकों की देखरेख एवं संरक्षण ) अधिनियम 2011 के तहत राज्य के सभी जिलों में विशेष पुलिस इकाई व् मानव तस्करी विरोधी इकाई घटित की हुई हैं उक्त दोनों इकाइया बाल श्रमिक / तस्करी पीड़ित बच्चों को मुक्त कराने की कारवाई पूर्ण गोपनीयता एवं सक्रियता से करने हेतु प्रतिबद्ध हैं |
श्रम विभाग – श्रम विभाग द्वारा संवेदनशील क्षेत्रो में नियमित रूप से बाल श्रमिको का सर्व कराना , बाल श्रमिको की सूचना मिलने पर स्थानीय पुलिस एवं बाल कल्याण समिति के माध्यम से 24 घंटे के अंदर कार्यवाही कर बाल श्रमिको को मुक्त कराना होता हैं व् अपराधियों पर बालश्रम ( प्रतिबंधित एवं नियोजन ) अधिनियम 1986 की धारा 3 के तहत कारवाही करते हैं |
बाल कल्याण समिति – बाल कल्याण समिति बाल श्रमिक / तस्करी की सूचना / शिकायत मिलने पर बच्चों को मुक्त करवाने , अधिनियम के अंतरगत संचालित बाल गृहो में बच्चों को प्रवेश कराने एवं बच्चों के पुर्नवास की व्यवस्था हेतु पुलिस को आदेश प्रदान करती हैं |
बाल संरक्षण इकाई – सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा बाल श्रमिको के संरक्षण एवं पुर्नवास के लियें बाल कल्याण समिति के आदेश कानून के अनुसार पंजीक्रत राजकीय / स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित बालगृह बाल श्रमिको को प्रवेश कराकर सामाजिक सुरक्षा की योजनओं से जोडती हैं |
जिला प्रशासन –
जिला प्रशासन द्वारा बाल श्रमिक / तस्करी पीड़ित बच्चों को मुक्त करवाने की कारवाई सहयोग कर बंधुआ मजदुर उन्मूलन अधिनियम 1976 के तहत बंधुआ मजदूरों की पहचान कर प्रशासन द्वारा प्रत्येक मुक्त करवायें बाल श्रमिक को मुक्ति प्रमाण पत्र जारी करते हैं जिससे बालश्रमिक के पुर्नवास में मददगार साबित होता हैं |
उपरोक्त संस्था / संगठन बाल श्रमिक को मुक्त करवाने से लेकर पुर्नवास की ज़िम्मेदारी हैं इसके बाद भी जयपुर में कुछ NGO कार्यरत हैं जो बाल श्रमिक को मुक्त करवाने के काम करते हैं जैसे – बचपन बचाओं आंदोलन , टाबर , प्रयास आदी
# पार्ट 2 में जानें –
जयपुर शहर में कितने NGO बाल श्रमिको को मुक्त करवाने के कार्यरत हैं और इनकी वितीय सहायता जो की करोड़ो में हैं कौन सी संस्था / फंडिंग एजेंसी करती हैं और NGO की कार्य प्रणाली क्या रहती हैं |