“बामसेफ का दूसरा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन कोलम्बिया विश्वविद्यालय अमेरिका मे सम्पन्न “
वाशिंगटन | भारत के संविधान निर्माता डॉ .बी.आर .आंबेडकर के शोध –“भारत मे जाति व्यवस्था तथा मानव अधिकारो का पतन “
( 1 दशक ) 100 साल पुरे होने के उपलक्ष्य पर अंतर्राष्टीय स्तर पर “भारत मे जाति व्यवस्था” तथा मानव अधिकारो का पतन ” पर विचार -विमर्श व् सयुक्त सम्मलेन किया गया |
यह कार्यक्रम डॉ बी .आर.अम्बेडकर द्वारा 9 सितम्बर 1916 में कोलम्बिया विश्वविद्यालय में जाति व्यवस्था पर लिखे गए शौध (Thesis) के सौ साल पूरे होने पर मनाया गया है जिसका विषय – बाबा साहेब के द्वारा लिखे गए शोध-
“भारत मे जाति व्यवस्था” तथा मानव अधिकारो का पतन ” रहा इस कार्यक्रम में सिख संस्थाओं में शिरोमणि अकाली दल अंमृतसर अमेरिका के साथी सरबजीत सिंह खालसा, स. हंसरा जी , तथा अन्य साथियों ने अपने विचार रखे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मा. वामन मेश्राम ने की।
अध्यक्ष मा. वामन मेश्राम ने डा. बी .आर .अम्बेडकर जी की सौ साल पहले की गई बात जाति व्यवस्था को खत्म किए बगैर हम भारत में समानता स्थापित नहीं कर सकते. अगर ऐसा नहीं किया गया तो ये जाति व्यवस्था पूरे विश्व में फैल जाऐगी ओर आज उनकी कही गई बात सच्च साबित हुई। अभी ब्रिटिश सरकार ने पिछलें दिनों अपने देश से जाति व्यवस्था को खत्म करने के लिए एक नया कानून पास किया जिसे ब्राहम्णों के चलते लागू नहीं किया जा सका ये विश्व में जाति व्यवस्था के पैर पसारने का उदाहरण है।
दुनियां के लोग नस्लभेद के बारे में जानते है लेकिन उनको जाति व्यवस्था का ज्ञान नहीं है |
जाति व्यवस्था नस्लभेद नहीं है बल्कि नस्लभेद के कारण जाति व्यवस्था उत्पन्न हुई ,जिसके कारण भारत के लोगो का डीएनए समान न होना पाया गया है । भारत का शासक वर्ग ऊंची जाति का ब्राहमण बनिया वैश्य है और वो
भारत के सभी साधनों एंव संसाधनों पर कब्जा जमाएं हुए इनका डीएनए भारत के बहुजन लोगो से मेल नहीं खाता है ऐसा उताह विश्वविद्यालय के माईकल बामशाद नाम के सांईटिस्ट द्वारा किए गए डीएनए टेस्ट में सिद्ध हुआ है कि ब्राहमण का डीएनए यूरेशिया के आस्किमोजों प्रांत के लोगों के साथ मिलता है।और यही नहीं इस बात को ब्राहमणों ने खुद कबूला। आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में राजन दिक्षित नाम के एक ब्रामहण ने इस
के आगे चलकर ये साबित किया की आस्किमोजी प्रांत के मोरुआ वंश के लोगो के साथ ब्राहमणों का डीएनए मेल खाता है इससे ये बात सिद्ध होती है कि ब्राहम्ण क्षत्रिय एंव वैश्य भारत के मूलनिवासी नहीं हैं । इनका डीएनए मोरूओं प्रजाति ओर यहूदियों से मेल खाता है ।
ब्राहमण समानता के सिद्धांत को मानने वाले नहीं हैं ये लोगअसमानता को कायम रखने में अपना विश्वास रखते हैं। लोग जाति व्यवस्था का कारण हिंदुत्व को बताते है लेकिन बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के शब्दों में
“ हिंदुत्व कुछ नहीं ये केवल ब्राहमणवाद है और ब्राहमणवाद असमानता का निचोड है।”
भूमंडलिकरण के साथ साथ जाति व्यवस्था का भूमंडलिकरण भी बहुत तेजी के साथ हो रहा है। अगर इसे रोका नहीं गया तो जो भारत के लोग दूसरे देशों मे माईग्रेट होकर जाऐंगें वो अपनी जाति भी साथ में ही लेकर जाऐंगें। जिसके कारण जाति व्यवस्था का भूमंडलिकरण पूरे विश्व में फैल जाऐगा। हमें सब बहुजन मूलनिवासी लोगों को सिख ईसाई बुद्धिष्ट मुस्लिमों को एक होकर ब्राहमणों का सामना करना होगा और भारत देश मे जाति व्यवस्था ख़त्म करके समानता की स्थापना करके समता स्वतंत्रता न्याय बंधुता आधारित समाज और देश कि व्यवस्था कायम करनी होगी
संयुक्त राष्ट्र संघ से हम अपील करते हैं कि वह जाति के विरोध में अंतरराष्ट्रीय कानून बनाएं अन्यथा हम लोग संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतरराष्ट्रीय ऑफिस पर मोर्चा निकालेंगे
– वामन मेश्राम साहेब (राष्ट्रीय अध्यक्ष बामसेफ) अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर से..