जयपुर नाइट कर्फ्यू और शाम 7 बजे बाजार बंद करने के प्रतिबंधों में छूट – मुख्यमंत्री गहलोत

कोविड संक्रमण में गिरावट को देखते हुए मुख्यमंत्री ने लिए निर्णय नाइट कर्फ्यू  और शाम 7 बजे बाजार बंद करने के प्रतिबंधों में छूट
निजी अस्पतालों में अब 500 रूपए में होगा आरटी-पीसीआर टेस्ट  हैल्थ प्रोटोकॉल की पालना में न हो ढिला – मुख्यमंत्री गहलोत 
जयपुर, 18 जनवरी । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले कुछ समय से कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार कमी को देखते हुए प्रदेश के 13 जिला मुख्यालयों में लागू रात्रिकालीन  कर्फ्यू (Curfew)  तथा शाम 7 बजे बाजार बंद करने के प्रतिबंध को हटाने के निर्देश दिए हैं। इसी के साथ उन्होंने विभिन्न सामाजिक, धार्मिक एवं राजनीतिक आयोजनों के लिए जिला कलेक्टर की पूर्वानुमति की अनिवार्यता के नियम में शिथिलता देते हुए अनुमति के स्थान पर सूचना देना जरूरी किया है, हालांकि इन आयोजनों में शामिल होने वाले लोगों की अधिकतम संख्या पूर्व की भांति रहेगी।
 गहलोत सोमवार को मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंस से कोविड-19 संक्रमण की स्थिति तथा टीकाकरण की समीक्षा कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कोरोना के केसेज में गिरावट के बावजूद हमें मास्क पहनने, दो गज दूरी बनाए रखने, भीड़-भाड़ से दूर रहने के कोविड प्रोटोकॉल की पालना में कोई ढ़िलाई नहीं बरतनी है। तभी हम कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोक पाएंगे। उन्होंने कहा कि ऎसी नौबत न आए कि फिर से प्रतिबंध लगाने पर मजबूर होना पड़े।  गहलोत ने निजी अस्पतालों एवं लैब्स में आरटी-पीसीआर जांच की दर 800 रूपए से घटाकर 500 रूपए करने के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री के इस निर्णय से प्रदेशवासियों को कम दरों पर जांच सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
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 गहलोत ने कहा कि बेहतरीन प्रबंधन और प्रदेशवासियों के सहयोग से राजस्थान में कोरोना की स्थिति काफी नियंत्रण में है। प्रदेश की रिकवरी रेट राष्ट्रीय औसत 96.58 के मुकाबले 97.53 प्रतिशत हो गई है। एक्टिव केसेज की संख्या भी लगातार घट रही है। कई जिलों में पॉजिटिव केस शून्य तक आ गए हैं। ऎसे में रात्रिकालीन   कर्फ्यू (Curfew)   तथा बाजार खुलने के समय पर पाबंदी हटाई गई है। इस क्रम में अन्य गंभीर बीमारियों के मरीजों के लिए निजी अस्पतालों में बेड्स की उपलब्धता सुनिश्चित हो इसके लिए 100 बेड से अधिक क्षमता वाले निजी अस्पतालों में कोविड के लिए आरक्षित बेड की संख्या 40 प्रतिशत से घटाकर न्यूनतम 10 बेड की जाए।
पहले दिन 73.79 प्रतिशत हैल्थ वर्कर्स को टीका लगना उत्साहजनक 
 गहलोत ने प्रदेश में कोविड-19 के वैक्सीनेशन कार्यक्रम की समीक्षा के दौरान कहा कि प्रदेश में पहले ही दिन शनिवार को राष्ट्रीय औसत 63.66 प्रतिशत से करीब 10 प्रतिशत अधिक कुल 73.79 प्रतिशत हैल्थ वर्कर्स द्वारा वैक्सीन लगवाया जाना उत्साहजनक है और यह इस बात का संकेत है कि कोरोना प्रबंधन की तरह ही हम टीकाकरण में भी अव्वल रहेंगे। उन्होंने कहा कि वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है और प्राथमिकता के क्रम में जिन लोगों को यह वैक्सीन लगनी है वह बिना किसी हिचक के टीका लगवाएं।
शासन सचिव चिकित्सा शिक्षा  वैभव गालरिया ने प्रस्तुतीकरण में बताया कि आरयूएचएस में भर्ती कोविड रोगियों की संख्या केवल 24 रह गई है। प्रदेश में पहले दिन 167 केन्द्रों पर 12 हजार 258 स्वास्थ्यकर्मियों ने टीका लगवाया। जोधपुर, अजमेर, बूंदी तथा अलवर में तो टीकाकरण का शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया गया। उन्होंने बताया कि टीकाकरण को और गति देने के लिए प्रत्येक जिले में कंट्रोल रूम बनाए गए हैं। जिन्हें वैक्सीन लगनी है उन्हें मोबाइल एसएमएस तथा फोन कॉल्स के जरिए भी सूचित किया जा रहा है।
बैठक में मुख्यमंत्री ने आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना के नए चरण के शुभारंभ की तैयारियों की भी जानकारी ली। उन्हाेंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि आगामी 30 जनवरी को प्रदेश के 1 करोड़ 10 लाख परिवारों की स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से इस महत्वाकांक्षी योजना का शुभारंभ किया जाएगा। मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना, मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना के बाद स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से राज्य सरकार का यह एक बड़ा कदम होगा।
बीमा पैकेज में कोविड-19 और हीमोडायलिसिस का उपचार शामिल करने को मंजूरी
मुख्यमंत्री  गहलोत ने आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना के पैकेज की सूची में कोविड-19 और हीमोडायलिसिस रोगों को भी शामिल करने का निर्णय लिया। उन्होंने इस संबंध में वित्त विभाग के प्रस्ताव का अनुमोदन भी कर दिया है। इन दो बीमारियों के मरीजों को स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार प्रतिवर्ष लगभग 41 करोड़ रूपए अतिरिक्त वहन करेगी।
राजस्थान हैल्थ इंश्योरेंस एजेंसी की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरूणा राजौरिया ने बताया कि बीमा योजना के नवीन चरण में इलाज के लिए उपलब्ध पैकेजेज की संख्या बढ़ाकर 1572 की गई है। साथ ही, अस्पतालों और चिकित्सकों के एम्पैनलमेंट की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाया गया है। योजना के लाभार्थियों को 5 लाख रूपए तक का स्वास्थ्य बीमा कवर उपलब्ध होगा।

” हरिजन ” बोल अमित काॅलोनाइजर लिमिटेड ने किया आवंटन निरस्त – FIR दर्ज

आज़ादी के 70 साल बाद भी जातिवाद के शिकार – अनुसूचित समाज , आखिर कब तक 
मुख्यमंत्री जन आवास योजना में अमित काॅलोनाइजर लिमिटेड (ए.सी.एल.) द्वारा  वाल्मिकी समाज की महिला को हरिजन जाति होने के कारण  जातिगत आधार पर आवंटनशुदा  आवास से किया वंचित –
दिनांक 14 जनवरी 2021 | दलित अधिकार केन्द्र के मुख्य कार्यकारी पी.एल.मीमरौठ एंव राजस्थान वाल्मिकि विकास मंच के अध्यक्ष राकेश वाल्मिकि ने जातिगत आधार पर लाटरी सिस्टम के तहत मुख्यमंत्री जन आवास योजना में आवंटित आवास को जातिगत आधार पर निरस्त करने व जातिगत आधार पर दलित महिला को आवास से वंचित करने की घटना पर त्वरित कार्यवाही कर न्याय की मांग की व् उक्त घटना गहरा आक्रोश व्यक्त किया |
पी.एल.मीमरौठ ने उक्त प्रकरण को गम्भीरता से लेते हुये मुख्यमंत्री अशोक  गहलोत, अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, अध्यक्ष, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, नई दिल्ली,  शांति धारीवाल मंत्री स्वायत्त शासन, नगरीय विकास विभाग, राजस्थान सरकार, व  निहाल चन्द गोलल , अध्यक्ष, अंचल सम्म्पति नियामक प्राधिकरण, जयपुर (रेरा) को पत्र लिख कर इस मामले में व अमित कोॅलोनाइजर्स लि. व अंचल सम्म्पति नियामक प्राधिकरण, जयपुर (रेरा) के पदाधिकारियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्यवाही कर पीडित दलित महिला को उक्त येाजना में आवास आवंटित करने की मांग की ।
FIR COPY
गौरतलब हैं  इस प्रकरण में पीडिता ने पुलिस थाना अशोक  नगर जयपुर  (दक्षिण) में अमित काॅलोनाइजर लिमिटेड (ए.सी.एल.) मुख्य एवं पंजीकृत कार्यालय ई-97, रिया, ऐवेन्यू, सुभाष मार्ग, सी-स्कीम, जयपुर के सभी नामजद पदाधिकारियेां के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट सं. 0020/2021 अपराध अन्तर्गत धारा 3 (1) ()ि 3 (1) (प) 3 (1) (त) 3 (1) (्र) 3 (1) (्रब) अनुूसचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधनियम 1989, संषोधन अधिनियम 2015 व धारा 4, 7 नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955 के तहत रिपोर्ट दिनांक 13 जनवरी 2021 को दर्ज हो चुकी है।
 प्रकरण का संक्षितप्त तथ्य इस प्रकार हैः- राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक  गहलोत ने आर्थिक दृष्टि से कमजोर, एवं अन्प आय वर्ग के परिवारों के लिए राजस्थान में पहली बार स्वतंत्र आवासीय इन्टीग्रेटेउ टाऊन शिप  योजना शुरू  की गई थी जिसका इस योजना में आवास प्राप्त करने के लिए पीडित दलित महिला माया देवी वाल्मीकी पत्नी सीताराम हरिजन, बाबाजी की छावनी, जय सीयाराम, काॅलोनी, दौसा (राज.) ने दिनांक 28/01/2019 को अमित काॅलोनाइजर लिमिटेड (ए.सी.एल.) मुख्य एवं पंजीकृत कार्यालय ई-97, रिया, ऐवेन्यू, सुभाष मार्ग, सी-स्कीम, जयपुर द्वारा मुख्यमंत्री जन-आवास योजना-2015 के अन्तर्गत विकसित की जा रही परियोजना ए.सी.एल.ग्रीन पार्ट-2, गुप्तेश्वर मन्दिर के पास, लालसोट बाईपास रोड, दौसा में ई.डब्ल्यू.एस. (आर्थिक दृष्टि से कमजोर आय वर्ग) यूनिट में 36 वर्ग मीटर का स्वतन्त्र डूपलैक्स विला मकान हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत किया। दिनांक 28/05/2019 उक्त कम्पनी के निदेशक मण्डल की बैठक जयपुर स्थित पंजीकृत कार्यालय में आयोजित हुई जिसमें कम्पनी के नियमानुसार उक्त परियोजना स्थल पर दौसा विघायक एवं नगर परिषद आयुक्त के समक्ष उक्त परियोजना में इ.डब्ल्यू.एस. श्रेणी में प्राप्त किये गये कुल आवेदन पत्रों की लाॅटरी निकाली गई जिसमें मुझे ई.डब्ल्यू एस.-1 यूनिट में यूनिट नं. 74 स्वतन्त्र डूपलैक्स विला क्षेत्रफल 36 मीटर आंवटन किया गया। पीडिता द्वारा उक्त आवास के प्रतिफल स्वरूप लगभग 1.50 लाख रूपये की राषि जमा करवाई गई उसके बाद  दिनांक 03/09/2019 को कम्पनी द्वारा पीडिता के पक्ष में विक्रय इकरारनामा निष्पादित किया गया।
परन्तु दिनांक 07/06/2020 को कम्पनी के पंजीकृत कार्यालय सी-स्कीम जयपुर में निदेशक मण्डल की बैठक आयोजित की गई जिसमें सर्व सम्मति प्रस्ताव पारित किया गया कि आंवटी की जाति हरिजन है और यदि हमने हरिजन जाति की सदस्या को हमारी अवासीय योजना में विला आवंटित किया तो हमारी आवास योजना की साख गिर जायेगी यह तर्क देते हुये  आंवटन शुदा विला को हरिजन जाति होने के दुर्भावनापूर्ण आशय एवं जातिगत भेदभाव के कारण दलित महिला का आवंटन निरस्त कर दिया गया। 
उक्त बैठक में ए.सी.एल. कम्पनी के निदेशक मण्डल में भरोसी मीना निदेशक, भवानी नायक निदेशक, वियज कुमार वर्गीय निदेशक, राजेश विजयवर्गीय निदेशक, अमित विजयवर्गीय निदेशक, अर्चना शर्मा प्रोजेक्ट संयोजक ए.सी.एल. ग्रीन्स पार्ट-2 एवं एच.ओ.डी.नीलम शर्मा, प्रोजेक्ट मैनेजर, ए.सी.एल. ग्रीन्स पार्ट-2 निर्मल शर्मा आथोराइज्ड हस्ताक्षरकर्ता ए.सी.एल. ग्रीन्स एवं साइट सुपरवाईजर, आदि शामिल थे। निदेशक मण्डल के सभी सदस्य भलिभातिं जानते थे कि मैं अनुसूचति जाति की सदस्या हूँ और उपजाति वाल्मिकी (हरिजन) है तथा सभी के द्वारा छल-कपल कर, धोखा-धड़ी करते हुऐ सामान्य आशय को अग्रसर करते हूुए हरिजन जाति का होने के कारण दलित महिला के साथ जातिगत भेदभाव एवं छूआछूत कर पीडिता का आंवटन गैर कानूनी तरके से निरस्त कर दिया है।

सीवरेज टैंक में उतरनें से एक कि मौत 2 वेंटिलेटर पर – मूक दर्शक सभी – कब तक

सीवरेज टैंक में  मौतों का सिलसिला थम ही नहीं रहा ………..आख़िर वर्ग विशेष की “जीवन ” की कीमत मात्र कुछ रुपयें 

 

 MANUAL SCAVENGERS AND THEIR REHABILITATION ACT- 2013  निष्क्रिय साबित हो रहा हैं 

जयपुर । एक वर्ग विशेष की जान की कीमत आज मात्र 500 रुपये हैं क्योंकि वह मात्र कुछ पैसों के लियें आप के मल मूत्र में मुँह तक दे देता हैं क्योंकि उसकी भी कोई मजबूरी होगी चाहें उसकी जान ही क्यों न चली जायें लेकिन इस कि जिम्मेदारी किसकी हैं तो हम बता देते हैं सबसे बड़ी जिम्मेदारी सरकार प्रशासन की हैं क्योंकि सरकारी प्रशासन अपनी जिम्मेदारी कर्त्तव्य का निर्वहन सही रूप से नहीं कर रहा जो कि शर्मनाक है |

सीवरेज टेंक – जिसमे पीड़ित अजय की मौत हुई बाहर फेला अपशिष्

घटनाक्रम – सीतापुरा इंड्रस्ट्रीयल एरिया के ज्वैलरी जोन स्थित कंपनी  SONI ,INTERNATIONAL ,JEW.MFG.CO F-22, SEZ – 1 ,PHASE -1 SITAPURA ,JAIPUR ,GSTIN,08 AEVPS.3888PIZZ )  में सीवरेज व केमिकल वेस्ट टैंक में फुल होने पर कंपनी मालिक संजीव सोनी द्वारा चार वाल्मीकि समाज के युवा मजदूरों को बुलाया गया और उन्हें जहरीले पदार्थ व मल मूत्र टैंक में बिना किसी सुरक्षा उपकरणों के उतार दिया गया जिसमें अजय खोड़ा की ज़हरीली गैस से घटना स्थल पर ही मौत हो गई जबकि ,सनी उर्फ भूरिया, आकाश बोयत को अचेत अवस्था में महात्मा गांधी अस्पताल में पहुँचाया गया जिसमें डॉक्टरों ने अजय को मृत बता दिया बाकी दो की हालत नाज़ुक बता कर आईसीयू में भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया |

मृतक अजय के एक बच्चा छोटा हैं जबकि उसकी पत्नी अभी गर्भवती अवस्था में हैं और उसकी परिवारिक स्थिति सही नहीं हैं आज उसकी गैर इरादतन हत्या कर दी गई पूंजीपतियों द्वारा सब ख़ामोश और तमाशबीन – कंपनी मालिक मुवावजा देकर लगभग राजीनामा कर लेगें पुलिस बिना शिकायत के कैसे कार्य करें और पत्रकार स्टोरी लगा कर मुद्दे का उजागर करें लेकिन कब तक सीवरेज सफाई का कार्य दलित उसमें भी वाल्मीकि समाज ही करेगा 10 दिन पहलें ही सीवरेज में उतरनें से बीकानेर में 3 लोगों की मौत हो गई थी उससे पहले सांगानेर मुहाना मंडी में 2 की मौत हो चुकी हैं उससे पहलें सिविल लाइन जोन में मौते हो चुकी हैं इनका स्थाई समाधान क्या हैं यह एक बड़ा सवाल हैं |

 

हेमलता कंसोटिया ( नेशनल कैम्पन डिग्निटी एंड राइट एंड सीवरेज अलाइड वर्कर ) नई दिल्ली –

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को आदेश दे रखा हैं की सफाई का कार्य ( सीवरेज ,अपशिष्ट प्रदार्थ ) का प्रबंध मेनुअल नहीं होगा लेकिन आज भी इस तरीके की घटना सामने आती हैं जो यह तय करती हैं की प्राइवेट कंपनीज दलितों की हत्या कर रही हैं इसकी जिम्मेदारी तय होनी चाहियें की कानून का पालन क्यों नहीं हो रहा |

मृतक के परिजन – शव गृह के बाहर धरने पर –

MANUAL SCAVENGERS AND THEIR REHABILITATION ACT- 2013 कानून निष्क्रिय साबित हो रहा हैं 

गौरतलब हैं की भारत में सफाई कर्मी के रूप में वाल्मीकि समुदाय के लोग ही अधिकतर  या कहें शत प्रतिशत जुड़े हैं चुकी यह समाज सामाजिक द्रष्टि से अछूत माना जाता हैं जिसका मुख्य कारण इनका कार्य भी बताया जाता हैं क्योंकि  यह सीवरेज लाइन सफाई  और अपशिष्ट प्रदार्थ के प्रबन्धन के कार्य से जुड़े हैं भारत सरकार ने मेला ढोने की प्रथा को खत्म करने के लियें कड़े प्रावधानों के साथ MANUAL SCAVENGERS AND THEIR REHABILITATION ACT- 2013 बनाया था जिसमे साफ़ लिखा गया हैं की कोई भी व्यक्ति मेला ढोने का कार्य हाथ से नहीं करेगा इस के लियें मशीनों की सहायत ली जायें लेकिन आज इस कानून का इस सिस्टम ने मजाक बना दिया हैं चाहे राज्य सरकारे हो या पूंजीपति लोग वह सब कुछ पैसों के लालच में वाल्मीकि समाज के लोगों से ही कार्य करवाते हैं जब जेहरीली गैस से किसी सफाई कर्मी की मौत हो जाती हैं जब यह मुद्दे सामने आते हैं उसके बाद पीड़ित परिवार व् अपराधी राजीनामा कर लेते हैं पुलिस केस बंद कर देती हैं और सब फ्री हो जाते हैं तो यह बड़ा सवाल हैं की इस कानून के तहत कितने लोगो को सजा मिली –

 

 

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