वर्ल्ड हेरिटेज सिटी जयपुर बना – मानव तस्करी और बाल मजदूरी में अव्वल – शर्मनाक

मानव तस्करों के निशाने पर बचपन – बाल मजदूरी की जद में लाखों मासूम

बालश्रम ,बंधुआ मजदूरी और मानव तस्करी को रोकने की सख्त ज़रूरत

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पवन देव 

जयपुर | जयपुर शहर अपनी सांस्कृतिक धरोहर कला व् विरासत के दम पर विश्व विख्यात हैं जिसके कारण ही  2019 में यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड  हेरिटेज सिटी अवार्ड दिया गया था यह जयपुरवासियों के लियें गर्व की बात है लेकिन अब जयपुर शहर “ बाल श्रमिक “ का केंद्र बनता जा रहा हैं जो की सरकार और स्थानीय जनता के लियें शर्मनाक हैं |

जयपुर शहर मुख्य रूप से 30 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हैं इसमें भट्टा बस्ती , शास्त्री नगर , जालूपुरा , नमक मंडी किशनपोल बाज़ार , ब्रहमपुरी , नारगढ़ रोड ,लंकापूरी , विद्याधर नगर , झोटवाड़ा , रामगंज , ईदगाह ऐसे क्षेत्र हैं जिनमे धड्ले से बाल श्रमिक मजदुर कार्यरत हैं  भट्टा बस्ती व् शास्त्री नगर तो बाल श्रमिक { चूड़ी कारखाना } का केंद बिंदु हैं जो बाल मजदूरी और बाल अपराधों के लियें हमेशा सुर्खियों में रहता हैं |

विधानसभा सदन की पटल में रखे गयें आकड़े –

माननीय विधायक महोदय द्वरा अतारांकित सवाल में “ बाल श्रमिक से काम करवाने के मामले “ पर विगत 2 वर्ष { 1 जनवरी 2018 से 31 दिसम्बर 2019 तक } में राज्य में 1345 लोगों पर केस दर्ज कियें गयें हैं  अर्थार्त 1345 कारखाने , फैक्ट्रीयो में कितने बाल श्रमिक काम करते हैं इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं जयपुर शहर में चूड़ी कारखाने में लगभग सामान्य 10 से 15 बाल श्रमिक कार्यरत मिलते हैं जो की मुख्यता पश्चिम बंगाल ,बिहार के पायें जाते हैं |

 

कोविड 19 से भूख प्यास से दम तोड़ रहें थे बाल मजदुर –

कोविड 19 में भूख – प्यास से भट्टा बस्ती में अवैध चूड़ी कारखाने में कार्यरत 2 बाल श्रमिक मजदुरो ने दम तोड़ दिया था  जिसके बाद कई बाल श्रमिक कोविड 19 लॉक डाउन के समय में चोरी छिपे अपने गाँव लोट गयें थे अब जब वह जयपुर वापस आ रहें हैं तो जयपुर में कार्यरत NGO  पुलिस प्रशासन के साथ उनकी धर पकड़ कर रहें हैं हालिमें गलता गेट थाना ने अम्बिका बस सर्विस की बस जो गया बिहार से जयपुर आ रही थी में कार्यवाही करते हुयें 25  से अधिक बाल श्रमिको को मुक्त करवाया वही दूसरी बड़ी करवाई ट्रांसपोर्ट नगर थाना में वही अम्बिका बस सर्विस की बस पकड़ कर 10 के करीब बाल श्रमिक जो चूड़ी के काम में लिप्त थे पर करवाई की , तीसरी करवाई बस्सी थाना ने बस्सी टोल टेक्स पर सीतामढ़ी बिहार से आ रही बस से 12 बाल श्रमिक को मुक्त करवाया इसके साथ 3 तस्कर 2 बस चालक सहित 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर बस जप्त की हैं इसके बाद भी चोरी छिपे चूड़ी कारखाने व् अन्य कारखानों में कार्यरत बाल श्रमिक जयपुर पहुँच रहें हैं |

 

अधिवक्ता अमितोष पारीक –

बाल अधिकारों को लेकर कार्यरत अधिवक्ता अमितोष पारीक ने कहा की जयपुर शहर वर्तमान में बाल श्रमिक जो लॉक डाउन के समय अपने गाँवों में चले गयें थे अब बाल श्रमिक मजदुर वापस जयपुर आ रहें हैं जिसको लेकर हम सक्रिय हैं हालिमें में गलता गेट से 25 व् ट्रांसपोर्ट नगर थाने की कारवाई में 10 बाल श्रमिको को मुक्त करवाया गया हैं जो की भट्टा बस्ती शास्त्री नगर में चूड़ी के कारखाने में कार्य करने आयें थे यह अभी बच्चे नाबालिक थे  गौरतलब हैं की लॉक डाउन में भट्टा बस्ती में भी एक अवैध चूड़ी कारखाने में भूख -प्यास से 2 बाल श्रमिक मर गयें थे जिनकी पैरवी हमारे द्वारा ही की जा रही हैं पुलिस थाने से 1 किलोमीटर की दुरी पर भी अवैध चूड़ी कारखाने संचालित हैं जिनमे खुले आम बाल श्रमिक काम कर रहे हैं और वही पर NGO भी कार्यरत हैं फिर भी भट्टा बस्ती शास्त्री नगर प्रशासन के लियें अवैध चूड़ी कारखाने चुनौती दे रहें हैं पुलिस प्रशासन को भट्टा बस्ती व् शास्त्री नगर में सख्ती कर बाल श्रमिको को मुक्त करवाना चाहियें |

बाल श्रमिको के रोकथाम व् पुर्नवास के लियें यह संगठन संस्था प्रशासन जिम्मेदार हैं किन्तु जयपुर सिर्फ 30 किलोमीटर के दायरे में फैला हैं और प्रशासन व् संगठन मूक दर्शक के समान हैं या कहें बाल श्रमिक कार्य में लिप्त अपराधीयो पर कोई तो मेहरबान हैं –

अवैध चूड़ी कारखाने में कार्यरत बाल श्रमिक –

बाल श्रम क्या हैं समझे –

अंतर्राष्टीय श्रम संगठन के अनुसार – वे बच्चे बाल श्रमिक कहलाते हैं जो “ स्थायी रूप से बड़ों जैसी जीन्दगी जीते हैं ,लम्बे समय तक कम वेतन पर ऐसी परिस्थियों में काम करते हैं ,जो उनके मानसिक और शारीरिक विकास में बाधक होती हैं और उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती हैं |

बाल श्रम को रोकने हेतु ज़िम्मेदार संस्था  –

 

पुलिस विभाग – बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण के लियें राजस्थान किशोर न्याय ( बालकों की देखरेख एवं संरक्षण ) अधिनियम 2011 के तहत राज्य के सभी जिलों में विशेष पुलिस इकाई व् मानव तस्करी विरोधी इकाई घटित की हुई हैं उक्त दोनों इकाइया बाल श्रमिक / तस्करी पीड़ित बच्चों को मुक्त कराने की कारवाई पूर्ण गोपनीयता एवं सक्रियता से करने हेतु प्रतिबद्ध हैं |

श्रम विभाग – श्रम विभाग द्वारा संवेदनशील क्षेत्रो में नियमित रूप से बाल श्रमिको का सर्व कराना , बाल श्रमिको की सूचना मिलने पर स्थानीय पुलिस एवं बाल कल्याण समिति के माध्यम से 24 घंटे के अंदर कार्यवाही कर बाल श्रमिको को मुक्त कराना होता हैं व् अपराधियों पर बालश्रम ( प्रतिबंधित एवं नियोजन ) अधिनियम 1986 की धारा 3 के तहत कारवाही करते हैं |

बाल कल्याण समिति – बाल कल्याण समिति बाल श्रमिक / तस्करी की सूचना / शिकायत मिलने पर बच्चों को मुक्त करवाने , अधिनियम के अंतरगत संचालित बाल गृहो में बच्चों को प्रवेश कराने एवं बच्चों के पुर्नवास की व्यवस्था हेतु पुलिस को आदेश प्रदान करती हैं |

बाल संरक्षण इकाई – सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा बाल श्रमिको के संरक्षण एवं पुर्नवास के लियें बाल कल्याण समिति के आदेश कानून के अनुसार पंजीक्रत राजकीय / स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित बालगृह बाल श्रमिको को प्रवेश कराकर सामाजिक सुरक्षा की योजनओं से जोडती हैं |

जिला प्रशासन –

जिला प्रशासन द्वारा बाल श्रमिक / तस्करी पीड़ित बच्चों को मुक्त करवाने की कारवाई सहयोग कर बंधुआ मजदुर उन्मूलन अधिनियम 1976 के तहत बंधुआ मजदूरों की पहचान कर प्रशासन द्वारा प्रत्येक मुक्त करवायें बाल श्रमिक को मुक्ति प्रमाण पत्र जारी करते हैं जिससे बालश्रमिक के पुर्नवास में मददगार साबित होता हैं |

उपरोक्त संस्था / संगठन बाल श्रमिक को मुक्त करवाने से लेकर पुर्नवास की ज़िम्मेदारी हैं इसके बाद भी जयपुर में कुछ NGO कार्यरत हैं जो बाल श्रमिक को मुक्त करवाने के काम करते हैं जैसे – बचपन बचाओं आंदोलन , टाबर , प्रयास आदी

# पार्ट 2 में जानें –

जयपुर शहर में कितने NGO बाल श्रमिको को मुक्त करवाने के कार्यरत हैं और इनकी वितीय सहायता जो की करोड़ो में हैं कौन सी संस्था / फंडिंग एजेंसी करती हैं और NGO की कार्य प्रणाली क्या रहती हैं |

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