

किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि कोरोना महामारी के खतर को देखते हुए केंद्र से पूछा कि किसान आंदोलन में कोविड नियमों का ध्यान रखने की जरूरत है। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा कि ‘हमें नहीं पता कि किसान कोरोना से सुरक्षित हैं या नहीं? अगर नियमों का पालन नहीं किया गया तो तबलीगी जमात की तरह कोरोना का बड़ा विस्फोट होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। अगर समय रहते किसाना आंदोलन में कोविड—19 के नियमों पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह देश के लिए नई मुशिबत खडी हो सकती है।
केंद्र की ओर से पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वहां नियमों का पालन नहीं हो रहा है और कोरेाना का खतरा होने का डर बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी निजामुद्दीन मरकज में जमातियों के जुटने की CBI जांच की याचिका पर सुनवाई के दौरान कही याचिकाकर्ता का कहना था कि मोहम्मद साद कोअभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।
यह याचिका जम्मू की रहने वाली वकील सुप्रिया पंडिता ने दायर कहा कि कोरोना के समय बड़े पैमाने पर लोगों के एकत्र होने कि अनुमति कैसे दी गई, जबकि उस समय कोरोना महामारी का खतरा मंडरा रहा था।
किसानों का आंदोलन अभी खत्म होता हुआ नजर नहीं आ रहा है और आने वाले दिनों में अगर किसानों और सरकार के मध्य समझौता नहीं हुआ तो आंदोलन लंबा चल सकता है। कोरोना की खतरे को देखते हुए सरकार ने भी किसानों से अपील की वह अपने बच्चों को घर भेजे व ज्यादा उम्र के लोग बॉर्डर पर नहीं रहे। कल किसानों और सरकार के बीच वार्ता होगी अगर उसमें कोई नतीजा नहीं निकलता है तो किसान इस आंदोलन देशव्यापी करने का काम करेंगे।
30 दिन से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन केन्द्र सरकार और किसान दोनों के तेवर अभी नरम नहीं पड़े है और दोनों किसी भी कीमत पर झुकने के लिए तैयार नहीं है। 30 दिन में लगभग केन्द्र और आंदोलनकारी किसान संगठन के बीच 5 बार वार्ता हो चुकी है लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल पा रहा है। दोनों ही एक दूसरे से वार्ता करने के लिए तैयार लेकिन इसके बाद भी आंदोलन खत्म नहीं हो रहा है। खबरों के अनुसार बताया जा रहा है 29 दिसंबर यानि कल 7वें दौर की बातचीत होगी जिसमें अगर दोनों के बीच सहमति बनती है तो कुछ हल जरूर निकल सकता है। हालांकि दोनों पक्ष अभी भी अपने पुराने रुख पर अड़े हुए हैं और ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार और किसानों के बीच बात कैसे होगी।
किसान संगठन लगातार केन्द्र सरकार से तीनों कृषि कानून रद्द करने की प्रक्रिया पर सबसे पहले चर्चा हो, MSP की कानूनी गारंटी की प्रक्रिया और प्रावधान पर बात हो, पराली जलाने पर दंड के प्रावधानों पर उनकी मांगे मानने पर ही आंदोलन खत्म करने की बात पर अड़े है अगर ऐसा नहीं होता है यह आंदोलन जारी रहेगा।
29 दिसंबर को बातचीत करने से पहले आज किसानों की चिट्ठी पर जवाब देने के लिए केंद्रीय मंत्रियों की बैठक हो सकती है लेकिन सरकार के रूख को देखकर लग रहा है कि वह किसानों के आगे झुकेगी नहीं। पिछले कई दिनों से देश के कई राज्यों से किसान संगठन दिल्ली जा रहे है और सिंधु बॉर्डर पर किसानों का साथ देने की बात कह रहे है।
इस आंदोलन के कारण कई किसानों की सर्दी के कारण जान चली गयी है तो कई किसानों पर कोरोना का भी खतरा मंडराने लगा है। किसान जिस तहर से अपनी मांगो को लेकर आर—पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है क्योंकि आजादी के बाद से अब तक किसानों का भला किसी भी पार्टी ने नहीं किया जबकि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड़ी खेती को माना जाता है फिर भी किसानों को आज सड़कों पर उतरकर अपने हक की लड़ाई लड़नी पड़ रही है।
कोरोना महामारी को लेकर जहां दुनिया भर के लोगों की जान खतरे में पड़ गयी है तो वहीं दूसरी तरफ WHO ने भविष्य में नयी महामारी आने को लेकर एक बयान दिया है जिसके कारण सबको हैरानी हो रही है। कोरोना महामारी के कारण कई लोगों की जान चली गयी है लेकिन अभी तक इस बीमारी को खत्म करने वाली कारगर वैक्सीन भी नहीं बन पायी है। WHO के इस बयान के बाद लोगों ने अभी से कयास लगाने शुरू कर दिये है कि हो सकता है कि कोरोना के खत्म होने के साथ ही कोई नयी महामारी दुनिया भर में फैल सकती है।
WHO के प्रमुख टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कोरोना महामारी के बीच 26 दिसंबर को एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा है कोरोना वायरस अंतिम महामारी नहीं है अगर आने वाले समय में हम जलवायु परिवर्तन और पशु कल्याण का उचित समाधान नहीं कर सकें तो हमे किसी ना किसी नई महामारी का सामना करन पड़ सकता है।
वर्तमान में कोरोना वायरस के कारण दुनिया भर के स्वास्थ्य विभाग और इनके जानकार अभी तक इस वायरस को जड़ से खत्म करने में सफल नहीं हुए है जबकि इसके लिए पानी की तरह पैसे बहा दिया गया है। अगर दुनिया के सभी देश मिलकर पर्यावरण का खयाल नहीं रखेंगे तो हमें आने वाले भविष्य में किसी ना किसी नई बीमारे से लड़ना पड़ सकता है। टेड्रोस ने कहा कि लोगों को कोरोना महामारी से सीख लेनी चाहिए क्योंकि इसके आने के बाद से लोगों में डर पैदा हुआ है अगर इसका इलाज जल्द मिल जाता तो शयद लोगों को इस बीमारी का डर कभी नहीं लगता है।
कोरोना महामारी के कारण वे देश आज अपने आप को इतना असहाय महशुस कर जो अपने आप को दुनिया का सबसे अच्छा स्वास्थ्य सेवा ढाचा माना करते थे। भारत आज उन देशों से आगे है जो इस महामारी में कई देशों की सहायत करने के साथ आने वाले दिनों में उनको दुनिया की सबसी सस्ती और कारगर वैक्सीन देगा। भारत में स्वदेशी कोरोना वैक्सीन के अंतिम चरण का प्रशिक्षण चल रहा है और इसके परिणाम अभी तक सही आये है जो भारत के लिए बहुत बड़ी कामयाबी होगी। भारत में नये साल के शुरूआती हफ्तों में कोरोना का टीका लगना शुरू हो सकता है।
राजस्थान में एक तरफ कोरोना का ग्राफ लगातार नीचे की ओ जा रहा है तो दूसरी तरफ कोरोना वैक्सीन के तीसरे ट्रायल के नतीजे भी अभी तक अच्छे संकेत दे रहे हैं। प्रदेश की राजधानी जयपुर के महाराजा अग्रसेन अस्पताल में देशी कोविड वैक्सीन का तीसरा ट्रायल चल रहा है जो सफल होता दिख रहा है। खबरों के अनुसार बताया जा रहा है कि इस ट्रायल में 500 से ज्यादा वॉलिंटियर्स पर इस वैक्सीन का ट्रायल किया गया और इसके बाद किसी भी प्रकार के साइड इफेक्ट अभी तक देखने को नहीं मिला है। अगर आने वाले दिनों में इसका परिणाम अच्छा और कारगार साबित होता है तो यह प्रदेश के साथ पूरे देश के लिए अच्छी खबर होगी।
ट्रायल में कई लोगों बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहे है जिसमें पूर्व मंत्री भी शामिल है। इस ट्रायल में प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सवाई मानसिंह के चिकित्सक भी इस काम को करने में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। इस वैक्सीन के आने के साथ कोरोना के नये प्रकार के वायरस की खबर से एक बार फिर दुनिया को परेशानी में डाल दिया है और ब्रिटेन में इस नये वायरस की वैक्सीन बनाने के साथ इसको रोकने के लिए कड़े कदम उठाये जा रहे हैं।
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अगर बात करें राजस्थान में कोरोना वायरस की तो अन्य राज्यों की तुलना प्रदेश हर क्षेत्र में दूसरे राज्यों से आगे है। प्रदेश में कोरोना के मरने वालों का आंकड़ा कम होने के साथ मरीजों के ठीक होने की दर भी बहुत ज्यादा है। राज्य सरकार ने समय समय पर कोरोना को रोकने के लिए जो कदम उठाये है जिसके कारण प्रदेश में कोरोना का ज्यादा प्रसार नहीं हो सक हो और इसका ग्राफ लगातार कम होता जा रहा है।
नये साल के शुरू होने से पहले प्रदेशवासियों के लिए राहतभरी खबर मिलने जा रही है कोरोना काल के 8 महीनों में पहली बार प्रदेश में कोरोना का ग्राफ सबसे नीचले पायदान पर पहुंच गया है। आने वाले दिनों प्रदेश में कोरोना मरीज का आंकडा केवल दहाई के आंकडे से भी कम हो सकता है। सर्दी के मौसम की शुरूआत में कोरोना मरीजों का ग्राफ बहुत तेजी से बड़ा था जिसके कारण सरकार और प्रशासन को बहुत ज्यादा परेशानी में डाल दिया था।
नवबंर माह में दिवाली के बाद से लगातार कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बड़ रही थी। स्वास्थ्य विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार सोमवा को केवल प्रदेश में सिर्फ 913 नए मामले सामने आए हैं। राजधानी जयपुर को छोड़कर प्रदेश के सभी जिलों में कोरोना मरीजा को आंकड़ा 100 से कम आया है।
प्रदेश में कोरोना वैक्सीन का ट्रायल भी किया जा रहा है और इसके परिणाम सही आते है तो नये साल की शुरूआत से कोरोना की वैक्सीन प्रदेशवासियों को मिलनी शुरू हो जाएगी। अगर बात करे राजधानी की तो यहां कोरोना मरीजों का आंकड़ा अभी कम है लेकिन यह आंकडा 100 से 250 के बीच रह रहा है। सोमवार को भी जयपुर में 180 नए कोरोना संक्रमित पाए गए हैं।
जोधपुर में 64, अजमेर में 22 , अलवर में 59, बांसवाड़ा में 26, बाड़मेर में 15 , भरतपुर में 34 , भीलवाड़ा में 57, बूंदी में 34, चित्तौड़गढ़ में 36 , चुरू में 10 , दौसा में 5 और डूंगरपुर में 52 नये मरीज मिले है। प्रदेश में कोरोना मरीजों की रिकवरी रेट में भी इजाफा देखने को मिल रहा है तो मृत्युदर अभी भी दूसरे राज्य़ों की तुलना में कम है।
सीएम गहलोत ने केन्द्र सरकार से कहा कि वह कोरोना की वैक्सीन के उपलब्ध होने को लेकर स्थिति स्पष्ट करे क्योंकि राज्य के पास इतना पैसा नहीं है कि वह ज्यादा पैसे देकर यह दवा खरी सके। इसके साथ दुनिया भर में कोरोना के नये रूप को लेकर जो चर्चा चल रही है उसको ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार ने सावधनी बरतनी शुरू कर दी है।
राजस्थान हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों की फीस को लेकर बड़ा फैसला दिया है हाईकोर्ट के निर्देशानुसार ऑनलाइन पढ़ाने वाले सीबीएसई स्कूल 70 फीसदी फीस ले सकते है। कोरोना काल में कई स्कूलों ने आॅनलाइन पढ़ाना जा रहा था इसी बात को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। राजस्थान सरकार के शिक्षा निदेशालय के फैसले के खिलाफ निजी स्कूलों के अभिभावक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन अब हाईकोर्ट ने 28 अक्टूबर का शिक्षा निदेशालय बीकानेर की सिफारिशों को जारी रखा है।
इस फैसले के बाद निजी स्कूलों को राहत मिली है तो अभिभावकों को निराश हुई है लेकिन स्कूल नहीं जाकर घर से पढ़ाई करने से कोरोना का प्रकोप इतना नहीं फैला जितना दूसरे देशो में देखा गया है।
जाने पूरा मामला
कोरोना काल में राज्य सरकार ने स्कूल फीस को स्थगित कर दिया था इसके बाद निजी स्कूलों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस पर हाई कोर्ट की एकलपीठ ने स्कूलों को ट्यूशन फीस का 60 प्रतिशत हिस्सा बतौर फीस लेने के आदेश दिये थो इसके बाद सिंगल बैंच के फैसले पर रोक लगा दी थी।
नेशनल इंस्टीट्यृट ऑफ वायरलॉजी और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ तैयार की गयी वैक्सीन तीसरा और अन्तिम ट्रायल जयपुर में किये जाने की बात सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि इस ट्रायल के लिए राजधानी जयपुर के विधाधर नगर मेंं स्थित मणिपाल अस्पताल को चुना गया है। इससे पहले इस अस्पताल में जायडस कैडिला कंपनी की बनाई वैक्सीन का भी ट्रायल किया जा चुका है।
इस ट्रायल को लेकर प्रदेश सरकार ने वैक्सीन आने की संभावना को देखते हुए पूरे प्रदेश में लगभग सभी प्रकार की तैयारियां करने में जुट गयी है। बताया जा रहा है कि वैक्सीनेशन सेंटर बनाने के लिए प्रदेश के 3 प्रमुख शहरों को चुना गया है जिसमें जयपुर उदयपुर व जोधपुर शामिल है।
अब तक मिली जानकारी के अनुसार जयपुर में कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन के थर्ड फेज का ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा। इस ट्रायल में हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने नेशनल इंस्टीट्यृट ऑफ वायरलॉजी और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा तैयार की गई वैक्सीन की डोज लगभग 500 से ज्यादा वॉलिटियर्स को दी जाएगी।
इससे पहले जयपुर में जायडस कैडिला कंपनी की बनाई वैक्सीन का भी ट्रायल किया गया था लेकिन कंपनी का ये ट्रायल दूसरे चरण का था जिसके परिणाम आना अभी बाकी है। इस वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री तापमान में रखा जाएगा। वैक्सीन के जल्द आने की संभावना को देखते हुए राजस्थान सरकार ने प्रदेश में मेडिकल कॉलेज,जिला अस्पताल व सैटेलाइट अस्पताल में इसको रखने की तैयारी में लग गयी है। सबसे पहले डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ, महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्मिकों को टीका लागाये जाने की बात सामने आ रही है।
राजस्थान की कांग्रेस सरकार आज अपने दो साल पूरे करने के मौके पर प्रदेश के सभी जिलों में अपना रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने पेश करेगी। दो साल के कार्यकाल में सीएम गहलोत को सियासी संकट के साथ कोरोना से निपटने के लिए जो प्रयास किये है वह तारीफ के काबिल है। दो साल के मौके पर अपने चुनावी घोषणा पत्र में जो वादे किये थे उनको अभी तक 50 प्रतिशत पूरा करने की बात कही जा रही है।
दो साल के कार्यकाल में सरकार ने बेरोजगारी को कम करने के लिए जो वादे किये थे उन पर अभी तक किसी प्रकार की कोई बड़ी उपलब्धी हासिल करने में कामयाब नहीं हुई है। राज्य सरकार का दूसरा वर्ष पूर्ण होने पर राज्य स्तरीय समारोह 18 दिसंबर को आयोजित किया जाएगा। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में वर्चुअल माध्यम से विभिन्न विकास कार्यों के लोकार्पण एवं शिलान्यास करने के कार्यक्रम रखें गये है।
गहलोत ने दो-दो मंत्रियों के समूह में 19 एवं 20 दिसम्बर को जिलों का दौरा करने एवं राज्य सरकार की योजनाओं तथा कोरोना प्रबंधन की समीक्षा करने के भी निर्देश जारी किये है। गहलोत सरकार ने बंद पड़ी रिफाइनरी और मेट्रो प्रोजेक्ट को फिर से नई गति देने के साथा कोविड की चुनौती को जिस तरह से निपटा है वह देश और दुनिया के लिए एक नजीर बनी है।
सरकार के सबसे महत्वपूर्ण फैसले जिससे प्रदेश की जनता को लाभ मिला
महिला सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण की दिशा में राज्य में 24/ 7 महिला हेल्पलाइन
किसानों के 7692 करोड़ रुपए के अल्पकालीन फसली ऋण माफ किए
मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना में निःशुल्क दवाइयों की संख्या 607 से बढ़ाकर 709 की गई
सबसे महत्वपूर्ण वादे जो आज भी अधूरे
राजस्थान में लगभग दो लाख से ज्यादा संविदा कर्मियों को स्थाई करने का वादा पूरा नहीं हुआ है।
विभिन्न विभागों की लंबित भर्तियों का मामला अभी तक हल नहीं हुआ है।
रोजगार के लिए हर साल 75 हजार भर्तियां करने का वाद भी अभी तक पूरा नहीं हुआ है।