माँ से बालिग बच्चों को अलग कर “ बाल श्रमिक “ बनाया , बचपन बचाओं आंदोलन और खाकी का संयुक्त रेस्क्यू

#Child labor be free jaipur
Separated children from mother and made them “child laborers” ,   joint rescue of ” bachpan 
Bachao Andolan and khaki “

 

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पवन देव 

जयपुर – वर्ल्ड हेरिटेज सिटी जयपुर लम्बे समय से बाल श्रमिक व् मानव बाल तस्करी को लेकर सुर्खियों में रहता हैं जिसको लेकर सामाजिक संगठन { NGO } बाल श्रमिकों को मुक्त करवाने का कार्य करते हैं जिनमें प्रमुख  नोबल प्राइज़ विजेता कैलाश सत्यार्थी का संगठन “ बचपन बचाओं आंदोलन “ टाबर , प्रयास मुख्यत जयपुर शहर  में कार्यरत हैं

लेकिन इन संगठनो की कार्य प्रणाली संदिग्ध रहती हैं चुकी इन संगठनों NGO में कार्य करने वाले कर्मचारी पेड  ( मोटी तनख्वाह ) पर कार्यरत रहते हैं और इनका प्रत्येक माह का टारगेट भी रहता हैं जिसको पूरा करने के लियें साम – दाम – दंड भेद की निति पर काम करते हैं जिससे प्रत्येक माह बाल श्रमिक मुक्त करवाने की संख्या में बढ़ोतरी के लियें यह प्रयासरत रहते हैं साम दाम दंड भेद की निति पर यह अपने नंबर बढ़ाते हैं लेकिन जयपुर इस के लियें बदनाम हो रहा हैं चुकी मीडिया इन रेस्क्यू को यथासंभव कवरेज देता हैं और यह कवरेज के प्रतिलिपि संग्रह कर देश – विदेश से मोटा चंदा ( करोड़ों ) एकत्रित करते हैं लेकिन कुछ क्षेत्रो में भी जैसे शास्त्री नगर , भट्टा बस्त्ती आदी में भी चूड़ी बनाने का कार्य प्रमुख रूप से होता हैं

FIR कॉपी प्रतिलिपि

घटनाक्रम –  बचपन बचओं आंदोलन की सूचना पर ट्रांसपोर्ट नगर की संयुक्त कार्यवाही दिनांक 28 सितम्बर 2020

क्या किसी बस में आ रहें बच्चों को बाल श्रमिक बना कर कार्यवाही उचित हैं – यह कौन तय करेगा की यह बाल श्रमिक हैं या नहीं – बड़ा सवाल

गौरतलब हैं की FIR के अनुसार बचपन बचओ आंदोलन के कर्मचारी देशराज की लिखित शिकायत पर थाने द्वारा कार्यवाही करने की मांग की गई जिस पर थाने द्वारा बिहार से आ रही बस को रोककर कार्यवाही की गई लेकिन इस कार्यवाही में बिहार से जयपुर आ रहा एक परिवार जिसमे महिला केसमी देवी उम्र 42 उनके बेटे बखोरी मांझी उम्र 21 अन्य एक पुत्र प्रदीप मांझी 18 और इनका छोटा भाई उम्र 14 भी सवार थे जिनके पास अपना राशनकार्ड भी साथ था पर पुलिस ने कारवाई कर दी महिला केसमी देवी को पुलिस ने इनके बच्चों से अलग कर भगा दिया जबकि इनके 2 बालिग़ बच्चों को बाल श्रमिक बना दिया जबकि यह परिवार राज मिस्त्री का काम करता हैं ऐसा पीड़ित महिला ने बताया और यह लॉक डाउन में बिहार चला गया था जो अब कमाने खाने वापस जयपुर आ रहा था लेकिन पुलिस कारवाही में इन्हें भी शामिल कर लिया और FIR में नाम भी दर्ज कर दिया गया और बाकी बच्चों के साथ भेज दिया अब यह माँ अपने बच्चों को मुक्त करवाने के लियें पुलिस के चक्कर लगा रही हैं

पीड़ित महिला केसमी देवी की आपबीती उन्ही की जुबानी –

 

NGO का गोरखधंधा , खाकी मूक दर्शक – आख़िर कब चेतेगा सिस्टम

सूत्रों के अनुसार मिली जानकारी में यह पता लगा हैं कि  बाल श्रमिकों को मुक्त करवानें वाले यह प्रमुख NGO  एक तरह का धंधा / रोजगार बना रखा हैं इन संस्था को फंडिंग एजेंसी फ्रीडम फण्ड ने भी करोड़ो को फंडिंग कर रखी हैं और इन संस्थाओं में कार्यरत लोग मोटी तनख्वाह पर कार्य करते हैं सबसे ख़ास बात यह हैं कि इन NGO  / संस्था के अन्य ऑफिस और लोग – बिहार गया , झारखंड , पंचिम बंगाल में भी कार्य करते हैं और वहा से जब बाल श्रमिक बच्चों को कार्य के लियें लाया जाता है या यू कहें कि यह ग़रीब लोगों के बच्चों को तैयार कर के कार्य के लियें ठेकेदारों द्वारा उपलब्ध कराते हैं और जब यह बच्चें राजस्थान की सीमा में प्रवेश करते हैं तो इन NGO के लोग पुलिस

पीड़ित महिला के बच्चें का नाम – प्रदीप मांझी (FIR )

से कार्यवाही करने के लियें साथ में रहते हैं और जब पुलिस रेस्क्यू करती हैं तो इन संस्था / संगठन का नाम आ जाता हैं और कुछ मीडिया हाउस स्टोरी में इन संगठनों / संस्थाओं का नाम भी शामिल कर लेते हैं और इस तरह से  यह NGO  इन कार्यो को महीने में एक या दो बार करते हैं और NGO  को जो फंडिंग होती हैं उनमें दर्शाया जाता हैं कई केस में तो कई बच्चे 2 बार पकड़े जा रहे हैं इसका मतलब आप यह समझें कि यह  रेस्क्यू  प्रयोचित होता हैं और सब आपस में मिलकर हमारे शहर को बदनाम करते हैं और मोटा पैसा कमाते हैं |

 

राजस्थान सरकार को इस मुद्दें पर सीबीआई द्वारा जाँच करवानी चाहियें जिससे इन NGO  और चूड़ी कारखाने के ठेकेदारों के बीच चल रहें इस गोरखधंधे से पर्दा उठ सके –

किरायेदारों का सत्यापन  का कानून / नियम

अपराधों पर लगाम लगानें और अन्य राज्यों से जो अपराधी भेष बदल कर चोरी छीपे आ जाते हैं उनके लियें प्रत्येक थाने द्वारा मकान मालिकों द्वारा जो सत्यापन का नियम था जो कि अनिवार्य था आज हवा में ही नज़र आता हैं जिसकी आड़ में भट्ट बस्ती में आज खुले  आम बाल श्रमिक बेसमेंट में कार्य करते आप को मिल जायेंगे गौरतलब हैं लॉक डाउन के समय 2 बाल श्रमिक की भूख प्यास से मौत हो गई थी जिसकी कानूनी कार्यवाही कोर्ट में चल रही हैं |

कौन कितना फंडिंग करता हैं इन NGO  को देखें –   

इन NGO की फंडिंग मुख्य रूप से तीन तरह से होती है

 

1.सरकार से अनुदान – NGO सरकार के सामाजिक कार्यो ,विभागों से प्राजेक्ट लेते हैं और कार्य करते हैं

 

2. CSR द्वारा – कानून के अनुसार बड़ी कंपनीज को सामाजिक जिम्मेदारी के निभाने हेतु कुछ प्रतिशत पैसा लाभ का सामाजिक कार्यो पर खर्च करना अनिवार्य हैं जिसके के लियें कम्पनीया  NGO को सामाजिक कार्यो के लियें फंडिंग करते हैं |

 

3. पब्लिक फंडिंग – सामाजिक कार्यो को दिखाकर NGO जनता से भी दान के रूप में पैसा एकत्रित करते हैं जो की तिमाही में भी करोडो में हो जाता हैं |

 

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