दिल्ली | आज सुप्रीम कोर्ट ने “प्रमोशन में आरक्ष
ण” पर अपना रुख़ साफ़ करते हुए कहा की राज्य सरकारें चाहें तो वे sc /st वर्ग को प्रमोशन में आरक्षण दे सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की यह अर्जी भी खारिज कर दी जिसमे एससी-एसटी को आरक्षण दिए जाने में उनकी कुल जनसंख्या पर विचार किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 2006 का नागराज फैसला बरकरार रखा है कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में आंकड़ा जुटाना जरूरी नहीं है | सरकारी नौकरी में प्रमोशन में SC/ST आरक्षण पर फैसले के लिए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की संविधान पीठ ने कहा कि नागराज जजमेंट को 7 जजों को रैफर करने की जरूरत नहीं है इसके बाद से माना जा रहा है कि प्रमोशन में SC/ST के आरक्षण का रास्ता लगभग साफ सा हो गया है |
2006 का नागराज फैसला – जानें
नागराज बनाम भारत सरकार मामलें में SC /ST को पदोन्नति में आरक्षण देने वाले कानून को सही ठहराया था, लेकिन कहा था की राज्यों
सरकारों को पिछड़ेपन और सरकारी नौकरी में सही प्रतिनिधित्व न होने के आंकड़े जुटाने होंगे | इसके बाद कई राज्यों में कानून रद्द होते रहे तो कई राज्यों में सरकारों ने पदोन्नति में आरक्षण को बरकरार रखा |
मुख्य दलीले –
गौरतलब है की केंद्र सरकार व् राज्यों सरकारों की मांग की थी की सुप्रीम कोर्ट अपने 2006 के फैसले पर दोबारा विचार करे साथ ही उनका कहना था की जब SC /ST वर्ग में क्रीमी लेयर का सिद्धांत लागू नहीं होता है इसलिए उन्हें प्रमोशन देते समय भी आंकड़े जुटाने की शर्त नहीं रखी जा सकती वही दूसरी और आरक्षण का विरोध करने वाले पक्ष का कहना था की एक बार नोकरी पाने के बाद पदोन्नति में आरक्षण योग्यता के आधार पर हो |
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