“भीम संसद “अभियान को मिला रहा है बहुजन समाज का साथ –
जयपुर | बहुजन समाज में लम्बे समय से ” युवा नेतृत्व ” की कमी समाज को खल रही थी , जिसकी पूर्ति के लिए बहुजन समाज ने भीम संसद के माध्यम से दूर करने का प्रण लिया है |
नई लीडरशिप का आगाज – भीम संसद के द्वारा बहुजन समाज के उन युवा साथियों को राजनेता बनाने का प्रयास किया जा रहा है जो की समाज की स्थिति को समझते हो , वर्तमान समस्याओं से अवगत हो ,इसके साथ ही अभियान के अंतर्गत समाज के युवाओं से साक्षात्कार लिया जायेगा , जिसमे समाज के विकास , रो
जगार , महिला सशक्तिकरण , दलित हत्याचार , समाज में दलितों की स्थिति ,कारण व् निवारण के पहलुओं पर विचार – विमर्श कर योग्य उमीदवार को भीम संसद विधायक चुनाव में अपने प्रत्याक्षी के रूप में चुनाव मैदान में उतारेगी , साथ ही आर्थिक मदद भी करेगी |
भीम संसद की जरूरत क्यों पडी ओर भीम संसद का नाम किसकी सलाह से बनाया गया –
आज के परीवेश मे भारतवर्ष मे बाबासाहेब द्वारा इन मनुवादीयो द्वारा बिछाए गए जाल मे से बाहर निकालने का प्रयत्न कर हमे समानता का अधिकार व आरक्षण संविधान के माध्यम से दिलाया था । इन
मनुवादीयो ने हमारे समाज को विभिन्न जातियों मे बांटकर हमें आपसमें ही छोटा बडा कर दिया । जिससे हम एक नहीं हो पा रहे हैं ओर हमारे समाज मे अनको जातिगत संगठन बन कर अपने स्वार्थ लोलुपता को मध्यनजर रखते हुए इन मनुवादी पार्टियों मे जाकर टिकटों की लाईन मे लग जाते हैं इससे हमारे समाज का कोई विकास नहीं हो पा रहा है। हमारे समाज मे अभी भी मानसिक गुलामी भरी हुई है ओर हमारे समाज को आजतक न तो सत्ता मे भागीदारी मिली है ओर ना ही शासकीय भागीदारी मिली है जिससे हमारा समाज वहीं का वहीं है।आज बाबासाहेब द्वारा दिए गए आरक्षण की वजह से हमारे समाज के कई राजनेता तो बन गए लेकिन वे पार्टियों मे बंधकर रह गये ओर अपना स्वार्थ के अलावा समाज का कोई भला नहीं कर पाये। आज हमारे समाज मे लीडरशिप की कमी है तथा समाज मे रोजगार की बहुत कमी है ओर इस वजह के चलते हमारा समाज गरीब से गरीब होता जा रहा है।जबकि सरकारें हमारे समाज के लिए कई योजनाएं लागु कर बजट मे बहुत बडी राशि का प्रावधान करती रहती है लेकिन अशिक्षा व अज्ञानता की वजह से हमारी बजट की धनराशि अन्य मदो मे खर्च कर दी जाती है । समाज के राजनेता अभी भी सबसे नीचे के पायदान पर है। हमारी इतनी बडी जनसंख्या होते हुए भी हम सबसे नीचे के पायदान पर है। हमें राजनीति मे भागीदारी के लिए हमेशा ताकत का प्रदर्शन करना पडता हैं ओर हमारे देश मे हमारे अलावा छोटी छोटी जातियों वालों को अपने आप सत्ता की भागीदारी मिल रही है। यह कैसा न्याय है।साथ ही इन चार सालों मे जो हो रहा है वो इन 70 सालों में नहीं हुआ। हमारा समाज मे बिखराव होने की वजह से हमारे समाज पर आये दिन अत्याचार हो रहे । बाबासाहेब के संविधान की धज्जियाँ उडाई जा रही है , आरक्षण खत्म होने के कागार पर है।ओर इस बारे मे न तो हमारे राजनेता बोल रहे ओर नहीं कोई राजनीतिक दल। इसलिए हमारा रखवाला कौन है कौन हमारा हितैषी।इसलिए हमें ही खुद को ही एक होना पडेगा। इसके लिए हमने हमारे समाज चिंतकों व बाबा साहेब के साथ रहे महानुभावों से गहन चितन किया साथ ही बाबासाहेब द्वारा रचित संविधान विशेषज्ञों से सलाह मिसवरा कर इस मिशन को आगे बढाने का बीडा उठाया। भीम संसद का नाम भी इन संविधान विशेषज्ञों एवं बाबासाहेब के साथ काम करनेवाले महानुभाव जो वर्तमान मे हरियाणा मे निवास कर रहे हैं एवं जिनकी आयु 95 वर्ष हैं उनसें सलहा मिशवरा कर रखा गया है।भीम संसद एक संगठन ना होकर हमारे समाज को किस दिशा मे ले जाय ऐसा विचार है भीम संसद के मार्फत समाज मे चल रहे सभी सामाजिक संगठनों को एक जाजम पर लाने का प्रयास कर रहें है।