” काॅलेज एडमिशन को लेकर टेंशन में देश का भविष्य ”
शिक्षा के व्यवसायीकरण और निजीकरण तथा इस खेल में राजनेताओं एवं पूंजीपतियों की लूटमार ने देश की शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर दिया है। इस सारे लूटतंत्र से देश का भविष्य यानी विद्यार्थी हर वक्त टेंशन की कैद में रहता है। सवाल यह है कि इस बरबाद तमाशे का जिम्मेदार कौन है ?
कहने को हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है और इसकी शासन व्यवस्था कल्याणकारी राज्य की है। लेकिन विभिन्न क्षेत्रों का गौर से अध्ययन किया जाए, तो मालूम होगा हमारे देश की व्यवस्था चौपट हो चुकी है तथा हर क्षेत्र में लूटमार एवं शोषण की ऐसी व्यवस्था स्थापित हो गई है, जिसका लोकतंत्र से कोई सम्बन्ध नहीं है। अगर बात सिर्फ शिक्षा
व्यवस्था की करें, तो आज इस व्यवस्था से हर अभिभावक व विद्यार्थी परेशान है। लेकिन वो कुछ कर नहीं पा रहा है, क्योंकि उसकी आंखों पर झूठे विकास और नफरत की पट्टी बांध दी गई है।
शुरूआती कक्षाओं से लेकर यूनिवर्सिटी शिक्षा तक देश में एक लूटतंत्र विकसित हो गया है। जिसका शिकार देश का हर नागरिक हो रहा है। फिर भी हमारे पास इस समस्या का समाधान नहीं है, क्योंकि हमने लोकतंत्र की परिभाषा बदल दी है। मैं बात इस लेख में सिर्फ़ काॅलेज शिक्षा की करना चाहता हूँ। मै इस लेख के माध्यम से सिर्फ़ काॅलेज विद्यार्थियों से बात करना चाहता हूँ। क्योंकि वो देश का आज और कल दोनों हैं तथा शिक्षा के लूटतंत्र से हर वक्त टेंशन में रहते हैं। मैं आपसे इसलिए बात करना चाहता हूँ, क्योंकि आप युवा हैं, पढे लिखे हैं और जीवन में कुछ कर गुजरने का सपना देखते हैं। आप में से बहुत से विद्यार्थी ऐसे होंगे, जिन्होंने इस बार फर्स्ट इयर में एडमिशन लिया है या लेने का प्रयास कर रहे हैं। आप कैसी समस्या गुजर रहे हैं ? आपके माता पिता किस कदर आपके एडमिशन को लेकर चिंतित हैं ? आप चाहते हैं कि यह व्यवस्था सुधरे ! आप चाहते हैं कि शिक्षा के नाम पर हो रही लूट खसोट खत्म हो ! लेकिन आप कुछ कर नहीं पा रहे हैं। क्या आपने कभी एक मिनट फुरसत में बैठकर सोचा है कि यह हालात कैसे पैदा हुए और इनका समाधान क्या है ? मुझे यकीन है कि आपने जरूर सोचा होगा और इसका समाधान भी आपके दिमाग में आया होगा।
आप सबसे पहले तो इस सवाल का जवाब तलाशें कि आपकी तहसील या जिले में कुल कितने सरकारी काॅलेज हैं तथा वहाँ कैसी सुविधाएं हैं ? आपको इस सवाल का जवाब बङा ही दर्दनाक मिलेगा। आप अपने क्षेत्र के राजनेताओं एवं अधिकारियों को पूछें कि यह हाल क्यों है ? सरकारी काॅलेज आवश्यकता के अनुसार क्यों नहीं हैं ? हाँ, प्राइवेट काॅलेज जरूर जगह जगह खुल गए हैं। जहाँ मोटी फीस ली जाती है। वो भी एडवांस में एक साथ ली जाती है। घटिया किस्म की सस्ती ड्रेस भी साथ खरीदनी पड़ती है। कुछ काॅलेज किताबें एवं सर्दी में पहनने की स्वेटर व कोट भी बेचते हैं। कुछ अलग से कोचिंग करवाने के नाम पर भी मोटी फीस वसूल रहे हैं। और हम सब इस लूटमार व्यवस्था के शिकार हो रहे हैं। तमाशा देखिए कि एक बच्चे का मनपसंद काॅलेज में एडमिशन इसलिए नहीं हुआ, क्योंकि उसके 92 फीसदी नम्बर आए हैं और मैरिट 93 फीसदी रही है तथा एक बच्चा 95 फीसदी नम्बर लाकर एवं उसका नाम मैरिट लिस्ट में आने के बावजूद एडमिशन नहीं ले पा रहा है, क्योंकि उसके माता पिता के पास काॅलेज में जमा करवाने वाली मोटी फीस नहीं है। यह हाल पूरे देश का है।
आज शिक्षा व्यवस्था को व्यवसायीकरण और निजीकरण के हवाले कर दिया गया है। पूरी व्यवस्था लूटतंत्र में तब्दील हो गई है। इस लूट में अधिकतर राजनेताओं और पूंजीपतियों की भागीदारी है। क्योंकि ज्यादातर प्राइवेट काॅलेज इन्हीं के हैं। इस लूट खसोट में अधिकारी भी कम दोषी नहीं हैं, क्योंकि उन्होंने अपने लालच में आंख मूंद रखी हैं। इस सारे लूटतंत्र से देश का भविष्य यानी विद्यार्थी बरबाद हो रहे हैं। विद्यार्थी और उनके अभिभावक टेंशन में कैद होते जा रहे हैं। विकास के झूठे वादे करने वाले राजनेता चाहे वे किसी भी पार्टी के हों, उन्होंने जाति और धर्म के नाम पर समाज में जहर घोल दिया है। सोशल मीडिया नाम की यूनिवर्सिटी इसमें और मददगार साबित हो रही है तथा आज का विद्यार्थी अपनी परेशानी और भविष्य को भूल कर सोशल मीडिया पर हिन्दू मुस्लिम का नफरती खेल खेल रहा है। आप युवा हैं, शिक्षित हैं। उठें ! खङे हों ! और लोकतंत्र के तथाकथित रक्षकों एवं स्वयंभू राष्ट्र भक्तों से पूछें कि शिक्षा व्यवस्था चौपट क्यों हो गई ? यकीनन इस लूटतंत्र के लिए राजनेता, अधिकारी और पत्रकार जिम्मेदार हैं। लेकिन अगर आपने सवाल पूछना शुरू नहीं किया, तो इस लूट खसोट वाली शिक्षा व्यवस्था को कायम रखने वालों में आपका नाम भी शामिल होगा तथा आप खुद ही अपने भविष्य की बरबादी के जिम्मेदार होंगे !
लेख़क
एम फारूक़ ख़ान { सम्पादक इकरा पत्रिका }
09602992087, 09414361522