ख़ास नज़र आज के मीडिया पर –
सच छुपाने वाला मीडिया बनाम सच दिखाने वाला मीडिया –
पूरे हिंदुस्तान में मीडिया 2 धड़ों में बँट गया है-सच छुपाने वाला मीडिया बनाम सच दिखाने वाला मीडिया। बड़ा मीडिया जिसे शोरूम वाला मीडिया कहा जाता है जिसके शोरूम पर फिल्मी कलाकार विजिट करते है, जिसका सर्कुलेशन अपेक्षाकृत ज्यादा होने के कारण विज्ञापन कंपनियों द्वारा उन्हें मैनेज किया जाता है, बदले में वह बन जाता है सच छुपाने वाला मीडिया, उनके पत्रकार का रूप धरे मार्केटिंग मैनेजर प्रेस कॉन्फ्रेंस में सर, सर बोलकर खुशामद वाले सवाल पूछते है, वन टू वन पर भी सिर्फ जैसे उन्हीं का हक़ हो, और वन टू वन के बहाने उनके साथ सेल्फियां लेते है और वह पत्रकार का रूप धरे मार्केटिंग मैनेजर और उनके शोरूम के मालिक सच दिखाने वाला मीडिया को जड़ से नष्ट कर देना चाहते है, सच दिखाने वाले गरीब मीडिया के पास सर्कुलेशन अपेक्षाकृत कम होता है, लेकिन सच्चाई 100 टका होती है, और उसी के कारण पत्रकारिता जिन्दा है, वर्ना बड़ा मीडिया तो चाहता ही नहीं कि छोटा मीडिया और उनके पत्रकार जिन्दा रहें, असल में वह यह भी नहीं चाहता कि पत्रकार जिन्दा रहें, इसीलिए 15 करोड़ के इनाम पाठकों को देना मंजूर है लेकिन अपने ही पत्रकारों को मजीठिया वेतन आयोग के अनुसार पूरा वेतन देना मंजूर नहीं, और खुद कल तक सरकारी दूध बेचने वाले आज मीडिया मालिक बने बैठे है,
यह सारी बात आज इसलिए करनी पड़ रही है कि प्रोड्यूसर इम्तियाज अली प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक सवाल पर नर्वस हो गए जब उनसे कहा गया की आप ने आपने ऋषि कपूर की लैला मजनूं फिल्म नहीं देखी, जबकि आप लैला मजनूं जो आपने बनाई उसका प्रोमोशन करने आये है, तो क्या बिना शोध के ही फिल्म बना डाली, आप ऐसा कहकर अपने आपको बड़ा साबित करना चाहते है, यह ऐसे ही है जैसे नया कलाकार कहे कि वह अमिताभ बच्चन को नहीं जानता, आपकी बातो पर विश्वास नहीं किया जा
सकता, इस पर प्रोड्यूसर इम्तियाज अली ने कहा मत कीजिये विश्वास, और काफी परेशान हो गए, इसके बाद मीठे खुशामदभरे सवालों का जवाब देकर प्रेस कॉन्फ्रेंस समाप्त कर डाली
, शोरूम वाले मीडिया के अलावा सच दिखाने वाले सारे मीडिया को आयोजकों और बाउंसर्स ने बाहर का रास्ता दिखा दिया, जिस पर सच दिखाने वाले मीडिया ने तो हैडिंग बनाई ‘ लैला मजनूं’ की प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं चली, फिल्म चलेगी या नहीं ? दूसरे ने हैडिंग बनाई ‘ इम्तियाज अली मीडिया के सवालों से दिखे असहज’, तीसरे ने हैडिंग बनाई ये क्या ! आज के ‘ लैला मजनूं’ ने नहीं देखी पुरानी ‘ लैला मजनूं’ फिल्म। इसके इतर सच छुपाने वाले मीडिया, बड़ा मीडिया जिसे शोरूम वाला मीडिया कहा जाता है, ने 1/4 पेज उनकी खुशामद में भर डाले, जो तीये की बैठक की सूचना के भी पैसे वसूल लेते है वह 1/4 पेज उनकी खुशामद में बिना किसी लालच के भर डालेंगे, इस पर विश्वास नहीं किया जा सकता, मै इनसे नहीं पूछूंगा वर्ना यह भी नर्वस होकर कह देंगे मत कीजिये विश्वास और परेशान हो जायेंगे।
आज यह कहना उचित होगा की आज पत्रकारिता मात्र – मात्र इतिहास बन गई है आज मीडिया क्षे त्र में सिर्फ मार्केटिंग एजेंट और मीडिया के दलालो का ही बोल बाला है जो की निराशाजनक है |
लेख़क
पत्रकार – राजेन्द्र गहलोत
{ यह लेख़क के निजी विचार है }