“आत्मघाती गोल दागने में आर एस एस  गैंग का कोई मुकाबला नही” – जाने केसे

एक बात तो साफ हो गयी, आत्मघाती गोल दागने में आर एस एस  गैंग का कोई मुकाबला नही !

पहले कन्हैया कुमार पर हाथ डालकर अपनी पतलून उतरवाई, फिर जिग्नेश मेवाणी पर हाथ डालकर भी वही किया !
हालांकि इनकी मूर्खता कि वजह से देश को दो सबसे बेहतरीन युवा लीडर मिल गये लेकिन इनकी सत्ता कि जड़ भी यहि दोनो हिलायेंगे !
केन्द्र से कॉंग्रेस को हटाने के लिए अपने ऐजेंट अन्ना को अनशन पर उतारा लेकिन वहाँ से इनकी छाती पर पत्थर फोड़ने केजरीवाल निकल आया ! यूपी में चंद्रशेखर रावण को गिरफ्तार कर इन्होंने खुद अपने ताबूत में कील ठोक ली, वो शेर आजाद होते हि पंजा मारेगा !

उसी तरह की  गलती शौर्य दिवस मनाने जा रहे दलित समुदाय के  लोगों पर हमला करके कर ली ! 200 सालों से मनते आर हे शौर्य दिवस को अबसे पाँच दिन पहले तक, दलित या प्रगतिशील तबके के अलावा कोई नहीँ जानता था ! लेकिन अब चार पाँच दिन में हि स्तिथि बदल गयी और इस बहाने दलितों ने आज माहाराष्ट्र बंद का सफल आयोजन कर अपनी ताकत, हिम्मत और एकता भी दिखा दी !

ये तो हुई इन गर्दभ गिरोह के कारनामों पर तीर पलटने वाली बात !

अब करते है, उत्सवो कि बात –

तो बात ऐसी है, हमारा देश में  तो कई  उत्सव बनाये जाते है  !
दो महिने पहले नवरात्रि की धूम ! इसके पहले गणगोर पर पूजा ! उससे पहले गणपति का उत्सव ! उसके एक दिन पहले हरतालिका होती है उसमें शंकर के साथ साथ पार्वती की पूजा हुई ! इसके पहले जन्माष्टमी पर कृष्ण के साथ, राधा की और श्रावण में शंकर के साथ पार्वती की हुई ! सीता और राधा के लिए तो अलग से राधाष्टमी और जानकी नवमी है ही ! दीवाली पर लक्ष्मी और काली की पूजा ! दशहरा, होली, ईद, क्रिसमस, गुरु पर्व, बुद्ध पूर्णिमा, ईस्टर वगैर !
बनाये  हर रोज़ कोई न कोई उत्सव, हर जाति, धर्म, मज़हब का अलग उत्सव-

फिर राष्ट्रीय उत्सव अलग से, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, शहीद दिवस, गाँधी जयंती, अम्बेडकर जयंती, शक्ति दिवस, विजय दिवस !

आजकल कुछ नये उत्सव भी आ गये, बाबरी विध्वंश पर शौर्य दिवस, गुजरात दंगो का हिंदू शक्ति दिवस, काला दिवस, पीला दिवस, हरा दिवस, लाल दिवस !

हर किसी के पास अपना उत्सव मनाने कि वजह भी है ! अच्छी बात है, इस बहाने हमारा भी मनोरंजन हो ही  जाता है, मनाईये पूरे जोश के साथ मनाईये !

लेकिन एक बात देखिए यहाँ किसी को दूसरे के उत्सव से कभी कोई परेशानी नहीँ रही ! लेकिन पिछले कुछ सालों में ये जो नागपुरी नागों कि नयी प्रजाति जन्मी है, इसे हमेशा दूसरों के उत्सव से परेशानी रही है !

ये निक्करधारी गैंग प्रेमोत्सव वेलेंटाईन पर मातृ – पितृ पूजन का ड्रामा खड़ा करती है, भले हि घर में खुदके माँ बाप को रोज़ गाली देते हो ! क्रिसमस पर तुलसीपूजन कि नौटंकी ले आये जबकि इन गधों को ये भी पता नहीँ कि तुलसी विवाह के लिए ऑलरेडी पहले से एक दिन रिजर्व है !
इनको मोहर्रम के जुलूस से भी प्रॉब्लम है तो गुरु पर्व से भी !

पिछले कुछ सालों से महिषासुर शहादत दिवस का नया ड्रामा आया है, इसमें भी इनको समस्या है, क्यों भाई वो महिषासुर की पूजा कर रहे है, इसमें तुम्हारी क्यू सुलग रही है ! आप सालों से दुर्गा पूजा कर रहे है, लेकिन कभी किसी ने नहीँ रोका, अब भी नहीँ रोक रहे है ! तो आप उन्हे महिषासुर शहादत दिन मनाने से क्यों रोक रहे है ?
कोरेगांव विजय के उपलक्ष्य में 200 सालों से दलित शौर्य दिवस मनाते आरहे है कभी किसीको कोई समस्या नहीँ हुई, लेकिन अब इन नागपुरी नागों को इसमे भी समस्या होने लगी !

ये पूरा नागपुरी गैंग वास्तव में मनोरोगी है, देश का भला इसीमें है इन जहरीले नागों को कुचल दिया जाये !
हम जानते है की, नफरत को नफरत से ख़त्म नहीँ किया जा सकता ! युद्ध , लड़ाई, दंगे किसी समस्या का हल नहीँ है !

और इतिहास पर लड़ना हद से बढ़कर मूर्खता है,
लेकिन हिंसा का जवाब अगर शांति से दिया जाये तो अमन चाहने वालों कि नस्ल हि ख़त्म हो जायेगी !

हम तो सिर्फ इतना कहते है, एक स्वतंत्र और धर्मनिरपेक्ष देश में सबको अधिकार होना चाहिए कि वो अपने अपने उत्सव शांति से मना सके ! लेकिन कोई इसका विरोध करे तो ईंट का जवाब गोली से दिया जाये !
ऐसे में इन जहरीले नागों के विरोध में खड़े होने वाले साथियों को कॉमरेड चे ग्वेवारा की ये बात हमेशा ध्यान रखनी होगी “कैसा विरोध, किसका विरोध, मैं ऐसा कोई कदम हरगिज़ तब तक नहीँ उठाऊँगा जब तक मेरे हाथों में एक अदद बंदूक न हो”
आपकी एकजुटता हि इनके लिए बंदूक है, एकजुट होकर विरोध कीजिए इस नफरती गैंग का !

लेखक -गिर्राज वेद { व्यंग्य टिप्पणीकार }

{ जयपुर राज.}

नोट : { यह लेखक के अपने निजी विचार है }