जयपुर। राजस्थान ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने आज विधानसभा में बताया कि राजस्थान की नौ हजार 310 ग्राम पंचायतें खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित हो चुकी हैं। राठौड़ ने शून्यकाल में इस विषय पर उठाए गए मुद्दे पर हस्तक्षेप करते हुए बताया कि वर्तमान में राज्य की 9 हजार 891 ग्राम पंचायतों में से 9 हजार 310 ग्राम पंचायतें (94.13 प्रतिशत) ओडीएफ हो चुकी हैं। राज्य में 79 लाख 58 हजार पात्रताधारी व्यक्तियों के व्यक्तिगत शौचालय बनाये जाने थे, जिसके तहत 78033 शौचालय बना लिये गये हैं।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2016-17 के बजट में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मुख्यमंत्री स्वच्छ ग्राम योजना की घोषणा की थी। इस योजना के तहत दिये गये दिशा-निर्देशों में ओडीएफ हो चुकी दो हजार ग्राम पंचायातों में डेढ़ सौ परिवारों का कलस्टर बनाकर इन परिवारों का कचरा, सामुदायिक कचरा पात्र में डालने के लिए डेढ़ सौ परिवारों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) से दो श्रमिक और एक मेट के रूप में स्वच्छता सखी को नियोजित करने का निर्णय लिया गया था, जिसके तहत सफाई उपकरण तिपहिया वाहन, कचरा पात्र, पुशकोर्ट क्रय किये जाने के भी निर्देश दिये गये।
उन्होंने बताया कि राज्य में गत पांच फरवरी तक 2294 ग्राम पंचायतों पर 19369 श्रमिक 3354 मस्टररोल के तहत नियोजित किये गये थे। राज्य स्तरीय स्कीम स्वीकृत समिति द्वारा गत 20 फरवरी को तय किया कि श्रमिकों का प्रबंधन अगर अन्य योजनाओं जैसे स्टेट फाइनेंस कमीशन, सेंट्रल फाइनेंस कमीशन, एम.एल.ए. लैड, एम.पी. लैड में हो तथा श्रमिकों के भुगतान की अनुमति मिल जाये, तो इस योजना के तहत सामग्री क्रय किये जाने पर लगी पाबंदी को हटाते हुए उन सारी ग्राम पंचायतों में श्रमिक नियोजित कर लिए जायेंगे, जिससे कार्य सुचारू रूप से आगे बढ़ सके। उन्होंने बताया कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद अजमेर द्वारा की गई अनियमिताओं के संबंध में जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई है जिसमें मुख्य कार्यकारी अधिकारी को प्रथम ²ष्टया दोषी पाया गया है, जिस पर अग्रिम कार्यवाही के लिए विस्तृत जांच विचाराधीन है।