गहलोत सरकार पर कोई संकट नहीं . बसपा विधायकों को सम्मन तामील, अब सत्र से पहले भाजपा की बाड़ाबंदी – गुजरात में
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे दिल्ली में – सियासी उठापटक तेज
जयपुर। राजस्थान में चल रही सियासी घमासान पर अब ब्रेक लगते नजर आ रहे हैं। शुक्रवार को उच्च न्यायालय के सम्मन बसपा विधायकों को तामील होने के बाद अब संभावना जताई जा रही है, कहीं सत्र से पहले भाजपा विधायकों की बाड़ेबंदी ना हो जाए। उधर चर्चा इस बात की भी जोरों पर है कि सरकार और महामहिम के बीच कोई गुप्त समझौता हो चुका है। गौरतलब है विधायक दल की बैठक के बाद
सरकार की ओर से राज्यपाल को 21, 24 और 27 जुलाई को 15 वीं विधानसभा के पंचम सत्र बुलाए जाने के पत्र दिए गए। हर पत्र में कुछ सवाल खड़े कर राज्यपाल सचिवालय की ओर से वापस सरकार को लौटा दिए गए। उधर 29 जुलाई को जो गोविंद सिंह डोटासरा को पीसीसी चीफ का पदभार ग्रहण कार्यक्रम चल रहा था तभी मुख्यमंत्री गहलोत के पास राजभवन से बुलावा आया और वे तत्काल वहां से राजभवन की ओर चल दिए थे। राज्यपाल से उनकी करीब आधे घंटे चर्चा हुई। उसके बाद राजभवन से विधानसभा सत्र आहूत करने की स्वीकृति जारी हो गई। सबसे बड़ी बात तो यह है कि पहले जो सवाल उठाए जा रहे थे, सभी गौण हो गए। सचिवालय की गलियारों में चर्चाएं जोरों पर है, ‘दोनों के बीच कोई गुप्त समझौता हो गया। सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को बसपा विधायकों को उच्च न्यायालय का सम्मन भी तामील हो गया। इससे एक बात के संकेत मिल रहे हैं कि बसपा विधायक टेंशन फ्री हैं वैसे भी उनका तर्क है कि उन्होंने पार्टी का विलय नहीं किया है, विधायक दल का विलय किया है।

सूत्रों ने बताया कि अब मामला सुलझता नजर आ रहा है। उधर बसपा विधायकों पर आंच आती है, जिसकी संभावना शून्य है, तो भी सरकार पर कोई संकट नहीं है। उसका कारण है सरकार ने राज्यपाल को दिए किसी भी पत्र में बहुमत साबित या फ्लोर टेस्ट की बात नहीं कही है। यह बात कहनी चाहिए थी तो भाजपा को, लेकिन भाजपा चुप है। अंदर खाते भाजपा रणनीति तैयार कर रही थी, लेकिन भाजपा की कावर नेता वसुंधरा राजे के दिल्ली जाने के बाद भाजपा नेताओं के सपनों पर पानी फिर गया। भाजपा को तो अब नए सिरे से रणनीति तैयार करनी होगी, वह भी यह सोच कर कि पार्टी विधायकों का एक बड़ा धड़ा उनके साथ ही न खड़ा हो। कहीं ऐसा ना हो विधानसभा अध्यक्ष किसी बिल पर ‘हां पक्ष’-‘न पक्ष’ का मत लें और यह धड़ा ‘ना’ बोलने की जगह मात्र नारेबाजी करते नजर आए।
केंद्रीय मंत्री शेखावत बोले.. विधायकों को भेड़ बकरियों की तरह हांक कर कौन से लोकतंत्र को बचाने की नौटंकी कर रहें हैं गहलोत जी
राजस्थान का सियासी घमासान खत्म नहीं हो रहा है। शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने ट्वीट कर गहलोत सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा- चुने हुए विधायकों को भेड़ बकरियों की तरह हांक कर, डरा-धमका कर, निगरानी में रख कर, उनकी जासूसी कर कौन से लोकतंत्र को बचाने की नौटंकी कर रहें हैं गहलोत जी? गजेंद्र सिंह शेखावत ने आगे कहा- जैसलमेर के होटल में बंद विधायकों के फोन टैपिंग, इंटरकॉम टैपिंग, होटल में मोबाइल जैमर लगाना गहलोत जी, इतना भी अविश्वास अगर आपस में इतना अविश्वास है तो एक बात स्पष्ट है कि राजस्थान में सरकार का कोई अस्तित्व नहीं है। यहां सिर्फ गहलोत जी के सत्ता लालच में तानाशाही चल रही है।
सूत्रों की मानें तो पार्टी में वसुंधरा के कद को दिल्ली वाले भी हल्के में नहीं लेते। कहीं ऐसा ना हो कांग्रेस की तर्ज पर सत्र से पहले भाजपा विधायकों की बाड़ेबंदी हो जाए। वैसे भी कहा जाता है जैसे गहलोत को, ठीक उसी तरह राजे को समझना भी आसान ही नहीं नामुमकिन है। यह भी तय है सत्र के बाद गहलोत देश में एक बड़े नेता के रूप में उभर कर आएंगे, हालांकि वे अपना खेल पहले भी दिखा चुके हैं और अभी बाकी हैं |