जयपुर। प्रदेश में चुनावी समर शुरू होने पर है। बीते करीब दो साल से वसुंधरा राजे सरकार के लिए मुसीबतें खड़ी करने वाली करणी सेना ने एक बार फिर से राजे सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला दिया है। जानिए क्या है पूरा मामला…
अबकी बार करणी सेना ने जो मुद्दा उठाया है, वो है केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर बीजेपी में हो रहे विरोध का। भाजपा के अध्यक्ष पद के लिए केन्द्रीय भाजपा आलाकमान के हरी झण्डी दिखाए जाने के बाद भी जिस तरह से प्रदेश भाजपा की ओर से उनका विरोध किया गया था। अब उसके विरोध में राष्ट्रीय करणी सेना ने राजे सरकार और खासतौर पर प्रदेश के राजपूत विधायकों मंत्रियों को चुनावों में देख लेने की बात कही है।

भाजपा नेता और करणी सेना के महासचिव सूरजपाल सिंह अम्मू और राष्ट्रीय करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने कहा कि जब पूर्व मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत का राजपूत होने पर प्रदेश में विरोध नहीं हुआ, तो ये बात कहां से आ गयी कि अगर गजेंन्द्र सिंह शेखावत को प्रदेशाअध्यक्ष बनाये जाते है तो अन्य जातियां इसका विरोध करेगी। राष्ट्रीय करणी सेना ने ना केवल भाजपा सरकार को बल्कि भाजपा के राजपूत नेताओं को भी इन चुनावों में नतीजे भुगतने को तैयार रहने को कहा है। कड़े लहजे में अम्मू ने कहा कि भाजपा के विधायक और मंत्री वसुंधरा राजे की जूतियां उठातें है और उनका शेखावत का विरोध करना प्रदेश का राजपूत देख रहा है। आने वाले चुनावों में इन नेताओं को भी प्रदेश का राजपूत सबक सिखाएगा।

राजपूतों की तरह ही गुर्जरों के साथ भी किया दगा
राजपूत करणी सेना ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की जान को खतरा बताते हुए चेतावनी दी है कि अगर ऐसा कुछ होता है तो भाजपा सरकार इसके लिए जिम्मेदार होगी। अम्मू ने कहा कि जिस तरह से बार-बार सरकार राजपूतों को साथ समझौत करने के बाद भी दगा कर रही है। उसी तरह से गुर्जर समाज के साथ भी भाजपा सरकार यही कर रही है। यही कारण है कि अब गुर्जर समाज अब एक बार फिर आंदोलन की राह पर है।
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