साहित्य जगत में खास पहचान रखती हैं नंदकिशोर की कविता और रामस्वरूप की कहानियां
जयपुर। राजस्थान के दो साहित्यकारों को केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार से हिंदी में पहली बार हासिल किया है। साहित्य अकादमी ने बुधवार काे 23 भाषाओं में साहित्य पुरस्कारों की घोषणा की।
साहित्य जगत में राजस्थान के बीकानेर से डाॅ. नंदकिशाेर आचार्य व हनुमानगढ़ से रामस्वरूप किसान को यह पुरस्कार मिलेगा। वहीं कांग्रेस नेता शशि थरूर काे अंग्रेजी भाषा में पुरस्कार मिलेगा।
आपको बता दें कि आचार्य ने हिंदी भाषा में काव्य ‘छीलते हुए अपने काे’ तथा किसान ने राजस्थानी भाषा में ‘बारीक बात’ के लिए यह पुरस्कार जीता। 1955 से शुरू इस पुरस्कार को पहली बार किसी राजस्थानी ने हिंदी भाषा में जीता। कांग्रेस नेता शशि थरूर काे अंग्रेजी भाषा में पुरस्कार मिलेगा।
केन्द्रीय साहित्य अकादमी के बुधवार काे घोषित वार्षिक पुरस्कारों में हिन्दी का पुरस्कार बीकानेर के डा.नंदकिशाेर आचार्य काे काव्य संग्रह ‘छीलते हुए अपने काे’ पर दिया गया है।
वहीं मार्मिक लघुकथाओं का संग्रह है किसान की पुस्तक ‘बारीक बात’ केंद्रीय अकादमी का राजस्थानी भाषा पुरस्कार इस वर्ष हनुमानगढ़ के परलीका के साहित्यकार रामस्वरूप किसान काे उनके लघुकथा संग्रह ‘बारीक बात’ पर दिया गया है।
बता दें कि डा.नंदकिशाेर आचार्य का यह पुरस्कृत कविता संग्रह ‘छीलते हुए अपने काे’ वर्ष 2013 में प्रकाशित हुआ था। नाटककार, कवि, चिंतक डा.नंदकिशाेर आचार्य काे गांधीवादी विचारक के साथ मानवाधिकाराें का प्रखर पक्षधर माना जाता है।
गांधी पर लिखा उनका नाटक ‘बापू’ और ‘मानवाधिकार के आयाम’ पुस्तकें इस लिहाज से काफी प्रशंसित हुई हैं। इससे पहले उन्हें मीरा, बिहारी, भुवालका, भुवनेश्वर, केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं।
पुरस्कृत कथा संग्रह ‘बारीक बात’ में उनकी छाेटी-छाेटी मर्मस्पर्शी कहानियाें काे शामिल किया गया है। 65 वर्षीय साहित्यकार रामस्वरूप किसान की गिनती वर्तमान दाैर के प्रमुख कहानीकाराें में हाेती है। रामस्वरूप किसान की अब तक एक दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।