
चुनाव आयोग सख्त – राज्य में कल सायं 5 बजे से चुनाव प्रचार थम जाएगा –

गया |
श पांडे , पूर्व मुख्यमंत्री जगतनाथ पहाड़िया आदी बड़े नेता मंच पर आसीन थे जिन्हें देख सहज ही अंदाजा लगाया जा रहा था की कार्यक्रम किशनपोल विधानसभा से विधायक पद के दावेदार अमिन कागज़ी ने अपना शक्ति परिक्षण दिखाने व् किशनपोल विधानसभा से अपना विधायक टिकट पक्का करने के उदेश्य से कौमी एकता कान्फेंस का आयोजन किया , ख़ास बात यह रही की कार्यक्रम में मुस्लिम समाज के लगभग सभी बड़े चेहरो ने भी शिरकत की , जो की कांग्रेस पार्टी के लिए कई अहम् सवाल खड़े करती
है |
लखनऊ , यू .पी | भीम आर्मी के सस्थापक को योगी सरकार ने समय से पहले रिहा करने के आदेश दे दिए है गौरतलब है चंद्रशेखर उर्फ रावण को 2017 सहारनपुर जातीय दंगा मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानि रासुका (NSA) के तहत गिरफ्तार किया गया था | योगी सरकार ने अपने प्रेस रिलीज में कहा है की रावण मां के आवेदन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए उनकी समयपूर्व रिहाई का फैसला लिया गया है।
दलितों और राजपूतो के बीच हुए हिंसा में चलते क्षेत्र में 2 माह तक लगभग तनाव रहा था , रावण के अलावा दो अन्य आरोपियों सोनू पुत्र नाथीराम और शिवकुमार पुत्र रामदास को भी सरकार ने रिहा करने का फैसला किया है
क्या है रिहा करने की वजह –
गौतलब है भाजपा की योगी सरकार ने भीम आर्मी के स्थापक रावण को समय से पूर्व रहा कर ,दलित वोटो को साधने की कोशिश कर रही है वेसे रावण की रिहाही नवम्बर माह में होनी थी लेकिन योगी सरकार ने उदारता दिखाते हुए रावण उर्फ़ चंद्रशेखर को समय से पूर्व रिहा करने के आदेश जारी कर दिए है | वैसे योगी सरकार ने उनकी माँ की सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए उनकी समयपूर्व रिहा करने का कारण बताया है लेकिन असली वजह तो दलित वोटो में सेंध मारना ही है |
मायावती ने नहीं दिया साथ –
दलित लीडर के रूप में उभरे रावण को बसपा सुप्रीमो मायावती ने बिलकुल भी सपोर्ट नहीं किया है ना ही वह रावन के बारे में कोई बात भी करना उचित नहीं समझती , जिसके कारण भीम आर्मी के सदस्य बहन जी से खासे नाराज है अब उन्ही दलित वोटो को साधने की तैयारी भाजपा योगी सरकार ने कर ली है |
बसपा सुप्रीमो से होगी -अब टक्कर
कयास लगाये जा रहे है की दलितों की हितेषी बसपा पार्टी के सुप्रीमो और भीम आर्मी में अब दलितों के वर्चस्व की लड़ाई हो सकती है , रावण के लिए समय से पूर्व रिहाही भाजपा का दलित प्रेम दिखाता है तो दलितों की हितेषी बनने वाली पार्टी से अब भीम आर्मी के मार्फ़त दलित वोट किसक जायेगे जिसका खामियाजा मायावती के प्रधानमंत्री बनने में बड़ा रोड़ा साबित होगा |
यह कोर्ट प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में स्थापित किए जाएंगे जिनमें से हर जिले मे कम से कम एक
पॉक्सो कोर्ट होगी। मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए अब प्रदेशभर में कुल 56 पॉक्सो कोर्ट होंगी जिनमें से एक कोर्ट पहले ही स्थापित की जा चुकी थी।
एंटी मोदी खेमे में ख़ास होती – बसपा सुप्रीमो आख़िर क्यों –
आज भाजपा देश की सबसे बड़ी राजनेतिक पार्टी है जिसके मुखिया देश के प्र
धानमंत्री मोदी है वही विपक्ष के रूप में कांग्रेस पार्टी मुख्य है लेकिन वर्तमान में कांग्रेस पार्टी हाशिये पर चल रही है जिसका मुख्य कारण कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी है |
कांग्रेस व् विपक्ष ने मिलकर NDA के सामने अविश्वास प्रस्ताव रखा जबकि यह सर्व विधित था की भाजपा लोकसभा में बहुमत से है लेकिन विपक्ष के राहुल गांधी ने अपने भाषण में कई मुख्य व् गंभीर मुद्दे सदन में उठाये जिन पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए थी और देश के सामने मोदी सरकार को अपना रुख साफ़ करना चाहिए था लेकिन राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री मोदी से जाकर गले मिलना और अपनी सीट पर आकर विजयराजे सिंधिया को आख़ मारना उनके अपरिपक्ता को दर्शाता है , वही दूसरी और मोदी सरकार ने गले मिलना व् आख़ मारने वाली घटना को मुख्य मुद्दा बना लिया और राहुल गांधी द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों को गोण कर गए , साथ ही राहुल गांधी का जमकर मज़ाक उड़ाया |
मायावती क्यों है ख़ास –
बसपा सुप्रीमो मायवती ने राज्य सभा से अपना इस्तीफा इस लिए दे दिया था क्योकि उन्हें दलितों पर हुए सामूहिक हत्याकांड पर जब सदन में बोलने व् अपना पक्ष नहीं रखने दिया तो उन्होंने कहा की जब वह सदन में अपने वंचित समाज के हक़ के लिए आवाज नही उठा सकती और जब सदन में उन्हें बोलने की इजाज़त ही नही है तो सदन में उनके रहने का क्या हक़ है , इस पुरे घटना क्रम से देश में बसपा सुप्रीमो मायवती की छवि दलित समाज में मजबूत हुई , और देश भर में उनके इस फेसले को सराया गया |
दलितों एकता / आरक्षण के आगे बेबस – प्रधानमंत्री मोदी –
भाजपा आज अपने लिए सबसे बड़ी चुनोती दलित समाज / आरक्षण / दलित हत्याचार को मानती है अगर मोदी बसपा सुप्रीमो के सामने प्रधानमंत्री पद के दावेदार होते है तो , मोदी उन पर कटाक्ष , नहीं कर सकते क्योकि एक तो मायावती महिला है दूसरी दलित समाज का प्रतिनिधितत्व करती है , मोदी की थोड़ी सी गलती भी उन्हें दलित विरोधी साबित कर सकती है जिसका कामियाजा बड़ा हो सकता है | आज देश में 1 /4 आबादी दलित है |
मोदी के आगे बेबस राहुल गांधी –
आज यह छवि बन चुकी है की प्रधानमंत्री मोदी के आगे राहुल गांधी अपरिपक नेता है और वह मोदी का सामना नहीं कर सकते , वही दूसरी और मायवती दलितों की अघ्रणी नेता है और वर्तमान में दलित संघटनो द्वारा भाजपा को कड़ी टक्कर दी जा रही है जिसका प्रत्यक्ष उदहारण 2 अप्रैल को भारत बंद का रहा |
जयपुर। देश के सबसे बङे राज्य राजस्थान में गत दिनों माॅब लींचिग में तथाकथित गौ रक्षकों ने एक व्यक्ति को मौत के घाट उतार दिया। इससे पहले पहलू खान, उमर और अफराजुल का भी इसी नफरती आतंकी सोच ने कत्ल कर दिया था। देश के अन्य राज्यों में भी माॅब लींचिग की ऐसी कई वारदातें हो चुकी हैं। कहीं गौ हत्या के नाम पर, तो कहीं बच्चा चोरी या अन्य किसी नफरती अफवाह के चलते गरीब व लाचार व्यक्ति को सरेआम पीट पीट कर मार डाला गया है। विचित्र बात यह है कि ऐसी घटनाओं में मरने वाले अधिकतर मुसलमान, दलित और आदिवासी समुदाय से सम्बंधित लोग होते हैं। जो बङी मुश्किल से अपना जीवन यापन करते हैं। सत्ताधारी भाजपा जहाँ ऐसी घटनाओं पर अगर मगर के शब्दों के साथ निन्दा कर खामोश हो जाती है, वहीं प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस एक नपे तुले अन्दाज़ में निन्दा की रस्म अदायगी कर अपने आपको जिम्मेदारी से मुक्त कर लेती है। अफराजुल के मामले में तो कांग्रेस ने निन्दा करना भी उचित नहीं समझा था, क्योंकि उसके कत्ल के अगले दिन गुजरात में विधानसभा चुनाव का मतदान जो होना था।
स्पष्ट है कांग्रेस को प्रमुख विपक्षी पार्टी होने के नाते इन हत्याओं और मानवाधिकार हनन के खिलाफ बाबलन्द आवाज में अपराधियों एवं उनके हिमायती सियासी आकाओं को ललकारना चाहिए। लेकिन कांग्रेस ऐसा नहीं करती है, जिससे लोग कई तरह के सवाल उठाते हैं। पहला तो यह है कि माॅब लींचिग की इन घटनाओं से जो व्यक्ति या समुदाय भाजपा से नाराज होता है, वो जाहिर है विकल्प न होने के कारण कांग्रेस को वोट देगा। यानी इस हिंसक ताण्डव में कांग्रेस के लिए सियासी फायदा ही है। दूसरा यह है कि वो दबी जुबान में निन्दा इसलिए करती है, ताकि इन तथाकथित विभिन्न स्वयंभू रक्षकों से सम्बंधित लोग उससे नाराज नहीं हो जाएं। तीसरा यह है कि वो खुलकर इस हिंसा का बङे पैमाने पर विरोध इसलिए नहीं करती है, ताकि लोग उसे सिर्फ मुसलमानों और दलितों की पार्टी ही न मान लें। क्योंकि माॅब
लींचिग में ज्यादातर मुस्लिम और दलित ही मारे जाते हैं। कांग्रेस के इस रवैये से मुसलमानों और दलितों में कङी नाराजगी है। उनका मानना है कि माॅब लींचिग मामले में भाजपा तो इसलिए खुलकर विरोध नहीं करती है, क्योंकि उससे समर्थित विचारधारा से सम्बंधित ही ज्यादातर लोग माॅब लींचिग करते हैं तथा माॅब लींचिग के बाद अगर मगर की भाषा में बयानबाज़ी कर भाजपाई नेता ही अपराधियों को बचाने की पूरी कोशिश करते हैं। इसलिए भाजपा से इस मामले में अच्छी उम्मीद करना बेवकूफी है। लेकिन कांग्रेस का तो दूर दूर तक इन स्वयंभू रक्षकों या यह कहें कि इन हिंसक आतंकियों से कोई रिश्ता नहीं है, इसलिए कांग्रेसी नेताओं को माॅब लींचिग के खिलाफ आवाज उठाने में क्या परेशानी है ? क्या सिर्फ यह कि वे जोर से बोल कर माॅब लींचिग वाली इस हिंसक भीङ को नाराज नहीं करना चाहते, क्योंकि उन्हें इनका भी वोट चाहिए ?
ताजा घटना राजस्थान की है, इसलिए इस लेख में विशेष उल्लेख राजस्थान के कांग्रेसी नेताओं का ही किया जा रहा है। राजस्थान के अधिकतर कांग्रेसी नेताओं ने इस मामले में निन्दा का शब्द भी नहीं बोला है। हाँ, पीसीसी अध्यक्ष सचिन पायलट, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कुछ कांग्रेसी नेताओं ने जरूर निन्दा की है, लेकिन उन्होंने भी मात्र एक रस्म अदायगी की है। बाकी तो सारे यह लेख लिखे जाने तक खामोश थे। हाँ, यह लेख सोशल मीडिया पर डालने के बाद कुछ ने निन्दा करने की जल्दबाजी जरूर दिखाई, जो एक अच्छी बात है। यहाँ इस बात का उल्लेख करना भी आवश्यक है कि माॅब लींचिग का सबसे ज्यादा विरोध मार्क्सवादी, लोहियावादी, गांधीवादी एवं अम्बेडकरवादी राजनीतिक कार्यकर्ता तथा सामाजिक व मानवाधिकार संगठन करते हैं। बहुत सी जगह यह लोग संगठित होकर एक साथ भी विरोध करते हैं, लेकिन कांग्रेसी कभी भी इन विरोध प्रदर्शनों में आकर अपना चेहरा नहीं दिखाते हैं। इसलिए कांग्रेसियों पर सवाल उठते हैं कि वो माॅब लींचिग में सियासी नफा नुकसान देखकर ही अपना मुंह खोलते हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं कि माॅब लींचिग में जितने भी लोग दादरी में अखलाक से लेकर अलवर में अकबर (रकबर) तक जो मारे गए हैं, उनमें सबसे ज्यादा संख्या मुसलमानों की है। इसलिए मुस्लिम समुदाय में कांग्रेस के इस ढुल मुल रवैये को लेकर बङी नाराजगी है और वो सवाल करता है कि हमारे वोट लेकर सत्ता के मजे लेने का ख्वाब देखने वाले कांग्रेसी नेता माॅब लींचिग पर खामोश क्यों हैं ? राजस्थान में करीब एक चौथाई विधानसभा सीट ऐसी हैं, जहाँ मुस्लिम वोटर अच्छी खासी तादाद में है। इनमें करीब दो दर्जन सीटों पर कांग्रेस के मुस्लिम नेता टिकट के दावेदार हैं तथा तीन दर्जन सीटों पर अन्य नेता यानी गैर मुस्लिम नेता दावेदार हैं। इनमें कुछ की फोटो यहाँ प्रकाशित की जा रही है। कुछ पहले विधायक व मन्त्री रहे हैं और कुछ नए दावेदार हैं। यह नेताश्री रोज शुभकामना, श्रद्धांजलि, बधाई, नमन, मुबारकबाद आदि सन्देशों को फोटो सहित विज्ञापन की शक्ल में तैयार कर सोशल मीडिया पर वायरल करते हैं या किसी से करवाते हैं। जो कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन इनमें से ज्यादातर ने अलवर की इस माॅब लींचिग के मामले में निन्दा के दो शब्द भी नहीं कहे हैं। क्या यह मानें कि इनको अभी तक इसकी जानकारी नहीं मिली है ? या यह अपने सियासी नफे के लिए खामोश रहने में भलाई समझ रहे हैं ?
लेख़क –
एम फारूक़ ख़ान
{ यह लेख़क के निजी विचार है }
जयपुर | राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे 4 अगस्त से अपनी सुराज गौरव यात्रा का शुभ-आरम्भ करने जा रही है |
सी एम् राजे उदयपुर के चार भुजा मंदिर से अपनी यात्रा का शुभ आरम्भ भाजपा के राष्टीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा करवाने जा रही है कुल मिलाकर यह यात्रा 40 दिनों तक चलेगी 30 सितम्बर को
अजमेर में यात्रा का समापन होगा |
इन संभागो में होगा – जनसंपर्क –
मुख्यमंत्री राजे उदयपुर .भरतपुर .जोधपुर .बीकानेर .कोटा .जयपुर
.अजमेर संभागो के लोगो से जनसंपर्क करेगी और भाजपा पार्टी की सरकार द्वारा जो जनता के लिए काम किये गए है उनको जनता तक पहुचायेगी |
राह नहीं है आसा –
राजस्थान में इस बार भाजपा से युवा वर्ग खासा नाराज है जिसकी मुख्य वजह बेरोजगारी है जहाँ युवा वर्ग अच्छी खासी पढाई के बाद नोकरी नहीं मिलने के कारण घर बेठे है या कुछ छोटा -मोटा काम कर रहे है जो
सरकार की नाकामी को दर्शाती है |
एंटीइनकम्बेंसी – भाजपा सरकार के अंदुरनी कलंह अब सबके सामने आ गई है ,भाजपा के सत्ता पक्ष के मंत्री ,विधायक ही आपसी फुट के कारण जनता के विकास के मुद्दों को दर किनार करते दिखे है |
केंद से हट धर्मिता – मुख्यमंत्री राजे का केंद्र आलाकमान से समीकरण सही नहीं बैठते जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण भाजपा प्रादेशाध्यक्ष की नियुक्ति में साफ़ दिखा , इस हठधर्मीता के कारण कार्यकर्ताओं के काम नही हो सके जिसको लेकर कार्यकर्त्ता भाजपा से खासे नाराज है |
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है की वह करीब 20 -22 वर्षो तक सकिय रहकर पार्टी की गतिविधियों को बढ़ाने पर फोकस करेगी |
किसी भी व्यक्ति हो 20 -22 वर्षो तक पार्टी का मुखिया बनने का सपना नहीं देखना चाहिए , इसके साथ ही बसपा सुप्रीमो ने कहा हमारी पार्टी किसी भी अन्य पार्टी के साथ केवल सम्मान जनक सीटों पर ही चुनावी गठबंधन करेगी |
राजस्थान में क्या –
राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर .ऐसे तो राजस्थान के प्रभारी धर्मवीर अशोक मोर्चा संभाले हुए है , लेकिन बसपा का कोर वोट बैंक दलित व् मुस्लिम है जो की मिलकर भी राजस्थान में सरकार बनाने में सक्षम नहीं है |
कांग्रेस के साथ गठबंधन –
राजस्थान में बसपा कुछ सीटो पर काबीज हो सकती है लेकिन सरकार बनाने के सपने से कोसो दूर है यह सभी को विधित है , इसलिए इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता की आगामी विधानसभा चुनावों में बसपा कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सकती है और कुछ सीटो का बटवारा कर चुनावी मैदान में उतर सकती है |