3 % सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण के बाद अब उम्र में 3 साल का फायदा दे रही हैं मोदी सरकार – यह गलत हैं देखें जातीय आकड़ें 

 OBC SC ST को कुल आरक्षण – 49.5  जबकि 3 प्रतिशत सभी सवर्णों को 10 प्रतिशत – क्या सभी नियम फेल हैं न्याय प्रक्रिया में 

 

जनसंख्या आकडे ओबीसी वर्ग 71 + अनुसूचित जाति – 17 +अनुसूचित जन जाति 9 कुल 97 % और आरक्षण – 49 .5 कुल 

 

मोदी सरकार – सवर्ण आरक्षण के बाद अब उम्र में 3 साल का फायदा दे रही हैं – देखें क्या कहते हैं वास्तविक आकड़ें

 

गरीब सवर्ण आरक्षण के बाद अब उम्र में 3 साल का फायदा – बिहार चुनाव में हो सकती हैं घोषणा 

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नई दिल्ली – मोदी सरकार सवर्णों पर अधिक मेहरबान नज़र आ रही हैं पहले गरीबी के नाम पर 10 प्रतिशत आरक्षण और अब 3 साल उम्र में भी लाभ देने जा रहीं हैं और बिहार चुनाव में इस कि घोषणा की जा सकती हैं गौरतलब हैं कि गरीबी के नाम पर दियें गयें आरक्षण 10 प्रतिशत को सुप्रीम कोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता और इतिहासकार रामेश्वर लाल सेवार्थी ने चुनौती दे रखी हैं क्योंकि संविधान में आरक्षण की व्यवस्था “जाति” आधारित हैं और इस के लियें संविधान सभा में 2 दिन से अधिक समय तक चर्चा हुई थीं जिसमें पंडित नेहरू , राजेन्द्र प्रसाद सहित सभी बड़े नेता शामिल थें |

राजस्थान में 500 से अधिक संगठन 2021 की जनगणना “जाति “आधारित चाहते हैं राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री तक बैठक हो चुकी हैं 

नरेंद्र मोदी

पवन देव – संवैधानिक अधिकार संगठन ने सामाजिक न्याय के लियें प्राईवेट सेक्टर में आरक्षण की मांग उठा रखी हैं और जिसको लेकर भी राजस्थान में 2 लाख युवा अपना समर्थन दे चुके हैं और कोरोना और सामान्य परिस्थिति होते ही इस पर सकारात्मक प्रयास नज़र आने वाले हैं

आरक्षण अधिकार मंच ने उठा रखा हैं जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण बढ़ाने की मांग – राजस्थान में आरक्षित वर्ग के समाज के बड़े नेता ओं ने पूर्व में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात कर जता चुके हैं लॉक डाउन के चलते यह आंदोलन अभी शांत हैं लेकिन इस संगठन में दलित मुस्लिम ओबीसी आदिवासी व अन्य बड़े संगठन शामिल हैं जो कि सरकार के लियें अब बड़ी चुनौती दे सकते हैं

 

क्या कहते हैं जातियों के आंकड़े – 2011 अनुसार 

 

2011 के आकड़ो के अनुसार देश में –   सवर्ण  कुल मिलाकर 3 % { प्रतिशत } हैं जबकि मुस्लिम समाज का 99 .2  प्रतिशत ओबीसी वर्ग हैं आता हैं इसके साथ ही कुल ओबीसी वर्ग 71 % ( प्रतिशत ) हैं वही अनुसूचित जाति – 17 प्रतिशत , अनुसूचित जन जाति 9 प्रतिशत  हैं 

 

कुल मिलाकर –  ओबीसी वर्ग 71 + अनुसूचित जाति – 17 +अनुसूचित जन जाति 9 कुल   97 % प्रतिशत भारत देश में हैं जबकि इनका आरक्षण 27 % , 15  % , 7 .5  कुल 49 .5 % 

 

अब यह बड़ा सवाल हैं की 3 % सवर्णों का 10 % आरक्षण केसे दे दिया मोदी सरकार ने जबकि ( ओबीसी वर्ग 71 + अनुसूचित जाति – 17 +अनुसूचित जन जाति 9 कुल   97 % प्रतिशत भारत देश में उन्हें कुल 49 .5 जबकि 3 प्रतिशत सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण गरीबी के नाम पर दिया गया हैं जो की गेर संवेधानिक हैं |

यह एक असंगत संवैधानिक तरीके से सवर्णों का लाभ दिया जा रहा हैं जो की गलत हैं और अब इसी आधार पर 20 21 की जनगणना ” जाति ” आधारित करने की बात उठने लगी हैं |

नोट –  राजस्थान  डूंगरपुर हिंसात्मक आंदोलन इसी गैर बराबरी का परिणाम हैं जो की  एससी एटी  ओबीसी के साथ होता आ रहा हैं जिसका परिणाम हमें आंदोलन धरने प्रदर्शन को रूप में देखने को मिलता हैं |

“संयुक्त राष्ट्र संघ जाति के विरोध में बनाएं- अंतरराष्ट्रीय कानून

      “बामसेफ का दूसरा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन कोलम्बिया विश्वविद्यालय अमेरिका मे सम्पन्न “

वाशिंगटन | भारत के संविधान निर्माता डॉ .बी.आर .आंबेडकर के  शोध –भारत मे जाति व्यवस्था तथा मानव अधिकारो का पतन “

( 1 दशक ) 100 साल  पुरे होने  के उपलक्ष्य पर अंतर्राष्टीय स्तर पर “भारत मे जाति व्यवस्था” तथा मानव अधिकारो का पतन ” पर विचार -विमर्श व् सयुक्त सम्मलेन किया गया  | 

यह कार्यक्रम डॉ बी .आर.अम्बेडकर द्वारा 9 सितम्बर 1916 में कोलम्बिया विश्वविद्यालय में जाति व्यवस्था पर लिखे गए शौध (Thesis) के सौ साल पूरे होने पर मनाया गया है  जिसका विषय – बाबा साहेब के द्वारा लिखे गए शोध-

  “भारत मे जाति व्यवस्था” तथा मानव अधिकारो का पतन ” रहा  इस कार्यक्रम में सिख संस्थाओं में शिरोमणि अकाली दल अंमृतसर अमेरिका के साथी सरबजीत सिंह खालसा, स. हंसरा जी , तथा अन्य साथियों ने अपने विचार रखे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मा. वामन मेश्राम ने की।

अध्यक्ष मा. वामन मेश्राम  ने  डा. बी .आर .अम्बेडकर जी की सौ साल पहले की गई बात जाति व्यवस्था को खत्म किए बगैर हम भारत में समानता स्थापित नहीं कर सकते. अगर ऐसा  नहीं किया गया तो ये जाति व्यवस्था पूरे विश्व में फैल जाऐगी ओर आज उनकी कही गई बात सच्च साबित हुई। अभी ब्रिटिश सरकार ने पिछलें दिनों अपने देश से जाति व्यवस्था को खत्म करने के लिए एक नया कानून पास किया जिसे ब्राहम्णों के चलते लागू नहीं किया जा सका ये विश्व में जाति व्यवस्था के पैर पसारने का उदाहरण है।

दुनियां के लोग नस्लभेद के बारे में जानते है लेकिन उनको जाति व्यवस्था का ज्ञान नहीं है |
जाति व्यवस्था नस्लभेद नहीं है बल्कि नस्लभेद के कारण जाति व्यवस्था उत्पन्न हुई ,जिसके  कारण भारत के लोगो का डीएनए समान न होना पाया गया है । भारत का शासक वर्ग ऊंची जाति का ब्राहमण बनिया वैश्य है और वो

भारत के सभी साधनों एंव संसाधनों पर कब्जा जमाएं हुए इनका डीएनए भारत के बहुजन लोगो से मेल नहीं खाता है ऐसा उताह विश्वविद्यालय के माईकल बामशाद नाम के सांईटिस्ट द्वारा किए गए डीएनए टेस्ट में सिद्ध हुआ है कि ब्राहमण का डीएनए यूरेशिया के आस्किमोजों प्रांत के लोगों के साथ मिलता है।और यही नहीं इस बात को ब्राहमणों ने खुद कबूला। आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में राजन दिक्षित नाम के एक ब्रामहण ने इस

के आगे चलकर ये साबित किया की आस्किमोजी प्रांत के मोरुआ वंश के लोगो के साथ ब्राहमणों का डीएनए मेल खाता है इससे ये बात सिद्ध होती है कि ब्राहम्ण क्षत्रिय एंव वैश्य भारत के मूलनिवासी नहीं हैं । इनका डीएनए मोरूओं प्रजाति ओर यहूदियों से मेल खाता है ।

ब्राहमण समानता के सिद्धांत को मानने वाले नहीं हैं ये लोगअसमानता को कायम रखने में अपना विश्वास रखते हैं। लोग जाति व्यवस्था का कारण हिंदुत्व को बताते है लेकिन बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के शब्दों में

हिंदुत्व कुछ नहीं ये केवल ब्राहमणवाद है और ब्राहमणवाद असमानता का निचोड है।”

भूमंडलिकरण के साथ साथ जाति व्यवस्था का भूमंडलिकरण भी बहुत तेजी के साथ हो रहा है। अगर इसे रोका नहीं गया तो जो भारत के लोग दूसरे देशों मे माईग्रेट होकर जाऐंगें वो अपनी जाति भी साथ में ही लेकर जाऐंगें। जिसके कारण जाति व्यवस्था का भूमंडलिकरण पूरे विश्व में फैल जाऐगा। हमें सब बहुजन मूलनिवासी लोगों को सिख ईसाई बुद्धिष्ट मुस्लिमों को एक होकर ब्राहमणों का सामना करना होगा और भारत देश मे जाति व्यवस्था ख़त्म करके समानता की स्थापना करके समता स्वतंत्रता न्याय बंधुता आधारित समाज और देश कि व्यवस्था कायम करनी होगी

संयुक्त राष्ट्र संघ से हम अपील करते हैं कि वह जाति के विरोध में अंतरराष्ट्रीय कानून बनाएं अन्यथा हम लोग संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतरराष्ट्रीय ऑफिस पर मोर्चा निकालेंगे
वामन मेश्राम साहेब (राष्ट्रीय अध्यक्ष बामसेफ) अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर से..

 

आरक्षित वर्ग एकता मंच ने भरी हुंकार –

        ”सरकार संविधान से छेड़छाड़ करना बंद करे – शोषित समाज पर कुठारघात करना बंद करे ”

जयपुर | SC /ST/ OBC  के अधिकारो पर वर्तमान बीजेपी सरकार द्वारा जो कुठारघात निरंतर किया जा रहा है उस पर बहुजन समाज में  भारी आक्रोश है | जिसका सामना सरकार को आगामी विधानसभा चुनावो में देखने को मिलेगा – यह कहना है   मुरारी लाल  जांगिड का

वर्तमान समय में दलितों के हत्याचार के मामले में राजस्थान प्रथम स्थान पर आ गया है  और सरकार द्वारा जो आरक्षण के साथ छेड़-छाड़ किया  जा रहा है उसके विपक्ष  में अब 85% मूलनिवासियो का तबका आ चूका है जो सरकार से” सविंधान में वर्णित”  अपने अधिकारों के साथ खिलवाड़ नहीं होने देगा |

सरकार द्वारा  वर्तमान समय में  आरक्षण में निम्न  प्रकार से  छेड़-छाड़  किया जा रहा है |

{1} नगर -निगम पार्षदों के पदों में कटोती    – जयपुर नगर -निगम में 91 वा

र्ड है इनमे से 46 अनारक्षित एवं 45 आरक्षित होने चाहिए किन्तु  पिछले  चुनाव में अनारक्षित पद 57 व् आरक्षित 34 कर दिए गए है | आरक्षित पदों में 11 पदों की कटोती  सरकार द्वारा की गई है |

{2}सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण में कटोती – अप्रैल 2017 से पूर्व आरक्षित वर्ग के छात्र यदि सामान्य मेरिट में स्थान प्राप्त करते थे तो उन्हें सामान्य कोटे में शामिल कर सामान्य सूचि में नियुक्ति दी जाती थी |  यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के संवेधानिक पीट के फेसले 1993 द्वारा मिलती आ रही थी ,लेकिन अप्रैल 2017 के फेसले में साफ़ लिखा है की आरक्षित वर्ग का अभ्यार्थी ऊँची से ऊँची मेरिट प्राप्त करेगा तो भी उसे आरक्षित कोटे में ही नियुक्ति दी जाएगी यह मेडिकल और इंजीनियरिंग महाविधालयो में प्रवेश एवं नियुक्तियों में भी लागू होगा |

{3} आरक्षण के साथ छेड़छाड़ – देश में आरक्षण का आधार जन संख्या के अनुपात में होआ था किन्तु लेकिन सत्ता पर काबिज लोगो ने चालाकी से 85% आरक्षित समाज को महज 49% तथा 15%  सामान्य अनारक्षित समाज को 51% आरक्षण प्राप्त है | फिर भी केंद्र एवं राज्य सरकारे आरक्षण को समाप्त करने की साजिश रच रही है और निजीकरण  व् ठेका प्रथा को बढ़ावा  दे रही है |

इस अधिवेशन में 85% मुल निवासियों ने भाग लिया तथा सभी समाज के विद्वान लोगो द्वारा यह निर्णय लिया की -सरकार द्वारा जो आरक्षण के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है  ,सामाजिक /आथिक  रूप से वंचित लोगो के  हक़, इस सरकार को नहीं मारने देगे |

भारतीय संविधान में जो छेड़ छाड़ करने की कोशिश सरकार करती है तो सरकार परिणाम  के लिए तैयार रहे |

इस कार्यकर्म  में सामाजिक कार्य कर्ता -हरी नारायण बैरवा ,राजाराम मील { अध्यक्ष आरक्षण अधिकार मंच } ,परशुराम जाटव, मुरारी लाल जांगिड ,सत्य नारायण सोनी , भंवर लाल सेनी ,धर्मेन्द्र  चौधरी ,जे पी विमल  आदि शामिल हुए |

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