नए कृषि कानूनों के मुद्दों को हल करने के लिए केंद्र सरकार के केंद्रीय मंत्री व किसान संघ के प्रतिनिधि 11 वें दौर की बातचीत शुक्रवार यानी आज होगी। यह बातचीत विज्ञान भवन में होगी जिसमें तीनों कृषि कानून को लेकर पिछले दस दौरे की चर्चाओं में कोई नतीजा नहीं निकल सका है। किसान इन कानूनों को खत्म करने की मांग पर अड़े जबकि केन्द्र सरकार कानूनों को खत्म करने बजाय उन में कुछ बदलाव करने पर तैयार है।
किसान संगठनों ने 26 जनवरी को टै्रक्टर मार्च निकालने का ऐलान कर चुके है जबकि केन्द्र सरकार इस मार्च को नहीं निकालने की बात कह रही है। देश की सर्वोच्च अदालत ने किसान आंदोलन पर सुनवाई करते हुए कहा था कि आंदोलन करने वाले किसानों की मांगों को सही प्रकार से समझने के लिए एक समिति नियुक्त करने का प्रस्ताव दिया था लेकिन इस समिति को लेकर किसान सगठनों ने आपत्ती जताई है। किसान सगठनों ने गुरुवार को सरकार की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उनकी मांग कानूनों को खत्म करने को लेकर है।
इसके साथ किसान संगठन ट्रैक्टर रैली आयोजित करने की अनुमति के संबंध में दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ चर्चा करेंगे।
तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान संगठन पिछले लगभग दो महीने से आंदोलन कर रहे हैं। सभी किसानों के लिए सभी फसलों पर लाभदायक न्यूनतम समर्थन मूल्य ;एमएसपी पर एक कानून बनाने की बात कही है। अब यह देखना होगा की आज की वार्ता में किसान संगठन क्या निर्णय करते है अगर बात नहीं बनी तो यह आंदोलन जारी रहेगा

सुप्रीम कोर्ट ने तीनों नये कानूनों पर रोक लगा दी है। कोर्ट के अगले आदेश तक ये कानून लागू नहीं होंगे और इसके साथ अदालत ने इन कानूनों पर चर्चा के लिए एक समिति का गठन भी किया है। इसके लिए कोर्ट ने हरसिमरत मान, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, डॉ प्रमोद कुमार जोशी (पूर्व निदेशक राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन), अनिल धनवत के नाम कमिटी के सदस्य के तौर पर पेश किये है।