Fanaticism regarding the fees of private schools wrong – Pawan Dev
जयपुर | प्राइवेट स्कूलों की फ़ीस को लेकर अभिभावक व् स्कूल प्रशासन में खीचतान चल रही है जिसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकल पाया है इस को लेकर सोशल एक्टिविस्ट व् जर्नलिस्ट पवन देव ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लेटर लिखकर – इस वैश्विक महामारी कोविड -19 व् लॉक डाउन के चलते अभिभावकों की जो आर्थिक स्थिति ख़राब हुई है जिसके चलते उनका घर चलाना भी मुश्किल हो गया है की और ध्यान दिलाते हुयें कहा है की
गैर सरकारी स्कूलों द्वारा इस लॉक डाउन के समय जो फ़ीस वसूली की जा रही है उस पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई जायें व् 3 माह की स्कूल की फ़ीस माफ़ की जायें |
मोहदय गौरतलब है की देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने देश में 22 मार्च को मध्य रात्रि को लॉक डाउन करने का आदेश जारी करा था जिसके साथ ही राजस्थान सरकार ने भी राजस्थान में लॉक डाउन को सख्ती से लागू किया जिसके चलते रा

जस्थान में सकारात्मक परिणाम नज़र आयें और इस वैश्विक महामारी में जितना नुकसान जनता को होना चाहियें था उससे कम ही देखने को मिला -यह आपकी दूर द्रष्टि का ही परिणाम था की भीलवाडा मॉडल की विश्वभर ने प्रंशसा की |
राजस्थान की जनता ने राजस्थान सरकार के आदेशो को ईमानदारी से मानते हुयें लॉक डाउन का पालन किया जिसकी प्रंशसा माननीय प्रधानमंत्री महोदय ने भी की एवम् अन्य राज्यों को राजस्थान की गहलोत सरकार से सिखने की नसीयत दी |महोदय मुख्य रूप से राजस्थान राज्य आर्थिक रूप से व् शिक्षा की द्रष्टि से पिछड़ा हुआ है प्रदेश की अभि
भावको / जनता की रोजी – रोटी कृषि , पशुपालन व् मुख्यतौर पर खुला काम ( अन ऑर्गेनाइजेशन सेक्टर ) के रूप में अधिक करते है अपने परिवार के भरन – पोषण के लियें मुख्य रूप से अभिभावक मेहनत मजदूरी करते है और पाई -पाई जोड़ कर अपने बच्चो को शिक्षित करने के लियें यथा संभव अच्छे – अच्छे स्कूल में पढ़ाते है जिसका अभिभावक सपना भी देखते है की उन का बच्चा अच्छे स्कूल में पढाई करे व् समाज व् देश में अपना योगदान दे |
लेकिन इस लॉक डाउन ने आम जनता को बुरी तरह से प्रभावित किया हैं इस लॉक डाउन ने उन्हें घर बेठने पर मजबूर कर दिया हैं जिसके चलते उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है आय के साधन बंद हो गयें है अब परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है|
वर्तमान समय में राज्य के निजी स्कूल शिक्षा का व्यवसायीकरण कर रहे है और अभिभावकों पर फ़ीस जमा कराने का दबाव बना रहे है जब की 22 मार्च 2020 से देश में लॉक डाउन है और सभी स्कूल , कॉलेज बंद है अब स्कूल प्रशासन अभिभावकों पर दवाब बना रहे है की फ़ीस जमा करायेंगे और फीस के संदेशो में लॉक डाउन के दौरान ही अंतिम तिथि घोषित कर दी गई है जबकि स्कूल प्रशासन को इस समय मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता देते हुयें लगभग 3 माह की स्कूल फ़ीस माफ़ करनी चाहियें लेकिन वास्तविकता में इस के उल्टा हो रहा है|
जैसा विदित है की लॉक डाउन के चलते काम – धंधे ठप है और आपके आह्वान पर जनता ने अपने क्षेत्र में किसी भी गरीब , जरूरतमंद को भूखा नहीं सोने दिया है लेकिन अब लॉक डाउन को लम्बा समय हो चूका है अब मध्यम वर्गीय परिवार भी अपने भोजन पानी के लियें सोचने लगा है और काम धंधा व्यवस्थित रूप से चालू होने में लगभग 6 माह लग जायेगे , यह चिंता का विषय है दिन प्रतिदिन जनता की आर्थिक हालत ख़राब हो रहे है और उस पर स्कूलों द्वारा फ़ीस की मांग अभिभावकों को मानसिक प्रताड़ना दे रही है |
अत : महोदय राज्य की जनता / अभिभावको की और विशेष ध्यान दे और उपरोक्त बिन्दुओं पर सकारात्मक कार्य करने के लियें दिशा – निर्देश दे –
1 – राज्य में संचालित गैर सरकारी ( प्राइवेट स्कू
ल ) को 3 माह तक की फ़ीस माफ़ करने हेतु निर्देश
2- इस शिक्षा सत्र ( 20- 21 ) गैर सरकारी ( प्राइवेट स्कूल ) को फ़ीस वृद्धि पर पूर्णतया रोक
3 फ़ीस संबधित किसी भी विषय पर बच्चों व् अभिभावकों को शारीरिक व् मानसिक प्रताड़ना नहीं करें इसके लियें स्कूल प्रशासन को पाबंद करें |