” जय भीम ” शब्द मध्यप्रदेश में ला सकता है बड़ा राजनेतिक फेरबदल
हरीश कुमार खोलिया
नई दिल्ली | संविधान निर्माता डॉ बाबा साहब को सम्मान देने हेतु – युवा वर्ग में एक शब्द बड़ा प्रचलित है वह है – जय भीम लेकिन वर्तमान समय में यह शब्द उज्जैन मध्य प्रदेश में सुर्ख़ियों में है इस घिरते नज़र आ रहें है एसपी मनोज सिंह
यह पूरा मामला वायरलेस सेट पर जय हिंद या जय महाकाल के बदले पुलिस कर्मियों द्वारा जय भीम बोलने पर शुरू हुआ ।यह बात पुलिस विभाग और एसपी मनोज कुमार सिंह को सहन नही हुई . देखते ही देखते ” जय भीम ” के नारे ने पुलिस महकमे और राज्य की राजनेतिक गलियारों में तहलका मचा दिया |
जब इस मामले की जानकारी एसपी मनोज कुमार सिंह तक पहुंची तो उन्होंने वायरलेस सेट पर मैसेज दिया की जो भी पुलिसकर्मी जातिगत विवाद या राजनीति के शिकार होकर जय भीम बोल रहे है वह गलत है और ऐसे पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी व निलंबित भी करने की धमकी दी गई।
बुद्धिजीवी वर्ग – जय भीम क्यों बोलते हैं
जय भीम बोलना भारत देश के संविधान और संविधान निर्माता के प्रति सम्मान का सूचक है।जय भीम किसी राजनैतिक पार्टी से जुड़ा हुआ या कोई जातिवादी शब्द नही है। यह तो देशवासियो को जोड़ता है और इस देश के कानून के प्रति सम्मान को दर्शाता है।भारत रत्न डॉ.भीमराव अम्बेडकर जी के पास 32 डिग्रियां थी जो विश्व मे एक रिकॉर्ड है।उन्होंने हमारे देश का संविधान लिखा जिससे इस असमानताओं के देश मे व्यवस्था बनी हुई है।संविधान निर्माता के प्रति सम्मान दर्शाना जातिवादी या राजनैतिक कैसे हो सकता है एसपी साहब! कही आप स्वयं तो जातिवाद और राजनीति से ग्रसित नही है ?
अब एसपी साहब अपने द्वारा कहे गयें सन्देश जो की धमकी भरा था उसे लेकर फ़स गयें है क्योकि देश के पहले कानून मंत्री और उससे से बड़ा सम्मान ” भारत रत्न – संविधान निर्माता विश्व के विद्वान लोगों में शामिल महापुरुष का नाम का उचारण करना उस देश में केसे गलत हो सकता है जिस ने देश का संविधान लिखा व् देश का पहला कानून मंत्री रहें अब एसपी साहब फसने के बाद अपनी नोकरी बचाते हुयें भाग रहें हैं |

अब कई संस्था व् संगठन और दलित नेता इसे राजनेतिक रूप से बाबा साहब के प्रति अपमान मान रहें है वह एसपी को पूर्वाग्रह से ग्रषित मान रहें है वह उन पर कारवाई की मांग कर रहें है |