अहमद पटेल कांग्रेस पार्टी के लिए वह नाम था जो अपने आप में कांग्रेस की 3 पीढ़ियों में लगातार अपना विश्वास बनाये हुए था। पटेल कांग्रेस के ऐसे नेता थे जो इंदिरा गांधी के दौर से लेकर सोनिया गांधी के वक्त तक उनका राजनीतिक सफर हमेशा से अहम रहा है। कई बार पटेल को कांग्रेस पार्टी ने अलग थलग कर दिया था लेकिन उनकी पार्टी के प्रति वफादारी है जो इतनी अनदेखी होने के बाद भी पार्टी के प्रति अपना मन नहीं बदले दिया।
राजीव गांधी की हत्या के बाद जब नरसिम्हा राव की अगुवाई में कांग्रेस ने केन्द्र में अपनी सरकार बनाई तो गांधी परिवार का सबसे वफदार कहे जाने वाले पटेल को किनारे कर दिया इसके साथ कई मौको पर पटेल को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की सदस्यता के साथ अन्य पदों से भी हटा दिया गया था। इसके बाद भी वह पार्टी के प्रति वफादार बने रहे और इसी वजह से कांग्रेस पार्टी में उनको बहुत अहम माना जाता था।
5 बार राज्यसभा और 3 बार लोकसभा सांसद बने
गुजरात में जन्में अहमद पटेल तीन बार लोकसभा के लिए चुने गए तो 5 बार राज्यसभा के सांसद चुने गये और वह पहली बार 1977 में महज 26 साल की उम्र में लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। पटेल का परिवार भी राजनीति ने जुडा हुआ था लेकिन पटेल के बच्चे इससे दूर है। इसके साथ पटेल ने कई मौको पर केन्द्रीय मंत्री पद न लेकर पार्टी को मजबूत बनाने का कार्य किया इसी वजह से वह पार्टी के सबसे शक्तिशाली नेता माने जाते थे।
पटेल का दूसरा नाम कांग्रेस का संकटमोचक
पटेल ने कई मौको पर अपने आप को साबित किया जिसके कारण उनको कांग्रेस का संकटमोचक भी कहा जाता है। इंदिरा से लेकर सोनिया तक उनकी हर बात आंख मूदकर विश्वास करती है और इसी कारण वह सोनिया गांधी के सबसे करीबी सलाहकारों में उनको गिना जाता है। अगर बात करे कांग्रेस के सबसे ताकतवर नेताओं की तो उसमें पटेल का नाम सबसे अग्रिण है। लेकिन उनके निधन से कांग्रेस पार्टी के साथ गांधी परिवार को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है।