नई दिल्ली। प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने राजस्थान की दलित सरपंच नेताओं के साथ राष्ट्रीय राजधानी में हाल में महिला सशक्तिकरण पर आयोजित राष्ट्रीय फोरम ”द ब्रिज 2018” में हिस्सा लेते हुए महिलाओं के लिए अधिक अधिकार दिए जाने की मांग की जिनमें रोजगार गारंटी, मनरेगा का समुचित कार्यान्वयन, महिलाओं के लिए आरक्षण के अलावा पेंशन योजना का पुनरुद्धार, महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षा दिए जाने के पर्याप्त कानून बनाया जाना तथा आधुनिक प्रौद्योगिकियों को उपलब्ध कराया जाना शामिल है। समाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने इस मौके पर कहा, कि राजस्थान में महिलाओं को न केवल लैंगिक आधार पर बल्कि जाति, समुदाय एवं धर्म जैसे अन्य कारकों के आधार पर लगातार भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है।

अरूणा रॉय ने कहा, महिलाएं समाज में अपनी स्थिति को पुनः प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं, जिसके कारण उन्हें लगातार सत्ता में स्थापित लोगों और मुख्य तौर पर पुरुषों द्वारा उन्हें परेशान किया जा रहा है। हालांकि महिलाओं के लिए कानून विद्यमान है, लेकिन उनके पूर्ण कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के उपाय और जमीनी हकीकतों के अनुसार कानून के विकास पूरी तरह से अपर्याप्त है। इस मौके पर उपस्थित सभी महिला सरपंचों ने कहा कि उन्होंने 3000 रूपए खर्च करके चुनाव जीते हैं जबकि कई लोग लाखों और करोड़ों रूपए खर्च करके चुनाव जीतते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने कम खर्च करने के बावजूद चुनाव जीते क्योंकि वे ईमानदार हैं और लोग उन पर भरोसा करते हैं। अरुणा रॉय ने कहा, राजस्थान में अगर महिला आरक्षण नहीं हो तो वे कभी भी किसी भी तरह से चुनाव नहीं लड़ पाएंगी। इन महिलाओं के कारण, सड़कों का निर्माण, नौकरियों का सृजन और कई कल्याणकारी योजनाओं को सफलतापूर्वक जमीन पर लागू किया गया।तिलोनिया की ग्राम पंचायत सरपंच कमला ने कहा, ‘‘एक सरपंच किसी भी राजनीतिक दल के नहीं होती है।
सरपंच जमीनी स्तर के कार्यकर्ता होते हैं जिसका काम लोगों को प्रभावित करने वाले वास्तविक मुद्दों का समाधान करना है। हमें रोल मॉडल बनना चाहिए और लोगों को ईमानदारी से चुने जाने और भ्रष्टाचार किए बगैर लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में हालांकि अधिक पैसा पंचायतों के लिए आवंटित किया गया है, लेकिन इसका एक बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार के कारण अन्य कार्यों में लगाया जा रहा है। राजनीति में भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए कमला ने कहा, ‘‘सरकार ने हाल में यह नियम बनाया है कि पंचायत चुनाव लड़ने वाले किसी भी व्यक्ति को कम से कम 8 वीं कक्षा तक पढ़ा-लिखा होना चाहिए। सरकार के इस प्रतिबंध के कारण वह चुनाव लड़ने में असमर्थ हैं, लेकिन बहुत से लोग मुझे फर्जी मार्कशीट के आधार पर चुनाव में खड़े होने को कहते हैं। आज की महिलाएं भ्रष्ट तरीकों को अपनाने के बजाय पात्रता मानदंडों को पूरा करने के लिए कोचिंग कक्षाएं ले रही हैं और कड़ी मेहनत कर रही हैं।अरुणा रॉय ने बताया कि राजस्थानी महिलाओं ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बेहद योगदान दिया है, जिसके कारण भारत सरकार द्वारा कई कल्याणकारी नीतियां और कार्यक्रम शुरू किए गए हैं जैसे यौन उत्पीड़न रोकने के लिए विशाखा दिशा निर्देश, बलात्कार रोधी कानून और सती विरोधी कानून आदि।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा को छोड़कर सभी दलों ने महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ संघर्ष में सहयोग किया है।’’ हम लड़े, हम जीते। हम अपने अधिकारों की मांग कर रही हैं, हम भीख नहीं माँग रही हैं।’’ अरुणा रॉय ने कहा।”ब्रिज 2018″ भारत में लैंगिक सशक्तिकरण के विचारों के आदान-प्रदान एवं संवाद के लिए आयोजित एक दिन का कार्यक्रम था जिसमें राजनीति, थियेटर, कला और मनोरंजन जगत से 40 प्रमुख वक्ताओं ने हिस्सा लिया। इन वक्ताओं ने उन मुद्दों को उठाया जिनसे आज देष की महिलाओं को सबसे अधिक सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा इन वक्ताओं ने इस बारे में भी चर्चा की कि किस तरह से महिलाएं एवं लड़कियां दुनिया को बदल रही हैं। इस कार्यक्रम में राजनीतिक दलों, कॉर्पारेट जगत, सिनेमा, खेल और रोज़मर्रा की जिंदगी में महिलाओं की समस्याओं पर विचार-विमर्श किया गया। इसका उद्देश्य महिला सशक्तिकरण के अभियान को हतोत्साहित करने वाले कारणों को दूर करना तथा सवालों को उठाना था ताकि नए संवाद कायम हो और सिद्धांत और कार्यान्वयन के बीच के अंतर को दूर किया जा सके।
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