जॉब: केन्द्र सरकार 1 लाख पदों पर 2020 में करेगीं भर्ती, 7 लाख से ज्यादा रिक्तियां

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में कुल खाली पदों के छ: लाख से भी ज्यादा पद खाली पड़े हैं लगभग सात लाख पद खाली पड़े हैं। जिसमें से लगभग छ लाख पद ग्रुप सी में रिक्त पड़े हैं जबकि ग्रुप बी में रिक्त पदों की संख्या एक लाख और ग्रुप में खाली पदों की संख्या 20 हजार के करीब है।

पिछले साल तक मार्च के महीने में केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में करीब सात लाख पद खाली पड़े थे फॉरेस्ट आफ कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा को एक सवाल के लिखित जवाब में उन्होंने इस बात की जानकारी दी है।

साल 2017 अट्ठारह के दौरान रेल मंत्रालय एवं रेलवे भर्ती बोर्ड में नहीं और 2 साल की अवधि में खाली होने वाले पदों के लिए विभिन्न ग्रुप सी और लेवल 1 पदों की संयुक्त करीब 127555 वैकेंसी के लिए केंद्रीकृत रोजगार अधिसूचना को जारी कर दिया गया है।

अपने दायर करे के जवाब में उन्होंने कहा है कि सरकार के द्वारा साल 2019 20 के दौरान करीब ही क्लॉक पोस्ट पढ़ने के लिए स्टाफ सिलेक्शन कमीशन ने भर्ती प्रक्रिया को शुरू कर दिया है।

एसएससी आरबीएस के जरिए करीब 408591 पदों में भर्ती प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है। नहीं है एक दूसरे के सवाल के लिखित जवाब में मंत्री ने बताया कि अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित कई पद खाली हैं।

ग्रुप सी एवं लेवल 1 पदों के लिए करीब 155000 वैकेंसी से भी ज्यादा किस संबंध में अन्य पांच केंद्र की ओर से अधिसूचना साल दो हज़ार अट्ठारह उन्नीस को जारी कर दिया गया है पुलिस सूत्रों ने बताया कि पदों से जुड़े विभिन्न विभागों में भी विभिन्न ग्रेड की 19522 वैकेंसी के भरने के लिए परीक्षाओं का आयोजन किया गया है।

बढ़ सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम, सरकारी निर्देश का इंतजार

नई दिल्ली। तेल कंपनियों ने BS-VI ईंजन के आधार पर नया इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया है। इसी खर्च की भरपाई करने के लिए इन कंपनियों ने सरकार से पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ाने की अनुमति मांगी है।

बता दें कि इन कंपनियों ने अगले साल अप्रैल माह से लागू होने वाले BS Stage-VI वाहनों के ईंधन के लिए नए इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश किया है। प्राइवेट तेल विपणन कंपनियों ने भी बड़े स्तर पर खर्च किया है।

बहुत जल्द पेट्रोल-डीजल पर होने वाला खर्च आपके बजट को बिगाड़ सकता है. केंद्र सरकार विचार कर रही है कि तेल कंपनियों को कम प्रदूषण वाले ईंधन के लिए प्रीमियम चार्ज वसूलने की मंजूरी दे दी जाए।

खास बात ये भी हैं यह बढ़ोतरी अगले पांच साल के लिए जारी रह सकती है.सरकार की अनुमति के बाद क्या बदलेगा।अगर तेल विपणन कंपनियों (OCM’s) के इस प्रस्ताव को सरकार मान लेती है तो आपको एक लीटर पेट्रोल या डीजल के लिए 80 पैसे से लेकर 1.50 रुपये प्रति लीटर तक खर्च करना पड़ सकता है।

नए इन्फ्रास्ट्रक्चर पर हुए खर्च को रिकवर करने का प्लान
सरकारी और प्राइवेट तेल विपणन कंपनियों ने पेट्रोलियम मंत्रालय (Ministry of Petroleum) से मांग है कि वो उनके इन्वेस्टमेंट के कुछ हिस्से की भरपाई दरें बढ़ाकर करने की अनुमति मिले।

बीते कुछ महीनों में कच्चे तेल के वैश्विक बाजार में कुछ खास उतार-चढ़ाव नहीं देखने को मिला है. यही कारण है कि बीते कुछ सप्ताह में देसी तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कई बार कटौती भी किया है।

तेल कंपनियों को नए इन्फ्रास्ट्रक्चर की लागत की भरपाई करने के लिए खुदरा पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा करना कई विकल्पों में से एक है। इसके लिए मंत्रालय को उन्हें पूरे कॉस्ट रिकवरी के बारे में जानकारी देना होगा और निर्देश का इंतजार करना होगा।

CAA : दिल्ली में लोगों ने किया उग्र प्रदर्शन, जामा मस्जिद क्षेत्र में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात

नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आग थमने का नाम नहीं ले रही है देश की राजधानी आज बड़ी संख्या में लोगों ने उग्र प्रदर्शन किया । वर्तमान केन्द्र सरकार के खिलाफ जमकर नारे बाजी की। प्रदर्शनकारी जामा मस्जिद क्षेत्र में जमा हो गए। इस दौरान कई संगठनों के नेता भी इस प्रदर्शन में मौजूद रहे। हालात को काबू में रखने के लिए भारी पुलिस बल के साथ ही बड़ी संख्या में पुलिस बल के जवान भी जामा मस्जिद इलाके में तैनात हैं।

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशन रजिस्टर फॉर सिटिजनशिप (NRC) को लेकर चल रहा विरोध प्रदर्शन शुक्रवार को भी जारी रहा। विरोध की आग एक बार फिर देश की राजधानी तक पहुंचने लगी है और इसी क्रम में प्रदर्शनकारी जामा मस्जिद क्षेत्र में जमा हो गए।

जामा मस्जिद में हो रही नारेबाजी और प्रदर्शन के बीच भीमा आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर भी मौजूद था। गौरतलब है कि इससे पहले चंद्रशेखर ने जामा मस्जिद से जंतर मंतर तक सीएए के विरोध में मार्च करने की घोषणा की थी। लेकिन दिल्ली पुलिस और प्रशासन ने उसे इस बात की मंजूरी नहीं दी। जिसके बाद वह जामा मस्जिद पहुंचा था।

जामा मस्जिद पर प्रदर्शन के दौरान CAA और NRC के विरोध में जमकर नारेबाजी हुई। जुम्मे की नमाज के बाद जामा मस्जिद परिसर में बड़ी संख्या में लोग जुटने शुरू हो गए। इसके बाद नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के विरोध में जमकर नारेबाजी की गई।

कई संगठनों के नेता भी इस प्रदर्शन में मौजूद रहे। हालात को काबू में रखने के लिए भारी पुलिस बल के साथ ही बड़ी संख्या में पुलिस बल के जवान भी जामा मस्जिद इलाके में तैनात हैं। इसके साथ ही दिल्ली पुलिस के कई वरिष्‍ठ अधिकारी भी मौके पर मौजूद दिखे और लोगों को शांति से जाने की अपील करते रहे।

केन्द्र सरकार को गिराने का समय आ गया हैः अजीत पवार

सांगली। महाराष्ट्र के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता अजीत पवार ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार ने जनता को बहुत लुभावने सपने दिखाये थे लेकिन जनता के हितों से जुड़ा कोई काम ये सरकारें नहीं कर रही हैं इसलिए अब समय आ गया है कि केन्द्र और राज्य की सरकारों को गिरा दिया जाये।

पवार एक रैली को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राज्य के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस ने जनता से झूठे वादे किये थे। इनके शासन में गरीब और गरीब हो रहे हैं तथा अमीर और अधिक अमीर होते जा रहे हैं।उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सभी मोर्चों पर विफल रही है और सभी क्षेत्रों में भ्रष्टाचार फैल रहा है। गरीब किसानों को लुभावने सपने दिखा कर सत्ता हासिल कर ली और अब किसानों का ध्यान नहीं दे रहे। उन्होंने कहा कि राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी के कारण महाराष्ट्र में भीमा कोरागाव जैसी घटना को रोका नहीं जा सका।

 


महाराष्ट्र राकांपा अध्यक्ष सुनील तटकरे ने कहा कि पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार जब केन्द्र सरकार में थे, तब उन्होंने किसानों का ऋण माफ करने के लिए 71 हजार करोड़ रुपये दिये थे लेकिन आज सरकार के ऋण माफी योजना पर किसान असंतोष महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि शरद पवार जैसे नेता की देश को आवश्यकता है जो देश को एक सही दिशा दे सकते हैं।

SC/ST एक्ट: केंद्र सरकार ने दायर की पुनर्विचार याचिका

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) अत्याचार निवारण अधिनियम से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश की समीक्षा के लिए आज पुनर्विचार याचिका दायर की। सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय के माध्यम से सरकार ने इस मामले में याचिका दायर करके शीर्ष अदालत से अपने गत 20 मार्च के आदेश पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया है। सरकार का मानना है कि एससी और एसटी के खिलाफ कथित अत्याचार के मामलों में स्वत: गिरफ्तारी और मुकदमे के पंजीकरण पर प्रतिबंध के शीर्ष कोर्ट के आदेश से 1989 का यह कानून ‘दंतविहीन’ हो जाएगा। मंत्रालय की यह भी दलील है कि सर्वोच्च न्यायालय के हालिया आदेश से लोगों में संबंधित कानून का भय कम होगा और एससी/एसटी समुदाय के व्यक्तियों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में व्यवस्था दी है कि एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत दर्ज मामलों में बगैर उच्चाधिकारी की अनुमति के अधिकारियों की गिरफ्तारी नहीं होगी। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि गिरफ्तारी से पहले आरोपों की प्रारम्भिक जांच जरूरी है।इतना ही नहीं, गिरफ्तारी से पहले जमानत भी मंजूर की जा सकती है। न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की पीठ ने गिरफ्तारी से पहले मंजूर होने वाली जमानत में रुकावट को भी खत्म कर दिया है। शीर्ष कोर्ट के इस फैसले के बाद अब दुर्भावना के तहत दर्ज कराए गए मामलों में अग्रिम जमानत भी मंजूर हो सकेगी।न्यायालय ने माना कि एससी/एसटी अधिनियम का दुरुपयोग हो रहा है। पीठ के नए दिशानिर्देश के तहत किसी भी सरकारी अधिकारी पर मुकदमा दर्ज करने से पहले पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) स्तर का अधिकारी प्रारंभिक जांच करेगा। किसी सरकारी अधिकारी की गिरफ्तारी से पहले उसके उच्चाधिकारी से अनुमति जरूरी होगी।

महाराष्ट्र की एक याचिका पर न्यायालय ने यह अहम फैसला सुनाया है। पीठ ने केंद्र सरकार और न्याय मित्र अमरेंद्र शरण की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। न्यायालय ने इस दौरान कुछ सवाल भी उठाए थे कि क्या एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के लिए प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपाय किये जा सकते हैं ताकि बाहरी तरीकों का इस्तेमाल न हो? क्या किसी भी एकतरफा आरोप के कारण आधिकारिक क्षमता में अधिकारियों पर मुकदमा चलाया जा सकता है और यदि इस तरह के आरोपों को झूठा माना जाये तो ऐसे दुरुपयोगों के खिलाफ क्या सुरक्षा उपलब्ध है?

क्या अग्रिम जमानत मंजूर न होने की वर्तमान प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उचित प्रक्रिया है?शीर्ष अदालत के इस फैसले को लेकर राजनीतिक हलकों में सरगर्मी तेज हो गयी थी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दलों के कुछ एससी/एसटी सांसदों ने लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान एवं केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत के नेतृत्व में गत सप्ताह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात भी की थी। गहलोत ने इस मामले में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र भी लिखा था।

मोदी सरकार झुकी – दलित आंदोलन तेज

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एससी/एसटी ऐक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है। देश भर में दलित संगठनों ने इस फैसले के विरोध में बंद का आयोजन किया है। शीर्ष अदालत के फैसले पर दलित संगठनों की नाराजगी को देखते हुए केंद्र सरकार ने ऐलान किया था कि वह इस मसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी।

ये विरोध अब हिंसात्मक रूप लेता जा रहा है। देश में कई जगहों पर तोड़फोड़, पथराव, गाड़ियां जलाना, दुकाने बंद करवाने जैसी घटनाएं हो रही है। इधर, केंद्र सरकार ने एससी/एसटी एक्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है। जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार की तरफ से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय पुनर्विचार याचिका दायर करते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताएगा कि सीधे गिरफ्तारी पर रोक का निर्णय उस कानून को हल्का कर देगा, जिसका उद्देश्य अधिकार विहीन वर्ग को सुरक्षा देना है।

मंत्रालय अपनी याचिका में आग्रह करेगा कि ताजा निर्णय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम-1989 के भय को खत्म करेगा, जिससे दलित हिंसा की घटनाएं बढ़ सकती हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस कानून के तहत जांच से पहले गिरफ्तारी और मुकदमा दर्ज करने पर प्रतिबंध लगा दिया था।

बजट सत्र आज भी चढ़ सकता है हंगामे की भेट

नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ कल लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव हंगामे के कारण पेश नहीं हो पाया है। आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर एनडीए से अलग हुई तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और वाईएसआर कांग्रेस ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया, हालांकि थोड़ी ही देर बाद दोनों दलों ने सदन में हंगामा करना शुरू कर दिया। दोनों दलों के सांसद हंगामा करते हुए लोकसभआ स्पीकर के पास पहुंच गए, जिसकी वजह से लोकसभा को स्थगित करना पड़ा। जिसके चलते विपक्षी दलों का लाया गये अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी नही मिल पाई।

दूसरी ओर अविश्वास प्रस्ताव से बेपरवाह दिख रही सरकार ने विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र प्रसाद ने कहा, एक तरफ तो वह अविश्वास प्रस्ताव ला रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ वह संसद में हंगामा कर रहे हैं ताकि प्रस्ताव को चर्चा के लिए स्वीकार नहीं किया जा सके। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा कि सरकार अविश्वास प्रस्ताव समेत सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। हालांकि विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर अविश्वास प्रस्ताव की राह में रोड़ा डालने का आरोप लगाया है।

केंद्र सरकार के खिलाफ पेश होने वाले पहले अविश्वास प्रस्ताव को कांग्रेस पार्टी ने समर्थन दिया है। वहीं एनडीए की सहयोगी शिव सेना ने बीजेपी को झटका देते हुए अविश्वास प्रस्ताव से दूरी बना ली है। शिव सेना ने कहा कि वह इस अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार और विपक्षी दल, दोनों में से किसी के साथ खड़़ी नहीं होगी।

आयकर विभाग ने 1600 से अधिक बेनामी लेनदेन का लगाया पता: सरकार

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने मंगलवार को बताया कि आयकर विभाग ने इस साल 28 फरवरी तक 1600 से अधिक बेनामी लेनदेन का पता लगाया है। वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने मंगलवार को राज्यसभा को नरेश गुजराल के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी उन्होंने बताया कि फरवरी 2018 तक 1600 से अधिक लेन देनों का पता लगाने के अलावा, बेनामी संपत्तियों की कुर्की के लिए 1500 से अधिक मामलों में कारण बताओ नोटिस जारी किए गए और 1200 से अधिक मामलों में कुर्की भी की जा चुकी है। शुक्ल ने बताया कि कुर्की की जाने वाली संपत्तियों का मूल्य 3900 करोड़ रुपए से अधिक है।

उन्होंने राम कुमार कश्यप के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि आयकर विभाग ने ऑपरेशन क्लीन मनी के तीन चरणों में 22.69 लाख ऐसे व्यक्तियों की पहचान की है जिनका कर प्रोफाइल उनके द्वारा नोटबंदी के दौरान जमा की गई धन राशि से मेल नहीं खाता है। शुक्ल के मुताबिक नोटबंदी की अवधि के दौरान इन 22.69 लाख करदाताओं के मामले में बैंक खातों में कुल 5.27 करोड़ की धनराशि जमा पाई गई है।

राजस्थान विधानसभा चुनावों से पहले मुस्लिम वोट साधने को तैयार – भाजपा

अल्पसंख्यकों के लिए अलवर में खुलेगा पहला शैक्षणिक संस्थान-

नई दिल्ली। अल्पसंख्यकों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के पांच शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने की केंद्र सरकार की योजना के तहत पहला संस्थान राजस्थान के अलवर में स्थापित किया जाएगा। अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि अल्पसंख्यकों के लिए विश्व स्तरीय शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने की श्रृंखला में राजस्थान के अलवर में पहले संस्थान के लिए 100 एकड़ जमीन मिल गई है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पूर्वोत्तर में गुवाहाटी में अंतरराष्ट्रीय स्तर के शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने के लिए भूमि चिन्हित करने का कार्य चल रहा है। नकवी ने कहा कि यह वृहद योजना है क्योंकि इसके तहत संस्थाओं में शोध केंद्र, प्रयोगशाला, पुस्तकालय सहित खेलकूद जैसी सुविधाएं तैयार की जाएंगी।

 

अल्पसंख्यकों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के पांच शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना के लिए वर्ष 2016 में परिकल्पना तैयार की गई थी और इसके लिए अफजल अमानुल्लाह के नेतृत्व में 11 सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप दी है। मार्च 2017 के बाद इस महत्वाकंाक्षी योजना पर अमल की प्रक्रिया शुरू हुई। मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, उत्तरप्रदेश के ग्रेटर नोएडा में अल्पसंख्यकों के लिए ‘स्किल डेवलपमेंट हब’ तैयार करने के लिए कार्य चल रहा है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का कहना है कि यह वृदह योजना है और ऐसे एक संस्थान के लिए 50 से 100 एकड़ जमीन की जरूरत होगी। अल्पसंख्यकों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के पांच शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने की पहल के तहत तकनीकी, मेडिकल, आयुर्वेद, यूनानी सहित विश्वस्तरीय कौशल विकास की शिक्षा देने वाले संस्थान स्थापित किए जाएंगे।

इन शिक्षण संस्थानों में 40 प्रतिशत आरक्षण लड़कियों के लिए किए जाने का प्रस्ताव है। नकवी ने बताया कि मंत्रालय अल्पसंख्यक समुदायों के पिछड़े, कमजोर और गरीब वर्ग के विद्यार्थियों के लिए नवोदय विद्यालय की तर्ज पर 100 से अधिक स्कूल खोलने जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के अंत तक इनमें से 32 स्कूल काम करना शुरू कर देंगे। इनमें बालिकाओं को तवज्जो दी जाएगी। इस सन्दर्भ में 10 जनवरी 2017 को गठित एक उच्च स्तरीय कमेटी ने इन शिक्षण संस्थानों की रुपरेखा व जगह आदि के बारे में अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है। नकवी ने कहा कि यह चिंता की बात है कि अल्पसंख्यकों विशेषकर मुस्लिमों में साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत दर से बहुत नीचे है। सरकार इसे दूर करने के लिए शैक्षिक सशक्तिकरण का मजबूत अभियान चला रही है। मंत्री ने कहा कि अल्पसंख्यकों में और खासकर मुस्लिम समुदाय की लड़कियों का स्कूल ड्रॉप आउट रेट 72 फीसद से ज्यादा होना चिंता का विषय है। इसे ध्यान में रखते हुए अल्पसंख्यक मंत्रालय ने अल्पसंख्यकों, खासकर लड़कियों के शैक्षिक सशक्तिकरण पर जोर दिया है।

सरकार ने बिल्डरों को दिया निर्देश, किफायती मकान खरीदने वालों से नहीं वसूलें GST

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बिल्डरों से किफायती मकान खरीदने वाले लोगों से GST न वसूलने को कहा गया है। सरकार के मुताबिक, सभी सस्ती आवासीय परियोजनाओं पर प्रभावी जीएसटी दर 8% है, जिसे ‘इनपुट क्रेडिट’ के माध्यम से अजस्ट किया जा सकता है।

केंद्र ने कहा कि, बिल्डर अफोर्डेबल हाउसिंग प्रॉजेक्ट के तहत घर खरीदने वालों से GST तभी वसूल कर सकते है, जब वह अपार्टमेंट की कीमतें कम कर दें। सरकार ने बताया है कि अगर बिल्डर कच्चे माल पर क्रेडिट के दावे को शामिल करने के बाद मकान का दाम घटाते हैं, तभी वे सस्ती आवासीय परियोजनाओं के तहत फ्लैट खरीदने वालों से माल एवं सेवा कर वसूल सकते हैं।

GST परिषद ने 18 जनवरी को अपनी अंतिम बैठक में CLSS के तहत मकानों के निर्माण के लिये रियायती दर से 12 प्रतिशत GST लगाने की बात बताई। इसका मकसद सस्ते मकान को बढ़ावा देना है जिसे 2017-18 के बजट में बुनियादी ढांचा का दर्जा दिया गया है।

%d bloggers like this: