तो क्या संघ विरोधी छवि बनाई जा रही है राजस्थान मुख्यमंत्री राजे की –

तो क्या संघ विरोधी छवि बनाई जा रही है राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे की – उम्मीदवारों पर राष्ट्रीय नेतृत्व से टकराव जाने एक नज़र –

जयपुर के दो बड़े समाचार -पत्र में  2 नवम्बर की खबरों पर भरोसा किया जाए तो प्रतीत होता है कि 7 दिसम्बर को होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों को लेकर सीएम वसुंधरा राजे और भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व में टकराव हो गया है।
वसुंधरा राजे 35 विधायकों के टिकिट नहीं काटना चाहती है तो पांच वर्ष तक उनके वफादार रहे हैं, जबकि राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह खराब छवि वाले विधायकों को दोबारा से उम्मीदवार बनाना नहीं चाहते। अमितशाह हर हाल में राजस्थान में दोबारा से भाजपा की सरकार चाहते हैं। भाजपा के उम्मीदवारों को लेकर अब दिल्ली में मशक्कत हो रही है। 2 नवम्बर को दैनिक भास्कर में 95 विधायकों की सूची छपी है, जिन्हें वसुंधरा राजे ने दोबारा से उम्मीदवार बनवाना चाहती हैं। यह सूची देश के सबसे बड़े अखबार में छपी है इसलिए थोड़ा तो विश्वास करना ही पडेगा। भास्कर जैसा अखबार वसुंधरा राजे जैसी ताकतवर मुख्यमंत्री की सूची यंू ही नहीं छाप सकता। आखिर भास्कर की भी विश्वसनीयता की बात है। यदि इस सूची को देखा जाए तो इसमें अधिकांश विधायक वो ही हैं जो पांच वर्ष वसुंधरा राजे के वफादार रहे। भाजपा संगठन हो या 

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, लेकिन अधिकांश विधायकों ने वसुंधरा राजे के निर्देशों की ही पालना की। राजस्थान में 200 सीटें हैं और 163 भाजपा के पास हैं। अब यदि वसुंधरा राजे 95 विधायकों को दोबारा से उममीदवार बनवाना चाहती है तो शेष 68 विधायकों का क्या होगा? राजनीति के जानकारों का मानना है कि इन 68 में से अधिकांश विधायक संघ पृष्ठ भूमि वाले हैं। ये ऐसे विधायक हैं तो वसुंधरा राजे से पहले संघ के दिशा निर्देशों का पालन करेंगे। इस तथ्य की सच्चाई अजमेर जिले के 7 विधायकों से लगाई जा सकती है। वसुंधरा राजे की सूची में केकड़ी के विधायक शत्रुघ्न गौतम, पुष्कर से सुरेश सिंह रावत किशनगढ़ के भागीरथ च ौधरी तथा ब्यावर के विधायक शंकर सिंह रावत का नाम है, लेकिन संघ की पृष्ठ भूमि वाले अजमेर उत्तर के वासुदेव देवनानी, दक्षिण की भाजपा विधायक श्रीमती अनिता भदेल तथा मसूदा की श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा का नाम शामिल नहीं हैं। यानि सीएम वसुंधरा राजे अजमेर में सात में से तीन क्षेत्रों में उम्मीदवार बदलना चाहती हैं, जबकि 5 में नहीं। सब जानते है कि पहली बार विधायक बने शत्रुघ्न गौतम और सुरेश रावत को सीएम राजे ने संसदीय सचिव भी बनाया, वहीं शंकर सिंह रावत और भागीरथ च ौधरी का अपने-अपने क्षेत्रों में रुतवा बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इन विधायकों के विरुद्ध आने वाली शिकायतों को भी अनसुना किया। जानकारों के अनुसार ऐसी सूची को देखने के बाद ही अमितशाह ने कहा था कि अभी और मंथन करो। यदि उममीदवारों का मामला संघ और वसुंधरा राजे की पसंद में फंसता है तो आने वाले दिनों में भाजपा के सामने संकट खड़ा होगा। सब जानते है। कि प्रदेशाध्यक्ष को लेकर भी वसुंधरा राजे और राष्ट्रीय नेतृत्व में 6 माह तक खींचतान चली थी। बाद में समझौते के अनुरूप अशोक परनामी के स्थान पर मदनलाल सैनी को तो बनाया गया, लेकिन साथ ही राष्ट्रीय नेतृत्व को यह घोषणा करनी पड़ी की विधानसभा का चुनाव वसुंधरा के नेतृत्व में लड़ा जाएगा तथा बहुमत मिलने पर वसुंधरा ही सीएम बनेगी। लेकिन वसुंधरा राजे को भी पता है कि राजनीति कसमे वायदे कोई मायने नहीं रखते हैं। चुनाव के बाद वे तभी सीएम बन सकती हैं, जब विधायकों का समर्थन मिले। यही वजह है कि वसुंधरा राजे अपने समर्थकों को ज्यादा से ज्यादा टिकिट दिलवाना चाहती हैं।

अलवर उपचुनाव – बाबा बालक नाथ हो सकते है बीजेपी प्रत्याशी –

अलवर लोकसभा के उपचुनाव में कांग्रेस जातिगत कार्ड से चुनाव जीत सकती है क्या ?

गुजरात व हिमाचल विधानसभा चुनावों के बाद अब  राजस्थान में लोकसभा के लिए उपचुनावों होने है जिसको लेकर बीजेपी और कांग्रेस अपना पूरा जोर सटीक रणनीति बनाने और उपचुनाव जितने के लिए प्रयासरत है वही कांग्रेस पार्टी  केंद्रीय नेतृव से लेकर राज्य इकाई तक सक्रिय दिखाई दे रही है तो सत्ताधारी बीजेपी कांग्रेस पार्टी की  रणनीति को देख कर अपना इक्का चलेगी |

कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव तिथियों से पहले अलवर के लिए अपने प्रत्याशी के रूप में डॉ. करन सिंह यादव को मैदान में उतार दिया है |

इस सीट से 1977 से यादव जाति के उम्मीदवार अधिक जीतते आये  है दो बार को छोड़कर जो 1991व 2009 के लोकसभा चुना

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वों में ये सीट अलवर राजघराने के उम्मीदवार के कब्जे में रही है अब यह देखना होगा की सत्ताधारी बीजेपी जातिगत आधार देखकर अपना प्रत्याशी मैदान में उतारती है या बीजेपी के स्टार प्रचारक एवं देश के प्रधानमंत्री मोदी जी के विजन  – विकास के नाम पर अन्य कोई राजनीती कार्ड खेलती है , देखना बड़ा रोचक होगा क्योकि लोकसभा के उपचुनाव ओ के परिणाम आगामी राजस्थान विधानसभा चुनाव में मुख्य भूमिका निभा सकते है | 

बीजेपी जहाँ  दिवंगत अलवर सांसद  बाबा चांद नाथ के शिष्य बाबा बालक नाथ को चुनावी मैदान में  उतार सकती है  बाबा बालक नाथ भी यादव जाति के ही है और वे बाबा मस्त नाथ आश्रम( रोहतक )की गद्दी पर है। इस सीट पर सबसे अधिक वोट यादव जाति के है और अन्य वोट मुस्लिम व अनुसूचित जाति व जनजाति के भी है। अब देखना है इस सीट पर कांग्रेस या भाजपा किस की जीत सुनिशिचित होती  है। क्षेत्र में भाजपा के अन्य उम्मीदवार राजस्थान सरकार के श्रम मंत्री व बहरोड़ विधायक जसवंत सिंह और राज्य सभा सांसद भूपेंद्र यादव के नामों की भी चर्चा जोरो पर  है परंतु बीजेपी के लिए  मजबूत उम्मीदवार बाबा बालक नाथ ही है । अगर डॉ. करण सिंह मुस्लिमों व अनुसूचित जाति व जनजाति के वोट और यादव जाति के 30-40 प्रतिशत वोट भी पा लेते है तो भी कांग्रेस अपनी जीत पकी मान सकती  है।डॉ. करन सिंह राजस्थान यादव महासभा के अध्यक्ष है और अपनी साफ छवि की राजनीति के लिये जाने जाते है।वे दो बार बहरोड़ से विधायक और एक बार अलवर से सांसद भी रह चुके है। भाजपा इस चुनाव में पीछे दिखाई दे रही है और कांग्रेस आगे दिखाई दे रही है।अब देखना होगा की  बीजेपी   क्या चाल चलती है ये बीजेपी  उम्मीदवार के नाम घोषित होने के  बाद ही पता चलेगा । परन्तु ये चुनाव कांटे की टक्कर का होगा। यह निश्चित है  |

 स्टोरी { अलवर }  : महेश कुमार

{ politico24x7.com/ news team } 

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