3 नये कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के साथ लगातार वार्ता कर रही केन्द्र सरकार अब उनकी मांगों पर मुहर लगाती हुई नजर आ रही है। किसान संगठनों की 4 मांगों में से सरकार ने उनके एजेंडे की दो मांगें मान लीं। इसमें पराली जलाने को लेकर किसानों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने और विद्युत संशोधन अधिनियम की मांग मान ली है। हालांकि तीनों कानून वापस लेने और एमएसपी पर बात अभी तक कोई सहमती नहीं बन पायी है और चार जनवरी को होने वाली बैठक में इन मांगों पर भी सहमती बनने के आसार नजर आ रहे हैं।
पीछले एक महीन से ज्यादा समय से किसान दिल्ली की सड़कों पर आंदोलन कर रहे है और इसके कारण सत्तादल यानी बीजेपी के कई सहयोगी राजनीतिक दल भी उसका साथ छोड़कर किसान आंदोलन में शामिल है। देश के सभी राज्यों से किसान दिल्ली की सीमा पर पहुंच रहे है और इस आंदोलन को तेज करने का प्रयास कर रहे है।
विज्ञान भवन में हुई वार्ता में शामिल 41 किसान संगठनों को एमएसपी खरीद प्रक्रिया के बेहतर अनुपालन के लिए समिति बनाने का प्रस्ताव दिया। इस बातचीत के दौरान किसान तीनों कानून वापस लेने की मांग पर अड़े रहे। सरकार ने कड़कड़ाती ठंड के कारण किसान संगठनों से आग्रह किया कि वह बूढ़ों, महिलाओं और बच्चों को आंदोलन स्थल पर नहीं रखे उन्हें घर भेज दें।
किसानों संगठनों का आंदोलन अब रंग लाता हुआ नजर आ रहा है और हो सकता है आने वाले दिनों में किसान संगठनों की सभी मांगों पर मुहर लग जाये। किसान संगठनों ने कहा कि विपक्ष कमजोर होने के कारण किसनों को सड़क पर उतरना पड़ा है। अब यह देखना होगा की अगली वार्ता में क्या हल निकलता है।