क्या आपके पास है देश भक्ति का सर्टिफिकेट –

नमस्कार
मेरा नाम रोहित राज तिहोर है। मेरा जन्म 8 जून 1994 को आजाद भारत मे हुआ है । में स्वभाविक रूप से देश के प्रति सम्मान और गहरी आस्था रखता हूँ  ,लेकिन मेरे पास देश भक्ती का सर्टिफिकेट नहीं है । इस लिए वर्तमान समय और स्थिति को देख डर जाता  हूँ ,की कोई देश भक्ति का सर्टिफिकेट ना माँग ले | में भी तो इक इंसान हूँ और अपने देश से प्रेम  करता हूँ। मै ही नही मेरी नजरों में सभी लोग अपने देश से प्रेम और देश के प्रती आस्था और सम्मान  रखते है |

लेकिन  मेरे पास देशभक्ति का कोई प्रमाण पत्र नही है। अगर किसी संगठन ने पूछ लिया (जैसा कि देश मे हो रहा है) कि देश भक्त हो, तो कैसे मै अपनी देशभक्ति को साबित कर पाऊंगा कि मैं देशभक्त हूँ और देश के प्रति आस्था सम्मान रखता हूँ | में उन लोगो से पूछना चाहता हूँ  की आपको देशभक्ति का ठप्पा लगाने का जिम्मा किसने दिया  है? और देशभक्ति का प्रमाण पत्र कौन दे रहा है। अगर किसी को जानकारी हो तो मुझे अवश्य अवगत करायें ,आपकी अतिकृपा  होगी।
मैं देशभक्ति के प्रमाण पत्र की माँग इस लिये कर रहा हूँ कि जिस तरह से इसके लिये जंग छिडी हुई है उसे देखकर यह अहसास  होने लगा है कि सभी को अपनी देशभक्ति को साबित करना जरूरी हो गया है।
देशभक्ति का मुद्दा बार बार सामने आ जाता है। चाहे वह कश्मीर हो, जेएनयू हो या दिल्ली यूनीवर्सिटी।
भक्ति और भक्तो के बीच देश बेहाल नजर आ रहा है। अपनी देशभक्ति साबित करने के लिये लम्बी लाइन लगी हुई है। मगर समझ नही आ रहा कि असली देश भक्त कौन है? कौन देश से सबसे ज्यादा प्यार करता है?
मै इसी देश मे पैदा हुआ हूँ मुझे कभी नही लगा कि देशभक्ति साबित करनी चाहिये। मगर अब मै डरने लगा हूँ कि देशभक्ति को साबित कैसे करूँ?
क्या सुबह-सुबह चिल्लाकर कहूँ  कि मैं देशभक्त हूँ। या हाथ मे झण्डा लिये गली-गली मे जाकर भारत माता की जय का नारा लगावों  या माथे पर लिखवा लों  कि मै देशभक्त हूँ।

समझ नही आता कि वे कौन लोग है जो देशभक्ति का सबूत माँगते है। शायद उन्हें खुद  पर सन्देह होगा।  लेकिन  में इस भारत देश की पावन भूमि पर जन्म लिया हूँ और इस के प्रती  गहरी आस्था और सम्मान रखता हूँ ,लेकिन कुछ कट्टर संगठन देश के लोगो से देश भक्ति का सबुत मांगने लगे है में  पूछना चाहता हूँ की क्या आप को भारतीय सविंधान ने  यह अधिकार दिया है की आप लोगो की देश भक्ति नापे और  उन्हें सर्टिफिकेट दे | यह देश भक्ति के नाम पर मात्र आतंक है |जिससे देश के लोग बुनियादी जरूरतों को छोड़ इनके कथित कट्टर संगटन की और आकर्षित हो सके, और इनके छुट  भैया नेता लाम- लाईट  में आ सके और  अपना  स्वार्थ राजनीती में सिद्ध कर सके | इन लोगो का मात्र यही उद्देश्य है | जो की गलत है और में इसकी निंदा करता हूँ |

{ यह मेरे व्यक्तिगत  विचार है और किसी की भावना को आहत करने का उद्देश नहीं है }
जय हिन्द ,जय भारत , वेन्द मातरम

राजस्थान राजनीती एक नज़र-

राजस्थान भाजपा सरकार आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर अपनी जमीनी  पकड़ मजबूत करने में लग गई है किन्तु आगामी चुनाव बीजेपी के किये आसान नहीं होगा | राजस्थान जहाँ अपने रंग रंगीले स्वरूप के लिए विश्व विख्यात है वही राजस्था की  वर्तमान राजनीति की स्थिति  पर कुछ ऐसे भी जव्लंत मुद्दे है जो आगामी चुनाव में वसुंधरा सरकार के लिए कठिनाइयाँ  ला सकते है जैसे – गुर्जर आन्दोलन  , ललित मोदी कांड , शिक्षण संस्थानों बंद करना ( हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार  विश्व विधालय ) अम्बेडकर विश्व विधालय आदि |

वर्तमान सरकार के सामने शिक्षक बेरोजगार संगठन ,शिक्षक मित्र ,आगंबाडी  महिला  कार्यकर्त्ता , गहलोत सरकार में पत्रकारों के लिए आवंटित किये गए प्लॉट्स , आदि कुछ ऐसे मुद्दे है जिनका आगामी समय में  वसुंधरा  सरकार को  सामना करना पड़  सकता है  और महंगाई ,नोट बंदी  जैसे मुद्दों को  वर्तमान में कांग्रेस पार्टी  समय -समय पर उछाल रही है जिस से आम जनता यह सोचने पर मजबूर है की नोट बंदी से गरीबो का क्या भला हुआ ,काम धाम छोड़कर बैंको के बाहर घंटो लाइनों में क्यों लगे ,और कुछ लोगो की मौत का जिम्मेदार कोन ,ऐसे कई मुद्दे है जो आगामी राजस्थान विधानसभा  चुनाव में मुख्य रूप से सुने जायेगे |

लेकिन कुछ तो खास है मुख्यमंत्री  वसुंधरा राजे में जो निगम से विधायक होते हुवे सांसद तक उन्ही की सरकार पूर्ण बहुमत से  है | लेकिन सरकार के कुछ विधायक  ऐसे भी है जो मौखे  की तलाश में है की कब सरकार को बेकफूट पर ले सके | इन सभी मुद्दों पर  मुख्यमंत्री की पैनी नज़र है और वह इन सब को हल खोजने में लगी है और सरकार के अंतिम समय में जनता को लुभाने के लिए विभिन सौगाते दे सकती है |

अब जनता जनार्धन है साब कुछ भी कर सकती है क्या पता की विकास ,महंगाई ,सामाजिक मुद्दों पर आगामी चुनाव होगा या कुछ और आधार पर लेकिन यह बात साफ़ है की चुनाव विकास पर कम और जात -पात ,ऊँच-नीच और वह तमाम मुद्दे जिनका जुमलो के अलावा कुछ नहीं बनता के आधार पर वोट डाले जाते है |

राजस्थान की राजनीति में जातीय समीकरण या यो कहे की राजस्थान में जातीय समीकरण को देखकर भी राजनेतिक पार्टिया अपना प्रत्याशी मैदान में उतार ती है जिससे  चुनावो से विकास ,रोजगार ,महंगाई ,सामाजिकता और वह मुद्दे जो आम जनता के विकास के लिए आवश्क है गोंण हो जाते है | और  भाई भतीजे बाद पर चुनाव हो जाते है और आम आदमी अपने को ठंगा सा महसूस करता है |

वर्तमान बीजेपी सरकार 3 साल ,  ठोस  काम  का नारा दे रही है  जो कितना सही है यह तो अब जनता आगामी चुनाव में ही बतायेगी की काम केसा है |

यूपी चुनावी रंग -कुछ ख़ास

उत्तर प्रदेश चुनाव सभी राजनेतिक पार्टियों के लिए कुछ  ख़ास  है | वही यूपी की जनता भी कुछ ख़ास है | सभी बदले बदले से लगते है ,लगता है की यह चुनावी रंग  सभी के लिए कुछ ख़ास मायने रखता  है और रखे भी क्यों नहीं यही तो लोकतंत्र है साहब | सभी राजनेतिक पार्टिया अपने को सत्ता में लाने  के लिए पूरी ताकत से  जनता को रिझाने में लगी  है ऐसा नजारा प्रत्यक पांच साल में एक बार होता है की आम आदमी की कुछ वेल्यु बड़ती है और वह अपने को कुछ ख़ास समझता है, लेकिन क्या करे साहब चुनाव जाते ही सब बेगाने से हो जाते है खास कर वह नेता- गण जो प्रचार और चुनाव के समय बड़े ही हक़ से आम आदमी के दुःख दर्द की बाते करते  है कसम से जनता और गरीबो का दिल जीत लेते है यह अंदाज , यही कला तो उन्हें नेता बनाती है कहा जाता है  ना नेता कभी न देता बस लेता ही लेता | बस चुनाव में आपका वोट गया और आप कोन साहब की स्थिती उत्पन हो जाती है अब बेचारा गरीब सोचता है की इस बेरोजगारी ,  महंगाई ,विकास ,शिक्षा ,देश हित , और तमाम वह मुददे जो चुनाव ओ में कह जाते है उन का क्या |

यूपी चुनाव को आप यूपी की जनता की नजर से देखो तो कुछ ख़ास नजर आता है इस बार क्या नया है इस यूपी चुनाव में और क्यों |कुछ ख़ास है जब ही तो भारत जैसे विशाल देश, सवा सों करोड़ लोगो का  प्रतिनिधित्व करने वाले देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक राज्य के चुनावो में निरंत्तर  रैलिय और  प्रचार कर रहे है  और गधो और अन्य विभिन विचित्र शब्दों का प्रयोग कर रहे है | खैर राजनीति है साहब ,लोकतंत्र  है सब स्वतंत्र है |

एक राजनेतिक द्श्य चुनाव के समय केसा होना चाहिए  विकास की बाते हो ,रोजगार की बाते हो ,महंगाई कम करने की बाते हो,और जो लोग समाज की मुख्यधारा में शामिल नहीं हो सके उन्हें समाज की मुख्य धारा में लाने के प्रयासहों  , शिक्षा का समान अवसर मिले किन्तु यह विडम्बना ही है की देश की राजनेतिक पार्टिया जनता के विकास को ध्यान न रखते हुवे साम -दाम -दंड -भेद की नीति का अनुसरण कर मात्र सत्ता में आने के अवसर तलाश रही  है |

यूपी चुनाव में इस बार एक बात और ख़ास है और वह है जातीय समीकरण जो सभी पार्टियों के अपने अपने जोड़ तोड़ है और उस आग में घी का काम कुछ सामाजिक संगठन भी करते है जैसे मुस्लिम संगठन ,दलित संगठन, हिन्दू वादी संगठन आदि संगठन जिनका अपना एक लाभ होता है | मगर अब सवाल यह उठता है की विकास ,शिक्षा ,महंगाई ,समानता ,और मूलभूत सुविधा का क्या ,इस आरोप प्रत्यारोप  में आम आदमी का क्या उसे क्या मिला माननीय अमित शाह जी और  देश के प्रधान मंत्री जी देश के सामने कसाब,गधो , जैसे विषय पर नहीं ,देश के युवा वर्ग के लिए रोजगार देने की व्यवस्था  करे ना की जुमलो की |

( यह लेखक के अपने विचार है और किसी समुदाय विशेष और पार्टी पर कोई टिप्पणी नहीं है )

पवन देव

क्यों निशाने पर है, विधायक चंद्रकांता मेघवाल

कोटा | भाजपा सरकार में ही भाजपा की महिला दलित विधायक श्रीमती चन्द्रकान्ता मेघवाल के साथ कोटा के महावीर नगर थाने में जमकर बदतमीजी की गईं। उनके साथ मारपीट की गई। मारपीट के दोरान उन्हें कई  जगह चोटे भी आई है |

दलित विधायक चन्द्रकान्ता मेघवाल भाजपा में अपनी बोल्ड छवि के लिए जानी जाती है  उन्होंने  नागौर जिले के डांगावास गांव में हुए दलित नरसंहार का जमकर विरोध प्रदर्शन किया था। वे एक मात्र विधायक थी जो मारे गए दलितों के परिजनों से डांगावास जा कर मुलाकात की और बाद में वे अस्पताल  जा कर भी घायलों से भी मिली थी |  मेघवाल ने ही डांगावास  कांड की सीबीआई जांच की मांग उठाते हुए मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखे थे । तब ही से वह पार्टी के अन्य नेताओ के निशाने पर थी, उनको नीचा दिखाने की हर तरह से कोशिश की जाती रही है। एलएलबी परीक्षा प्रकरण तथा मंत्रिमंडल गठन में चन्द्रकान्ता की उपेक्षा इसका उदहारण माने जा सकते है।

अब जिस तरह से भाजपा सरकार में ही भाजपा की इस  महिला विधायक को पीटा गया है | वह बड़ी ही शर्मसार करने वाली घटना है| और इसकी कड़ी निंदा होनी चाहिए | अब यह देखना बड़ा दिलचस्प है की जब अपनी ही भाजपा सरकार में ही महिला विधायक के साथ पुलिस मारपीट कर सकती है तो सामान्य जन का क्या होगा |पुलिस की  भूमिका पर बड़ा सवालिया निशान लगाता  है।

कहा यह भी  जा रहा है की विधायक मेघवाल के पति ने पुलिस कर्मी को चाटा मारा है इस लिए यह सारा हंगामा  शुरु हुवा है | अगर यह तथ्य सही है तो इसकी जांच होनी चाहिए | और दोषियों पर कड़ी करवाई भी |

राजस्थान में इस समय एक दो कर छोड़ कर लगभग सारे ही अनुसूचित जाति के विधायक  भाजपा से चुने गए है। मगर उनकी स्थिति सही नहीं है ऐसा सुना जाता रहा है| अब यह देखना होगा की भाजपा सरकार अपने इस दलित विधायक के साथ क्या न्याय  करती है|

इस घटना कर्म के वक्त ही एक पेट्रोल पंप पर आग लगी है, अब इस  एक पेट्रोल पम्प लगी आग को भी इससे जोड़ा जा रहा है।कहा तो यहाँ तक जा रहा है कि विधायक मेघवाल के पति पर सारा दोष मढ़ने की कोशिशें हो रही है।मीडिया पर भी सुनियोजित तरीके से यही फैलाया जा रहा है कि किसी वाहन का चालान काटने को लेकर हुयी कहा सुनी के दौरान विधायक के पति नरेंद्र मेघवाल ने पुलिस के सीआई श्रीराम बसेड़ा को थप्पड़ जड़ दिया था।शायद पुलिस ने इस थप्पड़ का जवाब उसी थाने में विधायक की पिटाई करवा कर दिया है।

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