the last date of February 26.


किसाना आंदोलन मजबूत बनाने के लिए राजस्थान में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टीसे सांसद और दिग्गज जाट नेता हनुमान बेनीवाल राज्य के प्रत्येक जिले में किसान आंदोलन के समर्थन में ट्रैक्टर रैली निकालेंगे। बेनीवाल ने किसानों के समर्थन के लिए एनडीए से अलग होकर बता दिया था कि वह किसानों के हक की बात पर किसानों के साथ खड़े होकर उनका साथ देंगे। बेनीवाल ने कहा कि रैली का आयोजन शुक्रवार को सभी जिला मुख्यालयों शांतिपूर्ण तरीके से किया जायेगा।
बेनीवाल ने कहा इस रैली के माध्यम से केन्द्र सरकार को संदेश दिया जाएगा कि किसानों के मुद्दे को दबाया नहीं जा सकता और राजस्थान के किसान एक है। राजधानी जयपुर में रैली मानसरोवर मेट्रो स्टेशन से शुरू होगी और 14 नंबर बाईपास पर जाकर समाप्त होगी।
बेनीवाल ने कहा कि आंदोलन के समर्थन में उनकी पार्टी शाहजहांपुर बॉर्डर पर पड़ाव डालकर बैठी है और किसानों के पक्ष में आवाज को मजबूत कर रहे है। बेनीवाल ने संसद सत्र के दौरान भी सांसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण और वित्त मंत्री के बजट भाषण पर भी अपना विरोध् दर्ज करवाते हुए कृषि बिलों को वापिस लेने की अपील की थी। इसके बाद वह अब ट्रैक्टर रैली के माध्यम से किसानों का हौसला बढ़ा रहे हैं। इस रैली जबरदस्त भीड़ देखने को मिल रही है और इस बात से पता चलता है कि हनुमान बेनीवाल की किसानों के बीच अच्छी पकड़ है।
वही दूसरी तरफ भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसानों को कहा कि हर गांव से एक ट्रैक्टर पर 15 आदमी 10 दिन का समय लेकर आएं और इस आंदोलन में शामिल हो और इसके बाद वह लौटकर अपनी खेती करे इससे गांव में बैठे किसानों तक हमारी बात पहुचंगी और ज्यादा से ज्यादा किसान इसमें भाग लेंगे।
पिछले 2 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है और किसान सगंठन 3 नये कृषि बिलों को समाप्त करने की मांग को लेकर दिल्ली की सिमाओं पर आंदोलन कर रहे है। 2 महीने के अन्तराल में किसानों और सरकार के बीच कई दौरे की वार्ता हो चुकी है लेकिन इसके बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल पाया है और इस दौरान किसानों ने सरकार को जगाने के लिए कई प्रकार के प्रयास किये लेकिन मोदी सरकार किसानों की बात को अनसुना कर रही है।
26 जनवरी के दिन ट्रेक्टर परेड़ के दौरान लाल किले पर जो हिंसा हुई उसको लेकर किसानों पर कई तरह के आरोप लगाये जा रहे है और किसान संगठन इस हिंसा पर खेद प्रकट करने के साथ हिंसक प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की और एक बार फिर दिल्ली कूच करने की तैयारी शुरू कर दी है। कृषि कानून के खिलाफ किसानों ने अपने आंदोलन को तेज करने के साथ 6 फरवरी को चक्का जाम का ऐलान कर दिया है। ऐसे में दिल्ली के बॉर्डरों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है, गाजीपुर बॉर्डर पर तार, नुकीली कील और बैरिकेडिंग तक लगा दी गई है, सुरक्षा के मध्यनजर ट्रेनों को भी डाइवर्ट किया जा रहा है।
किसानों ने पहले ही चेतावनी दी है कि वह तीनों बिलों खत्म करने के बाद ही अपना आंदोलन खत्म करेंगे। दिल्ली की सीमाओं पर जो कंटीले तारों व कीलों आदि वाली जबर्दस्त बैरिकेडिंग की गई है जिसकों लेकर किसानों ने कहा कि वह दिन-रात खेतों में कांटों व पत्थरों के बीच रहकर खेती करता है तो उसे इन तारों के जाल से नहीं डराये तो सरकार के लिए अच्छा होगा।
सरकार के सख्त रूख को देखते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि हमने सरकार को अक्टूबर तक का समय दिया है और इसके बाद भी सरकार हमारे मांगें नहीं मानती है तो 40 लाख ट्रैक्टरों के साथ देशव्यापा ट्रैक्टर रैली निकालेंगे। टिकैत ने कहा कि कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं की बात भी कही है। सरकार उन किसानों को डरा रही है जो गर्मी,सर्दी और बारिश के मौसम में तपकर बढ़ा हुआ है और उसे कभी पानी की धार से तो कभी पुलिस बल से तो कभी कांटों का डर दिखा रही है जो किसी हास्यपद से कम नहीं है।
चीन दुनिया का एक ऐसा देश है जो दुनिया से अलग रहकर अपना वजूद कायम करना चाहता है लेकिन इसके कारण उसको दुनियाभर के देशों से खरी खोटी सुननी पड़ती है। चीन अपने पड़ौसी देशों पर अपना अधिकार जमाने के लिए वहां जमकर पैसा कर्ज के रूप में लूटाता है और इसी कारण उसके पड़ौसी देशों के साथ रिश्ते बनते और बिगड़ते रहते है। हाल ही में म्यांमार में तख्तापलट की घटना के बाद चीन ने एक बार दुनिया के सामने अपला असली रंग दिखा दिया है कि उसकी लोकतंत्र या लोकतांत्रिक मूल्यों में कोई आस्था नहीं है। पूरी दुनिया जहां म्यांमार के साथ वहां पर लोकतंत्र की वापसी की बात कर रही है तो चीन इसके विपतिर अपने बयान दे रहा है। सभी देशों ने म्यांमार सेना की निंदा की तो दूसरी तरफ चीन ने म्यांमार के संविधान का हवाला देकर पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया है।
खबरों के अनुसार बताया जाता है कि म्यांमार की सेना के प्रमुख जनरल मिन का चीन के साथ करीबी संबंध है लेकिन वह पाकिस्तानी सेना प्रमुख की तरह गुलामी नहीं करते है। लेकिन अब सेना के कमांडर इन चीफ मिन आंग लाइंग के हाथों में देश की बागडोर आ गई है और चीन इसी बात से डरा हुआ है कि उसने अपने फायदे के लिए बड़ी मात्रा में निवेश किया था लेकिन इसके बाद भी वह म्यांमार पर अपनी पकड़ नहीं बना सका।
म्यांमार के भारत के साथ अच् संबंध है और सेना प्रमुख को अब लोकतंत्र बहाली को लेकर जल्द ही बड़ा कदम उठाया होगा क्योंकि इस मामले में पूरी दुनिया म्यांमार की जनता के साथ खड़ी है। लेकिन म्यांमार में चीनी निवेश और चीनी आर्थिक क्रियाकलाप के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है क्योंकि अब चीन को दुनिया भर में जवाब देना पड़ेगा की वह लोकतंत्र के साथ है या फिर सेना के साथ। म्यांमार मामले पर संयुक्त राष्ट संघ की नजर बनी हुई है और इस मामले में जल्द ही अमेरिका का हस्तक्षेप देखने को मिल सकता है।
भारत के इतिहास में पहली बार पेपरलेस बजट प्रस्तुत किया गया लेकिन इस बजट को लेकर लोगों ने मोदी सरकार की जमकर आलोचना की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे मेड इन इंडिया टैबलेट से पढ़ा जो अच्छी बात है लेकिन उनके इस टैबलेट से आम व खास के लिए कुछ नया नहीं निकला।
सामाजिक सुरक्षा के दायरे में ठेका कर्मचारी को पहली बार सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 में गिग और प्लेटफॉर्म कर्मचारियों को शामिल किया गया। डिजिटल जनगणना के लिए सरकार ने बजट में 3ए760 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया है। इस बजट के बाद आम जनता की जेब ढीली होने वाली है क्योंकि इस बजट के बाद घरेलू सामानों की किमतों में जबरदस्त इजाफा देखने को मिलेगा। पेट्रोल, डीजल, शराब, लेदर, सोना, चांदी और गाड़ियां जैसी चीजों की कीमत में बदलाव देखने को मिलेगा।
18 प्रोडक्ट्स महंगे
मोबाइल पार्ट्स, बैटरी और चार्जर ,फ्रिज,एसी पर 5 प्रतिशत तक इंपोर्ट ड्यूटी बढाई गयी है। इसके साथ ही आने वाले दिनों में पेट्रोल व डीजल की कीमतों में भारी इजाफा देखने को मिल सकता है। इसके कारण सभी चीजों के दाम बढ़ना तय है।
8 सामान सस्ते हुए
आम आदमी से परे गोल्ड, सिल्वर और प्लेटिनम की ज्वैलरी पर इंपोर्ट ड्यूटी 5 प्रतिशत कम की गई है। इसके कम होने से आमजन को कोई बड़ा फायदा नहीं होता दिख रहा है। इस बजट के बाद लोगों ने कहा कि कोरोना के कारण जब लोगों की नौकरी चली गयी है और लोगों को नौकरी का इंतजार है। लेकिन इस बजट में नौकरियों को लेकर कोई ऐलान नहीं किया है।
इस बजट में किसानों के लिए कोई बड़ा ऐलान नहीं किया गया जबकि पिछले 2 महीने से किसान संगठन कृषि बिलों को खत्म करने व एमएसपी को लेकर आंदोलन कर रहे है। अगर इस बजट में किसानों को राहत के लिए कुछ बड़े फैसले लिये जाते तो किसानों को विश्वास होता की मोदी सरकार उनके हितों के बारे में सोचती है लेकिन ऐसा देखने को नहीं मिला।
कोरोना काल में मोदी सरकार का बजट लोगों को कितना पसंद आयेगा इसके बार में तो अभी लोगों की प्रतिक्रिया आना बाकी है लेकिन कोरोना काल के नाम पर जुमले वाली सरकार का यह फेकू बजट किसानों, सेना और आम जनता के लिए क्या लेकर आया है इसके बार में नीचे विस्तार से जान सकते हैं। पिछले साल कोरोना काल की आड में फेकू सरकार ने 3 नये कृषि कानून बिल पास कराके उन्हें लागू कर दिया लेकिन पिछले 2 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है और फेकू सरकार किसानों की मांग नहीं मान रही है और उनको सड़कों पर रात गुजराने पर मजबूर कर रही है।
75 साल से अधिक उम्र वाले पेंशनधारकों को इनकम टैक्स नहीं भरना होगा
ट्राइब्यूनल्स के कामकाज़ को सुधारा जाएगा
जनगणना डिजिटल होगी
लेह में सेंट्रल युनिवर्सिटी बनाई जाएगी
100 नए सैनिक स्कूल खोले जाएंगे
बैंकों में 20,000 करोड़ की पूंजी डाली जाएगी
कश्मीर क्षेत्र में गैस पाइपलाइन का विस्तार किया जाएगा
3 नए रुट्स पर रेलवे नए फ्रंट कॉरोडोर बनेंगे
सरकारी बस सेवा पर 18000 करोड़ का खर्च होगा
मार्च 2022 तक 8500 किमी हाईवे बनाए जाएंगे
3 नए रुट्स पर रेलवे नए फ्रंट कॉरोडोर बनेंगे
अर्बन जल जीवन मिशन लॉन्च किया जाएगा
कोरोना वैक्सीन के लिए 35,000 करोड़ आवंटित
स्वास्थ्य योजना पर 64180 करोड़ रुपये खर्च होंगे
17 नए अस्तपताल शुरु किए जाएंगे
सभी राज्यों का स्वास्थय डाटा बेस बनाया जाएगा
सभी राज्यों का इंटीग्रेटिड डाटा बेस तैयार होगा
किसानों की आय दोगुनी होगी
भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी
आत्मनिर्भर भारत के लिए नई योजना लॉन्च करेंगे
राजस्थान में निकाय चुनाव के नतीजों पर कांग्रेस पार्टी ने मतदाताओं और कार्यकर्ताओं का आभार जताया है। हालांकि कांग्रेस को बड़ी जीत नहीं मिली है लेकिन निर्दलियों के कारण वह बीजेपी से ज्यादा बोर्ड बनाने में सफल हो सकती है। लेकिन कई ऐसे निकायों में निराशा का भी सामना करना पड़ा है जहां मौजुदा सरकार के बड़े मंत्री आते हैं या फिर उन क्षेत्रों में कांग्रेस के विधायक हैं। लेकिन इसके बाद भी आलाकमान के नेताओं के साथ राजस्थान के प्रभारी अजय माकन ने खुशी जाहिर की है।
राजस्थान के 90 शहरों में निकाय चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और लगभग 50 से ज्यादा बोर्ड कांग्रेस के पाले में जाते हुए दिख रहे है। इस बार भाजपा के गढ़ माने जाने वाले कई बोर्डो पर कांग्रेस ने बाजी मारी है। लेकिन कांग्रेस के लिए बहुत बड़ी चुनौती वहां है जहां आने वाले दिनों में चार विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने हैं। क्योंकि यहां 4 में 3 सीटों पर बीजेपी का दबदबा रहा है। मुख्यमंत्री गहलोत के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा किए गए कार्यों को जनता ने सराहा है।
प्रदेश के 20 जिलों के 90 निकाय के चुनाव परिणाम के बाद 3034 वार्डों के चुनाव परिणाम जारी कर दिये गये है और जिसमें सबसे ज्यादा वार्डों 1197 के साथ कांग्रेस पहले स्थान पर है तो भाजपा 1140 वार्ड जीतने में सफल रही है। इस बार 634 वार्डों में निर्दलीयों ने कब्जा किया है।
चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी ने आरोप लगाया कि सत्ता में होने के बाद भी कांग्रेस को ज्यादा बड़ी जीत नहीं मिली है और नतीजों के परिणाम के बाद भी वह अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। जबकि उनके बड़े नेता इस जीत को कांग्रेस के लिए बड़ी जीत बता रहे है जबकि बीजेपी अपने दम पर कांग्रेस से ज्यादा वार्डो पर कब्जा किया है और कांग्रेस अब निर्देलियों के भरोसे अपनी जीत के सपने देख रही है।
26 जनवरी को लाल किले पर झंडा फहराने की घटना को लेकर सभी पार्टियों के साथ किसान संगठनों ने भी नाराजगी जताई है लेकिन झंडा फहराने के स्थान को लेकर जो बाते सामने आ रही है उसको लेकर जबरदस्त जंग छीड़ गयी है। किसान संगठनों ने कहा कि हमने पुलिस द्वारा बताये गये मार्ग से रैली निकाल रहे थे लेकिन हमारे बीच कुछ ऐसी हिसां फैलाने वाले लोग शामिल हो गये है जो किसानों को भड़काने के साथ हिंसा फैलाने का काम किया है। किसान संगठनों ने उन लोगों को अपने आप अलग करते हुए कहा कि ऐसे उपद्रवी लोगों के साथ उनका कोई संबंध नहीं है और हम शांति से अपने धरना स्थल पर लौट रहे है और अपना आंदोलन शांति से चलाने का आग्रह कर रहे है। दूसरी तरफ राजपथ पर अचानक भिड़ का उग्र होना और लाल किले पर झंडा फहराना सही नहीं है लेकिन ऐसी घटनाओं से किसान समुदाय पर हिंसा फैलाने के आरोप मंडने शुरू हो गये है।
अगर लाल किले पर झंडा फहराने को लेकर कोई विवाद हुआ है तो वह सही नहीं है क्योंकि झंडा उस जगह पर नहीं फहराया गया जहां पर तिरंगा फहराया जाता है। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि एक समुदाय विशेष का झंडा फहराना शर्मनाक है और इससे लोगों में गलत संदेश जाता है। जिस व्यक्ति पर किसानों को भड़काने का आरोप लगा है वह पंजाब से बीजेपी सांसद सनी देओल के साथ नजर आने वाला दिप सिद्धू है जो कई मौकों पर सनी के साथ नजर आ चुका है।
किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान अचानक उग्र प्रदर्शनकारी बैरियर तोड़ते हुए लाल किले तक पहुंच गए और उस स्तंभ पर एक धार्मिक झंडा लगा दिया जहां 15 अगस्त को प्रधानमंत्री भारत का तिरंगा फहराते हैं। लाल किले में घुसे प्रदर्शनकारियों ने जमकर उत्पात मचाया और टिकट काउंटर में भी तोड़फोड़ की पुलिस ने रात करीब 11 बजे तक प्रदर्शनकारियों से लाल किला को खाली कराया और धार्मिक झंडे को भी हटाया।
हिंसा पर किसान संगठन करेंगे चर्चा
दिल्ली हिंसा के बाद किसान संगठनों की आज दोपहर 2 बजे बैठक होगी और बैठक में 26 जनवरी को हुई हिंसा पर की चर्चा की जाएगी और 1 फरवरी के संसद घेराव कार्यक्रम पर भी फैसला लिया जा सकता है।
हिंसा पर सख्त ग्रह मंत्रालय
दिल्ली हिंसा को लेकर ग्रह मंत्रालय बहुत ज्यादा सख्त है और अमित शाह ने इसको लेकर एक बैठक बुलाई है। इसके साथ दिल्ली क्राइम ब्रांच और स्पेशल सेल से जांच कराई जा सकती है और उपद्रवियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए गृह मंत्रालय अब कानून मंत्रालय की मदद भी ले रहा है। मंगलवार को हुई हिंसा में 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, दिल्ली पुलिस दोपहर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी और हिंसा को लेकर जानकारी देगी।
आवेदन प्रकिया शुरूः 11 जनवरी से 8 फरवरी तक
परीक्षा तिथिः 25 अप्रैल
अनुपातः 90 रीट- 10 बी.ए.
आरक्षण का लाभः
सिलेब्स में क्या जोड़ा व क्या हटाया गयाः http://www.reetbser21.com/ReETfoRm2021/PDF/REET2021_LEVEL_2_SYLLABUS.pdf
आवेदन का लिंक-http://www.reetbser21.com
प्रदेश के हजारों युवा सेना में भर्ती होने के लिए तैयारी कर रहे है और इसी बीच उनका यह सपना जल्द पूरा होता हुआ नजर आ रहा है। प्रदेश में कोरोना की गाइड लाइन का ध्यान रखते हुए सभी जिलों में भर्ती का आयोजन करने की तैयारी शुरू कर दी गयी है। नये साल की शुरूआत में इस भर्ती को शुरू कर दिया जाएगा।
राजस्थान के 5 जिलों में भर्ती की रैलिया आयोजित की जाएगी और इसके लिए पुलिस प्रशासन से सुरक्षा की मांग की है। जयपुर, बीकानेर, अलवर, उदयपुर और अजमेर में सेना भर्ती रैली प्रस्तावित हैं लेकिन जयपुर में कोरोना का खतरा ज्यादा होने के कारण अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है।
सेना भर्ती की प्रस्तावित तारीख
सबसे पहले बीकानेर में 10 से 23 जनवरी 2021 के बीच – चूरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, झुंझुनू और बीकानेर जिले के युवाओं को मौका दिया जाएगा।
अलवर में 3 से 15 फरवरी 2021 तक – दौसा, सवाई माधोपुर, धौलपुर करौली, भरतपुर जिले के अभ्यर्थी इसमें भाग ले सकेंगे।
जयपुर में अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं है फिर भी यह भर्ती 8 से 19 मार्च- जयपुर, सीकर और टोंक के अभ्यर्थी के लिए तय की गयी है।
उदयपुर संभाग के युवाओं को 5 से 16 अप्रैल – डूंगरपुर, बांसवाड़ा, सिरोही, उदयपुर, बाड़मेर, जालौर, जैसलमेर, प्रतापगढ़, जोधपुर, पाली औरा नागौर को शामिल किया गया है।
सबसे अंत में अजमेर में 3 से 14 मई तक – अजमेर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, राजसमंद, बारां, बूंदी, झालावाड़, कोटा जिले के अभ्यर्थियों को मौका दिया जाएगा।