महंगी होती बिजली के खिलाफ विरोध प्रदर्शन –

कच्ची बस्तियों के लोगों ने मंहगी होती बिजली के अमानवीय पहलू पर ध्यान आकर्षित करने के लिए किया प्रदर्शन
दूसरे राज्यों में चुनाव में 200 यूनिट मुफ्त बिजली का वादा करने वाली कांग्रेस पार्टी राजस्थान में सरकार में होते हुए देश में सबसे मंहगी बिजली क्यूं देती है?
12 अप्रैल, जयपुर। बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति जयपुर ने आज मालवीय नगर सहायक अभियंता कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन कर बिजली बिलों में हो रही धांधली के खिलाफ ज्ञापन सौंपा। विरोध प्रदर्शन में इंद्रा नगर कच्ची बस्ती, सरदार बस्ती झालाना, मालवीय नगर कच्ची बस्ती के लोग शामिल हुए। राजस्थान यूनिवर्सिटी एवं शहर के अलग-अलग संस्थानों में पढ़ने वाले विद्यार्थी, सामाजिक कार्यकर्ता तथा दिहाड़ी मजदूरों सहित, आम नागरिकों ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
कच्ची बस्ती से आई महिलाओं का कहना था कि बस्ती में बिजली के बिल बहुत ही ज़्यादा आता है। एक पंखा और दो बल्ब जलाने वालों का भी डेढ़-दो हज़ार का बिल आता है, बहुत लोगों का तो दस हजार तक के बिल भी आए हैं। बस्ती के लोगों के हालात ऐसे नहीं हैं कि वो इतनी महंगी बिजली की मार सह सकें। झालाना से अाई सुनीता जी ने कहा, “लोग किसी तरह पाई पाईजोड़ कर जब तक एक बिल चुकाते हैं, दूसरा बिल आ जाता है। जुड़ते-जुड़ते ये बिजली के बिल पहाड़ जैसे हो जाते हैं और फिर कनेक्शन कट जाता है, मीटर उखाड़ लेते हैं। क्या हमारे बूढ़े बुज़ुर्ग, बीमार लोग, छोटे छोटे बच्चों को गर्मी और अंधेरे में सिर्फ इसलिए रहना पड़ेगा क्यूं कि हमें काम धंधा नहीं मिल पाया? क्या गरीब के बच्चों को पढ़ने का हक नहीं? सरकार हमको अच्छा काम दे, नहीं तो महंगाई कम करे।”
बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति का कहना है कि राजस्थान सरकार बिजली को जनसेवा  के साधन से बिजली कम्पनियों के लिए एक मुनाफे के साधन में बदलना चाहती है। इसके चलते बिजली कम्पनियों ने मनमानी लूट मचा रखी है। राजस्थान देश में सबसे ज़्यादा बिजली बनाने वाले राज्यों में से एक है, फिर भी राजस्थान में बिजली देश में सबसे महंगी है। राजस्थान में सत्तारूढ़ कोंग्रेस पार्टी असम में चुनाव में 200 यूनिट मुफ्त बिजली का वादा कर सकती है, तो फिर राजस्थान की जनता के साथ ये अन्याय क्यूं? खराब मीटर और बिजली विभाग और बिजली कम्पनियों की जनविरोधी नीतियों के चलते,  हर घर में जलने वाले उपकरणों की तुलना में, बिल में बहुत ज़्यादा स्थाई शुल्क आता है और इसके साथ साथ विद्युत शुल्क ,नगरीय कर, फ्यूल सरचार्ज आदि कई प्रकार के शुल्क और जोड़ दिए जाते हैं। लोग जितनी बिजली जलाते हैं, उस से तीन चार गुना बिल आता है। बहुत से लोगों का तो 20-20 गुना बिल देखा गया है। निजीकरण के चलते ही इन बिलों की वसूली भी जमींदारी तरीकों से की जाती है। समझौता समितियां बिना उपभोक्ताओं को समझौता प्रक्रिया में शामिल किए ही मनमाने सेटलमेंट करती है। कच्ची बस्तियों में रहने वाले लोगों के लिए ये पूरी प्रक्रिया बहुत ही भयानक आर्थिक और मानसिक संकट का रूप ले लेती है। सरकार को लोगो के हालात को समझते हुए बिजली बिलों को काबू में लाते हुए, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं को हर नागरिक की पहुंच में लाना चाहिए।
बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति जयपुर की मुख्य माँगें हैं – बिजली बिलों में की गई बढ़ोत्तरी वापस लो, कोरोना काल के बिजली बिल माफ करो, स्थाई शुल्क लेना बंद करो,पड़ोसी के बकाया बिजली बिलों के नाम पर उपभोक्ता का कनेक्शन काटना बंद करो,  हर परिवार को 200 यूनिट बिजली मुफ्त दो, खराब व तेज चलने वाले मीटर तुरंत बदलो, बिजली विभाग का निजीकरण बंद करो, बिजली(संशोधन) विधेयक 2020 खारिज करो।

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