किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश सुनाते हुए तीनों नये कानूनों पर रोक लगा दी है। कोर्ट के अगले आदेश तक ये कानून लागू नहीं होंगे और इसके साथ अदालत ने इन कानूनों पर चर्चा के लिए एक समिति का गठन भी किया है। इसके लिए कोर्ट ने हरसिमरत मान, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, डॉ प्रमोद कुमार जोशी (पूर्व निदेशक राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन), अनिल धनवत के नाम कमिटी के सदस्य के तौर पर पेश किये है। इस फैसले के बाद किसान संगठनों को बड़ी राहत मिली है और सब ने अदालत के फैसले पर खुशी जाहिर की है।
सुनवाई के दौरान किसानों का पक्ष रख रहे वकील शर्मा ने बताया कि किसान संगठन सुप्रीम कोर्ट की ओर से समिति गठित किए जाने के पक्ष में नहीं हैं और वो समिति के समक्ष नहीं जाना चाहते हैं इस कोर्ट ने कहा कि किसान सरकार के समक्ष जा सकते हैं तो कमिटी के समक्ष क्यों नहीं। अगर वो समस्या का समाधान चाहते है तो कमिटी के समक्ष जाना होगा तभी इस बात को पता चलेगा कि यह बिल सही या गलत।

मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने कहा कि ‘हमें समिति बनाने का अधिकार है. जो लोग वास्तव में हल चाहते हैं वो कमेटी के पास जा सकते हैं।’ कोर्ट ने कहा कि ‘हम समस्या को सबसे अच्छे तरीके से हल करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि ‘कोई भी शक्ति, हमें कृषि कानूनों के गुण और दोष के मूल्यांकन के लिए एक समिति गठित करने से रोक नहीं सकती है। अब यह देखना होगा की किसान आंदोलन वापस लेते है या समिति कै फैसले का इंतजार करेंगे।