नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच जारी गतिरोध दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है एक तरफ सरकार किसानों को वार्ता के लिए बार आग्रह कर रही है तो दूसरी ओर किसान तीनों बिलो को खत्म करने की मांग पर अड़े हुए है। सरकार और किसानों के बीच अब तक 5 दौर की बातचीत हुई है जो बिना नतीजे के रही है। किसानों के आंदोलन को खत्म करने और उनकी मांगों को पूरा करने के लिए सरकार ने पत्र लिखकर किसानों को एकबार फिर बातचीत के लिए प्रस्ताव भेजा है।
सरकार के इस प्रस्ताव पर आज किसान संगठनों की एक बैठक होने वाली है जिसमें सरकार के प्रस्ताव को लेकर अहम फैसला भी लिया जा सकता है। केंद्र सरकार ने सभी किसान संगठनों को संबोधित करते हुए एक पत्र लिखकर उन्हें बातचीत के लिए आमंत्रित किया है।
सरकार ने किसान संगठन को अपनी पसंद से कोई भी तारीख चुन सकते हैं जब वे वार्ता के लिए तैयार हो इसी के मध्यनजर किसान संगठनों की आज की बैठक में केंद्र सरकार से वार्ता के लिए बड़ा फैसला ले सकते हैं। इसके साथ आंदोलन कर रहे है किसान नेताओं ने कहा कि हम सरकार को समर्थन देने वाले किसान संगठनों से नए कृषि कानूनों में क्या फायदा होगा इसको लेकर भी बात करेंगे। किसान आंदोलन ज्यादा लंबा होने के साथ इसका क्षेत्र भी व्यापक होता जा रहा है जो सरकार के लिए चिंता खड़ी कर रहा है।
किसानों की क्रमिक भूख हड़ताल और 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा-पंजाब मार्ग में टोल मुक्ति का ऐलान से लगता है कि किसानों का यह आंदोलन अभी खत्म होने वाला नहीं है। इससे पहले किसान संगठनों ने कानूनों में संशोधन और न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रखने का लिखित आश्वासन दिए जाने के केंद्र के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया था। अब यह देखना होगा कि मोदी सरकार और किसानों के बीच चल रही यह लड़ाई किस मोड़ पर जाकर रूकती है।