नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों का आंदोलन आने वाले दिनों व्यापक रूप लेता हुआ नजर आ रहा है। किसानों के आंदोलन का आज 16वां दिन है और अब तक किसानों को मनाने के लिए 6 राउंड बातचीत के बाद सरकार की लिखित कोशिश करने के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकल पाया है। इसके साथ देश के सभी किसान अब आंदोलन तेज करने में जुट गये है।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने साफ शब्दों में कहा है कि सरकार सिर्फ विरोध खत्म करवाने में लगी है। लेकिनआंदोलन जब तक खत्म नहीं होगा तब तकक तीनों कानूनों वापस नहीं ले लिए जाएं और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अलग से बिल लाने की बात भी कही। इसके साथ आने वाले दिनों देशभर में रेल पटरियों को जाम करने की तैयारी चल रही है।
आने वाले दिनों में किसान देशभर में हाईवे जाम करने की तैयारी करने में जुटे हैं। हालाकि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर लगातार किसानों से आंदोलन खत्म करने और साथ मिलकर हल निकालने की अपील भी कर रहे है। सरकार ने कृषि कानूनों में बदलाव करने समेत 22 पेज का एक प्रारूप बुधवार को किसानों को भेजा था, लेकिन इससे भी कोई हल नहीं निकल पाया।
कोरोना काल में यह आंदोलन सरकार और किसानों के लिए बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकता है क्योंकि लोगों की भीड़ होने के कारण कोरोना का प्रसार आसानी से और तेजी से बढ़ सकता है। लेकिन आजादी के बाद से किसानों का हाल सुधरने की जगह बिगड़ता ही जा रहा है और इस बार किसानों ने फैसला किया है कि वे इस बार अपने हक के लिए आर—पर की लड़ाई लड़ने के लिए भी तैयार है।
किसानों को हर बार केन्द्र और राज्य सरकारे उनके हितों की बात करती है लेकिन जब भी उनके हक की बात आती है तो इस पर राजनीति होनी शुरू हो जाती है। भारत की अर्थव्यवस्था की सबसे मजबूत कड़ी कृषि को माना जाता है लेकिन इससे जुड़े किसानों की भलाई की बात आती है तो सभी पार्टियां उनको नजरअंदाज करती हुई नजर आती है। कृषि सुधारों के लिए कई कमेटिया बनाई गयी लेकिन वह सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गयी।