# राजस्थान करौली कांड
जयपुर। मंदिर की जमीन कब्जाने के विवाद में करौली के सपोटरा में पुजारी बाबूलाल वैष्णव की जिंदा जलाकरहत्या करने का मामला देश दुनिया में गरमा गया है। मुख्य आरोपी कैलाश मीणा समेत दो आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जबकि 6 की तलाश जारी है। इस बीच, सीएम अशोक गहलोत ने रविवार को निर्देश दिए कि इस मामले की जांच सीआईडीसीबी के पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा की देखरख में होगी। वहीं, गहलोत ने भाजपा पर इसे जातीय रंग देने का भी आरोप लगाया।
पीड़ित के परिजनों ने कहा कि हमें अब भी धमकियां मिल रही हैं। हमारे परिवार को सुरक्षा मुहैया कराई जाए। गहलोत ने यह भी कहा कि 1991 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने मंदिर माफी की जमीनों पर पुजारियों के नाम राजस्व रिकॉर्ड से हटाने के निर्देश दिए थे। वहीं, कांग्रेस ने हमेशा मंदिर की भूमि के संबंध में पुजारियों के हितों की पैरवी की। कांग्रेस सरकार ही 25 नवंबर, 2011 को एक परिपत्र जारी कर काश्तकार पुजारियों के नाम वापस राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने के निर्देश दिए थे।
मीणा और वैष्णव समाज के बीच जातीय विद्वेष की साजिश कर रही है भाजपा – गहलोत

अशोक गहलोत { फ़ाइल् फोटो }
सीएम गहलोत ने कहा कि यह निंदनीय है कि भाजपा ने दो परिवारों के बीच भूमि विवाद से हुई बूकना गांव करौली की दुखद घटना को मीणा और वैष्णव समाज के बीच जातीय विद्वेष का रूप देने का कुत्सित प्रयास किया। इससे राजस्थान की छवि अनावश्यक रूप से धूमिल हुई है। यह घटना कोई जातीय संघर्ष नहीं था, न ही कोई पूर्व नियोजित प्रकरण था।
यह भूमि के टुकड़े पर कब्जे को लेकर दो परिवारों के बीच का झगड़ा था, जो इस हृदय विदारक घटना में बदल गया। इस घटना से एक माह पहले 6 सितंबर को इस भूमि के विवाद को लेकर गांव के लोगों की पंचायत भी हुई थी, जिसमें मीणा समाज के लोगों का बाहुल्य था। मीणा समाज और अन्य लोग पुजारी बाबूलाल वैष्णव के साथ थे और बहुसंख्यक मीणा समाज की पंचायत ने भूमि के संबंध में बाबूलाल वैष्णव तथा राधा गोपाल जी मंदिर के हक में ही अपनी सहमति व्यक्त की थी।