कल होगा “बार काउंसिल ऑफ राजस्थान” का चुनाव – यह चेहरा है ख़ास –

जोधपुर। प्रदेश के वकीलों की सबसे बड़ी नियामक संस्था बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के चुनाव 28 मार्च को होंगे। वर्ष 2011 के बाद पहली बार हो रहे इस चुनाव को लेकर वकीलों में जबरदस्त उत्साह है। इस चुनाव की प्रक्रिया को सबसे जटिल माना जाता है। पचास हजार से अधिक वकील अपने पच्चीस प्रतिनिधियों का चुनाव करेंगे। इसके लिए 159 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। सोशल मीडिया पर बार काउंसिल का चुनाव छाया हुआ है। पच्चीस पद और 159 प्रत्याशी… प्रत्येक पांच वर्ष के अंतराल के बाद होने वाले बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के चुनाव इस बार वर्ष 2011 के बाद अब हो रहे है। प्रदेश में 229 मतदान केन्द्रों पर 50,900 से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुए 159 उम्मीदवारों में से 25 प्रतिनिधियों का चयन करेंगे। जोधपुर में राजस्थान हाईकोर्ट परिसर में तीन मतदान केन्द्र होंगे।

चरम पर पहुंचा चुनाव प्रचार –

मतदान में एक दिन शेष रहते चुनाव प्रचार चरम पर पहुंच चुका है। हाईकोर्ट और अधीनस्थ न्यायालयों में अवकाश होने के बावजूद गहमा गहमी का माहौल है। सभी प्रत्याशी अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे है। व्यक्तिगत संपर्क के अलावा सोशल मीडिया पर यह चुनाव छाया हुआ है। सोशल मीडिया के माध्यम से चुनाव प्रचार किया जा रहा है।

ख़ास नज़र –

ADJ आंदोलन के नेतृत्वकर्ता -नरेश कुमार शर्मा

ADJ आंदोलन के नेतृत्व कर्ता नरेश कुमार शर्मा { बैलेट नं .- 34 } से है मैदान में –

BCR के चुनावओं में इस बार मुख्य चेहरे के रूप में ADJ भर्ती परीक्षा 2010 को रद्द करने वाली “आल राजस्थान संघर्स समीति ” के तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट नरेश कुमार शर्मा चुनावी मैदान में है  | नरेश कुमार शर्मा ने 28 मार्च को होने वाले बार कौंसिल ऑफ़ राजस्थान के चुनावों में सदस्य पद पर प्रथम वरीयता के  मत व् समर्थन के लिए राजस्थान के समस्त अधिवक्ताओं से अपील की है | गोरतलब है की 2010 में ADJ भर्ती परीक्षा में हुई अनियमित्ता को लेकर एडवोकेट नरेश कुमार शर्मा ने अधिवक्ता साथियों के साथ मिलकर 27 दिनों तक हड़ताल कर ADJ भर्ती परीक्षा रद्द कराने में मुख्य भूमिका निभाई थी ,उनके संघर्ष व् हड़ताल के कारण ही राजस्थान हाई कोर्ट को  ADJ भर्ती परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी |

इस कारण हुआ चुनाव में विलंब

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने वकीलों से जुड़ी आचार संहिता में कुछ बदलाव किए थे। इसको लेकर एडवोकेट्स एसोसिएशनों ने न्यायालय में वाद दायर कर दिया। इस कारण चुनाव अटक गए। वर्ष 2011 में चयनित सदस्यों की अवधि पूर्ण होने पर उनका कार्यकाल छह माह के लिए बढ़ाया गया। इसके बाद तीन सदस्यों की कमेटी गठित की गई। यह कमेटी बार काउंसिल का संचालन कर रही थी। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चुनाव कराए जा रहे है।

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